Surrogate Advertising in India: नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। इस बार हम भारत में सरोगेट एड्स के तहत बनने वाले विज्ञापनों पर चर्चा करेंगे और समाज को इससे होने वाले नुकसान पर भी एक नज़र डालेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं आज की हमारी विशेष पड़ताल।
करोड़ों लोगों की ज़िंदगी को हर रोज़ प्रभावित करते हैं विज्ञापन और सरोगेट विज्ञापन
सुपर डूपर फेमस मेगास्टार, सुपरहीरो, सुपरस्टार, बादशाह और किंग आदि आदि उपमात्मक नामों से ख्याति प्राप्त फिल्मों के स्टार लाखों – करोड़ों रुपए कमाने के लिए किसी भी प्रकार के विज्ञापन में काम कर लेते हैं भले ही उस विज्ञापन से समाज और उसमें रहने वाले लोगों को कोई फायदा न हो। यह सब जानते हुए कि उनके द्वारा पैसों और पापुलैरिटी की एवज में किया गया विज्ञापन देश के करोड़ों लोगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा वह फिर भी ऐसे वैसे और न जाने कैसे कैसे विज्ञापन कर लेते हैं।
Surrogate Advertising in India: कई दशकों से लोगों के दिलों पर राज करने वाले इन कलाकारों द्वारा जब किसी प्रोडक्ट, सर्विस, या अन्य उत्पाद का प्रचार किया जाता है तब सैकड़ों लोग उस प्रोडक्ट् या सर्विस को जीवन में एक न एक बार तो अवश्य इस्तेमाल करना चाहतेे हैं। इन दिनों टीवी चैनल्स, यूट्यूब, इंस्टाग्राम शेयरचैट, ट्वीटर ,न्यूज़ वैबसाइटों आदि अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी हर सैंकड विभिन्न विज्ञापन दिखाए जाते हैं और इनमें सरोगेट एडस भी शामिल होती हैं।
अमिताभ बच्चन , सलमान खान, शाहरुख खान, अजय देवगन, संजय दत्त जैसे पुराने अभिनेता कई मंहगे ब्रांडस के लिए नियमित रूप से विज्ञापन करते आ रहे हैं क्योंकि फिल्मों के साथ साथ विज्ञापन और फैशन शोज़ में काम करने से इन्हें एकस्ट्रा इनकम हो जाती है। अब यह इतने फेमस हो चुके हैं कि लोग इनके कहे और दिखाए पर आंखें मूंद कर भी भरोसा कर लेते हैं।
Surrogate Advertising in India: नए बॉलीवुड एंटरटेनरस में रणवीर सिंह , टाइगर श्रॉफ, कालकी कनमनी, टिस्का चोपड़ा जैसे पान मसाला, गुटखा और शराब के विभिन्न ब्रांडों की कंपनियों के ब्रांड एंबेसडर के रूप में सोशल मीडिया पर देखे जा रह हैं। शाहरुख खान, अजय देवगन, रणवीर सिंह और ऋतिक रोशन जैसे विभिन्न प्रभावशाली और प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेताओं द्वारा किए गए इस तरह के सरोगेट विज्ञापन करने से छात्रों के बीच तंबाकू का उपयोग बढ़ गया जो सही नहीं है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से लगातार सरोगेट विज्ञापन करने वाले सेलिब्रिटीज़ का सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जमकर विरोध किया जा रहा है।
अभिनेता अमिताभ बच्चन ने पान मसाला ब्रांड कमला पसंद के साथ अनुबंध किया समाप्त
अमिताभ बच्चन ने पान मसाला ब्रांड के प्रचार के लिए मिले पैसों को भी वापस कर दिया है। 11 अक्टूबर को अपने 79वें जन्मदिन के अवसर पर, बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने पान मसाला ब्रांड के साथ अपने अनुबंध को यह कहते हुए समाप्त कर दिया कि “उन्हें पता नहीं था कि यह सरोगेट विज्ञापन के अंतर्गत आता है”। उन्होंने अपने अनुबंध के हिस्से के रूप में प्राप्त धन को भी वापस कर दिया है। पान मसाला ब्रांड के एक विज्ञापन में अभिनय करने के लिए अभिनेता को सोशल मीडिया पर जम कर नकारात्मक प्रतिक्रिया का सामना करने के बाद यह कदम उठाना पड़ा। सितंबर में, नेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर टोबैको इरेडिकेशन (नोट), एक एनजीओ ने भी बच्चन से पान मसाला ब्रांडों को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया था।
Surrogate Advertising in India: क्या होते हैं सरोगेट विज्ञापन?
सरोगेट विज्ञापनों में, प्रतिबंधित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के सामने पेश नहीं किया जाता है, बल्कि उसी ब्रांड नाम के अंडर किसी अन्य उत्पाद के तहत जनता के सामने पेश किया जाता है। केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 के तहत बड़े पैमाने पर मीडिया पर तंबाकू और शराब उत्पादों जैसे सामानों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने के बाद सरोगेट विज्ञापनों की अवधारणा ने भारत में अपनी जगह बनाई। अधिनियम ने ब्रांड एक्सटेंशन के कवर के तहत सरोगेट विज्ञापनों के लिए छूट दी, क्योंकि – एक उत्पाद जो ब्रांड नाम या Logo का उपयोग करता है, जिसका उपयोग सिगरेट, तंबाकू उत्पाद, शराब, या अन्य नशीले पदार्थों के लिए भी किया जाता है, तथा यह भी हो सकता है कि वह केबल सेवाओं (cable service) पर विज्ञापन के रूप में दिखाया जाए।]
Also Read: Justice Delayed is Justice Denied: क्यों हैं आज भी बंद बेगुनाह सलाखों के पीछे?
नशाखोरी बढ़ाने के प्रत्यक्ष विज्ञापन पर प्रतिबंध के बाद शराब और तंबाकू उद्योग ने सरोगेट विज्ञापनों के माध्यम से अपने उत्पादों को बढ़ावा देने का एक तरीका खोजा। इन सरोगेट विज्ञापनों में, प्रतिबंधित उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के सामने पेश नहीं किया जाता है, बल्कि उसी ब्रांड नाम के अंडर किसी अन्य उत्पाद के तहत दिखाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को किसी ब्रांड से परिचित कराना है ताकि जब भी उस ब्रांड का उल्लेख हो, लोग उसे उसके मुख्य उत्पाद से जोड़ना शुरू कर दें।
सरोगेट विज्ञापनों के ज़रिए मुश्किल है नशीले उत्पादों की बिक्री रोकना
“सरोगेट विज्ञापन” (उसी ब्रांड के दूसरे उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर एक उत्पाद की ब्रांड छवि की नकल करना ही है। शराब उद्योग ने जानबूझकर उत्पादों के बीच की रेखा को धुंधला कर दिया। सरोगेट विज्ञापन से शराब के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य ही विफल हो जाता है। कुछ साल पहले तक लगभग 50 प्रतिशत टेलीविजन मालिकों की केबल चैनलों तक पहुंच थी और आज यह सोशल मीडिया हैंडलस के ज़रिए और सेलिब्रिटीज़ के इस्तेमाल द्वारा आसानी से विज्ञापन दिखाते हैं।
समाजशास्त्रीय अध्ययनों से पता चला है कि, भारत में, आबादी के एक बड़े हिस्से की आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शराब और अन्य नशीले पदार्थों पर खर्च किया जाता है, जो संभावित रूप से वित्तीय संकट और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है। वाइन उद्योग के एक प्रकाशन, इंटरनेशनल वाइन एंड स्पिरिट्स बोर्ड के अनुसार, अगले कुछ वर्षों में शराब पीने वाले लोगों की संख्या में उछाल आएगा। इसका मतलब है कि समस्या बढ़ रही है।
कैसे सरोगेट विज्ञापन न केवल भ्रामक हैं, बल्कि कई मामलों में झूठे और बेईमान भी हैं
18 मई 2003 को अधिनियम संख्या 34 के तहत सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन को प्रतिबंधित करने के लिए एक कानून बनाया गया। जिसके चलते कोई भी निर्माता कंपनी पान मसाला, गुटखा, सिगरेट, शराब, आदि नशीले पदार्थो का सीधे तौर पर प्रचार प्रसार नहीं कर सकती। जिसके चलते विमल, रजनीगंधा, कमला पसंद, हेयवर्डस, रॉयल स्टेग, बैगपाइपर, आदि आदि कंपनियों ने अपने पान मसाला, गुटखा, और शराब जैसे प्रोडक्ट्स का प्रचार सरोगेट एड्स के ज़रिए करना शुरू कर दिया। इन मल्टी मिलियन कंपनीज ने अपने ब्रांड की सरोगेट एड्स में बॉलीवुड के कलाकारों को शामिल करना शुरू कर दिया था।
Surrogate Advertising in India: जैसे सरकार से बचने और जनता को धोखा देने के लिए क्लब सोडा, अल्कोहल की जगह मिनरल वाटर, मीठी सुपारी ,सिलवर इलायची , माउथ फ्रेशनर या संगीत सीडी का एड दिखाया जाएगा परंतु कंपनी का मुख्य उत्पाद शराब,बिअर,वाइन,गुटखा,सिगरेट ही होगा। प्रतिबंधित उत्पाद (शराब या सिगरेट) को सीधे उपभोक्ताओं के सामने पेश नहीं किया जा सकता है, बल्कि उसी ब्रांड नाम के तहत किसी अन्य उत्पाद के तहत मास्क किया जा सकता है, ताकि जब भी उस ब्रांड का उल्लेख हो, तो लोग इसे इसके मुख्य उत्पाद (शराब या सिगरेट) के साथ जोड़ना शुरू कर दें। ) भारत में बकार्डी ब्लास्ट संगीत सीडी, बैगपाइपर क्लब सोडा से लेकर ऑफिसर्स च्वाइस प्लेइंग कार्ड्स तक, सरोगेट विज्ञापन करने वाली बड़ी संख्या में कंपनियां हैं।
■ Also Read: Farm Laws Repeal: जानिए क्यों PM मोदी ने लिए कृषि कानून वापिस?
शराब निर्माता कंपनी हेयवर्ड्स अपनी शराब का प्रचार करने के लिए अपने अल्कोहल प्रोडक्ट्स के बदले सोडा और मिनरल वाटर का प्रचार करती है। कमला पसंद और विमल जैसी कई पान मसाला कंपनी सिल्वर इलाइची और सुपारी के रूप में अपनी पान मसाला और गुटखा प्रोडक्ट्स का प्रचार करती है। यह कंपनिया अपने सभी प्रोडक्ट्स का ब्रांड नेम और टैगलाइन एक ही रख लेती हैं और साथ ही अपने सभी प्रोडक्ट्स के रंगरूप भी एक जैसे ही रख लेती हैं जिससे की सभी प्रोडक्ट्स एक जैसे ही दिखाई दें। यह इसलिए किया जाता है ताकि लोगों के दिमाग में एक ब्रांड इमेज क्रिएट की जा सके। चूंकि अक्सर लोग यह समझ नहीं पाते की टीवी पर प्रसारित होने वाला विज्ञापन प्रतिबंधित प्रोडक्ट का नहीं बल्कि मिनरल वाटर या सिल्वर इलाइची जैसे साधारण प्रोडक्ट का है। विज्ञापन में दिखाई देने वाला प्रोडक्ट हुबहू सिगरेट, शराब या गुटखा जैसा ही होता है जिस से लोग समझ लेते हैं की यह विज्ञापन गुटखा या शराब का ही है। जिस से इन कंपनीज के लिए सांप भी मर जाता है और लाठी भी नही टूटती। इसके अलावा यह चतुर कंपनिया अपने प्रतिबंधित प्रोडक्ट्स का सप्लाई अपने अन्य प्रोडक्टस के मुकाबले सैकड़ों गुना अधिक करती हैं जिससे की देश दुनिया के बाज़ारों में लोगों को अधिक से अधिक इनके प्रतिबंधित प्रोडक्ट्स ही नजर आएं।
Surrogate Advertising in India: सरोगेट माफिया लोगों को गुमराह करने का तरीका है
यदि इस सरोगेट माफिया (Surrogate Advertising in India) को सरल भाषा में समझें तो यह एड्स/विज्ञापन लोगों को गुमराह करने का एक आसान तरीका है जिससे लोगों को कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी परोसी जा सके। यह चतुर कंपनिया इन एड्स के जरिए सरेआम कैंसर जैसे रोग को बेच रहे हैं जिसका सहयोग हमारे चहिते बॉलीवुड अभिनेता और अभिनेत्री कर रहे है। अमिताभ बच्चन, प्रियंका चोपड़ा, अनुष्का शर्मा, सनी लियोनी, गोविंदा, अरबाज खान, संजय दत्त, रवि किशन, महेश बाबू, सोनू सूद, मनोज बाजपाई, अक्षय कुमार, रितिक रोशन, टाइगर श्रॉफ, रणवीर सिंह, सलमान खान, शाहरुख खान, अजय देवगन, सैफ अली खान जैसे अभिनेताओं ने पहले माउथ फ्रेशनर, सोडा, सिल्वर इलाइची और मिनरल वाटर आदि के सरोगेट एड्स किए हैं जिसके चलते सिगरेट, शराब और पान मसाला कंपनियों ने करोड़ों लोगों को कैंसर स्मगल किया है।
सरोगेट एड्स के लिए देश की सरकार द्वारा बनाए गए कानून इन कंपनियों को रोकने में कहां तक सक्षम हैं-
सन 2003 में COTPA Act के पारित होने के बाद से भारत में तंबाखू और निकोटिन वाले कोई भी फूड प्रोडक्ट की बिक्री भारत में नहीं की जा सकती थी। जिसके चलते इन कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट से निकोटिन और तंबाखू को तो अलग कर दिया लेकिन तंबाखू के लिए उन्होंनेे अलग से ही अपना एक अलग प्रोडक्ट बनाना शुरू कर दिया। जिसके बाद कंपनियों ने अपने विज्ञापनों में बताना बंद कर दिया की यह किस प्रोडक्ट की एड है बस एड के अंत में छोटे अक्षरों में प्रोडक्ट का नाम लिख दिया जाता है जिसे कोई पढ़ नहीं पाता। उदाहरण के तौर पर विमल के एड में शाहरुख खान और अजय देवगन को विमल खाते दिखाया जाता है लेकिन एड में कहीं पर यह बोला नहीं जाता की यह विमल का कौन सा प्रोडक्ट है। एडवरटाइज़मेंट स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) द्वारा सरोगेट एड्स के लिए कई नियम बनाए गए हैं लेकिन वे भी इन विज्ञापनों को कैंसर परोसने से रोकने के लिए पूर्णतः सक्षम नहीं हैं।
Surrogate Advertising in India: सरकार सरोगेट विज्ञापनों पर प्रतिबंध कैसे लगा रही है?
सरकार द्वारा अब सरोगेट विज्ञापनों पर प्रतिबंध लागू करने के साथ, कंपनियां इवेंट स्पॉन्सरशिप, इवेंट ऑर्गनाइजिंग, कॉरपोरेट फिल्मों और अधिक से अधिक नवीन एकीकृत मार्केटिंग संचार रणनीतियों की ओर रुख कर रही हैं, हालांकि सरोगेट विज्ञापन अभी भी एक आम बात है।
किस प्रकार सरोगेट विज्ञापनों को रोका जा सकता है?
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर बॉलीवुड अभिनेताओं और सरकार के खिलाफ पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, सिगरेट और शराब आदि नशे के एड्स पर रोक लगाने के लिए मोर्चा खोल दिया गया है। पिछले दिनों जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयाइयों द्वारा #बॉलीवुडसेबच्चोंकोबचाओ और #फिल्मोंनेबिगाड़ा_समाज जैसे टैग्स ट्विटर पर ट्रेंड हुए थे जो की पूरे भारत में कई घंटो तक पहले नंबर पर ट्रेंड कर रहे थे। संत रामपाल जी महाराज के अनुयाइयों द्वारा देश की जनता को बॉलीवुड से होने वाले नुकसान से अवगत करवाया गया। साथ ही सुपारी, तंबाखू, गुटखा, हुक्का ,बीढ़ी, सिगरेट ,ड्रग्स और शराब आदि नशीले पदार्थों से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया। संत जी के अनुयाइयों द्वारा जनता से बॉलीवुड को बॉयकॉट करने की अपील भी की गई।
साथ ही फिल्म सेंसर बोर्ड को अश्लील और हिंसक बॉलीवुड पिक्चरों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह भी किया गया। इसके अलावा अमिताभ बच्चन, सलमान खान, शाहरुख खान और अजय देवगन जैसे सरोगेट एड्स करने वाले अभिनेताओं से भविष्य में ऐसे एड्स न करने का निवेदन किया गया। संत रामपाल जी महाराज के अद्वितीय ज्ञान को समझकर उनके लाखों अनुयाई सभी बुराइयों को त्यागकर दिन रात समाज सुधार के कार्य कर रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयाई नशा करना तो दूर नशे को हाथ तक नहीं लगाते। वे जानते हैं कि पूरे विश्व को नशे से केवल संत रामपाल जी महाराज ही मुक्त करवा सकते हैं इसलिए इस विडियो को देखने वाले सभी देशवासियों और नशा करने वालों से विशेष प्रार्थना है की आप भी नशा करना छोड़ दें और नशीले पदार्थों के इस्तेमाल से परहेज़ करें। यदि आप संत रामपाल जी महाराज जी से जुड़कर नशामुक्त जीवन जीना चाहते हैं तो आप हमें इस नंबर पर संपर्क करें: 7496801825