Cryonic Preservation: बीते कुछ दशकों से विज्ञान ने जो प्रगति की है उसकी कल्पना आज से 200 साल पहले नहीं की जा सकती थी। इसी बीच विदेशी कंपनियां ऐसी तकनीक बनाने का दावा कर रही हैं जिससे मृत्यु के पश्चात भी इंसानों को जीवित किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस रोग से व्यक्ति की मृत्यु हुई है उसका इलाज ढूंढ कर मृत्यु के बाद भी उनको जीवन जीने का दूसरा मौका प्रदान किया जा सकता है।
सन् 2016 में लंदन हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला आया था जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया था। 14 वर्ष की कैंसर से पीड़ित लड़की को इंटरनेट के माध्यम से क्रायोनिक्स तकनीक के बारे में जानकारी मिली थी। वैज्ञानिकों के दावे के अनुसार इस तकनीक से मरे हुए इंसानों को भविष्य में जिंदा किया जा सकता है। विदेश की कई कंपनियां Cryonics Preservation पर काम कर रही हैं। पढ़े पूरा लेख।
आस्ट्रेलिया की कंपनी सदर्न क्रायोनिक्स ने फ्रीज़ किया पहला मृत शरीर
आस्ट्रेलिया की कंपनी सदर्न क्रायोनिक्स ने अपने पहले ग्राहक 80 वर्षीय बुजुर्ग की लाश को Cryogenic तरीके से बर्फ में फ्रीज़ कर दिया है। कंपनी का दावा है कि भविष्य में जब विज्ञान मरे हुए इंसानों को जिंदा करने की तकनीक विकसित कर लेगा। तब इन लाशों को पुनर्जीवित किया जाएगा। मीडिया के मुताबिक ग्राहक की मृत्यु सिडनी के अस्पताल में 12 मई 2024 को हुई थी। उसके बाद कंपनी ने (-196 डिग्री सेल्सियस) पर लाश को कई वैज्ञानिक तकनीकों द्वारा संरक्षित करके रख दिया है।
मृत शरीर को जीवित करने के लिए वैज्ञानिक ढूंढ़ रहे हैं तकनीक
कंपनी का दावा है कि भविष्य में वैज्ञानिक इंसानों को जीवित करने की तकनीक ढूंढ़ लेंगे तब उन्हें पुनर्जीवित किया जाएगा। क्रायोनिक्स प्रिज़रवेशन तकनीक से मृत शरीर को 100 वर्षों तक संरक्षित करके रखा जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी प्रक्रिया में 2,000,00 डॉलर का खर्च आता है। 2016 में कैंसर से पीड़ित एक लड़की को भविष्य में पुनर्जीवित करने की उम्मीद से Cryonics Institutute में हमेशा के लिए बर्फ में जमा दिया गया। वह मरना नहीं चाहती थी उनको विश्वास था कि भविष्य में वैज्ञानिक इंसानों को जिंदा करने की तकनीक ढूंढ़ कर जीवित कर देंगे। हालांकि यह तकनीक अभी तक कल्पना पर आधारित है। भारत में अभी तक मृत शरीर का Cryonics Preservation के लिए कोई कानून नहीं है।
Cryonic Preservation मुख्य बिंदु
- Cryonic Preservation: विदेश की कई कंपनियां बीमार व्यक्ति की मृत्यु के बाद उन्हें पुनः जीवन देकर अमर बनाने की दिशा में कर रही हैं काम।
- ऑस्ट्रेलिया की कंपनी सदर्न क्रायोनिक्स ने दावा किया है कि वह इंसान की लाश को माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तापमान में दफन करेगी और उसके बाद भविष्य में उन्हें जिंदा किया जाएगा। कंपनी ने अपने पहले ग्राहक को बर्फ में दफना भी दिया है।
- विदेशी कंपनी ने दावा किया है जिस रोग से इंसान की मृत्यु हुई उसका इलाज ढूढ़कर, उन्हें किया जा सकता हैं जिंदा।
- क्रायोनिक्स प्रिज़र्वेशन से लगभग 100 वर्षों तक इंसानों के शरीर को किया जा सकता है संरक्षित।
- सन् 2016 में लंदन हाईकोर्ट में आया था पहला मामला, 14 वर्ष की कैंसर से पीड़ित लड़की ने पुनर्जीवन की इच्छा से शरीर को संरक्षित करने के लिए की थी अपील।
- Neuro Preservation तकनीक से मनुष्यों के दिमाग को किया जा सकता है संरक्षित।
- भारत में अब तक मृत्यु के पश्चात् पुनर्जीवन के लिए शरीर को संरक्षित करने का नहीं है कोई कानून।
- वैज्ञानिकों को आध्यत्मिक ज्ञान की दिशा में खोज करने की आवश्यक्ता है।
14 वर्षीय लड़की ने भविष्य में पुनर्जीवन की इच्छा से न्यायालय से की थी अपील
जेएस नाम की 14 वर्षीय लड़की कैंसर से पीड़ित थी, इंटरनेट के माध्यम से उन्होंने क्रायोनिक्स के बारे में पढ़ा था। इस तकनीक के बारे में जानने के बाद जेएस ने लंदन इंग्लिश हाई कोर्ट में अपील की थी कि उन्हें मरने के बाद दफनाने के बजाय उन्हें क्रायोजेनिक तरीके से संरक्षित किया जाए। वह जीना चाहती हैं। उन्हें विज्ञान के ऊपर विश्वास था कि भविष्य में वैज्ञानिक उसके रोग का इलाज ढूंढ़कर उन्हें जीवित कर पाएंगे।
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न्यायमूर्ति पीटर जैक्सन ने लड़की के शरीर को संरक्षित करने की अनुमति प्रदान की। 2016 में जेएस की मृत्यु के बाद अमेरिका के Cryonics Institute के द्वारा उनके शरीर को वर्षों के लिए संरक्षित कर दिया गया।
Cryonic Preservation और Cryogenic Preservation में अंतर क्या है?
- अकसर देखा जाता है कि Cryonic Preservation और Cryogenic Preservation शब्द का प्रयोग एक ही स्थान के लिए किया जाता है लेकिन वास्तव में दोनों आपस में अलग अलग हैं।
- Cryonics – एक ऐसी तकनीक है जिसमें मृत व्यक्तियों को Cryogenic तरीके से बर्फ में जमा दिया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कोई व्यक्ति किसी बीमारी से पीड़ित हो, जिसका इलाज वर्तमान में संभव ना हो और वह मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। क्रायोनिक्स तकनीक के जरिए उस व्यक्ति के शरीर को संरक्षित करके रखा जा सकता है और भविष्य में जब कभी विज्ञान रोग का इलाज ढूढ़ लेगा तब उसे पुनः जिंदा किया जा सकता है।
- Cryonics पर विश्वास रखने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि व्यक्ति केवल बेहोश रहता है और भविष्य में रोगी व्यक्ति को दोबारा जीवन दिया जा सकता है। हालांकि Cryonic Preservation तकनीक कल्पना पर आधारित है। इस तकनीक से लाश को लगभग 100 वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
- Cryogenics – Cryogenic यूनानी भाषा के Cryos से लिया गया है जिसका अर्थ शीत या ठंड होता है। यह भौतिकी विज्ञान का ऐसा क्षेत्र है जहां निम्न ताप पर पदार्थों के गुण, व्यवहार और उसके उपयोग का अध्ययन किया जाता है।
Cryonic Preservation तकनीक की प्रक्रिया कैसी है?
- कानूनी रूप से किसी व्यक्ति को मृत घोषित करने के बाद शरीर को Cryogenic तरीके से संरक्षित करने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। यह प्रक्रिया कई दिनों तक निम्न चरणों में होती है।
- मृत्यु के तुरंत बाद शरीर के तापमान को कम करने के लिए बर्फ में रखा जाता है।
- शरीर के अंगों, खासकर मस्तिष्क में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए वेंटिलेशन मास्क लगाया जाता है।
- एंटीकोगुलेंट हेपरिन और स्वचालित सीपीआर के द्वारा रक्त प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है।
- शरीर को वाइट्रीफाइड करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है। तरल पदार्थ को शरीर में पंप किया जाता है और क्रायोप्रोटेक्टिव एजेंटों से बदला जाता है, जो कि एंटी फ्रीज़ का कार्य करता है। यह शरीर को ठंड में जमने के बाद होने वाले नुकसान से बचाता है।
- इसके बाद शरीर को सुरक्षात्मक इन्सुलेटिंग बैग के अंदर रखा जाता है।
- मृत शरीर को एक टैंक में उल्टा लटकाकर लिक्विड नाइट्रोजन गैस डाला जाता है। जिसके बाद -196 डिग्री से -360 डिग्री के बीच शरीर को वर्षों के लिए बर्फ में जमाकर संरक्षित रखा जाता है।
हज़ारों डॉलर की लागत से की जाती है पुनर्जीवन की कल्पना
विदेश की कई कंपनियां Cryonics पर काम कर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूरे शरीर को संरक्षित करवाने के लिए 2,000,00 डॉलर (लगभग 1 से 2 करोड़ रुपए) और केवल मस्तिष्क को संरक्षित करवाने के लिए 80,000 डॉलर खर्च करना पड़ सकता है। अलग अलग कंपनियां अलग अलग चार्ज रखती हैं। हालंकि वर्तमान में वैज्ञानिकों के पास मृत शरीर को जीवित करने की तकनीक नहीं है यह अभी केवल कल्पना पर आधारित है।
विश्व की कई कंपनियां Cryonics के क्षेत्र में कर रही हैं काम
रूस, अमेरिका और आस्ट्रेलिया जैसे देशों की कई कंपनियां क्रायोनिक्स तकनीक पर काम कर रही हैं। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका की कंपनी एलकोर लाइक एक्सटेंशन फाउंडेशन (Alcor like extention foundation) में 233 लोगों को बर्फ में जमा दिया गया है। इसके अलावा Kriyorus, Cryonics institute जैसी कई कंपनी इस क्षेत्र में काम कर रही है।
रिपोर्टस के मुताबिक 1960 से 1970 के दशक के बीच एक कंपनी को छोड़कर Cryonics पर काम कर रही कई कंपनियां मृत शरीर का निपटारा करके व्यवसाय छोड़ चुकी हैं। बता दें कि भारत में अब तक मृत लोगों के संरक्षण का कानूनी प्रावधान नहीं है।
क्या सच में Cryonic Preservation तकनीक कारगर साबित हो सकता है?
Cryonic Presevation केवल कल्पना मात्र है। जिस प्रकार वैज्ञानिकों के द्वारा दवाई के निर्माण के बाद अंतिम दिन (Expiry Date) निर्धारित किया जाता है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य के जन्म के साथ ही धर्मराज के द्वारा मृत्यु का दिन निर्धारित कर दिया जाता है। आपको बता दें कि पुरातन काल से ही लोगों को अमर होने की प्रबल इच्छा थी। बड़े बड़े ऋषि महर्षि, देवता यहां तक कि रामायण में लिखा है कि लंकापति रावण अमृत पीकर भी ना चाहते हुए मृत्यु को प्राप्त हुए।
सभी मानव समाज इस बात से परिचित है कि जीवन स्वासों से बना है और शरीर में आत्मा की मौजूदगी ही मनुष्य के जीवित होने का साक्ष्य रखती है। वैज्ञानिक चाहें अपनी अटकलबाजी लगाकर लाख प्रयत्न कर लें परंतु मृत्यु को नहीं टाल सकते और ना ही कोई देवी देवता टाल सकता है अथवा मृत शरीर में प्राण फूंक सकता है।
समरथ शक्ति मृत व्यक्ति को भी जीवित कर सकता है
आपको बता दें कि समरथ परमात्मा कबीर साहेब जी सन् 1398 से 1518 तक अपनी लीलामय शरीर में 120 वर्ष रहे, उस दौरान उन्होंने अनेकों चमत्कार किए। मृत लड़के कमाल का शव नदी में बहते हुए आ रहा था। परमात्मा कबीर जी के आदेश से मृत शरीर में आत्मा के प्रवेश करते ही जीवित हो उठे। इसके अलावा उन्होंने कमाली नाम की लड़की जो कई दिनों से कब्र में दफनाई हुई थी, परमात्मा कबीर जी ने कब्र को फोड़वाकर उसे जीवन दान प्रदान किया था। ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 – 3 एवं यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 भी यही गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव/कबीर साहेब पापों को नाश करके रोगी को 100 वर्ष की उम्र प्रदान कर सकते है। #सबसे_बड़ा_डॉक्टर_भगवान_है
परमात्मा कहते हैं –
मासा घटे न तिल बढे, विधिना लिखे जो लेख।
सच्चा सतगुरु मेट के, ऊपर मार दे मेख।।
अर्थात् सच्चे सदगुरु धर्मराज के लिखे लेख को मिटाकर साधक की आयु बढ़ा सकता है, यदि वह उनके द्वारा बताई साधना करता है।
आज वैज्ञानिकों के अलावा पूरे मानव समाज को परमात्मा के तत्वज्ञान को समझने की आवश्यकता है। आज विश्व में संत रामपाल जी महाराज जी ने परमात्मा के संविधान को विस्तारपूर्वक बताया है और उस शाश्वत, अजर, अमर स्थान तथा वहां जाने का भेद (विधि) बताई है, जहां जाने के बाद साधक पुनः लौटकर इस नश्वर संसार में जन्म मृत्यु के चक्कर में नहीं पड़ता और सदा के लिए अमर हो जाता है। वर्तमान में संपूर्ण विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज जी सच्चे सद्गुरु अर्थात तत्वदर्शी/बाखबर संत हैं जो अपने अनुयायियों को शाश्वत स्थान में जाने के लिए पूर्ण भक्ति विधि बता रहे हैं। आप सभी से निवेदन है कि उनके दिए गए तत्वज्ञान को समझकर उनसे नाम दीक्षा ग्रहण करें। अधिक जानकारी के लिए संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तक जीने की राह अवश्य पढ़ें।
FAQS on Cryonic Preservation
1.न्यूरोप्रिज़र्वेशन क्या है?
उत्तर:- न्यूरोप्रिज़र्वेशन सस्ता विकल्प होने के कारण, इसके अंतर्गत केवल मस्तिष्क को संरक्षित किया जाता है, वैज्ञानिकों का मानना है कि मस्तिष्क की जानकारी को सुरक्षित रखकर भविष्य में व्यक्ति का क्लोन तैयार किया जा सकता है।
2.मनुष्यों को बर्फ में जमाकर संरक्षित करने का प्रस्ताव सबसे पहले कौन से वैज्ञानिक ने दिया?
उत्तर :- प्रोफेसर रॉबर्ट एटिंगर।
3. पहले मानव शरीर को फ्रीज़ कब किया गया था?
उत्तर :- अप्रैल सन् 1966, केवल दो महीने के लिए किया गया था।
4.क्या क्रायोनिक्स तकनीक से भविष्य में इंसानों को पुनर्जीवित किया जा सकता है?
उत्तर :- नहीं।
5.वह अमर स्थान कौन सा है, जहां जाने के बाद जन्म मृत्यु नहीं होता?
उत्तर :- सतलोक।