नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज के कार्यक्रम में हम Cricket के प्रति लोगों के बढ़ते क्रेज़ के बारे में चर्चा करेंगे और साथ ही जानेंगे कि खिलाड़ियों को भगवान मानना क्यों गलत है?
क्या बच्चे -बड़ों सबका प्रिय खेल क्रिकेट है?
जब हम भारत में खेलों और उनकी लोकप्रियता के बारे में बात करते हैं, तो सबसे पहला खेल जो दिमाग में आता है, तो वह है क्रिकेट। लेकिन भारत में सभी खेलों में से क्रिकेट सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेल क्यों है,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय फुटबॉल, कबड्डी या हॉकी जैसे राष्ट्रीय खेलों की तुलना में इसके बहुत अधिक प्रशंसक क्यों है?
Cricket: भले भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है लेकिन लोगों के दिलों पर तो चौबीसों घंटे क्रिकेट ही छाया रहता है। भारत में क्रिकेट के खिलाड़ियों की लोकप्रियता इतनी है जितनी की किसी मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री और बॉलीवुड सेलिब्रिटीज़ की होती है। देश के सैनिकों से भी अधिक सम्मान और सुविधाएं तो क्रिकेट के खिलाड़ियों को प्राप्त होती हैं। क्रिकेट अब इतना पापुलर हो चुका है जहाँ पुरूष क्रिकेट के साथ साथ महिला क्रिकेट भी अपनी अलग जगह बना चुका है।
क्रिकेट (Cricket) की शुरुआत कहाँ और कैसे हुई थी?
क्रिकेट एक बल्ले और गेंद से खेले जाने वाला खेल है जिसकी शुरुआत दक्षिणी इंग्लैंड में हुई थी। यह खेल इंग्लैंड में लगभग पिछले 500 वर्षों से खेला जाता आ रहा है, अब यह खेल 100 से अधिक देशों में खेला जाता है। क्रिकेट को कई अलग अलग फॉर्मेट में खेला जाता है जिसे ट्वेंटी ट्वेंटी, वन डे और टेस्ट क्रिकेट के नाम से जाना जाता है।
इस खेल की लोकप्रियता के कारण ही आप अक्सर बच्चों को लकड़ी की फट्टी से लेकर बल्ले तक का उपयोग करते हुए उन्हें घरों की छतों ,कमरों , गली- नुक्कड़, गलियारों, स्कूलों और पार्कों में क्रिकेट खेलते हुए देखते हैं। शहरों की तंग गलियों और गांवों के हरे मैदानों में खेले जाने वाले मुक़ाबलों से लेकर यह खेल विशाल स्टेडियमों में खेला जाता है जहाँ हज़ारों की संख्या में दर्शक अपने चुनिंदा खिलाड़ियों और खेल को देखने के लिए जुटते हैं।
भारत में कई क्रिकेट (Cricket) प्रशिक्षण और कोचिंग सेंटर हैं, जहां बच्चे और वयस्क दोनों क्रिकेट का अभ्यास कर इसे खेलना सीखते हैं। भारत के हर शहर में आपको इसके करोड़ों फैन मिल जाऐंगे। भारत के हर शहर में एक क्रिकेट स्टेडियम आपको ज़रूर मिलेगा। जहां अधिकांश स्टेडियम अच्छी सुविधाएं और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग प्रदान करते हैं।
मीडिया का भी पसंदीदा कवरेज खेल है क्रिकेट
भारत में क्रिकेट को बड़े पैमाने पर मीडिया कवरेज प्राप्त है। सभी क्रिकेट टूर्नामेंट डिजिटल, टेलीविज़न और प्रिंट मीडिया दोनों में बड़े पैमाने पर कवर किए जाते हैं।
जब भी कोई क्रिकेट मैच होता है तो क्रिकेट अधिकांश व्यावसायिक विज्ञापनों का केंद्रीय विषय बन जाता है।
इस व्यापक कवरेज के परिणामस्वरूप, क्रिकेटरों और क्रिकेट क्लबों ने प्रायोजकों और विज्ञापनों की एक विस्तृत श्रृंखला को आकर्षित किया है। कई दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ियों ने कई उत्पादों का विज्ञापन करके और कई विज्ञापनों में दिखाई देकर अपने लिए बहुत धन और पापुलैरिटी अर्जित की है।
क्रिकेट (Cricket) के खेल में है बहुत पैसा और नाम
भारत में क्रिकेट एक बहुत बड़ा व्यावसायिक रूप ले चुका है, और क्रिकेट खिलाड़ी भारत में अन्य खेलों के खिलाड़ियों की तुलना में अधिक शानदार जीवन शैली जीते हैं, जिसके कारण भारत में क्रिकेट इतना लोकप्रिय क्यों हो गया है, इसका अंदाजा भी इसी से लगाया जा सकता है।
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भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों के शानदार जीवन को टीवी पर देखकर उससे प्रभावित होकर ही युवा लड़के और लड़कियां अब खुद क्रिकेट खिलाड़ी बनने के लिए प्रेरित होते हैं।
सट्टेबाजी और गैंबलिंग का अड्डा है क्रिकेट (Cricket)
दोस्तों यूं तो क्रिकेट (Cricket) को जेंटलमैनस का गेम कहा जाता है लेकिन पिछले कई सालों से अब इस खेल को मैच फिक्सिंग के साथ जोड़ा जाने लगा है। इसके अलावा सट्टेबाजी और ऑनलाइन गैंबलिंग के जरिए भी यह खेल काफी बदनाम हो रहा है। क्रिकेट की चकाचौंध भरी दुनिया में क्रिकेटर भी बिकते और खरीदे जाते हैं। विज्ञापनों के बाजार में जिन क्रिकेटरों को अच्छा मोल मिल जाता है वह तो अच्छे से सैटल हो जाते हैं पर जो और अधिक पैसा बनाना चाहते हैं वह मैच फिक्सरों के सॉफ्ट टारगेट बन जाते हैं। खेल में भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बाद मोहम्मद अजरूद्दीन, अजय जडेजा, हरशेल गिब्स, मार्लोन सैमुअल्स, मोहम्मद आमिर, सलमान बट, मोहम्मद अशरफुल, शाकिब उल हसन, स्टीव स्मिथ, डेविड वार्नर, एंड्रयू साइमंड्स आदि दिग्गज खिलाड़ियों को ICC द्वारा एक समय बैन किया गया था। तथा एक तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बाद से इनके कैरियर पर भी विराम लग गया।
खिलाड़ी और इंनवेस्टरस दोनों होते हैं मालामाल
वर्तमान में IPL जैसी डोमेस्टिक लीग्स ने क्रिकेट के खेल को एक बहुत बड़े बिजनेस का रूप दे दिया है, जिसके चलते अमीर और करोड़पति लोग और अधिक मालामाल हो रहे हैं। प्रत्येक सीज़न के IPL की शुरुआत में सभी खिलाड़ियों की नीलामी की जाती है जिसमें हर एक खिलाड़ी को करोड़ों और लाखों के दाम में अलग अलग टीमों के मालिकों द्वारा उनकी खेल परफॉर्मेंस के हिसाब से खरीदा जाता है। जितना बड़ा खिलाड़ी उतना ऊंचा उसका दाम मिलता है। IPL के शुरू होते ही Dream 11, My Team 11, Fantasy Power 11 आदि आदि ऐप्स पर सट्टेबाजी की जाती है। पैसों से प्रेम करने वाले लालची, और जल्दी और बिना मेहनत किए पैसा कमाने वाले और मूढ़ लोग इस माया जाल में फंसकर प्रतिवर्ष हजारों रुपए खो बैठते हैं और कई जीतते भी हैं। जीतने वाले पैसे के लालच में गैंबलिंग करते रहते हैं।
जिससे इन बड़ी कंपनियों की तो करोड़ों की कमाई होती है और इनमें पैसा लगाने वाले कंगाल तक हो जाते हैं। क्रिकेट से जुड़ी सट्टेबाजी आज देश दुनिया में खुले आम हो रही है, यहां तक की इसके विज्ञापन टीवी, रेडियो और इंटरनेट से लेकर अखबारों और शहरों के बड़े बड़े होर्डिंग्स पर प्रकाशित किए जाते है और साथ ही फैमस क्रिकेट खिलाड़ी भी सट्टेबाजी और क्रिकेट गैंबलिंग और गेम खेलने के नाम पर लोगों को सबजबाग दिखाकर माया की अंधी दुनिया में धकेल रहे हैं। बच्चे, बड़े, गरीब, अमीर, हर प्रकार के लोगों को IPL के दौरान ऑनलाइन गैंबलिंग करने के लिए इन्हीं विज्ञापनों के द्वारा उकसाया जाता है, जिस पर भारतीय सेंसर बोर्ड कोई आपत्ति नहीं जताता और न ही ऐसे विज्ञापनों पर बैन लगाता है यानी सब कुछ सरकार की निगरानी में खुले आम हो रहा है।
गूगल से मिली जानकारी अनुसार Ipl सट्टा एक system है जिसमें एक व्यक्ति सही अनुमान लगाकर पैसे bet पर लगाता है और अगर bet सही हो जाता है तो वह cash prize जीत जाता है। इसमें अनुमान लगाते हैं कि winner कौन होगा, toss कौन जीतेगा, top batsman कौन होगा आदि। लोग रात-रात भर बैठकर मैच देखते हैं और कई लोग इसकी मदद से पैसे भी कमाते हैं।)
अब जानिए की बीसीसीआई क्या है?
Board of Control for Cricket in India (बीसीसीआई) का मुख्य कार्य भारत में होने वाले सभी क्रिकेट (Cricket) मैचों का नियंत्रण और उनका आयोजन करवाना और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत के खिलाड़ियों का भारत की ओर से प्रतिनिधित्व करना है। BCCI का गठन 1928 में हुआ था और आज यह एक सरकारी संस्था है। बीसीसीआई का मुख्यालय मुंबई में स्थित है। सबसे लोकप्रिय खेल होने की वजह से बीसीसीआई दुनिया में सबसे अमीर बोर्ड में आता है। इसके अलावा बीसीसीआई खेलों में होने वाले प्रदर्शन के साथ-साथ खेलों की भावना को सुरक्षित रखता है। बीसीसीआई क्रिकेट के ऊपर होने वाले सट्टेबाजी को रोकने में शामिल है और खेलों से जुड़े नियमों को तोड़ने और मैच फिक्सिंग जैसे मामलों में दोषी पाए जाने वालों को कड़ी सजा देता है।
जानिए कि जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान का क्या महत्व है?
क्रिकेट से होने वाले मनोरंजन के लिए बच्चे अपनी पढ़ाई को दांव पर लगा देते हैं क्योंकि अच्छा क्रिकेटर बनने के बाद बहुत पैसा मिलता है इसलिए अनेकों मांबाप बच्चों के क्रिकेटर बनने के सपने देखते हैं। क्रिकेट देखने में जवान लोग अपनी नौकरी और बुजुर्ग अपने कीमती समय को व्यर्थ गंवा रहे हैं। क्रिकेट से मनोरंजन और धनी बनने और फैमस होने के लालच में आज देश का एक बहुत बड़ा वर्ग सट्टेबाजी, जुए और नशे में चूर होता जा रहा है। क्रिकेट अब केवल खेल तक सीमित न रहकर जीविका कमाने का ऐसा साधन बन गया है जो असीमित धन, सुविधाएं और बेशुमार पापुलैरिटी देता है। लोग इन क्रिकेटरों को अज्ञानवश भगवान तुल्य मानते हैं जो कि सरासर गलत है। जबकि दर्शक जानते हैं कि जो लाभ भगवान दे सकता है वह एक मनुष्य कभी नहीं दे सकता। हिंदी का एक मुहावरा है ‘लेना एक न देने दो’। अर्थात क्रिकेट खेलने वाले को तो धन,नाम और ट्राफी मिलेगी और देखने वाले का समय ,धन ,शरीर और सांसें सब खाली गई।
सभी आयु वर्ग से जुड़े दर्शक क्रिकेट के मुरीद हैं । मनोरंजन थोड़े समय तक तो सुख देता है परंतु क्रिकेट खिलाड़ियों की हार को कई दर्शक इतना सीरीयसली ले लेते हैं की अपने स्वास्थ्य की भी हानि करा बैठते हैं और कई दर्शक तो हारने वाले खिलाड़ियों और उनके परिजनों को भी खरीखोटी सुनाते हैं। भारत में क्रिकेट को धर्म और खिलाड़ियों को भगवान मानने वालों को प्रतिक्षण व्यर्थ हो रही अपनी सांसों की बिल्कुल परवाह नहीं है और ऐसा वह आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में करते और कर रहे हैं। यहां यदि किसी को फॉलो करना चाहिए तो वह केवल और केवल पूर्ण परमात्मा होना चाहिए क्योंकि किसी के प्रति भी आसक्ति हमारे विनाश का कारण होती है।
क्रिकेट देखने से मनोरंजन और खेलने से शारीरक वर्जिश तो हो सकती है और अच्छा खेलने से व्यक्ति भविष्य में क्रिकेटर बनकर जीविकोपार्जन भी कर सकता है परंतु यह सब शार्ट लिवड है यानी इस खेल की तरह मनुष्य जीवन भी थोड़ा और बहुत छोटा है। न जाने कब सांसों की किश्तें पूरी हो जाएं और यहां से जाने का समय हो जाए। हमारी तो हमारे दर्शकों से यही प्रार्थना है कि जग में जीवन थोड़ा है , मानव जीवन का मूल उद्देश्य सतभक्ति करते हुए जीविकोपार्जन करना चाहिए ताकि मोक्ष प्राप्त किया जा सके।
दर्शकों जब हम सतलोक में थे तब हम पृथ्वी के राजा ज्योति निरंजन काल पर आसक्त हो कर इसके कहने पर यहां मनोरंजन की चाह में आए थे जिस कारण वहां वापिस कभी नहीं लौट पाए। आप सभी क्रिकेट प्रमियों से निवेदन है कि आप तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा बताए जा रहे सत्संगों में सृष्टि रचना अवश्य सुनिए और अपने अनमोल मनुष्य जीवन को खेल देखकर और खिलाड़ियों पर आसक्त होने में नष्ट न करें। परमात्मा सर्वसुख देने वाला है। अपने जीवन का कीमती समय ईश्वर को जानने,पहचानने और समझने में लगाएं ताकि आप अपना जीवन सफल कर सकें।