Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi] | इस 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) पर हर घर तिरंगा कि योजना

Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi] स्वतंत्रता दिवस पर हर घर तिरंगा योजना

Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi] | नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। आज के कार्यक्रम में हम “हर घर तिरंगा योजना” के बारे में चर्चा करेंगे और साथ ही इस योजना से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

1947 में भारत देश आजाद हुआ और इस माह यानी अगस्त 2023 में भारत आजादी का 76वां वर्ष मना रहा है। केंद्र सरकार द्वारा आजादी के 76 वर्षों का उत्सव मनाने के लिए ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसके तहत 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया जायेगा। इस योजना के तहत इन तीन दिनों में 20 करोड़ घरों में तिरंगा फहराने की योजना है। इसी के मद्देनजर फ्लैग कोड यानी ध्वज संहिता में बदलाव भी किया गया है। हर घर तिरंगा’ अभियान से जुड़ी गतिविधियों के लिये सरकार अपनी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) निधि का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस अभियान का उद्देश्य लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाना और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।

तिरंगों की बिक्री हो सके, इसके लिए 1 अगस्त से 1.60 लाख पोस्ट ऑफिस पर राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री की जाएगी। हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए कारपोरेट जगत से लेकर एमएसएमई और छोटे व्यापारी एकजुट हो गए हैं। अभी बाजार में दस रुपये से लेकर 150 रुपये तक के विभिन्न आकार के तिरंगे उपलब्ध हैं।

घर-घर तिरंगा अभियान को प्रभावी बनाने के लिए सरकार द्वारा इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर भी फोकस किया गया है। मुख्य डाकघरों में सेल्फी पाइंट बनाने के बाद इसका प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा। केंद्र के निर्देशानुसार कुछ इस अंदाज में मुख्य डाकघरों में सेल्फी पाइंट बनाए जायेंगे, जहां हर एक एंगिल से लोगों को यह नजर आए और साथ ही राह चलते और डाकघर आने वाले लोगों की नजरें सेल्फी पाइंट पर बिना बताए पड़े और वहां पर वे सेल्फी क्लिक करें और www.harghartiranga.com/ नामक आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर सेल्फी अपलोड भी करें।

हर घर तिरंगा अभियान सफलता के लिए केंद्र सरकार ने फ्लैग कोड के कुछ नियमों में भी बदलाव किया है।

Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi] | पहला बदलाव: पुराने फ्लैग कोड के तहत अब तक तिरंगा सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जा सकता था। लेकिन अब इस बदलाव के बाद 24 घंटे घर पर तिरंगा फहराया जा सकेगा। इस बदलाव के बाद अब आम लोग, निजी संगठन या संस्थान दिन और रात तिरंगा फहरा सकते हैं।

दूसरा बदलाव: पुराने कोड के अनुसार अभी तक हाथ से बुना और काता हुआ, ऊन और कपास या रेशमी खादी से बना राष्ट्रीय ध्वज ही फहराने की इजाजत थी, लेकिन अब मशीन से बना हुआ कपास, ऊन या रेशमी खादी और पॉलिएस्टर से बना तिरंगा भी फहराया जा सकेगा।

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स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ही कागज से बने तिरंगे फहराए जा सकते थे।लेकिन फ्लैग कोड के इन खास दिनों में कागज से बने तिरंगों को फहराया जा सकता है, लेकिन इसे फेंका या फाड़ा नहीं जा सकता। कागज से बने तिरंगों का सम्मान के साथ डिस्पोजल जरूरी है।

Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi] | आम आदमी को तिरंगा फहराने का अधिकार कब मिला?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से 26 जनवरी 2002 से भारत सरकार फ्लैग कोड में संशोधन कर भारत के सभी नागरिकों को किसी भी दिन राष्ट्र ध्वज को फहराने का अधिकार दिया गया, बशर्ते, राष्ट्र ध्वज को फहराने के क्रम में “राष्ट्र ध्वज की प्रतिष्ठा,गरिमा बरक़रार रहे और किसी भी स्थिति में इसका अपमान ना होने पाए।

तिरंगा फहराते समय कौन कौन से नियमों का करना होगा पालन?

  • घर में तिरंगा फहराते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है की तिरंगा झुका, या जमीन से टच न हो रहा हो। अगर ऐसा होता है तो ये तिरंगे का अपमान माना जाएगा।
  • तिरंगा फहराते समय झंडे पर कुछ भी नहीं लिखा जा सकता।
  • तिरंगे को किसी ड्रेस या यूनिफॉर्म के किसी हिस्से में भी लगाने की मनाही है।
  • न ही किसी रूमाल, तकिया या नैपकिन में तिरंगे की डिजाइन को बनाने की अनुमति है।
  • इसके अलावा झंडा फटा हुआ या मैला-कुचैला भी नहीं होना चाहिए।
  • घर पर या किसी भी संस्थान में तिरंगा फहराए जाते समय उसके बराबर या उससे ऊंचा कोई दूसरा झंडा नहीं होना चाहिए।
  • यदि किसी परिस्थिति में आप घर पर तिरंगा फहरा रहे हैं और वो किसी कारण से फट जाता है या पुराना हो जाता है, तो उसे सम्मानित तरीके से डिस्पोज किया जाना चाहिए।
  • तिरंगे को सम्मान के साथ एकांत में कहीं जलाकर या दूसरे तरीके से डिस्पोज़ कर सकते हैं।

Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi]| तिरंगे का अपमान करने पर क्या सज़ा मिल सकती है?

Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi]| तिरंगे का अपमान करने पर 3 साल की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। इसके लिए राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 में प्रावधान किया गया है। इसके तहत किसी सार्वजनिक स्थान पर तिरंगे और संविधान को जलाना, कुचलना, फाड़ना या किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाना अपराध माना जाता है।

तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में कब अपनाया गया था?

22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था। भारतीय तिरंगे को उस समय डोमिनियन ऑफ इंडिया यानी 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 के बीच के भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में चुना गया था। 26 जनवरी 1950 के दिन भारत के गणतंत्र बनने के बाद भी तिरंगे को ही राष्ट्रीय ध्वज माना गया। तिरंगे को स्वतंत्रता सेनानी और मशहूर डिजाइनर पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। तिरंगे को डिजाइन करने के लिए उन्होंने करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों की बहुत गहराई से रिसर्च की थी। जबकि तब से लेकर आज तक तिरंगे के साइज को लेकर कोई नियम नहीं बनाया गया है। तिरंगा कितना भी बड़ा और कितना भी छोटा हो सकता है। फ्लैग कोड 2002 के मुताबिक, तिरंगे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होगा।

Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi] | तिरंगे में मौजूद रंग क्या दर्शाते हैं?

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है।

आखिर कैसे देश की आन बान और शान को किया जा सकता है कायम?

किसी भी देश को आजादी और कामयाबी उस देश में रहने वाले लोगों की संतुष्टि से आंकी जा सकती है। इसके साथ ही देश की जनता को सरकार की ओर से उपलब्ध करवाई जाने वाली सुविधाएं भी मायने रखती हैं। किसी भी देश की तरक्की के लिए उस देश में व्याप्त आतंकवाद, उग्रवाद, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, नशा, लूटपाट, चोरी, जारी, मिलावट, महिलाओं , बच्चों और वृद्धों के साथ अभद्रतापूर्ण व्यवहार आदि बुराइयों को जड़मूल से मिटाना अति आवश्यक होता है। जबकि समाज में व्याप्त बुराइयों को केवल आध्यात्मिकता से ही दूर किया जा सकता है। आध्यात्मिक शक्ति किसी भी प्रकार की शारीरिक, भौतिक, आर्थिक और मानसिक शक्ति से शक्तिशाली होती है और आध्यात्मिकता से किसी भी परिस्थिति में समाधान प्राप्त किया जा सकता है। यह समाधान वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी अपने तत्वज्ञान के माध्यम से बता रहे है।

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भारत के सुप्रसिद्ध संत श्री तुलसी दास जी ने भविष्यवाणी करते हुए कहा था की भविष्य में भारत में नए सिरे से एक आध्यात्मिक संगठन का उत्थान होगा। यदि विश्व के सभी राष्ट्र जी जान से यह प्रयास करें कि सुरक्षा परिषद अमेरिका से हटकर भारतवर्ष में ना जाने पाये तो यह कदापि नहीं होगा और सुरक्षा परिषद भविष्य में भारत में चली आएगी। एक महापुरुष का जन्म भारतवर्ष के छोटे से गांव में हो चुका है और वह व्यक्ति मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति बनेगा। उसे जनता का इतना बड़ा समर्थन प्राप्त होगा कि आज तक किसी को नहीं मिला है। वह महापुरुष नए सिरे से विधान को बनाएगा और वह विश्व के संपूर्ण देशों पर लागू होगा। उसका एक झंडा होगा। उसकी एक भाषा होगी।

Azadi Ka Amrit Mahotsav [Hindi] | अमेरिका के महान भविष्यव्यकता “श्री एण्डरसन” ने भी कहा है की “20 वीं सदी के अन्त से पहले या 21वीं सदी के प्रथम दशक में विश्व में असभ्यता का नंगा तांडव होगा। इस बीच भारत के एक देहात का एक धार्मिक व्यक्ति, एक मानव, एक भाषा और एक झंडा की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार, उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा। यह मसीहा सन 1999 तक विश्व में आगे आने वाले हजारों वर्षों के लिए धर्म व सुख-शांति भर देगा।

यह सभी भविष्यवाणी और किसी के लिए नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज जी के ऊपर ही फिट बैठती है। वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान का कोई सानी नहीं है। संत रामपाल जी महाराज जी के अद्वितीय तत्वज्ञान से आज समाज में व्याप्त हर प्रकार की बुराइयों को मूल रूप से समाप्त करने के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए हम सभी को संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताई जा रही सतभक्ति करनी होगी और उनसे नामदीक्षा भी लेनी होगी ताकि हम सभी एकजूट हो कर आध्यात्मिकता की राह पर चलते हुए देश को गौरांवित कर सकें।

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