विज्ञान बड़ा या आध्यात्मिक ज्ञान?

विज्ञान बड़ा या आध्यात्मिक ज्ञान

नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज के कार्यक्रम में हम देश दुनिया में विज्ञान के कारण समाज और लोगों के जीवन में इससे हुए विकास और भय को लेकर चर्चा करेंगे और साथ ही जानेंगे की क्या आध्यात्मिक ज्ञान- विज्ञान से भी श्रेष्ठ होता है? तो चलिए शुरू करते हैं आज की विशेष पड़ताल।

दोस्तों! किसी भी देश और क्षेत्र का विकास वहाँ के लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ होता है। इसके लिए ज़रूरी है कि जीवन के हर एक पहलू में मानव समाज का विकास हो। वर्तमान युग वैज्ञानिक उन्नति और आविष्कारों का युग है। चारों ओर प्रकृति और मानव दोनों पर विज्ञान की विजय कायम हो चुकी है।
पिछले कुछ दशकों में विज्ञान, तकनीकी खोजों और शोध कार्यों ने मानव समाज के विकास में एक अहम भूमिका निभाई है। विज्ञान ने मानव जीवन को ऐसी अनेक नई खोजों से अवगत कराया है जिनके द्वारा कठिन मानव जीवन को सरल और उन्नत बनाने में बहुत मदद मिली है। विज्ञान ने मनुष्य को प्रत्येक क्षेत्र में सुविधाएं और नई उपलब्धियां दिलाई हैं। विकासशील विज्ञान मानव को महामारियों,बिमारियों और अनेकों प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से बचाने और सुरक्षा प्रदान करने में भी मददगार साबित हुआ है ।

विज्ञान दुनियाभर में तेज़ी से फैल रहे अपराधों को रोकने में भी मददगार साबित हुआ है। विज्ञान ने ही परिवहन तथा संचार के साधनों द्वारा हमारे जीवन को एक नई गति दी है। पूर्व में जहाँ केवल खच्चर, बैलगाड़ी, हाथी और घोड़े आदि की सवारी के साधन हुआ करते थे वहीं आज हम बस, बाइक,स्कूटर,कार, रेल, मेट्रो से लेकर हेलीकॉप्टर,एरोप्लेन जैसे अति आधुनिक परिवहन साधनों का लाभ उठा पा रहे हैं। पूर्व में संदेश के आदान प्रदान के लिए धीमी डाक व्यवस्था थी जिसमें कई दिनों व महीनों तक का समय लग जाता था वहीं आज पलपल अपडेट देती सोशल मिडिया है जिसकी बदौलत हरेक व्यक्ति के पास सूचनाएं तुरंत पहुंच जाती हैं।

वर्तमान समय में हमारे जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान की उपस्थिति दर्ज है। हम अपनी जीवन शैली को उस अनुरूप ढाल चुके हैं जहाँ से इन विज्ञान के साधनों के न होने की कल्पना करना भी अब कठिन है।

विज्ञान से सरल हुआ है जनजीवन

विज्ञान पर हमारी निर्भरता इस कदर बन चुकी है कि हमारे दैनिक जीवन में वाहन, मोबाइल फोन, इन्टरनेट, कंप्यूटर, लैपटॉप, आईपैड, ब्लूटूथ, हैडफोन,टीवी, संचार के अन्य साधन आदि एक अभिन्न हिस्सा हो गए हैं।

इसी के साथ अंतरिक्ष में भेजे गए उपग्रहों की मदद से हमने प्रकृति के स्वभाव तथा मौसम के मिजाज़ को नज़दीक से समझने में सफलता अर्जित की है और यह अपने आप में मानव समाज के लिए बहुत ही बड़ी कामयाबी है। न केवल पृथ्वी बल्कि चन्द्रमा, मंगल ,बुध और अन्य ग्रहों ,उपग्रहों तथा अंतरिक्ष के रहस्यों को बारिकी से जानने और समझने में हमारी जानकारी का स्रोत अब विज्ञान ही है।

विज्ञान ने मानव जीवन को बहुत समृद्ध और आसान बनाया है

अनेक असाध्य बीमारियों का इलाज विज्ञान द्वारा ही संभव हो पाया है। आज आधुनिक चिकित्सा पद्धति इतनी विकसित हो गई है कि अंधे को आंख,कोढ़ी को काया ,बांझ को संतान, नपुंसकता का इलाज और अपंग को अंग मिलना भी संभव हुआ है। इसके अलावा कैंसर, टी. बी, हृदय रोग जैसे भयंकर जानलेवा रोगों का इलाज विज्ञान के माध्यम से ही हो पा रहा है। कुछ ही वर्षों पूर्व तक हैजा, प्लेग, चेचक, मलेरिया, क्षय आदि बीमारियाँ असाध्य समझी जाती थीं। वैज्ञानिकों ने दिनरात परिश्रम कर इन बीमारियों की रामबाण औषधियाँ खोज निकालीं और मानव जाति को इन रोगों से छुटकारा दिलाने में सहयोग दिया। पागल कुत्तों के काटने ,क्षय रोग, पोलियो, कोरोना आदि के बचाव से टीकों की खोज की।ब्लड ट्रांसफ्यूजन, बाईपास सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, कीमोथेरेपी को संभव बनाया। मनुष्य के प्राणों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए।

शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार में विज्ञान ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है

विज्ञान के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत कार्य किए गए हैं। टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट तथा कंप्यूटर ने शिक्षा को सरलता से समझने में अद्भुत कार्य किया है। प्रेस तथा समाचार पत्र छात्रों के ज्ञान वृद्धि का अद्भुत साधन बने। छापखाने के आविष्कार ने पुस्तकों के प्रकाशन द्वारा ज्ञान के नए आयाम स्थापित किए हैं। आज कंप्यूटर, मोबाइल फोन और टैबलेट आदि शिक्षा के अभिन्न अंग बन गए हैं।

विज्ञान की मदद से उन्नत हुआ कृषि क्षेत्र

आज की कृषि पूरी तरह से वैज्ञानिक आविष्कारों पर आधारित है। अनेक प्रकार के उर्वरक,खाद, कृत्रिम जल व्यवस्था, बुवाई तथा कटाई आदि के आधुनिक उपकरणों एवं कीटनाशक दवाओं ने खेती को सुविधापूर्ण और सरल बना दिया है। भारत जैसे विशाल देश में खेतों का आकार छोटा होता है। इन खेतों में कृषि करने के लिए छोटे ट्रैक्टर, एक हॉर्सपॉवर के पंप आदि छोटेे कृषियंत्रों का निर्माण किया गया है। इन यंत्रों की मदद से खेती करना आसान हो गया है और पैदावार भी बढ़ने लगी है।

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विज्ञान की सहायता से नदियों से नहरें निकाली गई हैं तथा नलकूप लगाए गए हैं। सूखाग्रस्त क्षेत्रों में इन नहरों द्वारा सिंचाई कर उन्हें फसलों से लहलहाते क्षेत्रों में बदल दिया गया है। विभिन्न प्रकार के रोगों के आक्रमण से फसलों की रक्षा करने के लिए अनेक प्रकार की औषधियों और कीटनाशकों का आविष्कार किया गया है। कृषि-क्षेत्र में चमत्कारी आविष्कारों के फलस्वरूप हमारे देश में ‘हरित क्रांति’ हुई है और खाद्यान्न उत्पादन के मामले में हम आत्मनिर्भर हो गए हैं।

विज्ञान का अन्य पहलू

कलयुग के इस आधुनिक और तकनीकी काल में वर्तमान के मानव, विज्ञान की उपलब्धियों और सुखों को भोग रहे हैं किंतु वे इसकी क्षमताओं के साथ साथ इसकी सीमाओं से भी भलीभांति परिचित हैं। निसंदेह मानव जीवन के लिए विज्ञान एक वरदान से कम नहीं है मगर इसका एक दूसरा पहलू भी है । एक तरफ विज्ञान के कारण रोगियों का इलाज सम्भव हुआ है कृत्रिम अंग प्रत्यरोपण जैसी तकनीक से लोगों के जीवन को बचाया जा रहा है तो वहीँ दूसरी और विज्ञान ही नित नई बीमारियों का जनक तथा जीवन भक्षण का साधन बन रहा है। विज्ञान ने जहां मानव जीवन को लाभान्वित किया है वहीं दूसरी ओर इससे समाज को अनेक हानियां भी हुई हैं। सुविधाजनक उपकरणों ने आज मानव को कमजोर बना दिया है। यंत्रों के अधिक उपयोग के कारण बेरोज़गारी बढ़ गई है। नवीन वैज्ञानिक प्रयोगों ने संपूर्ण प्राकृतिक वातावरण को दूषित कर दिया है। प्रकृति को बुरी तरह से प्रभावित कर क्षति पहुंचाई है । कई बड़े कारखानों और उन्नत उद्योगों में मानव की जगह अब मशीनों और रोबोटों ने ले ली है। यही कारण है की देश दुनिया में आज बेरोजगारी का स्तर अपनी चरम सीमा पर है।

विज्ञान की भेंट परमाणु और परमाणु के प्रयोग की भेंट चढ़ रहा मानव

दूसरी और परमाणु और बायो युद्ध के भय ने मानव को भयभीत कर रखा है। विज्ञान के प्रभाव से ही मानव अपने आपको शक्तिशाली और सर्वेसरवा समझकर परमात्मा से दूर हो गया है। वह भौतिकवादी और स्वार्थी हो चुका है और उसमें विश्व बंधुत्व की भावना लुप्त हो गई है। वैज्ञानिक आविष्कारों की निरंतर स्पर्धा आज विश्व को एक ऐसे खतरनाक मोड़ पर ले आई है जहां परमाणु तथा हाइड्रोजन बम विश्व शांति के लिए खतरा बन गए हैं और इसके प्रयोग से संपूर्ण विश्व का विनाश संभव है। संसार की संस्कृति पल भर में नष्ट हो सकती है।

जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर विज्ञान के अभिशाप की एक जीती जागती तस्वीर हैं। यह तो महज कुछ दशक पहले प्रयोग हुए परमाणु बंब का छोटा सा नजारा है जबकि वर्तमान में उससे भी कितने ही अधिक प्रभावशाली, अत्याधुनिक और भयंकर परमाणु हथियारों का निर्माण हो चुका है और प्रयोग भी किए जा रहे हैं। माना की हम अपने जीवन को विज्ञान के बिना सोच भी नहीं सकते हैं, लेकिन हमें अंधी तरक्की की बजाय खुली आँखों से प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाते हुए विज्ञान का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए। अब वक्त आ चूका है की हम विज्ञान का प्रयोग केवल विश्व भलाई के लिए करें और इससे प्रकृति और मानव सभ्यता को विनाश से बचाएं।

आधुनिकता की दौड़ और अधिक पाने की होड़ में छिड़ गए युद्ध

पिछले कुछ वर्षो में ही कितने आधुनिक हथियारों को बनाने और रखने के कारण कई देशों के बीच युद्ध हुआ और वहां रह रहे लोगों को अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ा। आर्मेनिया और अजरबैजन के बीच तनातनी, अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा, म्यांमार में सेना का तख्तापलट और वर्तमान में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे निरतंर युद्ध से यह स्पष्ट है की विज्ञान की उपलब्धियों का दुरुपयोग किस प्रकार से किया जा रहा है। वर्तमान समय में किसी भी देश की ताकत को उसके परमाणु हथियारों के ज़खीरे से आंका जाता है। मानव समाज को ध्वस्त करने की क्षमता रखने वाले इन हथियारों को रखने वाले देश इसे अपनी शक्ति मानते हैं। यदि इन हथियारों का निर्माण इसी प्रकार होता रहा तो भविष्य में पूरे विश्व को इसका बेहद खतरनाक खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

आध्यात्मिक ज्ञान यानि तत्वज्ञान जिसे सभी विज्ञानों का आधार माना जाता है

कहते है जहां पर साइंस खत्म होता है अध्यात्म वहां से शुरू होता है। जी हां दोस्तों! अध्यात्म ज्ञान को इस विश्व का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान माना गया है। सतयुग से ही सभी समस्याओं का हल आध्यात्मिक ज्ञान से ही किया जाता रहा है। जिस परिस्थिति या समस्या का हल विज्ञान के पास नहीं उसका हल आध्यात्मिक ज्ञान से बड़ी ही आसानी से हो जाता है। फिर चाहे वह आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, भौतिक या प्राकृतिक समस्या क्यों न हो? समस्याओं के निवारण और मानव जीवन को सरल, सफल और सुखमयी बनाने के साथ साथ आध्यात्मिक ज्ञान हमें नैतिकता और मानवता का पाठ भी पढ़ता है। आध्यात्मिक ज्ञान से हमें सही और गलत के बीच का भेद समझ आता है और साथ ही यह हमें आवश्यक संस्कार प्रदान कर हमारे चरित्र का उचित निर्माण करने में भी सहायक होता है। आध्यात्मिक ज्ञान से मनुष्य को जीवन के मूल उद्देश्य की भी यथावत जानकारी प्राप्त होती है। इसमें कोई संदेह की बात नहीं की समाज सुधार और विश्व कल्याण भी अध्यात्मवाद से ही संभव है।

यदि हम सर्वोच्च आध्यात्मिक ज्ञान की बात करें तो वह हमें सूक्ष्म वेद से ही हो सकता है, जिसे पांचवा वेद भी कहा जाता है। संतों ने इसे “तत्वज्ञान” या “परमात्मा के संविधान” की भी उपाधि दी है।

कबीर, और ज्ञान सब ज्ञानडी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोब का करता चले मैदान।।

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी द्वारा बताया गया अद्वितीय तत्वज्ञान इस विश्व का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान है। तत्वज्ञान से सभी विज्ञानों का सार बड़ी ही आसानी से समझा जा सकता है। इसी विषय में आदरणीय धर्म दास जी ने कहा है,

ऐसा निर्मल ज्ञान है, निर्मल करे शरीर।
और ज्ञान मंडलीक है, चकवे ज्ञान कबीर।।

वर्तमान समय में ऐसा अद्भुत अजेय ज्ञान केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के पास ही है। इस ज्ञान के आधार पर संत रामपाल जी ने विश्व के सभी धर्मगुरुओं को निरुत्तर किया है। संत रामपाल जी महाराज अपने अमृत सत्संगों में बताते हैं की विज्ञान की आड़ में आकर आज मानव भागवान को भूल चुका है। कलयुग में विज्ञान भी परमात्मा की ही देन है। परमात्मा चाहें तो अपनी दी हुई चीज़ कभी भी वापिस ले सकता है यदि हम उसका दुरूपयोग करते हैं तो। विज्ञान मनुष्यों को परमात्मा ने सिर्फ और सिर्फ परमात्मा को पहचानने के लिए दिया है।

साइंस के भरोसे रहने वाले विश्व के सभी भाइयों और बहनों से निवेदन है की विज्ञान से भी परे इस अद्भुत आध्यात्मिक तत्वज्ञान को समझें और परम तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लेकर अपना कल्याण करवाएं।

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