आज मनाया जा रहा है पूरे देशभर में आदिवासी दिवस (World Indigenous Peoples Day Hindi), इसकी शुरुआत अगस्त 1994 में ही संयुक्त राष्ट्र संघ नी की थी , उसके बाद से ही प्रतिवर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है य़ह दिवस।
![World Indigenous Peoples Day [Hindi]](https://i0.wp.com/tubelighttalks.com/wp-content/uploads/2020/08/World-Indigenous-Peoples-Day-Hindi-1024x576.jpg?resize=1024%2C576)
World Indigenous Peoples Day Hindi-विश्व आदिवासी दिवस 2020
बता दें कि 21वीं सदी में जब संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने देखा कि आदिवासी समाज उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से पीड़ित है, तभी इन समस्याओं के समाधान तथा आदिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1982 में एक कार्यदल का गठन किया, और दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासी दिवस मनाने को लेकर हरी झंडी दे दी।
उसके बाद 9 अगस्त 1994 से आदिवासियों ने यह दिवस मनाने की शुरुआत की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों के पुनरुत्थान और उन पर हो रहे अत्याचार को रोकना था। इस बार इन्दोर में आदिवासी दिवस को लेकर आदिवासी समाज द्वारा विशाल महारैली का आयोजन किया जा रहा है।
World Indigenous Peoples Day की शुरुआत कब हुई?
पहली बार विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत रांची के टाउन हॉल में जोहार के सहयोग से आयोजित की गई। इसके बाद से ही सभी राज्य में इस दिवस को मनाने की शुरुआत हो गई। इस कार्यक्रम में अनेक सामाजिक संगठनों के लोग शामिल हुए थे। इसमें विशेष रूप से प्रेमचंद मुर्मू, प्रभाकर तिर्की, जोय बाखला, रतन तिर्की, डॉ शांति खलखो शामिल थे। इस कार्यक्रम में कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था।
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आदिवासी जनजातियों के मुख्य बिंदु
- आदिवासी शब्द ‘आदि’ और ‘वासी’ इन दो शब्दों से मिल कर बना है, जिसका अर्थ मूल निवासी होता है।
भारत की जनसंख्या का 8.6% हिस्सा आदिवासियों का है यानी आपको जानकर हैरानी होगी कि लगभग 12 करोड़ आदिवासी भारत में निवास करते हैं। - भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए ‘अनुसूचित जनजाति’ पद का इस्तेमाल किया गया है.
भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में जाट, खड़िया, आंध,टोकरे कोली, महादेव कोली,मल्हार कोली, हो, बोडो, गोंड, मुंडा,भील, खासी, मीणा, उरांव, परधान, बिरहोर, सहरिया, संथाल,पारधी, टाकणकार आदि शामिल हैं। - आदिवासी लोग अधिकांशत प्रकृति की पूजा करते है, वे प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, नाले, खेत आदि की पूजा करते है। उनका मानना है कि प्रकृति की हर एक वस्तु में जीवन होता है।
- आदिवासी समुदाय के लोग अपने धार्मिक स्थलों, खेतों, घरों आदि जगहों पर एक विशेष प्रकार का झण्डा लगाते है, जो अन्य धमों के झण्डों से अलग होता है।
आदिवासी झण्डें में सूरज, चांद, तारे इत्यादी सभी प्रतीक विद्यमान होते हैं और ये झण्डे सभी रंग के हो सकते है।
World Indigenous Peoples Day: आदिवासियों की ग्राउंड रिपोर्ट
- सिक्किम 33.08%
- मेघालय 86.01%
- त्रिपुरा 31.08%
- मिजोरम 94.04%
- झारखंड 26.2%
- पश्चिम बंगाल 5.49%
- अरूणाचल 68.08%
- उत्तर प्रदेश 0.07%
- हरियाणा 0.00%
- बिहार 0.99%
- मनीपुर 35.01%
- नगालैंड 86.05%
- असम 12.04%
जनजातियां कई प्रकार की हैं संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार वे 90 देशों में फैली हैं, जिसमें 5,000 अलग अलग संस्कृतियां और 4,000 अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है। इस बहुलता के बावजूद या उसकी वजह से ही उन्होंने एक तरह के संघर्ष झेले हैं, चाहे वे ऑस्ट्रेलिया, जापान या ब्राजील में रहते हों उनका जीवन दर कम है, गैर आदिवासी समुदायों की तुलना में उनके लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच भी बहुत कम है।
उनकी आबादी दुनिया की कुल आबादी की 5 प्रतिशत है लेकिन गरीबों में उनका हिस्सा 15 प्रतिशत है। कम है। उनकी आबादी दुनिया की कुल आबादी की 5 प्रतिशत है लेकिन गरीबों में उनका हिस्सा 15 प्रतिशत है।
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