कोविड की रोकथाम के लिए एक टीके का अविष्कार कोविशील्ड ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया था । जिससे भारत में स्थित महाराष्ट्र की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने 2021 में कोविडशील्ड बनाने का ठेका लिया था। इस टीके के इस्तेमाल से आने वाले दुष्प्रभावों का कारण थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) भी है।
कोरोना काल में वैक्सीन का अविष्कार
कोरोना काल एक ऐसा समय था जब पुरे विश्व में ही इस नई महामारी का प्रकोप था। बहुत से लोगों ने अपनो को खोया। ऐसे समय में बड़ी मुश्किल से एंटीडॉट वैक्सीन का अविष्कार किसी अमृत से कम नहीं था।कोविशील्ड ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने संयुक्त रूप से विकसित की। भारत में भी महाराष्ट्र में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने इसे बनाने का जिम्मा उठाया। इस वैक्सीन को लगने से बहुत से लोगों की जान बची।
क्या है विवाद?
कोविडशील्ड वैक्सीन के उपयोग से लोगों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।कहा जाता है कि कोविडशील्ड वैक्सीन का इस्तमाल करने से लोगों की मौत तक की खबरें सामने आई हैं। इसी लिए लोग वैक्सीन के प्रभाव से मरने वाले अपने परिजनों के लिए मुआवजे की मांग भी कर रहे हैं।इससे भारत में भी लोगों के दिलों में डर बैठ गया है।
वैक्सीन का क्या पड़ता है शरीर पर प्रभाव
कोविडशील्ड वैक्सीन भारत में लगभग 90 फीसदी लोगों को लगाई गई जब कोरोना अपनी चरम सीमा पर था।बहुत से लोग तो यह भी दावा कर रहे हैं कि इससे उन्हें चक्कर आने, मितली आना, रक्त का जमना आदि समस्याएं आ रही हैं। यह समस्याएं कुछ लोगों को तो वैक्सीन लगते ही शुरु हो गई। इनमें जैसे टीके की जगह पर सोजश आना, तेज़ बुखार, शरीर में दर्द आदि।
एस्ट्रेजेनेका कंपनी ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में स्वीकारा वैक्सीन के हैं दुष्प्रभाव
यह बात एस्ट्रेजेनेका कंपनी ने भी ब्रिटिश हाईकोर्ट में स्वीकार की है कि वैक्सीन में टीटीएस(TTS) के कारण इसके बुरे प्रभाव शरीर पर पड़ सकते हैं। इससे भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का भी जमकर विरोध हो रहा है। इससे लोगों का गुस्सा भी सरकार के ऊपर फूट रहा है।
जबकि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) नई दिल्ली के कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर नितीश नायक और डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च नई दिल्ली के डायरेक्टर और वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर सुनीत के सिंह का कहना है कि कोविडशीलड वैक्सीन से से ब्लड क्लॉटिंग, डिप्रेशन, दिल की बीमारी आदि जैसी समस्याएं आई होंगी। लेकिन इसके नुकासन से ज्यादा इसके फायदे देखने को मिले हैं। जरूरी नहीं इसके सभी को नुक्सान ही हुए हैं, बहुत से लोगों की जिन्दगियां भी बचाई हैं वैक्सीन ने।
कैसे निपटा जा सकता है ऐसी समस्याओं से
वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है। यहां तक कि विश्व में भी हड़कंप मचा हुआ है। विश्व भर के लोग बाढ़, सोका, महामारी जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसी समस्याओं का समाधान तब ही हो सकता है जब संत रामपाल जी महाराज ज्ञान समझकर जीवन में आगे बढ़ा जाए। मुक्तिबोध में भी कबीर साहेब ने लिखा है कि 1997 के बाद पृथ्वि में परिवर्तन होगा। सतयुग जैसा माहौल होगा और फैक्ट्रियां आदि भी धुंआ रहित होंगी। इसके अलावा मनुष्य मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करेगा और धनी व्यक्ति दयालु प्रवृत्ति के होंगे। माया की होड़ खत्म हो जाएगी और लोग पशुधन बढ़ाएंगे।
इतना ही नहीं लोग मिलकर जमीन को उपजाऊ बनाएंगे और ज्यादा से ज्यादा धन दान करेंगे। वर्तमान समय में फैशन के नाम पर जो अश्लीलता फैला रखी है, वह भी खत्म हो जाएगी। लोग पुरे कपड़े पहना करेंगे और एक दुसरे का सम्मान करेंगे। यह कलयूग में सतयुग का समय लगभग एक हज़ार वर्ष तक चलेगा। लेकिन यह केवल सतभक्ति से ही संभव है। इसके लिए आप संत रामपाल जी महाराज की अनमोल पुस्तक “जीने की राह” पढ़िए। इसके अलावा आप हमारी वेबसाइट पर भी जा सकते हैं।