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Social Research: कोरोना वायरस महामारी से देश में मचा हाहाकार, कौन इस दुनिया को बचा सकता है? SA NEWS

ये नेशनल एमरजेंसी की घड़ी है

नमस्कार दर्शकों! स्वागत है आप सबका S A News के इस स्पेशल प्रोग्राम ‘खबरों की खबर का सच’ मेंं। आज के कार्यक्रम में हम बात करेंगे भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर से उत्पन्न हुई नेशनल एमरजेंसी जैसी स्थिति के बारे में और साथ ही दुनिया के अन्य देशों की स्थिति पर भी एक नज़र डालेंगे। और अंत में आपको बताएंगे की कौन कर सकता है कोरोना के वायरस का अंत। इस समय पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है पर भारत में हालात बद से बद्तर हो चुके हैं। कोरोना महामारी से दुनिया के कई देशों में भयानक स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। अभी तक अकेले भारत देश में ही कोरोना से मरने वालों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने तो केंद्र सरकार को गहरी फटकार लगाते हुए कहा है कि लोगों को समय पर इलाज की सुविधा न मिलने से देश में नेशनल एमरजेंसी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।

कोरोना वायरस महामारी से देश में मचा हाहाकार

पिछले साल यानि 2020 में इस बीमारी के पहले स्ट्रेन ने जिस रफ्तार से हड़कंप मचाना शुरू किया था, उसमें प्रतिदिन लगभग 1 लाख के आस पास मरीज़ संक्रमित पाए जाते थे और करीबन 200 लोग प्रतिदिन अपनी जान गवां रहे थे। उस समय लाकडाउन की परिस्थिति ने करोड़ों लोगों की ज़िंदगियों को तहस-नहस कर दिया था।

अबकी बार कोरोना का दूसरा स्ट्रेन पहले से भी अधिक घातक रूप बनाकर भारत में और विश्व के कई देशों में प्रवेश कर चुका है। यह स्ट्रेन इतना खतरनाक है जो पहले के मुकाबले लगभग 2 गुना तेज़ी से फैलता है। साथ ही स्थिति पहले से 10 गुना खतरनाक साबित हो रही है। देश में प्रतिदिन 2.5 लाख से अधिक मामले सामने आ रहे है, वहीं मृत्यु का आंकड़ा प्रतिदिन 2 हज़ार के पार पहुंच रहा है।

लोगों को सांस लेने में हो रही दिक्कतों के चलते मौत का सिलसिला जारी है

दुख की बात तो यह है कि देश के लगभग हर एक राज्य से ऑक्सीजन की कमी की खबरें देखने में आ रही हैं। अब तक सैकड़ों लोगों की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से हो चुकी है। दरअसल एक सर्वे के मुताबिक भारत में प्रतिदिन जितना ऑक्सीजन पैदा किया जाता है उसमें से केवल 15% ऑक्सीजन ही अस्पताल और चिकित्सा सेवाओं के लिए दिया जाता है। अन्य ऑक्सीजन फैक्ट्री आदि प्रोडक्शन कंपनियों में प्रयोग किया जाता है।
महाराष्ट्र में नासिक के एक अस्पताल में ऑक्सीजन लीक हो जाने के कारण 22 मरीज़ों की मौत हो गई है। वहीं दिल्ली के अस्पतालों में हर रोज़ ज़रूरत के मुताबिक आक्सीजन न मिल पाने के कारण सैकड़ों मरीज़ दम तोड़ चुके हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रैस कांफ्रेंस में कहा था कि हमारा ऑक्सीजन का जो कोटा बढ़ा है, उसमें काफी ऑक्सीजन ओडिशा से आनी है। बढ़े हुए कोटे की ऑक्सीजन को दिल्ली पहुंचने में कुछ दिन लग जाएंगे, हम कोशिश कर रहे हैं कि हवाई जहाज से ऑक्सीजन लाई जा सके। उन्होंने सभी राज्यों से अपील करते हुए कहा, ‘ये बहुत बड़ी आपदा है, अगर इसमें हम हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल में बंट गए तो भारत नहीं बचेगा, इस वक्त हमें एक-दूसरे की मदद करनी है। अगर दिल्ली में जरूरत से ज़्यादा ऑक्सीजन होगी तो हम दूसरे राज्यों को देंगे.’

शवों की लग रही हैं कतारें

प्रतिदिन इतनी मौतें हो रही हैं कि उन्हें दफनाने और जलाने के लिए भारी संख्या में शव शमशान भूमि और कब्रिस्तान के बाहर लाइनों में एंबुलेंस में रखे हुए हैं। श्मशान में अग्नि दाह के लिए एंबुलेंस और शवों की लंबी लंबी कतारें लगी पड़ी हैं। कब्रिस्तान में लाशें दफनाने के लिए जगह ढूंढना मुश्किल हो रहा है। लाश का अंतिम संस्कार करने वाली मशीनें दिन रात लगातार चलने की वजह से शॉर्ट सर्किट व अन्य कारणों के चलते फेल हो रही हैं।
विद्युत शवदाह गृह की भट्ठियां दिन-रात धधक रही हैं। संक्रमितों के शवों को दिन-रात भट्ठियां में जलाया जा रहा है। संक्रमित शवों के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए 5 से 7 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। शवों को जलाने वाली मशीनों में लाशों को जलाने वाले कर्मीयों के हाथों में दिन रात लाशें जला जला कर छाले पड़ रहे हैं। अपने प्रियजनों की अस्थियों को लेने के लिए श्मशानग्रह आदि में टोकन की व्यवस्थाएं की गई हैं, टोकन के हिसाब से 2 या 3 दिन के वेटिंग के बाद अस्थियों को इकट्ठा किया जा रहा है। श्मशान और एंबुलेंस कर्मी बताते हैं हमने हमारे जीवन में इतनी लाशें कभी नहीं देखी। कोरोना से हो रही मौतों ने धर्म के अंतर को भी मिटाया है क्योंकि जगह और समय की कमी के कारण कब्रिस्तान में हिंदुओं की लाशों को भी जलाया जा रहा है।

अस्पतालों में मरीजों को रखने की जगह नहीं मिल रही। अधिकतर सभी अस्पतालों में देखा जा रहा है की बाहर कॉरिडोर में ही मरीजों को रखने की व्यवस्था करनी पड़ी है। वहीं दूसरी ओर मंदिरों और मस्जिदों को कोरोना मरीजों के लिए अस्पतालों में तब्दील कर दिया गया है। जो कि शायद आगे चलकर धर्म और नफ़रत की खाई को भरने का काम कर सकता है।

चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। लोग प्लाज़्मा के लिए व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया माध्यमों के ज़रिए इमरजेंसी सर्विस चला रहे हैं ताकि ज़रूरतमंदों को समय पर मदद दिलाई जा सके।

वैक्सीन की कालाबाजारी

इसके अलावा रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजा़री करने वाले व्यक्ति मजबूर लोगों से हजारों रुपए वसूल रहे हैं। आक्सीजन सिलेंडर और वैक्सीन की कमी लगभग हर राज्य में महसूस हो रही है। जितनी डिमांड है उतनी वैक्सीन की सप्लाई नहीं होने की वजह से लोगों के बीच अफरा तफरी का माहोल देखने को मिला है। कई लोग सोशल मिडिया पर प्रधानमंत्री मोदी को वैक्सीन को भारत से पहले दूसरे देशों में निर्यात करने वाले फैसले की जम कर आलोचना करते दिखाई देते हैं।

एंटी-वायरल ड्रग रेमडेसिविर की किल्लत की दो बड़ी वजहें हैं। पहली तो यही है कि कोरोना के मामलों में अचानक आई तेज़ी , जिससे डिमांड काफी बढ़ गई है। वहीं दूसरी बड़ी वजह ये है कि जनवरी और फरवरी में कंपनियों ने इस दवा का प्रोडक्शन ही कम कर दिया था। अचानक रेमडेसिविर की किल्लत होने पर सरकार को इसके निर्यात पर पाबंदी लगानी पड़ी। अभी तक 38.8 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन हर महीने बनते थे, अब इसे 78 लाख तक बढ़ाने के लिए कहा जा चुका है।

बंगाल चुनावी रैलियों ने बढ़ाया कोरोना का ग्राफ

बंगाल में सत्ता काबिज होने की ललक में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर ममता बनर्जी तक ने आम जनता की जान को ताक पर रख दिया है। दूसरी तरफ लोग खुलेआम इन नेताओं की आलोचना करते दिखाई दे रहे हैं। चुनाव और कोरोना के मीम्स सोशल मीडिया पर कोरोना की रफ्तार से भी अधिक तेज़ी से वायरल हो रहे हैं। कोरोना के तांडव के चलते दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखंड, गुजरात, राजस्थान आदि राज्यों में कहीं पूर्ण तो कहीं आंशिक लाकडाउन का एलान किया जा चूका है। कोरोना के लगातार बढ़ने के बावजूद आम जनता की ज़िंदगियों को ताक पर रखकर गृहमंत्री अमित शाह, पीएम मोदी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा अन्य बड़े नेता बंगाल चुनाव के चलते बड़ी बड़ी रैलियों पर रैलियां करते रहे हैं। जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और कोवीड गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ती खुलेआम दिखाई दे रही थीं । इन नेताओं की रैलियों को देखकर लग रहा था न नेताओं को आम जनता की जान की फ़िक्र है न आम जनता को अपनी और अपने परिवार की। इन रैलियों में न तो नेता ही मास्क पहनते थे और न ही जनता सोशल डिस्टेंसिंग या अन्य नियमों का पालन रैलियों में करती दिखाई दी।

आम लोग भी नेताओं को देखकर मास्क न लगाने के कारण गिनवा रहे हैं

कुछ वीडियो जो बंगाल रैलियों के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं उनमें जनता अपना गुस्सा इस प्रकार दिखा रही है, की जब उन्हें कोई पुलिस कर्मचारी बगैर मास्क के पकड़ता है और चालान काटने की बात करता है तब लोग वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर देते हैं और कहते हैं की नेता जी के लिए बिना मास्क और 2 गज़ की दूरी का ख्याल रखे बगैर रैलियों पर रैलियां आयोजित की जा रही हैं उनका तो कोई चालान नहीं काटा जाता? हमारा ही क्यों काट रहे हो?

विचार कीजियेगा दोस्तों। भारत का संविधान देश में राजा से लेकर रंक तक सभी को एक कानून के दायरे में रखता है। देश के आला मंत्री, पुलिस कर्मी और अधिकारी से लेकर सामान्य नागरिक तक सब पर एक जैसे नियम कानून लागू होते हैं। तो क्या देश की जनता सरकार की गुलाम है? क्या हमारा संविधान हमें समानता का हक नहीं देता?

दुनिया के अन्य देशों में कोरोना के हालात

जहां भारत कोरोना से लड़ने में बुरी तरह से फ़ैल हो चुका है वहीं दूसरी ओर इज़राइल कोरोना से 100% मुक्त हो चुका है। तो कई यूरोपियन देशों में कोरोना की तीसरी लहर ने उत्पात मचा रखा है। हालांकि पूरे विश्व में भारत की स्थिति अभी तक सबसे भयावय है। इसके अलावा अमरीका जैसे देशों में भी प्रतिदिन 25 हज़ार के आसपास मामले सामने आ रहे हैं। ब्रिटेन ने कोरोना से लड़ने के लिए टीकाकरण की प्रक्रिया को बहुत ही तेज़ कर दिया है और साथ ही माइक्रो कंटेनमैंट जॉ़न की नीति को अपनाया है।

आइए अब यह जानने की कोशिश करते हैं कि क्या कोई ऐसी वैक्सीन है जो मरीज़ को ठीक करने की 100% गारंटी लेती है? ऐसे कठिन समय में आखिर कैसे अपना बचाव किया जा सकता है?

दोस्तों! हम सबको चाहिए की सतभक्ति रूपी वैक्सीन लगवाएं जो हमारी सारी शारीरिक परेशानियां दूर करने की 100% गारंटी लेती है और साथ ही पूर्ण मोक्ष भी दिलाती है। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लेकर पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सभी जानलेवा बीमारियां दूर हो जाती हैं। हमारे पवित्र वेद इस बात का प्रमाण हैं की सभी आत्माओं के जीवन रक्षक केवल बंदीछोड़ कबीर साहेब जी ही हैं। कोई भी बीमारी मनुष्य को उसके पिछले जन्मों में किए गए पाप कर्मों से हुआ करती है। पूर्ण सतगुरु की कृपा सभी पाप कर्मों को नाश कर देती है।

आप सब अपनी आंखों से देख रहे हैं कि अस्पतालों में, सड़कों पर,आटो में , गाड़ियों में, घरों में लोग कोरोना से दम तोड़ रहे हैं। डाक्टर रो रहे हैं की उनकी आंखों के सामने मरीज़ दम तोड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति जहां केवल भगवान ही एकमात्र सहारा है जो मनुष्य को असमय मृत्यु से बचा सकता है।

वर्तमान समय में पूरे विश्व में सतगुरु बंदीछोड़ संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र ऐसे वैध और डाक्टर हैं जो सभी मनुष्यों को सौ प्रतिशत शारीरिक लाभ देने में सक्षम हैं क्योंकि परमात्मा ही मनुष्य को स्वास्थ्य और निरोगी काया दे सकते हैं। केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही इस कोरोना वायरस को निरस्त कर सकते हैं। इस वीडियो को देखने वाले सभी भाई-बहनों से प्रार्थना है कि कृपया संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आएं और इस महामारी से निजात पाकर अपनी जीवन रक्षा करवाएं।

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