वर्तमान समय में पढ़ने की आदत खत्म सी होती जा रही है । अगर देखा जाए तो हम हमारे घर से ही बात को प्रारंभ करते हैं । घर में किताबें अभी हर जगह बिखरी पड़ी हैं,क्योंकि अभी पढ़ने का शौक जिंदा है।परंतु अनुभव से ऐसा लगता है कि बाद की पीढ़ियों में ऐसा देखने को नहीं मिलेगा।कुछ लोगों के मुंह से सुनते हैं कि मुझे पुस्तक पढ़ने का बहुत शौक है, मैं किसी से उधार लेकर पढ़ता हूं और मुझे बहुत आनंद आता है,जब पुस्तकों को पढ़ता हूं।
लेकिन कुछ समय बाद यह बातें अतीत की बातें लगने लगेंगी।कुछ लोगों को किताबें पढ़ना बहुत पसंद होता है। ज्यादातर पढ़ने के शौकीन उपन्यास, साहित्य, कहानियां या फिर यात्रा वृतांत पढ़ने का शौक भी रखते हैं । साहित्यों के अध्ययन द्वारा हमें अपने रुचिकर विषयों में और अधिक जानकारी प्राप्त होती है।इसलिए हमें पढ़ते रहना चाहिए। किताबों के पठन द्वारा हम ऐसे अनुभव पा सकते हैं,जो हम हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
किताबों को पढ़ने से लाभ
किताबें हमारे दुख और सुख की साथी होती हैं।किताबें पढ़ने से हमें निम्न लाभ प्राप्त होते हैं :
- दिमाग सक्रिय होने के साथ – साथ एकाग्रता की ओर बढ़ता है।
- स्वयं की जानकारी/ज्ञान में वृद्धि होती है ।
- हम एक बेहतर इंसान बनने के साथ – साथ मानसिक और भावनात्मक रूप से ठोस होते हैं ।
- किताबों का अध्ययन सहानुभूति तो बढ़ाता ही है,साथ ही आत्मबल को भी मजबूत करने में मदद करता है।
- पढ़ने – पढ़ते हमारी पढ़ने, लिखने और बोलने की कला/क्षमता भी बढ़ती है ।
- हम एक नए अनुभव (मन में स्थिरता ) को महसूस करते हैं,जब हम किताबों को पढ़ने में समय देते हैं।
कैसे बनाएं किताबें पढ़ने की आदत
प्रत्येक दिन कोशिश यही रहे कि थोड़ा समय निकाल कर 4 – 5 पेज किताब के जरूर पढ़ना है।देखें कि रुचि किन किताबें पढ़ने में है,फिर अपनी रुचि के अनुसार पढ़ने पर मन बहुत अच्छा लगता है।पढ़ने के लिए ऐसा जरूरी नहीं कि 4 – 5 घंटे तक पढ़ना होगा,आप समय के अनुकूल थोड़ा – थोड़ा पढ़ने के लिए आतुरता दर्शाएं। उसके बाद फिर मन पढ़ने में अपने आप लगने लगता है।ऐसा बोलते लोग अक्सर पाए गए हैं कि समय नहीं, यह तो झूठ है।क्योंकि समय होता नहीं, निकालना पड़ता है। कोशिश करने पर हमेशा सफलता ही मिलती है।थोड़े से शुरू करें ,वह अधिक में परिवर्तित होकर लाभ देता है ।
किताब पढ़ते समय किन बातों का रखें ख्याल
किताब कोई भी हो, उसे पढ़ने का सही तरीका होना चाहिए । ऐसा नहीं होना चाहिए कि जल्दी – जल्दी किताब के पेज पढ़ कर किताब रख दो।किताब पढ़ने के दौरान कोशिश रहे कि प्रत्येक शब्द को अंगुली से दर्शाते हुए पढ़ें।आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी पठन क्रिया गतिशील हो जाएगी।ध्यानपूर्वक पढ़ने से त्रुटियां भी बहुत कम होने लगेंगी।सुनिश्चित करें कि आरामदायक वातावरण में ही किताबें पढ़ना है और साथ ही पठन के दौरान महत्वपूर्ण शब्दों/विचारों को लिख लेना है।बाद में विषय और पात्रों पर विचार करें और फिर उन विचारों पर अनुसरण करने का प्रयास करें। ऐसा करने पर आप पाएंगे कि मेरी जानकारी/ज्ञान में वृद्धि हो रही है ।
इससे आपके मन में सकारात्मक विचार उभरने लगेंगे और आपका आत्मबल मजबूत होगा ।लेकिन पढ़ने में ज्यादा व्यस्त होना भी हानिकारक है,जिससे आपका सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन प्रभावित हो सकता है। इसी लिए किताबें पढ़ें ,लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें कि जीवन से संबंधित श्रृंखला न टूटे। हमारा कर्तव्य यह भी है कि परिवार / मित्रों को भी समय देना चाहिए,जिससे हमारे व्यक्तिगत /सामाजिक विचार निर्मित होते हैं।
क्यों है किताबें पढ़ने की आवश्यकता
किताबें/पुस्तकें पढ़ना हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है । पठन अभ्यास से बहुत लाभ है जैसे कि ध्यान, स्मृति, सहानुभूति और संचार कौशल मजबूत बनाने का यही सफल प्रयास है। पुस्तकें पढ़ने वाले अक्सर तनाव रहित पाए जाते हैं और उनका मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। पढ़ने से हमारी काल्पनिक शक्ति में वृद्धि होती है और एक नई दुनिया के द्वार में प्रवेश मिलता है ।
पठन क्रिया से मनोरंजन तो होता ही है साथ में सकारात्मक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक लाभ भी प्राप्त होते हैं । यदि में हमारे मुख्य कार्य पूर्ण कर, हर – रोज किताबें पढ़ने की आदत बनाएं तो चिंता/तनाव तो दूर होगा ही,साथ में समय का भी सदुपयोग होगा। इससे हम लड़ाई – झगड़े, बुराई , ईर्ष्या से भी बच सकते हैं।
किताबों से संबंधित अब्राहम लिंकन के विचार
अब्राहम लिंकन ने जो कहा उसे कोई नकार नहीं सकता क्योंकि उनके अनुभव कोई नए नहीं रहे हैं। उन्होंने भी किताबों का अध्ययन (पढ़ी थी) जिससे उनको सत्य का अनुभव हुआ कि किताबें पढ़ने के दौरान क्या अनुभूति और जानकारी मिलती है। उन्होंने कहा कि – “किताबें ही हैं जो व्यक्ति को बता सकती हैं कि उसके मूल विचार असल में इतने नये भी नहीं हैं।” सत्य तो यही है कि किताबें पढ़ने से बड़ा सुख हो भी नहीं सकता ,क्योंकि जिसने यह शौक रखा और पूरा किया उससे पूछो कि क्या अनुभव किया है।यही कारण रहा है कि किताबों को सर्व श्रेष्ठ मित्र कहा जाता है।
किताबें अपने महत्व को हमेशा बरक़रार रखती हैं
देखा जाए तो इस समय कंप्यूटर, मोबाइल फोन, इंटरनेट का उपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है। इस समय को हम स्मार्ट युग भी कह सकते हैं। आज के बच्चे इन तकनीकियों को अपने अध्ययन कार्य में बहुत अच्छा मददगार मानते हैं ,परंतु ये तकनीकें पुस्तकों के महत्व के नष्ट नहीं कर सकती हैं ।जब हम किताबें पढ़ते हैं तो अनेकों प्रकार की नई जानकारी प्राप्त होती है। इससे कुछ अनसुलझी बातें भी मिलती है,जिनका हल किताबें पढ़ने से ही प्राप्त होता है।
किताबें पढ़ने की रूचि अध्यात्मिक मार्ग में है मददगार
किताबों को पढ़ने का शौकीन वेद – पुराणों को पढ़ने की भी रुचि करता है।किताबें अंतर दृष्टि खोलकर पढ़ने से ही लाभ होता है। ऊपर से पढ़ा गया सफलता प्रदान नहीं करता है।मानव जन्म सांसारिक सुख प्राप्ति के लिए नहीं हुआ है । वेदों – पुराणों के सार को समझने के लिए एक बार उठा लेना चाहिए और पठन प्रारंभ कर देना चाहिए।अंत में आप पाएंगे कि हमें करना था और हम कर क्या रहे हैं? वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत हैं जो वेदों – पुराणों को खोलकर सत्यता से रूबरू कराते हैं।साथ ही हर बात के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण देते हैं।
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FAQs
किताबें पढ़ने आवश्यकता क्यों है ?
किताबों के पठन से आपके ध्यान, स्मृति, सहानुभूति और संचार कौशल को वृद्धि प्रदान करता है । इससे व्यक्तिगत /सामाजिक विचार निर्मित होते हैं।
किताबों का रोज अध्ययन दिमाग पर क्या असर करता है ?
रोज पठन अभ्यास द्वारा हम मस्तिष्क और स्मृति कार्य को मजबूत बना सकते हैं। पढ़ने से स्मृति शक्ति का विकास होता है । तनाव/चिंता कम होती है।
किताबें पढ़ना कैसे और कहां से शुरू करें ?
सर्व प्रथम सरल भाषाई लघु कहानियों से प्रारम्भ करना चाहिए।साथ ही थोड़ा – थोड़ा करके पढ़ने से रुचि बढ़ती है ।यदि हम एक साथ ज्यादा पढ़ने बैठेंगे,तो हमें पढ़ने में रुचि कम होगी और थकान महसूस होगी।