Kargil Vijay Diwas 2024 [Hindi]: क्यों मनाया जाता है कारगिल विजय दिवस क्या है इसका इतिहास?

Kargil Vijay Diwas in Hindi कारगिल विजय दिवस के इतिहास की गाथा

Kargil Vijay Diwas in Hindi: मई-जुलाई 1999 के बीच जम्मू-कश्मीर के करगिल जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) पर लड़ा गया था, जिसमें भारत को जीत मिली थी। यह दिन करगिल युद्ध के उन शहीद जवानों को समर्पित है, जिन्होंने अपनी शहादत देकर पाकिस्तान से अपनी जमीन वापस ली थी।

Kargil Vijay Diwas in Hindi: 527 भारतीय जवानों ने दिया था बलिदान

करगिल युद्ध के दौरान 527 भारतीय जवान शहीद हुए थे। शिमला समझौते के तहत दोनो देश ठंड के समय अग्रिम चौकियों से अपने सैनिकों को हटा लेते हैं, लेकिन पाकिस्तान ने इस समझौते का गलत फायदा उठाते हुए भारत के इलाकों पर कब्जा कर लिया। जिसका पता लगने पर भारतीय सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई की थी।

कब हुआ था करगिल युद्ध

Kargil Vijay Diwas in Hindi | भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल का युद्ध (Kargil War) करीब 2 महीने चला था। ये युद्ध साल 1999 में लड़ा गया था, जिसमें भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह पटखनी दी थी। भारत ने पाकिस्तानी सैनिकों को थर-थर कांपने पर मजबूर कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान दुम दबाकर भाग खड़ा हुआ था। भारत ने उन सभी पोस्टों को हासिल कर लिया था, जिन्हें पाकिस्तान ने धोखे से कब्जा किया था।

ऊंचाई पर छिपी थी धोखेबाज पाकिस्तानी सेना

पाकिस्तानी सेना का मुख्य उद्देश्य लद्दाख और कश्मीर के बीच संबंध तोड़ना और भारतीय सीमा पर तनाव पैदा करना था। घुसपैठिए पहाड़ की चोटी पर बैठे थे जबकि भारतीय ढलान पर थे और इसलिए उनके लिए हमला करना आसान और हमारे लिए उतना ही मुश्किल था। 3 मई 1999 को पाकिस्तान ने यह युद्ध तब शुरू किया जब उसने लगभग 5000 सैनिकों के साथ कब्जा शुरू कर लिया था। विश्वासघातियों को सबक सिखाने के लिए ही ऑपरेशन विजय चलाया गया।

Kargil Vijay Diwas in Hindi | ऐसा जीता गया था टाइगर हिल

इस युद्ध में बड़ी संख्या में रॉकेट और बमों का प्रयोग किया गया था। करीब दो लाख पचास हजार गोले, बम और रॉकेट दागे गए। लगभग 5000 तोपखाने के गोले, मोर्टार बम और रॉकेट 300 बंदूकें, मोर्टार और एमबीआरएल से प्रतिदिन दागे जाते थे, जबकि 9000 गोले उस दिन दागे गए थे, जिस दिन टाइगर हिल को वापस लाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह एकमात्र युद्ध था जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। अंत में, भारत ने एक जीत हासिल की।

आज शहीदों को याद करने का दिन

आज शहीदों को याद करने का दिन है. 23 साल पहले आज ही के दिन भारतीय सेना के शूरवीरों ने करगिल की चोटियों पर धोखे से घुसे आतंकियों के भेष में पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था. इस मौके पर कारगिल के द्रास में वो वीर सैनिक जमा हुए जहां पर उन्होंने करीब दो महीने तक जंग लड़ी थी.

Kargil Vijay Diwas in Hindi | कारगिल युद्ध का कारण

ये लड़ाई जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में साल 1999 में मई से जुलाई के बीच हुई थी.पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी दिए बिना तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ करवाई थी.अक्टूबर 1998 में उस समय के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने करगिल प्लान को मंजूरी दी थी. कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा कर लिया था. नियंत्रण रेखा के जरिये घुसपैठ करने की साजिश थी. भारतीय नियंत्रण रेखा (एलओसी) से पाकिस्तानी सैनिकों को हटाने के लिए ये युद्ध हुआ.

भारतीय सेना द्वारा भारी मात्रा में रॉकेट और बमों का प्रयोग

इस युद्ध में भाड़ी मात्रा में रॉकेट और बमों का प्रयोग किया गया था। करीब दो लाख पचास हजार गोले, बम और रॉकेट दागे गए थे। करीब 5 हजार तोपखाने के गोले, मोर्टार बम और रॉकेट 300 बंदूकें, मोर्टार और एमबीआरएल से प्रतिदिन दागे जाते थे. जिस दिन टाइगर हिल को वापस लाया गया था उस दिन  9 हजारगोले दागे गए थे.ऐसा कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह एकमात्र युद्ध था जिसमें दुश्मन सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी। अंत में, भारत ने एक जीत हासिल की।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने करगिल विजय दिवस पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि करगिल विजय दिवस हमारे सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता, पराक्रम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वीर सैनिकों को मैं नमन करती हूं। सभी देशवासी, उनके और उनके परिवारजनों के प्रति सदैव ऋणी रहेंगे.  जय हिन्द!

चोटी पर लहराया भारत का झंडा

Kargil Vijay Diwas in Hindi | दुश्मन मिडिल मशीन गन (एमएमजी) से ऊपर से गोलियां बरसा रहा था. चौकी को वापस लेने के संकल्प के साथ भगवान राम का जयकारा लगाते हुए उन्होंने अपने साथी जवानों को अपने पीछे आने के निर्देश देते हुए खुद आगे बढ़े और फायरिंग करते हुए चौकी तक जा पहुंचे. वे सबसे आगे थे. दुश्मन की एमएमजी गन की गोलियां खत्म हुईं तो दुश्मनों ने बंदूकों से फायर किया. इस दौरान सुल्तान सिंह नरवरिया के कुछ साथी जवान शहीद हो चुके थे. उनको भी कई गोलियां लग चुकी थीं, लेकिन 8 से 10 दुश्मनों को ढेर करते हुए उन्होंने टास्क पूरा किया और तोलोलिंग चोटी पर भारत का झंडा लहरा दिया.

Kargil Vijay Diwas in Hindi | ये जवान भी हुए थे शहीद

भिंड के ही लांस नायक करन सिंह, ग्रेनेडियर दिनेश सिंह भदौरिया भी करगिल में शहीद हो गए थे. उनको भी मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया था. दिनेश सिंह भदोरिया करगिल युद्ध की ऑपरेशन विजय में भी शामिल हुए और अदम्य साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे किए थे. बाद में 31 जुलाई 2000 को कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानियों के घुसपैठ के दौरान हुई मुठभेड़ में दिनेश सिंह भदौरिया की भी शहादत हो गई थी. दिनेश सिंह भदोरिया की शहादत के किस्से आज भी लोग बहादुरी से सुनाते हैं.

कारगिल युद्ध के तथ्य: Kargil Vijay Diwas Facts In Hindi

  • कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 जवानों की शहादत और 1363 जवान घायल हुए थे।
  • कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के 3 हजार से ज्यादा सैनिक मारे गए थे।
  • कारगिल युद्ध से पहले पाकिस्तानी जनरल परवेज मुशर्रफ ने भारतीय सीमा (LOC) में आकर रात गुजारी थी।

भारतीय वायुसेना ने मिग-27 का किया था इस्तेमाल

भारतीय वायुसेना ने करगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए पाक सैनिकों के खिलाफ मिग-27 का इस्तेमाल किया था। मिग-27 की मदद से इस युद्ध में उन जगहों पर बम गिराए गए जहां पाक सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था। इस विमान से पाक के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलें दागी गईं थीं।

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