Ahmed Patel Life: कोरोना वायरस से एक लंबी जंग के बाद अहमद पटेल (71) का बुधवार तड़के कोरोना से निधन हो गया। अहमद पटेल की जिंदगी का एक सबसे लंबा पहलू कांग्रेस है। संगठन में अहम जिम्मेदारी से लेकर गांधी परिवार के भरोसेमंद तक कुछ ऐसा सफर रहा। जानिए अहमद पटेल के बारे में सबकुछ
Ahmed Patel Death News हाइलाइट्स
- कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार भी रहे अहमद पटेल
- गुजरात के भरूच जिले में अहमद पटेल का हुआ था जन्म, पिता का भी कांग्रेस से था नाता
- अहमद पटेल ने कांग्रेस के कई अहम पदों की जिम्मेदारी बखूबी निभाई, संगठन में थी पैठ
ख़बरों के मुताबित कोरोना से हुआ Ahmed Patel का निधन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल (Congress Leader Ahmed Patel Latest) का बुधवार तड़के निधन हो गया। इस बात की जानकारी 71 वर्षीय अहमद पटेल के बेटे फैजल पटेल ने दी। अहमद पटेल की राजनीतिक जिंदगी की लकीर (Ahmed Patel in Gandhi Family) इंदिरा गांधी से होते हुए राहुल गांधी-प्रियंका गांधी के दौर तक रही। हालाकि, इस बीच कई बार लकीर मजबूत हुई तो कभी कमजोर भी दिखी। बदलते हालातों के बीच अहमद पटेल ने गांधी परिवार का कभी साथ नहीं छोड़ा।
21 अगस्त 1949 को गुजरात के भरूच जिले की अंकलेश्वर तहसील के पिरामण गांव में जन्मे अहमद पटेल (Ahmed Patel Birth Place) को सियासी बिसात का होनहार माना जाता था। अहमद पटेल तीन बार लोकसभा सांसद और चार बार राज्यसभा सांसद रहे। उन्होंने अपना पहला चुनाव वर्ष 1977 में भरूच लोकसभा सीट से लड़ा था। इस चुनावी मुकाबले में अहमद पटेल 62 हजार 879 मतों से जीते थे।
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26 की उम्र में बन गए थे सांसद
अहमद पटेल 1977 में चुनाव जीतकर सबसे युवा सांसद बने थे। उस दौरान उनकी उम्र महज 26 साल थी। इस चुनाव के बाद उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता चला गया। 1980 में अहमद पटेल ने यहीं से 82 हजार 844 वोटों से मुकाबला अपने नाम किया। 1984 में अहमद पटेल ने 1 लाख 23 हजार 69 वोटों से जीत दर्ज की थी। बात की जाए 1980 और 1984 की तो जनता पार्टी के चंदूभाई देशमुख दूसरे नंबर पर रहे।
Ahmed Patel जी के पिता भी कांग्रेसी
मोहम्मद इशकजी पटेल और हवाबेन मोहम्मद भाई के घर जन्मे अहमद पटेल के पिता कांग्रेस में थे। माना जाता है कि पिता की इस सीढ़ी ने अहमद को राजनीति की बुलंदियों में बहुत तेजी से पहुंचाया। पिता के अनुभवों, नसीहतों ने जिंदगी कितनी बदली यह अहमद पटेल के राजनीतिक कद को देखकर समझा जा सकता है। अहमद पटेल ने 1976 में मेमूना अहमद से शादी कर ली। पटेल का परिवार राजनीति से दूर रहा। अहमद पटेल के दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी…लेकिन दोनों ही राजनीतिक दुनिया से फिलहाल दूर हैं।
संगठन की नब्ज जानने में थे माहिर अहमद पटेल
अहमद पटेल ने कांग्रेस के संगठन में बहुत गहरी पैठ बनाई थी। इंदिरा गांधी 1980 में कांग्रेस की जबरदस्त वापसी के बाद पटेल को कैबिनेट में शामिल करना चाहती थीं लेकिन अहमद पटेल ने संगठन से अपना मोह जाहिर कर दिया। यही तस्वीर राजीव गांधी के समय में भी देखने को मिली। 1984 के चुनाव के बाद अहमद पटेल को फिर से मंत्री पद ऑफर किया गया लेकिन उन्होंने इस बार भी संगठन को ही चुना था।
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नरसिम्हा राव के दौर में किनारे
लेकिन नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो गांधी परिवार से अहमद पटेल की नज़दीकी के बावजूद उन्हें किनारे कर दिया गया.
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्यता के अलावा अहमद पटेल को सभी पदों से हटा दिया गया.
कांग्रेस की बात करें तो उन वर्षों में गांधी परिवार का प्रभाव कम हुआ तो परिवार के वफ़ादार क़रीबियों के लिए भी ये मुश्किलों से भरा समय था.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राजीव गांधी फ़ाउन्डेशन को बजट से 20 करोड़ रुपए का फंड दिलाया लेकिन सोनिया गांधी ने इसे अस्वीकार कर दिया और अहमद पटेल के कंधों पर राजीव गांधी फ़ाउन्डेशन के लिए फंड इकट्ठा करने की ज़िम्मेदारी आई.
जब पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने मंत्री पद की पेशकश की तो उसे पटेल ने ठुकरा दिया. अहमद पटेल गुजरात से लोकसभा चुनाव भी हार गए और उन्हें सरकारी आवास खाली करने के लिए लगातार नोटिस मिलने लगे.