Social Media vs Mainstream Media | नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज की हमारी विशेष पड़ताल में हम सोशल मीडिया न्यूज चैनल्स के बढ़ते क्रैज़ और ट्रैंड के बारे में चर्चा करेंगे और साथ ही जानेंगे कि आखिर क्यों लोग मैन स्ट्रीम न्यूज़ चैनल्स से हटकर अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर खबरें देखना और पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं?
खबर चाहें सोशल मीडिया से प्राप्त हुई हों या न्यूज चैनल्स और अखबार आदि से, सही और गलत के बीच में फर्क कर पाना आज बहुत मुश्किल हो गया है। गलत और फर्जी खबरों के इस बढ़ते ट्रेंड के बीच लोगों का सूचना प्राप्त करने का तरीका भी काफी बदल गया है। अखबार, रेडियो, और न्यूज चैनल्स से हटकर लोग अब धीरे धीरे यूट्यूब चैनल्स और सोशल मीडिया पर उपलब्ध अन्य चैनलों या पोरटलस के माध्यम से खबरों को प्राप्त करने लगे हैं। खबरें प्राप्त करने का यह तरीका काफी सुविधाजनक भी हो गया है।
अब देश की मैन स्ट्रीम मीडिया की वर्तमान स्थिति जानते हैं।
फेक न्यूज, पैड न्यूज, प्रोपेगंडा और धार्मिक शिथिलता बढ़ाने वाली खबरों के इस बढ़ते चलन से जनता अब ऊब चुकी है और सही और सटीक सूचना प्राप्त करना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। एक ही मुद्दे पर अलग-अलग परस्पर विरोधी जानकारी सामने आने से लोग न केवल सच से दूर हो रहे हैं, बल्कि इससे किसी घटना की सच्चाई के बारे में उनका भ्रम भी बढ़ता जा रहा है और साथ ही इससे अब लोगों का मैन स्ट्रीम मीडिया पर से भरोसा उठ चुका है।
Social Media vs Mainstream Media | मीडिया की जिम्मेदारी अब देश पर पड़ रही है भारी
किसी भी देश में लोगों तक किसी सूचना को पहुचाने के लिए मीडिया एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है। भारत में मीडिया को देश का चौथा स्तम्भ माना जाता है। मीडिया की समाज और देश के प्रति बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। यह ऐसा माध्यम है जो आम जनता की आवाज को बुलंद करता है। जो जनता की आवाज को शासन तक पहुँचाने की क्षमता रखता है। यह माध्यम जनता के हर दुःख दर्द का साथी बन सकता है। लोकतंत्र के शेष सभी स्तंभों यानी विधायिका ,न्यायपालिका व कार्यपालिका के सभी क्रियाकलापों पर नजर रख कर उन्हें भटकने से रोक सकता है , उन्हें सही राह पर चलते रहने के लिए प्रेरित कर सकता है।
साथ ही उनके असंगत कारनामों को जनता के समक्ष उजागर कर जनता को सावधान कर सकता है। हमारे देश में मीडिया को विचार अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता संविधान द्वारा मिली हुई है ताकि वह अपने कार्यों को बगैर रोक टोक पूरी ईमानदारी और स्वतंत्रता के साथ कर सके। परन्तु क्या आज मीडिया उसे मिली आजादी को पूरी जिम्मेदारी के साथ देशहित और जनहित के लिए निभा पा रही है? या केवल अपनी कमाई , टीआरपी बटोरने और राजनीतिक षड्यंत्रों को पूरा करने में व्यस्त है।
दोस्तों! वर्तमान समय में अधिकतर न्यूज़ संस्थाएं सत्ता, सरकार और राजनीतिक दलों के कारणों से सही न्यूज़ प्रसारित नहीं कर रही हैं और देश के नागरिकों को भटकाने का कार्य कर रही हैं। आजकल के न्यूज़ चैनल सत्ता या किसी अन्य पार्टी के दबाव में उनकी मर्जी के मुताबिक न्यूज़ प्रसारित करते हैं जिसके चलते देश की मीडिया को गोदी मीडिया की उपाधि प्राप्त हुई है।
Social Media vs Mainstream Media | भारतीय मीडिया का लगातार गिरता स्तर
भारतीय मीडिया के लगातार गिरते स्तर को देखते हुए देश की मीडिया को “फर्जी मीडिया”, “बिकाऊ मीडिया”, और “गोदी मीडिया” आदि नामों से भी जाना जाने लगा है। जिस कारण से भी आम दर्शकों का रूझान और विश्वास इन न्यूज चैनलों से अब उठ चुका है। रामनाथ गोयनका अवार्ड समारोह में भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि देश की पत्रकारिता गहरे संकट के दौर से गुज़र रही है। ऐसा बयान जब देश के सर्वोच्च पद पर बैठा व्यक्ति दे तो समझना जरूरी है कि संकट वाकई में गहरा है।
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Social Media vs Mainstream Media | गोदी मीडिया का सीधा अर्थ बिकाऊ और अस्वतंत्र मीडिया से है, जो सरकार के निर्देशों पर चलती है, जो सरकार की नाकामियों को छिपाने का कार्य करती है जो सरकार के गलत कामों का खुलकर विरोध न करके उसे सही ठहराने का काम कर रही है और देश के नागरिकों को सही मुद्दों से भटका रही है। जिससे समाज और देश दोनों का नुकसान हो रहा है। फर्जी मीडिया ईमानदारी से पत्रकारिता का अभ्यास करने के बजाय, झूठी खबरें और सरकार की वाह – वाही वाली खबरें टेलीविजन पर दिखाते और छापते हैं, और सरकार की नाकामियों वाली खबरों को नहीं दिखाते जिसके चलते भारत में पिछले कुछ सालों में गलत सूचनाओं के जरिए एक सूचनाविहीन समाज का निर्माण हुआ है। पिछले कुछ सालों में देश में एक ऐसी भीड़ तैयार हुई है जिसे सांप्रदायिक आधार पर तैयार किया गया है। यह भीड़ हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच लकीर खींच कर तैयार की गई हैं, जिसको तैयार करने में देश की मीडिया का सबसे बड़ा योगदान है।
मीडिया वॉचडाग ‘द हूट’ ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है कि राजनीतिज्ञ, व्यापारी, हिंदू दक्षिणपंथी समूह, पुलिस, सरकारी एजेंसियां जैसे फिल्म प्रमाणन बोर्ड, सूचना व प्रसारण मंत्रालय, राज्य सरकार, वकील और यहां तक कि मीडिया समूह भी अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम लगाने के प्रयास कर रहे हैं।
जानते हैं कि यूट्यूब न्यूज चैनल्स और सोशल मीडिया क्यों बन गए हैं जनता की पसंद?
मैन स्ट्रीम खबरों की सच्चाई के अभाव में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गुमशुदगी में, सही और सटीक खबरों के गायब होने से सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए अब जनता का एक बड़ा और शिक्षित हिस्सा ट्विटर, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर न्यूज देखना और खोजना पसंद करते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं की वर्तमान समय में मीडिया की जगह अब सोशल मीडिया जनता की आवाज़ बन चुका है। जिसे भी सरकार दबाने का पूरा प्रयास कर रही है। परंतु सत्ता और राजनीतिक दलों के दबाव से दूर सोशल मीडिया पर लोग अपने मन की बात को बेहिचक खुलकर प्रस्तुत कर सकते हैं। साल के 365 दिन न्यूज रूम और स्टूडियो से कभी बाहर नहीं निकलने वाले फर्जी पत्रकारों से परे यूट्यूब चैनल्स ग्राउंड लेवल पर जाकर कवरेज करते हैं। गरीबी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भुखमरी, जातिवाद, दहेज प्रथा आदि जरूरी मुद्दों को सच्चाई के साथ दिखाने का प्रयास करते हैं।
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Social Media vs Mainstream Media | जो मुद्दे देश की गोदी मीडिया के लिए अब अस्तित्व तक नहीं रखते उन सभी मुद्दों को युटुब चैनल्स के माध्यम से सामान्य पत्रकारों और मीडिया कर्मियों द्वारा नागरिकों तक पहुंचाया जाता है। कुछ समय पहले खत्म हुए किसान आंदोलन पर सोशल मीडिया द्वारा दिखाए गए कवरेज से यह भली भांति साफ हो जाता है की भले ही देश की मैन स्ट्रीम मीडिया कहीं भटक गई है लेकिन सोशल मीडिया के जरिए देश की मीडिया आज भी होश में है। ट्विटर पर ज़रूरी मुद्दों को उठाकर अपनी आवाज बुलंद करने वाले लोगों ने यह साबित कर दिया है कि वे भी शासन, प्रशासन, मीडिया के दबाव से डरे बिना देश के सामने सच्चाई ला सकते हैं। भले ही सरकार यूटूबर्स और इंफलूऐंसरस को अधिकृत पत्रकार न मानती हो और पत्रकार संगठन भी उन्हें मान्यता देने को तैयार न हों लेकिन सच तो ये है की विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र में आज इन्हीं यूटूबर्स ने जनता की आवाज को जिंदा रखा है। माना की वर्तमान समय में युटुब चैनल्स रजिस्टर्ड न्यूज पेपर्स या न्यूज चैनल्स की बराबरी नहीं कर सकता लेकिन यदि देश की मैन स्ट्रीम मीडिया नहीं सुधरी तो वो दिन दूर नहीं जब सोशल मीडिया ही देश का मैन स्ट्रीम मीडिया कहलाएगा।
समाधान: कैसे बचाएं देश ,समाज और जनता को झूठी खबरों का शिकार होने से?
सूचनाओं के इस फर्जीवाड़े को समाप्त करने के लिए समाज में भौतिक शिक्षा के साथ साथ आध्यात्मिक शिक्षा पर भी ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है। आध्यात्मिक शिक्षा से समाज में मानवता, सेवाभाव और नैतिकता का संचार बढ़ेगा और लोगों में अच्छे और बुरे कर्मों के प्रति जागृति फैलेगी। जिससे की लोग बुरे कर्म करने से डरेंगे और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित होंगे और झूठ बोलने, दूसरों का अहित करने और झूठ व गलत का साथ देने और चाटुकारिता करने से बचेंगे।
यदि आध्यात्मिक शिक्षा के विषयों को पाठ्यक्रमों में मुख्यरूप से शामिल कर दिया जाए तो बचपन से ही मानव में अच्छे विचार और शिष्टाचार का संग्रह किया जा सकता है, जिससे देश का भविष्य माने जाने वाली देश की युवा पीढ़ी के हाथ में जब देश की बागडोर आएगी तब वे समाज सेवा और मानव कल्याण के कार्यों को करने के लिए तत्परता के साथ तैयार रहेंगे तथा उनमें मानवीय गुणों का भंडार रहेगा।
वर्तमान समय में पूरे विश्व में केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रंथों के आधार पर ऐसी अध्यात्मिक शिक्षा दे रहे हैं जिससे समाज से चोरी, जारी, मिलावटखोरी, रिश्वतखोरी, धोखाधड़ी, धार्मिक दंगे, जातिवाद, भ्रष्टाचार, नशाखोरी, दहेज प्रथा, राजनीतिक षड्यंत्र , जमाखोरी आदि जैसी बुराइयां समाप्त हो रही हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा दी गई अद्वितीय आध्यात्मिक शिक्षा से ही देश दुनिया के पत्रकारों को नैतिकता का सही पाठ पढ़ाया जा सकता है जिससे वे सदमार्ग पर चलते हुए देश हित और मानव कल्याण को प्राथमिकता दे सकेंगे और ईमानदारी से अपना कार्य करेंगे।
इस विडियो को देखने वाले पत्रकारों, मीडिया कर्मियों और चैनलों से प्रार्थना है कि कृपया संत रामपाल जी महाराज जी को अपना सतगुरु बनाकर उनसे सत्य आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करें और एक नेक,सच्चे पत्रकार और देशवासी बनें जो सामाजिक हित और देशहित को सर्वोपरि समझे।
SA News Channel का देश के माननीय शिक्षा मंत्री से निवेदन है की वे स्कूल और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में सत्य आध्यात्मिक शिक्षा को मुख्यरूप से शामिल करें जिससे की समाज को एक नेक दिशा प्रदान की जा सके और भारत को फिर से विश्व गुरु बनाया जा सके।