Joshimath Uttarakhand Landslide News [Hindi]: क्या कभी भी खत्म हो सकता है जोशीमठ?

Joshimath Uttarakhand Landslide क्या खत्म हो सकता है जोशीमठ

Joshimath Uttarakhand Landslide News [Hindi]: उत्तराखंड के चमौली जिले में जमीन और पहाड़ धंस रहे हैं। जोशीमठ में भी इसका असर दिख रहा है। यहां 561 घरों में दरारें आ गई हैं। अब तक 66 परिवार पलायन कर चुके हैं। सुरक्षा के मद्देनजर 38 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इन इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए 70 कमरे, 7 हॉल और 1 सभागार बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्थिति का जायजा लेने के लिए जल्द ही क्षेत्र का दौरा करेंगे। उन्होंने बताया कि इसकी जांच करने के लिए एक्सपर्ट्स की एक टीम आज जोशीमठ जाएगी। धामी ने लोगों के राहत और बचाव के लिए जरुरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

लोगों ने बद्रीनाथ हाईवे को किया जाम

जोशीमठ के स्थानीय लोगों ने लैंडस्लाइड के मामले को सरकार और प्रशासन से गंभीरता से लेने के विरोध में गुरुवार की सुबह बद्रीनाथ हाईवे को जाम कर दिया। कई घंटों तक हाईवे जाम रहा जिससे काफी यात्रियों को परेशानी को सामना करना पड़ा।जोशीमठ में आईं दरारें

561 दुकानों के खुलने पर रोक 

चमोली जिला प्रशासन के शुक्रवार को जारी बयान के अनुसार कुल 561 दुकानों में रविग्राम वार्ड में 153, गांधीनगर वार्ड में 127, मारवाड़ी वार्ड में 28, लोअर बाजार वार्ड में 24, सिंहधर वार्ड में 52, मनोहर बाग में 71 दुकानें हैं। अपर बाजार वार्ड में 29 वार्ड में सुनील वार्ड में 27 और परसारी में 50 में दरारें आने की सूचना है, जिसके कारण आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत होटल व्यू और मलारी इन के संचालन को अगले आदेश तक प्रतिबंधित कर दिया गया है।

Joshimath Uttarakhand Landslides News [Hindi]: धामी ने किया हवाई सर्वेक्षण

मुख्यमंत्री ने जोशीमठ का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके बाद मुख्यमंत्री ने यहां प्रभावित क्षेत्रों का जमीनी निरीक्षण भी किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात भी की। राज्य सरकार ने शुक्रवार को उन घरों में रहने वाले लगभग 600 परिवारों को तत्काल खाली करने का आदेश दिया, जिनमें भारी दरारें आ गई हैं।

इलाके में एनडीआरएफ की टीम तैनात

चमोली के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) ललित नारायण मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि एहतियात के तौर पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमों को भी इलाके में तैनात किया गया है। उन्होंने कहा, “हमें भविष्य के लिए सतर्क रहना होगा, इसलिए एहतियात के तौर पर एनडीआरएफ को तैनात किया जा रहा है।” उन्होंने कहा, “लगातार भूस्खलन के कारण, एनडीआरएफ को बुलाया गया है और विशेषज्ञों की टीम आज सुबह से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण कर रही है,” उन्होंने कहा कि इसमें जियोलॉजिस्ट, बिल्डिंग एक्सपर्ट, आईआईटी और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं। 

Joshimath Uttarakhand Landslides News [Hindi]: हेल्पलाइन नंबर किया गया जारी

जोशीमठ के मुख्य डाकघर में दरारें आ गई हैं, जिसके बाद उसे दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है। ज्योतिर्मठ परिसर के भवनों और लक्ष्मी नारायण मंदिर के आसपास बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। इस पूरी घटना को देखकर प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। 8171748602 में कॉल करके प्रभावित लोग मदद मांग सकते हैं।

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नाराज लोगों ने मशाल जुलूस निकाला

सरकार की कार्यशैली से नाराज लोगों ने बुधवार को मशाल जुलूस निकालकर प्रोटेस्ट किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जमीन के नीचे से अब पानी का रिसाव हो रहा है। जगह जगह से पानी निकल रहा है। घरों में दरारें आ रही हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से इसे रोकने के लिए अहम कदम उठाने की मांग की है।

Joshimath Uttarakhand Landslide News [Hindi]: लोकेशन, टोपोग्राफी और मौसम 

जोशीमठ वेस्ट और ईस्ट में कर्मनाशा और ढकनाला धाराओं और साउथ और नॉर्थ में धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों से घिरी एक पहाड़ी के मिडिल स्लोप में बसा हुआ है. उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (USDMA) के एक अध्ययन के अनुसार, शहर लैंडस्लाइड की संभावना वाले क्षेत्र में है और इसमें धंसने की पहली घटना 1976 में मिश्रा आयोग की रिपोर्ट में दर्ज की गई थी.

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जोशीमठ शहर के आसपास का क्षेत्र ओवरबर्डन मटेरियल की मोटी लेयर से ढका हुआ है. यूएसडीएमए के कार्यकारी निदेशक पीयूष रौतेला ने कहा, ”यह शहर को डूबने के लिए अत्यधिक संवेदनशील बनाता है.” 

अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों से हो रहा भारी कटना

एमपीएस बिष्ट और पीयूष रौतेला ने एक रिसर्च में बताया था कि इस भूधंसाव के पीछे कई कारण है। सेंट्रल हिमालय पर मौजूद जोशीमठ का मेन सेंट्रल थ्रस्ट क्षेत्र में होना इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है। उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (Uttarakhand Space Application Center) के निदेशक एमपीएस बिष्ट के अनुसार उत्तराखंड के ज्यादातर गांव 1900 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर बसे हुए हैं।

Joshimath Uttarakhand Landslide News [Hindi]: यह गांव इंडियन और तिब्बतन प्लेट के बीच मौजूद उन क्षेत्रों में भी हैं, जो मेन सेंट्रल थ्रस्ट (बेहद कमजोर क्षेत्र) में मौजूद हैं। यहां छोटे-छोटे भूकंप (Earthquake), पानी से भू कटाव को भी इस खतरे की वजह माना जा रहा है। इसमें अलकनंदा (Alaknanda River) और धौलीगंगा (Dhauliganga River) दोनों ही नदियां जोशीमठ शहर के नीचे की मिट्टी का कटान कर रही हैं।

कभी भी खत्म हो सकता है जोशीमठ

शहर पर बेतरतीब निर्माण कार्य और टनल के निर्माण कार्य भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। जोशीमठ पर खतरे के रिसर्च को गंभीरता से नहीं लिया गया, जिसका खामियाजा आज लोगों भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि अंधाधुंध विकास का खामियाजा अब पूरे शहर का भुगतना पड़ रहा है। पहाड़ी राज्य विकास का बड़ा खामियाजा भुगत रहा है। जोशीमठ शहर आज खतरे के मुहाने पर खड़ा है और कभी भी खत्म हो सकता है।

मिट्टी के धंसने के लिए जिम्मेदार कौन?

पहाड़ एक बार फिर ‘प्राकृतिक और मानवजनित’ आपदा का शिकार हो रहा है? आखिर देवभूमि का जोशीमठ किनके कर्मों की सजा भुगत रहा है? कुछ ऐसे ही सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं। कुछ ऐसे ही सवालों का जवाब देते हुए देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कलाचंद सेन ने अपनी राय रखी।

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