Hanuman Jayanti in Hindi: हनुमान जयंती पर जानिए कौन है हनुमान जी के वास्तविक गुरु?

Hanuman Jayanti in Hindi

Last Updated on 21 May 2023, 2:02 PM IST | Hanuman Jayanti in Hindi: वैसे तो भारत में सभी धर्मों में लोगों की अपने धर्म के साथ भावनाएं जुड़ी होती हैं, हर धर्म का अपना ही महत्व होता है। लेकिन भारत अनेकता में एकता का देश है, यहाँ सभी धर्मों के लोग एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती प्रत्येक वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। हनुमान भक्तों के लिए ये दिन अत्यन्त ख़ास होता है। हनुमान जी को कलियुग का देवता कहा जाता है। ये शिव जी के 11 वें अवतार माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है की हनुमान जी अपने भक्तों से अति शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। इन्हें संकटमोचन, महाबली, पवनसुत, अंजनी पुत्र, मारुती तथा शिव का अवतार होने के साथ साथ रूद्र तथा बजरंगबली जैसे अनेक नामों से भी जाना जाता है।

Hanuman Jayanti in Hindi: कब है हनुमान जयंती?

इस वर्ष हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। हनुमान जी को राम जी का परम भक्त माना जाता है। 

Hanuman Jayanti पर जानिए हनुमान जी के जन्म की घटना          

पूंजीक स्थला नाम की एक सुन्दरी इंद्र के लोक की अप्सरा थी वो अत्यंत हीं चंचल प्रवृति की थी एक दिन वो वन विहार पर निकली जहाँ एक ऋषि तपस्या कर रहे थे, पूंजीक स्थला ने ऋषि को एक फल फेंक कर मारा और पेड़ की ओट में वहीँ छिप गई। तभी ऋषि का ध्यान भंग हुआ और वो क्रोधित हो गए। पूंजीक स्थला ने ऋषि को क्रोधित देख कहा मुझे दूर से प्रतीत हुआ की कोई बन्दर पेड़ के नीचे बैठा है, ऋषि ने इतना सुनते ही कुपित होते हुए उसे वानर योनी में जाने का श्राप दिया।

Hanuman Jayanti in Hindi: अप्सरा ने ये बात जाकर इंद्र देव को बताई तब इंद्र ने उसे बताया कि इस श्राप को भोगने के लिए तुम्हें मृत्युलोक जाना होगा। वहां तुम्हारे गर्भ से शिव के 11वें  अवतार का जन्म होगा। पूंजीक स्थला को मृत्युलोक में एक वानरराज केसरी से प्रेम हो जाता है दोनों विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। विवाह के बहुत दिन बीतने पर जब उन्हें संतान प्राप्ति नहीं हुई तो एक ऋषि के सलाह से नारायण पर्वत पर तपस्या करने पर पवन देव ने एक तेजस्वी पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया, फिर शिव की आराधना करने से शिव के 11वें अवतार को  जन्म देने का वरदान प्राप्त हुआ।

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पूर्ण परमात्मा मुनींद्र ऋषि के रूप में हनुमान जी को मिले 

रामायण की कथा से आप सभी भली भाति परिचित है | सीता जी की खोज के दौरान जब घायल जटायु नामक पक्षी से रावण द्वारा सीता के हरण का पता चला तो लंका की दिशा में राम जी ने अपने सबसे विश्वासी सेवक हनुमान को भेजा। जब हनुमान जी समंदर पारकर लंका में पहुंचे तब वे एक सूक्ष्म रूप धारण करके जिस पेड़ के नीचे सीता जी बैठी थी वहां जा बैठे। हनुमान जी उन्हें पेड़ पर से देख रहे थे उन्हें समझते देर नहीं लगी कि यही माता सीता हैं, उन्होंने सीता माता से बात की और बताया कि भगवान राम उनको लेने आयेंगे। हनुमान जी ने सीता जी को भगवान राम की अंगूठी दी और उनसे निशानी के रूप में कंगन लेकर चले गए।

Read in English | Hanuman Jayanti: Who Was The Real Guru Of Hanuman Ji?

Hanuman Jayanti in Hindi: स्पेशल: लंका से निकलने के पश्चात हनुमान जी रास्ते में बहुत दूर चलने के बाद एक सरोवर के किनारे रुककर स्नान करने लगते हैं। सीता द्वारा दिया गया कंगन वहीँ सरोवर के किनारे रखा हुआ था और उनकी नजर उस कंगन पर ऐसे थी जैसे सांप की नजर सुबह ओस पीते समय उसकी मणि पर होती है तभी कहीं से एक बन्दर आया और कंगन उठा कर भागने लगा तभी हनुमान जी को लगा कहीं ये बन्दर इस कंगन को सरोवर में ना फेक दे हनुमान जी उसके पीछे पीछे भागने लगे तभी वो एक कुटिया में चला गया और वहां ऊपर रखे एक घड़े में कंगन को डाल कर भाग गया। हनुमान जी ने राहत की साँस ली। 

जैसे ही हनुमान जी ने घड़े में झाँक कर देखा उसमे बहुत सारे वैसे ही कंगन मिले। हनुमान जी सोच में पड़ गए कि इनमें से उनके द्वारा लाया गया कंगन कौन सा है तभी कुछ दूरी पर एक ऋषि को उन्होंने देखा उनसे जाकर प्रार्थना की और सारी बातें बताई और कंगन खोजने के लिए मदद मांगी। तभी ऋषि ने कहा उनमे से कोई भी कंगन ले लो सब एक जैसे ही हैं और ऋषि ने हनुमान जी को बताया कि 30 करोड़ बार राम जी का अवतार हो चुका है और हर बार ये घटना घटती है।

उन्होंने हनुमान जी को बताया कि आप और आपके प्रभु श्रीराम सभी काल के जाल में हैं। पूर्ण परमात्मा की भक्ति से ही इस काल के जाल से निकला जा सकता है, हनुमान जी ने उनकी बातों को अनसुना करते हुए कहा कि अभी सीता माता को रावण के चंगुल से छुड़ाना है। इन सब बातों के लिए अभी समय नहीं है ऋषि जी फिर कभी आपका ये ज्ञान सुन लूंगा अभी थोड़ा जल्दी में हूँ इतना कहकर हनुमान जी वहां से चले गए।

Hanuman Jayanti in Hindi: सीता जी द्वारा हनुमान जी का अपमान

राम-रावण युद्ध के पश्चात जब सीता को लेकर सभी अयोध्या लौटे, वहां उत्सव के संपन्न होने के बाद सीता जी ने अपना सबसे प्रिय मोती का हार हनुमान जी को दिया हनुमान जी सारे मोतियों को तोड़ तोड़ कर देखने लगते हैं तभी सीता जी ने कहा बन्दर तो बन्दर ही होते हैं इतना कीमती हार बर्बाद कर दिया। बंदरों का राज महलों में क्या काम। हनुमान जी ने इतना सुनते ही दुखी मन से कहा मैं तो इसमें प्रभु श्री राम का नाम ढूँढ रहा था बिना उनके इस मोती के हार का मेरे लिए क्या मोल। इतना कह वह राजमहल से निकलकर जंगल की तरफ चले गए। गरीबदास जी ने अपनी वाणी में परमेश्वर कबीर के बारे में कहते हैं कि जब कोई परमात्मा की आत्मा को दुखी करता है तो उनको दुख होता है। वह अपनी वाणी में कहते है:-

कबीर, कह मेरे हंस को, दुःख ना दीजे कोय।

संत दुःखाए मैं दुःखी, मेरा आपा भी दुःखी होय।।

मुनीन्द्र ऋषि के रूप में परमात्मा का दूसरी बार मिलना

वहाँ से निकलकर हनुमान जी पर्वत पर जा अकेले दुखी मन से बैठे हुए थे तभी वहां परमात्मा एक बार फिर मुनीन्द्र ऋषि के रूप में आयें जो कंगन की खोज के समय कुटिया में मिलें थें। हनुमान जी ने तुरंत पहचान लिया कि ये तो वही ऋषि जी है। हनुमान जी ने कहा आओ ऋषि जी बैठो कैसे आना हुआ। मुनीन्द्र ऋषि ने एक बार फिर कहा भक्ति कर लो भगत जी भगवान ही सुख दुःख का रखवाला है तभी हनुमान जी ने कहा अभी भगवान दशरथ पुत्र के रूप में यहीं अयोध्या में आये हुए हैं तब मुनीन्द्र ऋषि जी ने कहा जब वो भगवान हैं तो आप उन्हे क्यों छोड़ आये। तब मुनीन्द्र ऋषि ने कहा कि ये तो तीन लोक के देवता हैं असली राम तो कोई और हैं, किसी का भला करने पर इस दुनिया वालों की इतनी सामर्थ्य नहीं है कि वो किसी को कुछ देंगे। पूर्ण परमात्मा की सद्भक्ति करने पर वह इन अच्छे कर्मों का फल दे सकते हैं।

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इसके इलावा ऋषि जी ने हनुमान जी को पूर्ण तोर से अपने ज्ञान से संतुष्ट करने की कोशिश की उन्होंने हनुमान जी से कुछ प्रश्न पूछे जैसे कि:-

  • जब आप राम जी और उनकी सेना के साथ सीता जी को ढूंढने जा रहे थे तो रास्ते में जब आपको साँपों ने बांध दिया था तब भगवान राम क्यों खुद को और सेना को मुक्त नहीं करवा पाए? उनकी बात सुनकर भगवान हनुमान जी को वो घटना याद आ गई और उनके मन में भी यह बात खटकी। 

काटे बंधत विपत में, कठिन कियो संग्राम।

चिन्हो रे नर प्राणियो, गरूड़ बड़ो के राम।।

  • उसके बाद उन्होंने कहा जब समुंदर पर पुल बन रहा था तो पुल क्यों नहीं बन पाया तुम्हारे भगवान राम से? लेकिन इस पर हनुमान जी ने कहा भगवान राम जी ने भेस बदलकर ऋषि के रूप में समुद्र पर पुल बनाया था। इस पर मुनीन्द्र ऋषि ने कहा अगस्त ऋषि ने सातों समंदर पी लिए थे फिर इनमें से कौन समर्थ भगवान है? उनके इतना बोलते ही हनुमान जी को पुल बनाने की पूरी घटना याद आ गई कि कैसे मुनींद्र ऋषि ने पुल बनाया था। 

समन्दर पाटि लंका गयो, सीता को भरतार।

अगस्त ऋषि सातों पीये, इनमें कौन करतार।।

  • उसके बाद उन्होंने हनुमान जी से पूछा कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश को आप अविनाशी मानते हो तो विष्णु अवतार राम जी धरती पर माँ की कोख से जन्म लेकर आये हैं इस विषय में क्या कहोगे? ऋषि जी ने जब यह बात कही हनुमान जी को यकीन हो गया कि यह पक्का परमात्मा के विषय में जानते हैं।

ऋषि जी ने दिव्य दृष्टि दे कर हनुमान जी को ब्रह्मा विष्णु और शिव जी से भी ऊपर के लोक के दर्शन वहां बैठे कराएं। तब हनुमान जी को विश्वास हुआ और उन्होंने मुनीन्द्र ऋषि जी से दीक्षा प्राप्त कर पूर्ण परमात्मा की भक्ति शुरू की।           

Hanuman Jayanti in Hindi: हनुमान जयंती पर जानिए कौन थे मुनीन्द्र ऋषि? 

अब आप सोच रहे होंगे कि मुनीन्द्र ऋषि कौन थे जिनके विषय में चर्चा हो रही है, यह कोई और नहीं बल्कि इनके रूप में खुद पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब आये थे। भगवान कबीर साहेब जी सिर्फ त्रेता युग में ही नहीं बल्कि चारों युगों में आते हैं, वो यथार्थ ज्ञान देकर सही रास्ता दिखाते हैं। अगर ग्रंथो की माने तो परमात्मा की तीन प्रकार की स्थिति है पहली स्थिति में वो ऊपर सतलोक में विराजमान रहते है, दूसरी स्थिति में वो जिंदा महात्मा के रूप अपने भक्तों को मिलते है और तीसरी स्थिति में वो प्रकट होकर धरती पर रहते है और वे कुंवारी गाय का दूध पीकर बड़े होने की लीला करते है। वो प्रभु कोई और नहीं बल्कि कबीर साहेब हैं जो चारों युगों में आते हैं।

संत गरीबदास जी अपनी वाणी में कहते हैं:-

सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा।

द्वापर में करूणामय कहलाया, कलियुग में नाम कबीर धराया।।

आज वह भक्ति जो हनुमान जी को मिली उसी भक्ति का प्रचार प्रसार संत रामपाल जी महाराज कर रहे है। अगर आप भी मोक्ष प्राप्त करवाना चाहते है तो जल्द से जल्द संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा ग्रहण करे।

Content Source: SA News Channel

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