Happy Diwali 2024 [Hindi]: जानिए दिवाली की कैसे करें भगवान को खुश?

Happy Diwali 2021 [Hindi] Lord Shri Rama Story कैसे करें भगवान को खुश

Happy Diwali 2024: दीपावली या दीवाली प्रत्येक वर्ष कार्तिक की अमावस्या को मनाए जाने वाला भारतवर्ष का वृहद त्योहार है जो इस वर्ष चार नवंबर को है। लेकिन रावण वध के बाद राम जी के आगमन के बाद अयोध्यावासी दो वर्ष के बाद ही दीपावली के त्योहार को मनाना त्याग चुके थे। लोग पटाखों से अनावश्यक रूप से ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण फैलाते हैं एवं शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं। अब इस त्योहार ने मात्र आडम्बर का रूप ग्रहण कर लिया है। आइए इस लेख में हम जानेंगे इस त्योहार की प्रासंगिकता, पौराणिक महत्व व मनाने की सही विधि के बारे में।

दीपावली के त्योहार की पौराणिक कथा (Happy Diwali Story in Hindi)

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग में विष्णु अवतार श्री राम जी और सीता जी को 14 वर्ष का वनवास हुआ था। वनवास के दौरान ही रावण ने सीता जी का हरण किया। उसके बाद राम जी सीता जी को रावण से युद्ध कर लेकर आये। यही समय 14 वर्ष के वनवास के पूरे होने का भी था।

अधर्मी रावण से सीता माता को वापस लेकर जब श्रीराम अयोध्या वापस लौटे तो अयोध्यावासियों की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं था। अपने प्रिय राजा रानी के आगमन की शुभ सूचना पाकर अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर उस अमावस्या की अंधकारमयी रात्रि को भी जगमग और उज्वल किया और श्री राम और माता सीता के आगमन की खुशी मनाई। किन्तु दीपावली का यह त्योहार आयोध्यावासियों द्वारा दो बार तक ही मनाया जा सका।

अयोध्या के एक धोबी ने राजा राम द्वारा रावण की बंदी रही सीता माता को साथ रखना अनुचित ठहराया। राम जी को जब इसकी भनक लगी तो उनके द्वारा सीता माता को गर्भावस्था में अयोध्या से निष्कासित किया गया। अयोध्यावासी इस घटना से इतने दुखी हो गए कि उसके पश्चात अयोध्यावासियों ने कभी भी दीवाली का त्योहार नहीं मनाया। किन्तु लोकवेद को सत्य मानकर अंध श्रद्धालुओं ने मनमाने रूप से पुनः इस त्योहार को मनाना शुरू कर दिया जिसका अब न तो कोई महत्व है और न ही कोई अर्थ।

दीपावली 2024 (Happy Diwali) का त्योहार कब मनाया जाता है?

दीपावली 2024 या दीवाली प्रत्येक वर्ष कार्तिक की अमावस्या को मनाए जाने वाला त्योहार है। दीपावली भारत के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। भारतवर्ष में केवल हिन्दू ही नहीं बल्कि सिख और जैन धर्म के लोगों द्वारा भी इस त्योहार को मनाया जाता है। जैन धर्म के लोग इस दिन को महावीर जैन के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं। तथा सिख समुदाय इसे बन्दीछोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं।

यहाँ उल्लेख करना आवश्यक है कि वेदों में पूर्ण परमात्मा “कविर्देव का नाम लिखा है। उसी को बन्दीछोड़ भी कहा है। उसका नाम कबीर हैं। वह पापनाशक हैं और बन्धनों का शत्रु होने के कारण उसे बन्दीछोड़ कहा गया है। यदि सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर दीप प्रज्वलित करके हर दिन यह त्योहार को मनाए तो सर्व पापों से छुटकारा मिल सकता है।

दीपावली 2024 (Happy Diwali) किस तरह मनाई जाती है?

दीपावली के त्योहार (Happy Diwali 2024) को अयोध्यावासी दो वर्ष के बाद ही मनाना त्याग चुके थे। लोग पटाखों से अनावश्यक रूप से ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण फैलाते हैं एवं शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं। अब इस त्यौहार ने मात्र आडम्बर का रूप ग्रहण कर लिया है। 

■ यह भी पढ़ें: Happy Dhanteras [Hindi]: इस धनतेरस पर पहचानिए पूर्ण परमात्मा को

गीता के अध्याय 16 के श्लोक 23 में  शास्त्रविरुद्ध साधना करने वालो को कोई लाभ न मिलना व कोई गति न होना बताया गया है। भगवद्गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 के अनुसार शास्त्र विरूद्ध साधना करने से हमें कोई लाभ नहीं प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 7 के श्लोक 12-15 में प्रमाण है। जो व्यक्ति तीन गुणों की पूजा करता है वो मूर्ख बुद्धि, मनुष्यों में नीच, राक्षस स्वभाव को धारण किये हुए होते हैं। श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 के श्लोक 23 में लिखा है कि शास्त्र विरुद्ध साधना करने से न तो लाभ मिलेगा न ही गति होगी।

Diwali (दीपावली 2024) मनाने से क्या लाभ है?

दीपावली 2024 या दिवाली (Happy Diwali) शास्त्र विरूद्ध व लोकवेद पर आधारित मनमाना आचरण है, इस कारण इससे श्रद्धालुओं को कोई लाभ नहीं मिलता है। लक्ष्मी जी – गणेश जी की पूजा से कोई लाभ नहीं है क्योंकि यह शास्त्रों में वर्णित साधनाएं नहीं हैं। व्यक्ति अपने कर्मानुसार ही फल पाता है। निर्धन व्यक्ति कितना भी ध्यान से पूजा करे यदि उसके भाग्य में धन नहीं है तो उसे पूर्ण परमेश्वर कबीर के अतिरिक्त विश्व के अन्य कोई देवी देवता उसे धन नहीं दे सकते। भाग्य से अधिक आकांक्षा रखने वाले को पूर्ण परमेश्वर की भक्ति करनी चाहिए।

क्या माता के गर्भ से जन्म लेने वाले ‘श्री राम’ भगवान है?

यह तो हम सभी जानते हैं कि जो जन्म लेता है वो मरता भी है लेकिन अगर बात करें परमात्मा की तो वो तो जन्म – मृत्यु से रहित है। तो क्या परमात्मा का जन्म आम इंसानों की तरह माँ के पेट से होता है? तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने बताया है कि परमात्मा की तीन प्रकार की स्थिति है।

पहली स्थिति में वो ऊपर सतलोक में विराजमान रहता है, दूसरी स्थिति में वो जिंदा महात्मा के रूप अपने भगतों को मिलता है और तीसरी स्थिति में वो विशेष बालक के रूप में एक तालाब में कमल के पुष्प पर प्रकट होकर धरती पर रहता है और कुंवारी गाय का दूध पीता है। इसका अर्थ यह हुआ कि श्री राम एक महान पुरुष तो माने जा सकते हैं लेकिन परमात्मा कदाचित नहीं। पूर्ण परमात्मा कोई और नहीं बल्कि कबीर साहेब हैं जो चारो युगों में आते हैं।

सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा।

द्वापर में करूणामय कहलाया, कलियुग में नाम कबीर धराया।।

दीपावली 2024 [Hindi]: हमें किसकी भक्ति करनी चाहिए?

देवी भागवत महापुराण में ही देवी जी यानि दुर्गा जी अपने से अन्य किसी और भगवान की भक्ति करने के लिए कह रही है। इससे स्पष्ट है कि देवी दुर्गा जी से भी ऊपर अन्य कोई परमात्मा है जिसकी भक्ति करने के लिए दुर्गा जी निर्देश दे रही हैं। इससे स्पष्ट है कि देवी दुर्गा जी की भी भक्ति करना व्यर्थ है। वह पूर्ण परमात्मा तो कोई और है। पूर्ण परमात्मा की पूरी जानकारी तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं जो स्वंय पूर्ण परमात्मा ही होता है। गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञानदाता ने तत्वदर्शी संत की खोज करने के लिए कहा है।

जानिए अविनाशी परमात्मा के प्रमाण 

  • गुरु नानक साहेब की वाणी में स्पष्ट है कि कबीर परमेश्वर कोई और नहीं बल्कि वही कबीर साहेब हैं जो धानक रूप में काशी में रहते थे। इसका प्रमाण श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ नं. 24 पर शब्द नं. 29 में है-

एक सुआन दुई सुआनी नाल, भलके भौंकही सदा बिआल।

कुड़ छुरा मुठा मुरदार, धाणक रूप रहा करतार।।

  • पूर्ण परमात्मा कविर्देव विशेष बालक के रूप में प्रकट होता है। उस परमात्मा का जन्म माँ के गर्भ से नहीं होता। वह बालक रूप में परमात्मा कुंवारी गाय का दूध पीता है l वह अपनी वाणी को सरल भाषा में अपने मुख से लोगों तक पहुंचाता है।

प्रमाण-: ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 1

  • गुरु नानक साहेब की अमृत वाणी से स्पष्ट है कि जो जिंदा महात्मा रूप में उन्हें मिले थे वो कोई और नहीं, बल्कि काशी वाले कबीर साहेब थे। नानक साहेब की वाणी में अनेकों प्रमाण हैं कि कबीर साहेब पूर्ण परमात्मा सृष्टि के रचनहार हैं। इसी का प्रमाण गुरु गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में है –

“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।

नानक बुगोयद जनु तुरा, तेरे चाकरां पाखाक”

  • कुरान शरीफ में भी प्रमाण मिलता है कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं। पवित्र कुरान शरीफ के सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 के अनुसार कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टि की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजे जिससे सिद्ध होता है कि परमात्मा साकार है ।
  • पवित्र बाईबल में भी यही प्रमाण है कि उस परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार बनाया।
  • आदरणीय दादू साहेब की वाणी में भी यह प्रमाण है जब वह सात वर्ष के थे तो परमात्मा कबीर साहेब उन्हें जिंदा महात्मा के रूप में मिले थे। कबीर जी उन्हें सतलोक लेकर गए और वापिस पृथ्वी पर छोड़ा।

जिन मोकुं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार।

दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजन हार।।

हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कूं उपदेश दिया।

जाति जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।

पूर्ण परमात्मा को पाने के लिए सतगुरु को कैसे ढूंढें?

श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 15 श्लोक 1-4, 16,17 के अनुसार तत्वदर्शी संत वह है जो संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष के सभी भागों को स्पष्ट बताएगा। तत्वदर्शी संत सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रन्थों में छुपे हुए गूढ़ रहस्यों को भक्त समाज के समक्ष उजागर करता हैं। यजुर्वेद अध्याय 19 के मंत्र 25, 26 में भी पूर्ण तत्वदर्शी संत की पहचान दी है। साथ ही गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में ॐ-तत-सत तीन सांकेतिक मन्त्रों का ज़िक्र है जिनसे मुक्ति सम्भव है। ये मन्त्र भी एक पूर्ण तत्वदर्शी संत ही दे सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *