मुख्य बिंदु
- 90 के दशक में रामायण, महाभारत और मोगली जैसे धारावाहिकों ने परिवारों को एकजुट किया।
- बॉलीवुड में 2000 के बाद अश्लीलता और अनैतिक संबंधों का खुला प्रदर्शन बढ़ा।
- मोबाइल और सोशल मीडिया ने अश्लीलता और नैतिक पतन को बढ़ावा दिया।
- राजनीति में भी बॉलीवुड का नकारात्मक प्रभाव दिखने लगा है।
- सरकार से अश्लीलता पर सख्त कानून बनाने की मांग की गई है।
- कुछ लोग मोबाइल का सही उपयोग कर रहे हैं, लेकिन ऐसे लोग बहुत कम हैं।
- वर्तमान की भारतीय मनोरंजन के प्रभाव से बच्चों में लड़ाई-झगड़े व बड़े-बड़े अपराध करने के ख्याल उठते दिखाई देते हैं।
- आजकल की युवा पीढ़ी अश्लीलता की तरफ ज्यादा बढ़ रही है जिससे बलात्कार जैसे अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं।
- मोबाइल फ़ोन व सोशल मीडिया के कारण बच्चे माता पिता से दूर होते जा रहे हैं।
- समाज से इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने की अपील की गई है।
मनोरंजन का स्वर्णिम युग: 90 के दशक की टेलीविजन संस्कृति
90 के दशक में, भारतीय टेलीविजन पर रामायण, महाभारत, और मोगली जैसे धारावाहिकों ने पूरे परिवार को एक साथ बांधे रखा। इन कार्यक्रमों ने न केवल मनोरंजन का स्रोत प्रदान किया, बल्कि पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों का भी संचार किया। उस दौर में परिवारजन एक साथ बैठकर इन कार्यक्रमों का आनंद लेते थे, और इन्हें देखना एक सामाजिक अनुभव होता था।
बॉलीवुड का बदलता चेहरा: पारिवारिक मूल्यों का ह्रास
2000 के दशक के बाद, बॉलीवुड फिल्मों और धारावाहिकों में एक बड़ा बदलाव देखा गया। जहां पहले की फिल्मों में लाज-शर्म और सांस्कृतिक मर्यादाओं को महत्व दिया जाता था, अब अश्लीलता और अनैतिक संबंधों का खुला प्रदर्शन आम हो गया है। यह परिवर्तन परिवारों में एक साथ बैठकर देखने की परंपरा को कमजोर करने का एक बड़ा कारण बना है।
मोबाइल और सोशल मीडिया का समाज पर बढ़ता प्रभाव
बॉलीवुड के साथ-साथ मोबाइल और सोशल मीडिया ने भी समाज में अश्लीलता के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक समय था जब गांवों में एक या दो टेलीफोन होते थे और कॉल आने पर पूरा परिवार एकत्रित हो जाता था। आज, मोबाइल के अत्यधिक उपयोग ने परिवारों के बीच संवाद को कम कर दिया है और रिश्तों में दूरियां बढ़ा दी है।
राजनीति में बॉलीवुड का दखल: एक नकारात्मक प्रभाव
सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि आज की राजनीति और समाज में भी बॉलीवुड का नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पहले की फिल्मों में नैतिकता और आदर्शों को प्रमुखता दी जाती थी, जबकि अब हिंसा, नशा और धर्म के नाम पर विभाजन को बढ़ावा देने वाले कंटेंट को प्राथमिकता दी जा रही है।
मोबाइल के माध्यम से फैलने वाली अश्लीलता: एक गंभीर समस्या
सबसे गंभीर मुद्दा मोबाइल के माध्यम से फैलने वाली अश्लीलता का है। मोबाइल और सोशल मीडिया के प्रसार के साथ ही, मनोरंजन की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है। यूट्यूब, इंस्टाग्राम, और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट की भरमार हो गई है, जिसमें बहुत सारे कंटेंट अश्लीलता और अनैतिकता को बढ़ावा देते हैं। अश्लील सामग्री अब आसानी से उपलब्ध है, और इसे देखकर नई पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यह अश्लीलता अब नियंत्रण से बाहर हो गई है, और इसे रोकने के लिए सरकार द्वारा सख्त कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। जो लोग इस प्रकार का अश्लील कंटेंट सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं उनके एकाउंट्स की अच्छे से जांच की जानी चाहिए और गलत कंटेंट को हटवाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
मोबाइल और तकनीक का सकारात्मक उपयोग: कम लेकिन महत्वपूर्ण
हालांकि, कुछ लोग मोबाइल और तकनीक का सही उपयोग भी कर रहे हैं, जैसे कि ऑनलाइन शिक्षा और व्यापार में। लेकिन ऐसे लोग बहुत कम हैं, और व्यापक स्तर पर मोबाइल और सोशल मीडिया का दुरुपयोग ही हो रहा है।
भविष्य के लिए गंभीर विचार: सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता
समाज के सभी वर्गों को यह विचार करना होगा कि हमने रामायण और महाभारत से लेकर अश्लीलता और नैतिक पतन तक की यात्रा कैसे की। यदि समाज इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं देगा, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है। अब समय आ गया है कि हम अपने मूल्यों को पुनः स्थापित करने के लिए ठोस कदम उठाएं।
निष्कर्ष: समाज में नैतिक मूल्यों की पुनः स्थापना में सतज्ञान की भूमिका
भारतीय मनोरंजन और डिजिटल मीडिया में पिछले कुछ दशकों के बदलावों ने समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाला है, जहां पहले पारिवारिक और नैतिक मूल्यों को सहेजने वाले कार्यक्रम होते थे, वहीं अब अश्लीलता और अनैतिकता का प्रसार बढ़ गया है। मोबाइल और सोशल मीडिया के गलत उपयोग ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है, जिससे समाज में नैतिक पतन और पारिवारिक रिश्तों में दरार आई है।
इस चुनौतीपूर्ण समय में, संत रामपाल जी महाराज का सतज्ञान समाज सुधार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उनके प्रवचन और शिक्षाएं समाज को धार्मिक और नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित कर रहे हैं। समाज में शांति, सद्भाव और नैतिकता की पुनः स्थापना के लिए उनके सतज्ञान को अपनाना आवश्यक है, ताकि हम एक सकारात्मक और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकें। सत्संग व धार्मिकता की तरफ अपने कदम बढ़ाएं जिससे आने वाली पीढ़ियां सात्विक विचार रखने वाली बने और अपने संस्कारों का वहन करे। तत्वज्ञान का बच्चों पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। बच्चे छोटी उम्र से ही जैसा सीखते हैं जीवन भर उसका पालन करते हैं। यदि आज कदम नहीं उठाया तो बहुत देर हो जाएगी। अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचो और संत रामपाल जी महाराज जी के सतज्ञान पर गौर करें। सतज्ञान को ठीक से जानने के लिए पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा ।
FAQs: समाज में नैतिक मूल्यों की पुनः स्थापना
1.भारतीय मनोरंजन और समाज में पिछले कुछ दशकों में क्या बदलाव हुए हैं?
90 के दशक में, भारतीय मनोरंजन उद्योग में परिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित कार्यक्रम लोकप्रिय थे, जैसे रामायण, महाभारत, और मोगली। लेकिन 2000 के बाद, बॉलीवुड और डिजिटल मीडिया में अश्लीलता और अनैतिकता का प्रसार बढ़ गया, जिससे समाज में नैतिक पतन और पारिवारिक रिश्तों में दरार आ चुकी हैं।
2. मोबाइल और सोशल मीडिया का समाज पर क्या असर पड़ा है?
मोबाइल और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग ने समाज में अश्लीलता और नैतिक पतन को बढ़ावा दिया है। जहां एक ओर यह तकनीक सुविधाएं प्रदान करती है, वहीं दूसरी ओर इसका गलत उपयोग परिवारों में संवाद की कमी और रिश्तों में तनाव का कारण बन रहा है।
3. संत रामपाल जी महाराज का सतज्ञान क्या है?
संत रामपाल जी महाराज का सतज्ञान धार्मिक और नैतिक शिक्षा पर आधारित है, जो लोगों को सच्चे धर्म और नैतिक मूल्यों की ओर प्रेरित करता है। उनका सतज्ञान समाज में शांति, सद्भाव और नैतिकता की पुनः स्थापना कर रहा है।
4. सतज्ञान का समाज सुधार में क्या योगदान है?
सतज्ञान ने कई लोगों को अश्लीलता, अनैतिकता, और अन्य नकारात्मक आदतों जैसे लड़ाई-झगड़े, नशे, चोरी-ठग्गी, यारी, रिश्वतखोरी से दूर होकर एक सच्चे और समर्पित जीवन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। यह समाज में नैतिकता और आदर्शों को पुनर्जीवित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
5. क्या सतज्ञान का पालन करके समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है?
हां, सतज्ञान का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन में सच्चे धार्मिक और नैतिक मूल्यों को अपना सकता है, जिससे समाज में शांति, सद्भाव और नैतिकता की पुनः स्थापना हो सकती है। संत रामपाल जी महाराज का सतज्ञान इस दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करता है।