करवा चौथ 2024 (Happy Karva Chauth in Hindi): करवा चौथ भारत में अब बहुतायत में विवाहिताओं द्वारा किया जाने वाला व्रत बन चुका है। करवाचौथ में लोकवेद के अनुसार यानी सुनी सुनाई पद्धति पर रखे जा रहे इस व्रत में सजना सँवरना और दिन भर व्रत रहकर कुछ निर्धारित परंपरा के साथ व्रत खोला जाता है। इस करवाचौथ पर हम जानेंगे कि क्या यह व्रत शास्त्रों के अनुसार सही है? जानिए करवाचौथ व्रत की तिथि, विधि, हर सुहागन स्त्री की कामना, कैसे बढ़ाएं आयु, मानव जीवन का मूल उद्देश्य और अटल सुहाग, शास्त्र विरूद्ध भक्ति के दलदल से निकलने के मार्ग के बारे में।
करवा चौथ तिथि (Karwa Chauth 2024 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष करवा चौथ का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग गणना के अनुसार इस बार करवा चौथ की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को है।
करवा चौथ पर छलनी से क्यों देखते हैं चांद
मन को शीतलता पहुंचाने वाले, सौम्य स्वभाव वाले, सभी मंत्रों एवं औषधियों के स्वामी चंद्रमा होते हैं। चांद में सुंदरता, सहनशीलता, प्रसिद्धि और प्रेम जैसे सभी गुण पाए जाते हैं। इसलिए सुहागिन महिलाएं छलनी से पहले चांद देखती हैं फिर अपने पति का चेहरा। वह चांद को देखकर यह कामना करती हैं कि उनके पति में भी यह सभी गुण आ जाएं।
क्या करवा चौथ व्रत (Happy Karva Chauth [Hindi] Vrat) का शास्त्रों में प्रमाण है?
Karwa Chauth (Hindi) करवा चौथ 2024: किसी भी तरह का व्रत जो किसी भी इच्छा से रखा जाए, वर्जित है। शास्त्रों में भक्ति योग को यथायोग्य खाने, सोने एवं जागने पर सफल बताया है। सीधा अर्थ है व्रत, जागरण वर्जित क्रियाएँ हैं।
- गीता अध्याय-6 श्लोक-16 के अनुसार
न, अति, अश्नतः, तु, योगः, अस्ति, न, च, एकान्तम्, अनश्नतः,
कन, च, अति, स्वप्नशीलस्य, जाग्रतः, न, एव, च, अर्जुन ॥
हे अर्जुन! (यह) योग न तो बहुत खाने वाले का और न बिलकुल न खाने वाले का तथा न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न (सदा) जागने वाले का सिद्ध होता है। वहीं गीता अध्याय 6 के श्लोक 16 में पुनः कहा है कि भक्तियोग यथायोग्य आहार-विहार, शयन करने वाले का ही सिद्ध होता है। फिर ये क्रियाएँ जो आज मानव समाज कर रहा है ये गर्त में गिरने का कार्य है। ये क्रियाएँ आदरणीय सन्त गरीबदास जी महाराज ने भी वर्जित बताई हैं। करवाचौथ के विषय में वे कहते हैं-
तीरथ व्रत करै जो प्रानी, तिनकी छूटत है नहीं खानी।
चौदश नौमी द्वादश बरतं, जिनसे जम जौरा नहीं डरत।।
करें एकादशी संजम सोई, करवा चौथ गदहरी होई।
आठ सातैं करें कंदूरी, नीच चूहरे के घर सूरी।।
कहे जो करूवा चौथि कहांनी, तास गदहरी निश्चय जानी।
दुर्गा देवी भैरव भूता, राति जगावै होय जो पूता ।।
करै कढाही लपसी नारी, बूढैबंश ताहि घरबारी । दुर्गाध्यान परै तिस बगरं, ता संगति बूड़ै सब नगरं ।।
क्या अमर हुआ जा सकता है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 27
जातस्य, हि, ध्रुवः, मृत्युः, ध्रुवम्, जन्म, मृतस्य, च, तस्मात्, अपरिहार्ये, अर्थे, न, त्वम्, शोचितुम्, अर्हसि।।
गीतज्ञान दाता अर्जुन से कहता है कि क्योंकि तेरी मान्यता के अनुसार जन्मे हुए की मृत्यु और मरे हुए का जन्म निश्चित है। इस बिना उपाय वाले विषय में तू शोक करने के योग्य नहीं है। इस श्लोक में प्रमाण है कि कोई भी सदा नहीं रहता। एक चक्र के अनुसार आत्मा विभिन्न योनियों में चक्कर काटती रहती है।
करवा चौथ 2024 (Happy Karva Chauth in Hindi): अपितु जन्म मृत्यु के बंधन से छूटने का निरंतर प्रयास करना चाहिए। जन्म और मृत्यु केवल पूर्ण परमात्मा के हाथ में है इसे तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी बढ़ा और घटा नहीं सकते। तैंतीस करोड़ देवी-देवता जिनमें ब्रह्मा-सावित्री, विष्णु- लक्ष्मी, शिव-पार्वती,काल (विभिन्न रूपों में), दुर्गा (अन्य रूपों में) तथा अन्य देवतागण केवल काल और दुर्गा की कठपुतली मात्र हैं। इन दोनों ने ही यहां सभी को गलत पूजा में लगाकर पूर्ण परमात्मा के बारे में भ्रमित करके रखा हुआ है।
Karwa Chauth 2024 (Hindi): मनमानी पूजा दलदल में धँसने के समान
Karwa Chauth (Hindi): किसी भी तरह का व्रत, पाखण्ड पूजा और शास्त्र विरूद्ध भक्ति साधना, दलदल में फंसे हुए व्यक्ति के उन कदमों की तरह है जो दलदल में कदम तो बढ़ाता रहता है और सोचता है कि मैं आगे बढ़ रहा हूं पर खड़ा वहीं का वहीं रहता है और अंत में दलदल की उसी जगह पर धंस कर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है और फिर अगले जन्मों में दुर्गति को प्राप्त होता है।
क्या है करवाचौथ कथा का यथार्थ?
करवा चौथ 2024 (Happy Karwa Chauth in Hindi): करवा चौथ की मनमानी कथा की सच्चाई को खंगालने पर यह ज्ञात हुआ कि ऐसी कोई कथा हमारे धार्मिक ग्रंथों जैसे कि पवित्र गीता जी और पवित्र पांचों वेदों में कहीं लिखी ही नहीं हुई है। करवा चौथ मनमानी पूजा और व्रत है। इसे इस तरह से समझें कि एक पिता की पुत्री का विवाह हुआ। विवाह पश्चात पुत्री ने देखा-देखी वश अपने सुहाग की लंबी आयु की कामनावश पूरे दिन अन्न-जल का त्याग कर अपने ही पिता से पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। पिता के लिए जितनी महत्वपूर्ण बेटी की आयु है उतनी ही पुत्र की आयु भी होती है।
Happy Karva Chauth [Hindi] | अर्थात कहने का भाव यह है की शिव-पार्वती और चंद्रमा देवता को ईश और पूर्ण मानकर उनसे ऐसी प्रार्थना करना समाज की मूर्खतापूर्ण मानसिकता का परिचायक है। सच तो यह है कि पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक, नरक लोक और पाताल लोक के सभी प्राणी जीवन मृत्यु में हैं। केवल सतलोक ही अमर लोक है जहां जाने के बाद प्राणी कभी लौट कर जन्म मृत्यु में नहीं गिरता और सतलोक की कामना करने वाले शास्त्र विरूद्ध नहीं शास्त्र आधारित भक्ति मार्ग पर चलते हैं। व्रत रखना मतलब भूखे-प्यासे रह कर अपनी ज़िद परमात्मा से मनवाने की कोशिश करना शास्त्रविरुद्ध पूजाएं हैं। ऐसे हम सुखी कैसे हो सकते हैं? इसलिए हे भोले मानव ! तनिक विचार करो कि हम क्या कर रहे हैं और हमें करना क्या चाहिए था! हम पुरानी रीति रिवाजों को यदि मानते रहेंगे तो हम परमात्मा से मिलने वाले लाभ से वंचित रह जाएंगे।
Karwa Chauth 2024 (Hindi): करवा चौथ की कथा पढ़ने और सुनने से गधी की योनि!
इसका प्रमाण आप गरीबदास जी महाराज जी की वाणी में पढ़ सकते है। गरीबदास जी महाराज जी समझाते हैं की शास्त्रानुकूल भक्ति को छोड़ कर यदि कोई अन्य पूजा करते हैं तो वह ठीक नहीं हैं और जो अन्य पूजाएं करता है वो नरक में जाएगा। वो चाहे पुरुष हो या स्त्री। जो करवा चौथ का व्रत रखते हैं और जो उन्हें कहानी सुनाते हैं काल उनकी चोटी पकड़ कर ले जाएगा और गधे की योनि में डालेगा। करवा चौथ रखने वाली स्त्री और कथा सुनाने वाले दोनों नरक के साथ गधे की योनि में जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि यह व्रत करना परमात्मा की इच्छा के विरुद्ध है।
जो कार्य परमात्मा के विधान के विरुद्ध हो वह यदि हम करते हैं तो सदा दुःखी रहते हैं। फिर न तो पति की आयु बढ़ती है और न ही हमारी इसलिए सद्भक्ति की तरफ कदम बढ़ाना ही हितकारी है। गीता अध्याय 3 श्लोक 12 के अनुसार जो शास्त्रानुकूल यज्ञ -हवन आदि (पूर्ण गुरु के माध्यम से ) नहीं करते हैं वे पापी और चोर प्राणी हैं ।
ऐसे बढ़ेगी पति की आयु
पति की या पुत्र की या स्वयं अपनी, इस पृथ्वी पर किसी की भी आयु उसके भाग्य में लिखी आयु से अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती। केवल पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब ही सत्यभक्ति करने वाले साधक की आयु बढ़ाने का सामर्थ्य रखते हैं। जो भी साधक पूर्ण तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर सत्यभक्ति करता है उसे इस लोक के सभी आवश्यक सुख एवं सुविधाएं प्राप्त होते हैं। भाग्य में आयु न होने पर भी परमात्मा आयु बढ़ा देते हैं।
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साधक सत्यभक्ति करते हुए आर्थिक लाभ, स्वास्थ्य लाभ, मानसिक लाभ एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करता है। पूर्ण तत्वदर्शी सन्त से नामदीक्षा लेकर भक्ति करने काले साधक को पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है अर्थात इस संसार के जन्म मरण से छुटकारा प्राप्त होता है जिसके पश्चात वह सतलोक में सदा के लिए अमर हो जाता है और पृथ्वी के रोग, शोक, जन्म, मृत्यु, अवसाद, दुख, जरा, मृत्यु आदि से छुटकारा पा लेता है।
Happy Karva Chauth [Hindi]: करवा चौथ पर जानिए मानव जीवन का मूल उद्देश्य?
मानव जन्म केवल ईश्वर भक्ति व उनके नाम का सुमरण कर मोक्ष प्राप्त करने हेतु मिलता है। यह मानव जन्म बार बार नहीं मिलता है। परमात्मा दयालु हैं वह दया कर हमें यह मानव जन्म प्रदान करते हैं। हमें मानव जीवन के मुख्य कार्य को वेदों- पुराणों के अनुसार पूर्ण करने का प्रयास करना चाहिए। इसके बाद वह परमात्मा हमें अपने आप पूर्ण लाभ प्रदान करना आरंभ कर देते हैं।
परमात्मा सदभक्ति करने वाले भक्तों पर पूर्ण रूप से दया बनाए रखते हैं। परमात्मा की भक्ति व उनके मूल नामों का जाप-सुमिरन हमारे पापों का नाश कर हमें पवित्र करता है। हम व्रत या अन्य शास्त्रों के विरुद्ध पूजाएं कर पापों का नाश नहीं कर सकते हैं और न ही भूखे-प्यासे रहकर परमात्मा से कोई लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए हमें समय रहते ऐसी पूजाएं त्याग देना चाहिए जो शास्त्रविरुद्ध हैं।
अन्य प्रमाण जिन्हें पढ़ कर शास्त्र आधारित सद्भक्ति से मिलने वाले सर्व लाभ हम जान सकते हैं:
- पवित्र यजुर्वेद अध्याय 8 के मंत्र 13 में लिखा है कि परमात्मा अपने सच्चे भक्त के सारे पाप नष्ट कर उसे पाप रहित कर देता है ।
- सामवेद संख्या न. 822 अध्याय 3 खंड न. 5 श्लोक न. 8 में प्रमाण है कि वह पूर्ण परमात्मा सच्चे भक्त की यदि मृत्यु निकट है तो उसकी आयु में वृद्धि कर उसकी उम्र बड़ा देता है।
प्रिय पाठकजन अपना समय बर्बाद न करें सद्भक्ति की तरफ बढ़ाने से ही मानव जीवन सफल हो सकता है। तत्वज्ञान को जानने के लिए तत्वदर्शी संत की खोज करनी चाहिए (गीता अध्यय 4:34)। हम यहां काल के जाल में फंसे है और अपने निज घर को भूल चुके हैं। इस काल की जेल को अपना घर मान बैठे हैं। भिन्न भिन्न प्रकार के शरीरों में कष्ट भोग कर एक मनुष्य जीवन मिला है उसे बर्बाद ना करे। अभी समय रहते जाग जाए। इस शरीर से परमात्मा को पहचान कर, सतभक्ति से परमात्मा को पाने का प्रयास करे। सभी आत्माओं का अटल सुहाग केवल कबीर परमेश्वर हैं । शास्त्र अनुकूल भक्ति करने के लिए संत रामपाल जी महाराज जी से आज ही जुड़ें।