SSC चयन पद परीक्षा रद्द: छात्रों का दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन, लाठीचार्ज और अव्यवस्थाओं के खिलाफ उठी न्याय की मांग

SSC चयन पद परीक्षा रद्द

31 जुलाई 2025 को SSC चयन पद (फेज-13) परीक्षा के अचानक रद्द किए जाने और परीक्षा केंद्रों पर फैली अव्यवस्था के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों अभ्यर्थियों और शिक्षकों ने दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया। जंतर-मंतर और CGO कॉम्प्लेक्स पर प्रदर्शन के दौरान पुलिस लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हुए। प्रदर्शन को समर्थन देने नीतू मैम, अभिनय सर और राकेश यादव जैसे प्रमुख शिक्षक भी पहुंचे। छात्रों की मांग है कि परीक्षा की नई तिथि घोषित की जाए, एजेंसी बदली जाए, और लाठीचार्ज की जांच कराई जाए।

SSC चयन पद परीक्षा रद्द: मुख्य बिंदु

  1. SSC चयन पद परीक्षा अचानक रद्द: बिना सूचना के पेपर कैंसिल, छात्रों में उभरा गुस्सा
  2. छात्रों का आरोप: परीक्षा केंद्रों की बदहाली, तकनीकी फेल और लाठीचार्ज ने बढ़ाई परेशानियां
  3. SSC परीक्षा रद्द के खिलाफ प्रदर्शन: छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए दिग्गज शिक्षक
  4. छात्रों की 7 बड़ी मांगें: नई परीक्षा तिथि से लेकर लाठीचार्ज की जांच तक
  5. SSC भर्ती प्रणाली में बदलाव: छात्रों ने नए सिस्टम पर उठाए गंभीर सवाल
  6. NSUI की SSC पर सख्त चेतावनी: पारदर्शिता लाओ या होगा देशव्यापी आंदोलन
  7. परीक्षा रद्द, लाठीचार्ज और आंसू: सोशल मीडिया पर गूंजा छात्रों का दर्द
  8. छात्रों का आंदोलन चेतावनी है – अब सुधार नहीं, तो जवाब देना होगा!
  9. केवल विरोध नहीं, समाधान भी चाहिए: SSC विवाद के बीच आध्यात्मिक चेतना की पुकार

क्या है पूरा मामला?

कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा संचालित चयन पद परीक्षा (फेज-13) 24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 तक देश के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी। लेकिन अचानक, 31 जुलाई 2025 को हजारों छात्रों को परीक्षा केंद्रों पर पहुंचने के बाद पता चला कि उनकी परीक्षा रद्द कर दी गई है — बिना किसी पूर्व सूचना के।

इस घटना के विरोध में देशभर के SSC अभ्यर्थी और शिक्षक दिल्ली पहुंचे और जंतर-मंतर और CGO कॉम्प्लेक्स के पास भारी विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि परीक्षा रद्द होना एक प्रशासनिक विफलता है और इससे न केवल समय बल्कि पैसों का भी नुकसान हुआ है।

क्या थीं प्रमुख समस्याएं?

प्रदर्शन कर रहे छात्रों और शिक्षकों ने कई गंभीर आरोप लगाए:

  • परीक्षा रद्द होना – बिना सूचना के परीक्षाएं रद्द कर दी गईं।
  • तकनीकी खामियां – कई केंद्रों पर सिस्टम क्रैश, माउस न चलना, सर्वर डाउन होना।

कुछ परीक्षा केंद्रों की हालत इतनी खराब थी कि ग्राउंड फ्लोर पर मवेशियों के कटे हुए सिर पड़े मिले, वहीं दूसरी मंजिल पर छात्र परीक्षा दे रहे थे। 

  • गलत केंद्र आवंटन – छात्रों को दूरस्थ केंद्रों पर भेजा गया।
  • बाउंसर तैनाती – छात्रों को डराने और चुप कराने के लिए सुरक्षा गार्ड लगाए गए।
  • लाठीचार्ज – शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों और शिक्षकों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया।

विरोध प्रदर्शन: छात्रों और शिक्षकों की एकजुटता

इस प्रदर्शन में देशभर से हजारों छात्र-छात्राएं दिल्ली पहुंचे, जिनमें मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, झारखंड, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों के अभ्यर्थी शामिल थे। छात्रों के साथ-साथ SSC परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले कई प्रसिद्ध शिक्षक भी प्रदर्शन में शामिल हुए।

प्रसिद्ध शिक्षक जो शामिल हुए:

  • नीतू मैम – KD Live की अंग्रेजी शिक्षिका, यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर्स।
  • अभिनय सर (अभिनय शर्मा) – Abhinay Maths के संस्थापक, प्रसिद्ध गणित शिक्षक।
  • राकेश यादव – SSC गणित के दिग्गज शिक्षक।
  • आदित्य रंजन – SSC में सामान्य अध्ययन और समसामयिक मुद्दों के प्रशिक्षक।

इन शिक्षकों ने छात्रों के साथ खड़े होकर एसएससी से पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधार की मांग की।

छात्रों की प्रमुख मांगें

प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों और शिक्षकों ने सरकार और SSC से निम्नलिखित मांगें रखीं:

  • रद्द परीक्षाओं की नई तिथि की तत्काल घोषणा की जाए।
  • वर्तमान परीक्षा वेंडर को हटाया जाए और नई एजेंसी नियुक्त की जाए।
  • तकनीकी खामियों और अव्यवस्थाओं की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
  • परीक्षा केंद्रों पर CCTV निगरानी अनिवार्य की जाए और हर केंद्र की जवाबदेही तय हो।
  • पुलिस लाठीचार्ज की न्यायिक जांच हो।
  • छात्रों के यात्रा-खर्च और हानि की क्षतिपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
  • सरकार इस पूरे मामले में सीधे हस्तक्षेप कर छात्रों को न्याय दिलाए।

क्या है SSC और परीक्षा प्रक्रिया में नया बदलाव?

SSC (Staff Selection Commission) भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में ग्रुप B (Non-Gazetted) और ग्रुप C (Non-Technical) पदों पर भर्ती हेतु परीक्षाएं आयोजित करता है। इसकी स्थापना 1975 में हुई थी।

बीते कुछ वर्षों तक SSC परीक्षाओं का तकनीकी संचालन टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) द्वारा किया जा रहा था, लेकिन हाल ही में सरकार ने एक केंद्रीकृत भर्ती प्रणाली लागू कर दी है।

छात्रों का आरोप है कि इस नए परीक्षा सिस्टम में पारदर्शिता और नियंत्रण की भारी कमी है, और इससे परीक्षा संचालन में भारी गड़बड़ी हो रही है।

एनएसयूआई (NSUI) का समर्थन और राजनीतिक बयान

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) ने भी इस प्रदर्शन को समर्थन दिया। NSUI अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा:

“यह केवल परीक्षा कुप्रबंधन का मामला नहीं है, बल्कि युवाओं की आवाज़ को दबाने का प्रयास है। पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया, जो लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।”

NSUI ने SSC को पत्र सौंपकर वेंडर की जवाबदेही तय करने, भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

प्रदर्शन के दौरान कई छात्रों ने वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए, जिसमें उन्होंने पुलिस के लाठीचार्ज, अव्यवस्था और परीक्षा रद्द होने से हुए नुकसान की जानकारी दी। कई छात्र वीडियो में रोते हुए दिखे, और कह रहे थे:

“हम हजारों किलोमीटर से आए हैं, पैसे खर्च किए हैं, अब पेपर रद्द कर दिया गया। इसका जिम्मेदार कौन?”

इन वीडियो ने सोशल मीडिया पर जनता और छात्रों के बीच गुस्सा और समर्थन दोनों को बढ़ा दिया है।

भविष्य पर संकट: SSC परीक्षा विवाद ने युवाओं के विश्वास को झकझोरा

SSC जैसी बड़ी भर्ती परीक्षा में इस तरह की अनियमितता, परीक्षा रद्द, अव्यवस्था और लाठीचार्ज न केवल प्रशासन की विफलता को दर्शाता है, बल्कि देश के लाखों छात्रों के भविष्य और विश्वास पर भी आघात करता है। यह आवश्यक है कि सरकार और SSC इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल संज्ञान ले, छात्रों को भरोसा दे, और पारदर्शिता व जवाबदेही के साथ सुधारात्मक कदम उठाए।

यह कोई मामूली प्रदर्शन नहीं, बल्कि देश के युवाओं की न्याय के लिए एकजुट आवाज़ है। इसे नज़रअंदाज़ करना देश की प्रतिभा और उम्मीद को चोट पहुंचाना होगा।

न्याय की लड़ाई और आध्यात्मिक सुधार: तत्वज्ञान से ही मिलेगा स्थायी समाधान

SSC परीक्षा विवाद: जब प्रशासन विफल हो, तब आध्यात्मिक ज्ञान बनता है मार्गदर्शक

दिल्ली में SSC परीक्षा रद्द होने के विरोध में उमड़ा छात्रों और शिक्षकों का सैलाब सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ आवाज़ नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त अन्याय और अव्यवस्था के खिलाफ युवा वर्ग की पीड़ा का प्रतीक है। लेकिन यह संकट केवल प्रणालीगत दोषों का परिणाम नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक चेतना की कमी का भी दुष्परिणाम है। संत रामपाल जी महाराज जी का शास्त्रसम्मत आध्यात्मिक ज्ञान इस समस्या की जड़ तक पहुंचने में सहायक सिद्ध होता है। वे बताते हैं कि जब तक समाज सच्चे भक्ति मार्ग से नहीं जुड़ता, तब तक बाहरी व्यवस्थाएं कभी स्थायी रूप से नहीं सुधर सकतीं।

श्रीमद्भगवद गीता, वेदों और अन्य पवित्र ग्रंथों के अनुसार केवल एक पूर्ण सतगुरु की शरण में जाकर ही मनुष्य सत्य, न्याय और स्थायी समाधान की ओर अग्रसर हो सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी वही तत्वज्ञान प्रदान कर रहे हैं, जो आत्मिक शांति के साथ-साथ सामाजिक समरसता और उत्तरदायी शासन व्यवस्था की नींव रखता है। यदि आज का युवा इस आध्यात्मिक दिशा को अपनाए, तो न केवल व्यक्तिगत जीवन में सुधार होगा, बल्कि देश की पूरी व्यवस्था में भी क्रांतिकारी परिवर्तन संभव है। संत रामपाल जी के आध्यात्मिक तत्वज्ञान और उनके विश्व कल्याणकारी कार्यों के बारे में विस्तार से जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक “ज्ञान गंगा” या विज़िट करें वेबसाइट www.jagatgururampalji.org

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