हर वर्ष 5 सितंबर को भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी (DR. Sarvepalli Radhakrishnan) को याद करते हुए उनका जन्म दिवस, शिक्षक दिवस (Teachers’ day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन जीवन में शिक्षकों के महत्वपूर्ण योगदान को याद करने का विशेष अवसर है। इस वर्ष भी शिक्षक दिवस (Teachers’ day) 5 सितंबर, दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन, शिक्षकों को अपने शिष्यों का मार्गदर्शन और अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया जाता है।
क्यों मनाते हैं शिक्षक दिवस? (History Of Teachers’ Day)
एक विद्वान शिक्षक और प्रसिद्ध दार्शनिक होने के साथ-साथ भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के पद पर रह चुके डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म दिवस, शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। राधाकृष्णन जी ने अपना जन्मदिन, शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी। इस वर्ष उनका 75वां जन्म दिवस हर साल की तरह शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
यह शिक्षक दिवस पहली बार 5 सितंबर सन् 1962 में मनाया गया था।
कैसे मनाते हैं शिक्षक दिवस (Teachers’ Day Celebration 2024)
शिक्षक दिवस पर विद्यार्थी शिक्षकों के लिए शानदार भाषण प्रस्तुत करते हैं। विद्यार्थियों को एक नया रूप देने और सच्ची राह दिखाने के लिए शिक्षकों द्वारा किए गए अथक प्रयास और कड़ी मेहनत के लिए उनका धन्यवाद करते हैं विद्यार्थी एक कोरे कागज के समान होता है, शिक्षक ही उसे नए ढांचे में ढालता है। इस दिन शिक्षकों का सम्मान करने के लिए उन्हें नारियल भेंट किया जाता है। इसके साथ ही रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। नृत्य और गायन के माध्यम से शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता को दर्शाया जाता है। इस दिन की एक बहुत बड़ी खासियत यह है कि सबसे वरिष्ठ कक्षा के विद्यार्थी अपने शिक्षकों की भूमिका अदा करते हैं और कनिष्ठ कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाने जाते हैं जो उनके अंदर एक शिक्षक होने का भाव जागृत करता है। उन्हें यह अनुभव कराता है कि एक शिक्षक के पद पर रहकर कार्य करना कितना जिम्मेदारी पूर्ण होता है।
क्या है शिक्षक दिवस 2024 का विषय? (Teachers’ Day 2024 Theme)
वर्ष 2024 में शिक्षक दिवस की थीम ‘सतत भविष्य के लिए शिक्षकों को सशक्त बनाना (Empowering Educators for a Sustainable Future)’ रखी गई है जो जिम्मेदार और जागरूक शिक्षकों की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है।
Teachers’ Day Quotes & Messages
- “अच्छे शिक्षक वे हैं जो छात्रों को बताते हैं कि कैसे सोचना है, न कि क्या सोचना है।”
- “शिक्षक का काम केवल पाठ्यक्रम पढ़ाना नहीं है, बल्कि छात्रों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालना भी है।”
- “शिक्षक अपने विद्यार्थियों के भविष्य को आकार देते हैं, और इस प्रक्रिया में वे अपना भी आकार बदलते हैं।”
- “शिक्षण केवल एक पेशा नहीं है, यह एक जुनून है। यह दिल से किया जाता है, न केवल दिमाग से।”
- “शिक्षण एक कला है – एक विज्ञान नहीं।”
- “रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनन्द जगाना शिक्षक की सर्वोच्च कला है”- अल्बर्ट आइंस्टीन
- “शिक्षण की कला खोज में सहायता करने की कला है”- मार्क वान डोरेन
- “अगर आपको किसी को ऊंचे स्थान पर रखना है तो शिक्षकों को रखें वे समाज के नायक हैं”- गाय कावासाकी
- “शिक्षा हमारे भविष्य का पासपोर्ट है, क्योंकि कल उनका है जो आज तैयारी करते हैं”- मैल्कम एक्स
- “आधुनिक शिक्षक का कार्य जंगलों को काटना नहीं बल्कि रेगिस्तानों को सींचना है”- सीएस लुइस
विश्व शिक्षक दिवस 2024 (World Teachers’ Day 2024)
अलग-अलग देशों में विभिन्न तारीख को शिक्षक दिवस मनाया जाता है लेकिन वैश्विक स्तर पर शिक्षकों का सम्मान करने और हमारे जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करने के लिए हर वर्ष 5 अक्तूबर को विश्व शिक्षक दिवस World Teachers’ Day मनाया जाता है।
शिक्षक (गुरु) क्यों है जरूरी? (Significance Of Teacher)
हर वह व्यक्ति हमारा शिक्षक है जो हमारा मार्गदर्शन करता है। माता-पिता हमारे सबसे पहले गुरु होते हैं जो हमें बोलना, चलना-फिरना सिखाते हैं, हमें अच्छे संस्कार देते हैं। दूसरे गुरु, हमें अक्षर ज्ञान देते हैं जो हमें पढ़ना लिखना सिखाते हैं। इसके अलावा सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण है, हमारे जीवन में एक आध्यात्मिक गुरु का होना क्योंकि आध्यात्मिक गुरु के बिना हमारा मोक्ष संभव नहीं है।
“गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः”
उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो त्रिलोकी नाथ श्री कृष्ण जी ने भी अक्षर ज्ञान के लिए ऋषि संदीपनी जी को अपना गुरु बनाया था लेकिन अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए उन्होंने दुर्वासा ऋषि को अपना गुरु बनाया।
इसके विषय में कबीर साहिब जी बताते हैं कि
“राम-कृष्ण से कौन बड़ा, तीन्हुं भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे अधीन।।”
अर्थात् श्री राम और श्री कृष्ण जी तीन लोक के स्वामी हैं, उन्होंने भी गुरु बनाया तो हम साधारण प्राणियों को भी आध्यात्मिक गुरु की बनाने की आवश्यकता है जो हमारे प्रारब्ध कर्म के दुखों को समाप्त कर सभी सुख दे सके।
आगे कबीर साहिब जी ने गुरु का महत्व बताते हुए कहा है
“सात समुद्र की मसि करुं, लेखनी करुं वनिराय।
धरती का कागद करूं, गुरु गुण लिखा न जाय।।”
कबीर साहेब जी का यह दोहा हमारे जीवन में एक आध्यात्मिक गुरु का महत्व स्पष्ट करता है।
सच्चे आध्यात्मिक शिक्षक की क्या है पहचान?
वर्तमान समय में धर्मगुरुओं की तो बाढ़ सी आई है और हर कोई अपने आपको सही गुरु साबित करने की कोशिश कर रहा है।
वाकई में सही गुरू कौन है इसकी पहचान करना भक्त समाज के लिए जटिल समस्या बनी हुई है। लेकिन अब यह गुत्थी सुलझ चुकी है क्योंकि आज समाज शिक्षित है और अपने सद्ग्रंथों का पठन-पाठन स्वयं भी कर सकता है। उन्हीं सद्ग्रंथों में ढेरों प्रमाण विद्यमान हैं जो सच्चे गुरु की तलाश को आसान बना सकते हैं।
सर्वप्रथम पवित्र श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4 में तत्वदर्शी संत की पहचान बताई है कि जो संसार रूपी उल्टे लटके हुए पीपल के वृक्ष के सभी विभागों को बता देगा वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला अर्थात तत्वदर्शी संत है।
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 10 में वर्णित है कि कोई तो परमात्मा को जन्म लेने वाला कहता है और कोई अजन्मा बताता है, परमात्मा कैसा है यह तत्वदर्शी संत ही बता सकता है।
लगभग 300 वर्ष पूर्व संत गरीबदास जी महाराज, गांव छुड़ानी, जिला झज्जर, हरियाणा वाले को परमात्मा अपने निज धाम सतलोक से आकर मिले तथा उन्हें तत्व ज्ञान से परिचित करवाया उसके बाद संत गरीबदास जी ने अपनी वाणी में सच्चे गुरु की पहचान बताते हुए कहा है कि
सतगुरु के लक्षण कहूं, मधुरै बैन विनोद।
चार वेद छह शास्त्र, कहै अठारह बोध।।
अर्थात् जो पवित्र चारों वेद, 6 शास्त्र और 18 पुराणों का ज्ञान रखता है, वह सच्चा सतगुरु होता है।
कबीर सागर के अध्याय ‘‘जीव धर्म बोध‘‘ के पृष्ठ 1960 पर अंकित अमृतवाणियों में सतगुरु के लक्षण बताते हुए कबीर जी ने कहा है कि जो पूर्ण सतगुरु होगा उसमें चार मुख्य गुण होते हैं
गुरू के लक्षण चार बखाना, प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना (ज्ञाता)।
दूजे हरि भक्ति मन कर्म बानी, तीसरे समदृष्टि कर जानी।
चौथे वेद विधि सब कर्मा, यह चार गुरु गुण जानो मर्मा।
वर्तमान में कौन है सच्चा आध्यात्मिक गुरु? (True Spiritual Teacher)
वर्तमान में सच्चे आध्यात्मिक गुरु संत रामपाल जी महाराज जी ही पवित्र गीता जी अध्याय 15 में वर्णित तत्वदर्शी संत हैं। जिन्होंने उल्टे लटके वृक्ष के प्रत्येक विभाग को सही-सही बताया है। संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र ऐसे संत हैं जिन्होंने श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 में छिपे रहस्य को खोलकर दिखाया है। संत रामपाल जी महाराज जी वह महान संत है जिन्होंने पूर्ण परमात्मा कौन है, उसे पाने की विधि क्या है, वे कौन से मंत्र हैं जिनके जाप से हम पूर्ण मोक्ष अर्थात् जन्म मरण के दीर्घ रोग से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं, की पूरी जानकारी शास्त्रों से प्रमाणित करके बताई है। संत रामपाल जी महाराज जी के अनमोल सत्संग को सुनने के लिए आज ही डाउनलोड करें Sant Rampal Ji Maharaj App
FAQ About Teachers’ Day 2024
Q.1 शिक्षक दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?
Ans. शिक्षक दिवस 5 सितंबर को डाॅ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
Q.2 विश्व शिक्षक दिवस कब है?
Ans. 5 अक्टूबर को।
Q.3 पहली बार शिक्षक दिवस कब मनाया गया था?
Ans. 5 सितंबर 1962 को।
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