Last Updated on14 June 2022, 12:55 PM IST | World Blood Donor Day 2022 [Hindi] : विश्व रक्तदान दिवस या विश्व रक्त दाता दिवस (World Blood Donor Day) हर वर्ष 14 जून को मनाया जाता है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित किया गया है. वर्ष 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सुरक्षित रक्त रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं के सुरक्षित जीवन रक्षक रक्त के दान करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आभार व्यक्त करना है. विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर आज हम आपको ब्लड डोनेशन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं.

क्यों मनाया जाता है विश्व रक्त दाता दिवस?
14 जून को नोबल प्राइस विजेता कार्ल लैंडस्टेनर (Karl Landsteiner) का जन्म हुआ था. यही वे साइंटिस्ट हैं, जिन्होंने ABO ब्लड ग्रुप सिस्टम खोजने का श्रेय मिला है. ब्लड ग्रुप्स का पता लगाने वाले कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन के दिन ही विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. कार्ल लैंडस्टीनर के द्वारा ब्लड ग्रुप्स का पता लगाए जाने से पहले तक ब्लड ट्रांसफ्यूजन बिना ग्रुप के जानकारी होता था. इस खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्टाईन को सन 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
विश्व रक्तदाता दिवस 2022 थीम (World Blood Donor Day 2022 Theme)
वर्ष 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) के लिए एक खास थीम तय की गयी थी जिसका टैग था सुरक्षित रक्तदान बचाए लोगों की जान (Safe Blood Saves Lives). इस बार यानी 2022 में ‘खून दो और दुनिया को धड़काते रहो’ (Give Blood And Keep The World Beating) थीम के साथ मनाया जा रहा है. जिसका अर्थ है कोरोना जैसी महामारी, जिसने दुनियाभर में तबाही मचायी है उसे हराया तब ही जा सकता है जब लोग बढ़ चढ़कर रक्तदान करें, इस अभियान का हिस्सा बनें.
कबीर साहेब जी के 625 वें प्रकट दिवस पर 1100 भक्तों ने किया रक्तदान
कबीर परमेश्वर जी के 625 वें प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 1100 भक्तों ने रक्तदान कर समाज में एक अनोखी मिक्षाल पेश की।

ब्लड डोनेशन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य (facts about Blood Donation)
- ब्लड डोनेट करते समय डोनर के शरीर के केवल एक यूनिट ब्लड ही लिया जाता है.
- एक नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानी 5 से 6 लीटर ब्लड होता है.
- ‘O नेगेटिव’ ब्लड ग्रुप यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है.
- इमरजेंसी के समय जैसे जब किसी नवजात बालक या अन्य को खून की आवश्यकता हो और उसका ब्लड ग्रुप ना पता हो, तब उसे ‘O नेगेटिव’ ब्लड दिया जा सकता है.
- कोई व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्त दान कर सकता हैं.
- पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में नियमित रक्त दान कर सकती हैं.
- अगर कभी रक्त दान के बाद आपको चक्कर आना, पसीना आना, वजन कम होना या किसी भी अन्य प्रकार की समस्या लंबे समय तक बनी हुई हो तो आप रक्त दान ना करें.
- भारत में सिर्फ 7 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप ‘O नेगेटिव’ है.
कब हुई विश्व रक्तदाता दिवस मनाने की शुरुआत?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2004 में इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी और तब से हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है। हर साल इस दिवस पर अलग-अलग थीम रखी जाती है। इस साल की थीम है, ‘खून दो और दुनिया को धड़कने दो’।
World Blood Donor Day 2022 | विश्व रक्तदाता दिवस का महत्व ?
विश्व रक्तदाता दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को रक्तदान के लिए जागरुक करना है। अगर लोग स्वेच्छा से रक्तदान करें तो ब्लड बैंकों में पर्याप्त मात्रा में खून उपलब्ध रहेगा, जिससे जरूरत पड़ने पर मरीज को आसानी से खून चढ़ाया जा सके। इससे कई लोगों को नया जीवन दिया जा सकता है। इसलिए रक्तदान करना जरूरी है।
विश्व रक्तदाता दिवस का इतिहास पहला विश्व रक्त दाता दिवस 2004 में डब्ल्यूएचओ द्वारा मनाया गया था और 2005 में 58वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में इसे वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था। यह दिन ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और चिकित्सक, कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती पर मनाया जाता है। उन्हें आधुनिक रक्त आधान का संस्थापक माना जाता है। साल 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
विश्व रक्तदाता दिवस का इतिहास (World Blood Donor Day History)
पहला विश्व रक्त दाता दिवस 2004 में डब्ल्यूएचओ द्वारा मनाया गया था और 2005 में 58वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में इसे वार्षिक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था। यह दिन ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और चिकित्सक, कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती पर मनाया जाता है। उन्हें आधुनिक रक्त आधान का संस्थापक माना जाता है। साल 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।