13 जून 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने एक ऐसा दिन देखा जिसे निवेशक लंबे समय तक भूल नहीं पाएंगे। शुरुआती कारोबार से ही बाजार में हाहाकार मच गया। सेंसेक्स में 1,200 अंकों तक की तेज गिरावट और निफ्टी का 24,500 के नीचे जाना, देश के वित्तीय इतिहास में एक और ‘ब्लैक डे’ की कहानी लिख गया।
दिनभर चली बिकवाली की लहर ने निवेशकों के 3.8 लाख करोड़ रुपये डुबो दिए। घरेलू और वैश्विक कारकों के चलते बाजार में मची इस अफरातफरी ने हर वर्ग के निवेशक को सोचने पर मजबूर कर दिया। आइए, जानते हैं कि इस बड़ी गिरावट की वजहें क्या रहीं और निवेशकों को आगे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट: मुख्य बिंदु
- इन प्रमुख कारणों से आई गिरावट
- सेंसेक्स-निफ्टी में बड़ी गिरावट, दिनभर के उतार-चढ़ाव के बाद भारी नुकसान
- बाजार में हाहाकार: इन सेक्टर्स में सबसे बड़ी गिरावट, निवेशकों के उड़े होश
- 6 महीने के निचले स्तर पर बाजार, निवेशकों को ₹3.8 लाख करोड़ का झटका
- मिडिल ईस्ट तनाव से बाजार में हलचल: किन सेक्टरों में करें निवेश, एक्सपर्ट्स की राय
- बाजार में गिरावट के बीच निवेशकों के लिए बचाव की 5 अहम रणनीतियां
- क्रूड स्थिर तो बाजार मजबूत: जानिए निफ्टी-सेंसेक्स के सपोर्ट ज़ोन
- शेयर बाजार का ऐतिहासिक संकट: 13 जून 2025 का विश्लेषण और आगे की राह
- जब बाजार डगमगाए तो आत्मा को थामें: ये पवित्र पुस्तकें देंगी सच्ची स्थिरता
गिरावट की 5 बड़ी वजहें
- मिडिल ईस्ट में बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव:-
इजराइल और ईरान के बीच जारी तनाव ने वैश्विक बाजारों में डर का माहौल बना दिया है। सीमा पर सैनिकों की तैनाती, ड्रोन हमले और मिसाइल हमलों की खबरों ने युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। इसका सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ा, क्योंकि वैश्विक अस्थिरता के दौर में निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख करते हैं।
प्रभाव:
- कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
- विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयरों में बिकवाली
- निवेशकों में भय का माहौल
- कच्चे तेल की कीमतों में उछाल:-
13 जून को ब्रेंट क्रूड की कीमत 13% बढ़कर 107 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। भारत अपनी तेल जरूरत का करीब 85% आयात करता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से देश का वर्तमान खाता घाटा (CAD) बढ़ेगा और रुपये पर दबाव आएगा। साथ ही, महंगाई में इजाफा और पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की आशंका से भी बाजार कमजोर हुआ।
विश्लेषण: महंगे तेल से भारत की आर्थिक स्थिरता प्रभावित होती है। इससे औद्योगिक लागत बढ़ती है और महंगाई दर काबू में रखना मुश्किल हो जाता है। यही वजह रही कि निवेशकों ने तेजी से मुनाफा वसूली शुरू कर दी।
- विदेशी निवेशकों की तगड़ी बिकवाली
Foreign Institutional Investors (FII) ने 13 जून को भारतीय शेयर बाजारों से 5,200 करोड़ रुपये की निकासी की। क्रूड की कीमतों में उछाल, वैश्विक अनिश्चितता और अमेरिकी डॉलर में मजबूती के चलते एफआईआई ने बिकवाली बढ़ाई। निवेशकों ने डॉलर और सोने जैसे सुरक्षित विकल्पों में पैसा लगाना ज्यादा मुनासिब समझा।
प्रभाव:
- बाजार में बिकवाली बढ़ी
- रुपया कमजोर हुआ
- विदेशी पूंजी का बहिर्गमन
- महंगाई दर में संभावित बढ़ोतरी:-
कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का सीधा असर देश की महंगाई दर पर पड़ने वाला है। पेट्रोल, डीजल, गैस और रोजमर्रा की वस्तुएं महंगी होने की संभावना है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर स्थिति यूं ही बनी रही तो महंगाई दर 6% के पार जा सकती है। इससे RBI पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव आएगा, जिससे कर्ज महंगे होंगे और व्यापारिक गतिविधियों में सुस्ती आएगी।
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व का सख्त रुख:-
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है कि आगामी तिमाही में ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोतरी संभव है। इससे डॉलर मजबूत होगा और उभरते बाजारों से पैसा निकलने का डर रहेगा। भारतीय बाजार पर इसका नकारात्मक असर पड़ा और निवेशकों ने जोखिम उठाने से किनारा कर लिया।
सेंसेक्स-निफ्टी का हाल
सूचकांक गिरावट (अंक में) अंतिम स्तर
सेंसेक्स। -573 78,125
निफ्टी 50 -415 24,493
दिनभर में सेंसेक्स 1,200 अंक तक टूटा था, हालांकि कारोबारी सत्र के आखिर में कुछ रिकवरी आई, लेकिन गिरावट भारी बनी रही।
कौन-से सेक्टर्स सबसे ज्यादा टूटे?
- बैंकिंग और फाइनेंस: HDFC Bank, ICICI Bank में 3% तक गिरावट
- आईटी: TCS, Infosys जैसे दिग्गज 2% तक गिरे
- ऑयल एंड गैस: Reliance, ONGC में जबरदस्त बिकवाली
FMCG और ऑटो सेक्टर में भी दबाव बना रहा।
निवेशकों की संपत्ति में ₹3.8 लाख करोड़ की सेंध
बीएसई का कुल बाजार पूंजीकरण ₹3.98 लाख करोड़ घटकर 6 महीने के निचले स्तर पर आ गया। इतनी बड़ी गिरावट ने निवेशकों के भरोसे को झटका दिया है। बाजार में डर और अनिश्चितता का माहौल साफ नजर आया।
विशेषज्ञों की राय
- दीपक जैन, रिसर्च हेड, HDFC Securities
“मिडिल ईस्ट का तनाव और क्रूड की बढ़ती कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा हैं। इससे व्यापार घाटा, रुपये पर दबाव और महंगाई तीनों बढ़ेंगे।”
- कोटक सिक्योरिटीज
“फेड की सख्ती और भू-राजनीतिक तनाव को देखते हुए निवेशकों को डिफेंसिव स्टॉक्स जैसे FMCG, फार्मा में निवेश बनाए रखना चाहिए।”
निवेशकों के लिए सलाह
- नई खरीदारी से फिलहाल बचें
- मजबूत कंपनियों में बने रहें
- डिफेंसिव सेक्टर (FMCG, फार्मा) पर ध्यान दें
- SIP और लॉन्ग टर्म निवेश योजना को जारी रखें
- ग्लोबल घटनाक्रम और कच्चे तेल की कीमतों पर पैनी नजर रखें
भविष्य की रणनीति
यदि मिडिल ईस्ट में तनाव कम होता है और क्रूड की कीमतें स्थिर होती हैं तो भारतीय शेयर बाजार में भी स्थिरता लौट सकती है।
महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल:
- निफ्टी: 24,000
- सेंसेक्स: 77,000
इन स्तरों पर बाजार को सहारा मिल सकता है।
निष्कर्ष: 13 जून 2025 – शेयर बाजार का ‘काला दिन’
13 जून 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने एक ऐसा संकट झेला, जिसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर तक सुनाई दी। भू-राजनीतिक तनाव, कच्चे तेल की कीमतें, एफआईआई की बिकवाली और महंगाई की चिंता ने निवेशकों को बेचैन कर दिया।
हालांकि इतिहास गवाह है कि गिरावट का दौर हमेशा अस्थायी होता है। समझदारी, धैर्य और दीर्घकालिक सोच ही निवेश को सफल बनाती है।
वर्तमान में धैर्य रखना और परिस्थितियों का विश्लेषण कर योजनाबद्ध निवेश करना ही सबसे बेहतर रणनीति है।
13 जून 2025 का संकट: आर्थिक नुकसान से आत्मिक समाधान तक की यात्रा
13 जून 2025 का काला दिन हमें सिर्फ आर्थिक अस्थिरता ही नहीं दिखाता, बल्कि जीवन के गहरे सवालों की याद भी दिलाता है—क्या धन-संपत्ति ही हमारी असली संपत्ति है? जब बाजार की उठापटक से मन विचलित हो, तब हमें अपनी आत्मा की शांति और जीवन के उद्देश्य की खोज करनी चाहिए। ऐसे समय में संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित “ज्ञान गंगा” और “जीने की राह” पुस्तकें हमारे लिए दीपस्तंभ साबित हो सकती हैं।
ये पवित्र पुस्तकें हमें सच्चे ईश्वर की उपासना और सही जीवनशैली के माध्यम से स्थायी शांति और समृद्धि पाने का मार्ग दिखाते हैं। बाजार की अनिश्चितता के बीच आध्यात्मिक ज्ञान हमें सच्ची स्थिरता और आनंद की ओर ले जाता है। आइए, इस मुश्किल दौर में अपने जीवन को गहराई से समझें और “ज्ञान गंगा” तथा “जीने की राह” से प्रेरणा लें