आज के समय में अधिकतर युवा अपना समय सोशल मीडिया पर ही बिताते हैं। युवा लोग सोशल मीडिया पर समय व्यतीत करते समय हर एक चीज़ को नजरअंदाज कर देते हैं, चाहे फिर उनका जरूरी कार्य ही क्यों न हो। सोशल मीडिया पर परोसा जाने वाला कंटेंट उनको अपनी तरफ आकर्षित करता चला जाता है, जिससे उनके दिमाग पर काफ़ी नुकसान पहुंच रहा है। इसके बुरे प्रभाव भी हो सकते हैं, खासकर जब मानसिक स्थिति की बात आए तो युवाओं को तनाव का भी सामना करना पड़ सकता है। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि सोशल मीडिया वाकई में युवा पीढ़ी के मानसिक तनाव पर प्रभाव डाल रही है या नहीं?
सोशल मीडिया मानसिक तनाव कैसे कर सकता है?
आपको बता दें कि जब कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर अपना समय व्यतीत करता है, तो वह अन्य कार्य जैसे कि उसकी शिक्षा, उसका जरूरी कार्य और पारिवारिक रिश्तों से दूर हो जाता है। यह स्थिति उन्हें बिल्कुल अकेला कर देती है और वे मानसिक तनाव के शिकार हो जाते हैं। अक्सर देखा जाता है कि युवा पीढ़ी आजकल सोशल मीडिया पर मनोरंजन के लिए घंटों समय व्यतीत करती है। वे एक-दूसरे की तस्वीरें, वीडियो एवं अन्य पोस्ट देखकर आकर्षित होते हैं और अपने अंदर भी यही बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।
जबकि वे इस बात से अनजान रहते हैं कि सोशल मीडिया की इस आदत से उनकी मानसिक स्थिति खराब हो सकती है। किसी भी चीज की ज़िद या फिर बार-बार वही सोचने की प्रवृत्ति मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल सकती है और यह आगे चलकर काफी गंभीर भी बन सकता है।
आजकल यह भी देखने को मिल रहा है कि युवा विशेषकर देर रात तक फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती है और उनकी पूरी दिनचर्या गड़बड़ा जाती है। आइए अब जानते हैं कि मानसिक तनाव से युवाओं में किस प्रकार की स्थिति पैदा हो सकती है।
नींद पूरी न होना
सर्वप्रथम, युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर घंटों समय व्यतीत करती है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। देर रात तक मोबाइल फोन में सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर वे अपनी नींद खराब कर लेते हैं, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित होती है। इससे उनमें चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी हो रही है। सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से उनकी आंखें भी खराब हो सकती हैं।
अभद्र भाषा और गलत कमेंट
आजकल सोशल मीडिया पर हर जगह अभद्र भाषा और गलत कमेंट का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे युवा पीढ़ी गलत रास्ते पर जा रही है। सोशल मीडिया को मनोरंजन का नाम देकर गलत राह अपनाई जा रही है। देखने में आता है कि लोग एक-दूसरे की पोस्ट पर दोषपूर्ण भावनाओं के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग कर गलत कमेंट करते हैं। इससे युवाओं का वास्तविक दुनिया से लगाव कम होता जा रहा है और यह मानसिक तनाव का गहरा कारण बन रहा है।
नकारात्मक विचार
सोशल मीडिया का एक नकारात्मक पहलू भी है। युवाओं को सोशल मीडिया नेटवर्किंग का एक नशा सा हो गया है। सोशल मीडिया पर बार-बार स्टेटस अपडेट करना और घंटों मित्रों के साथ चैटिंग करना युवा पीढ़ी को काफ़ी हद तक प्रभावित कर रहा है। सोशल मीडिया पर दिखाई जाने वाली गलत वीडियो और पोस्ट के माध्यम से युवा गलत वेशभूषा, बोलचाल और नशा को एक फैशन सा बना रहे हैं, जोकि समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। सोशल मीडिया पर दिखाई गई सामग्री से युवा पीढ़ी में नकारात्मक विचार उत्पन्न हो रहे हैं। यहां तक कि कभी-कभी वे अपने माता-पिता की बातों को भी अनसुना कर देते हैं, जो कि बिल्कुल अनुचित है।
महत्वपूर्ण लक्ष्य से वंचित
युवाओं पर सोशल मीडिया का प्रभाव बहुत ही गहरा है। यह वह वर्ग है, जो सबसे ज्यादा सपने देखता है और उन सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करता है। युवा और सोशल मीडिया एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। जहां एक तरफ सोशल मीडिया युवाओं को एक नई दिशा दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ युवा अपना सपना पूरा करने के लिए इस माध्यम का उपयोग कर रहे हैं। परंतु सोशल मीडिया पर अपना संपूर्ण समय व्यतीत कर कभी-कभी युवा पीढ़ी महत्वपूर्ण लक्ष्य से वंचित हो रही है। उन्हें चाहिए कि वे सोशल मीडिया का उपयोग सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही करें, जिससे वे अपने लक्ष्य पर केंद्रित रह सकें।
सोशल मीडिया के बुरे प्रभाव से बचने के समाधान
सोशल मीडिया पर हम जितना समय कम व्यतीत करेंगे, उतने ही मानसिक तनाव के लक्षणों से दूर रहेंगे। आइए जानें इससे बचने के कुछ समाधान:
- यदि आपको महसूस हो कि आप अकेले हैं, तो सोशल मीडिया की अपेक्षा अपने आसपास के मित्रों, परिवार के सदस्यों एवं अन्य लोगों के साथ बातचीत करें।
- सोशल मीडिया का समय निर्धारित करें कि आप एक दिन या एक हफ्ते में कितना समय बिताना चाहते हैं और उस पर टिके रहें।
- सोशल मीडिया पर अक्सर लोग अपने आप को अच्छी जिंदगी वाला दिखाने की कोशिश करते हैं, इसलिए दूसरों से तुलना करने से बचें।
- ऐसी खबरों और आपत्तिजनक पोस्ट को नजरअंदाज करें, जोकि गलत हैं।
क्या है युवाओं के लिए सत्य मार्ग
अधिकतर युवा पीढ़ी को बुरी आदतों से बचते हुए अपने लक्ष्य को निर्धारित कर आगे बढ़ना चाहिए, जिससे कि उनमें मानसिक तनाव और अन्य बीमारियां न हों। युवाओं के लिए सत्य मार्ग है कि वे संतों के सत्संग सुनें और उनके विचारों पर अमल करें। आजकल सोशल मीडिया युवा पीढ़ी के लिए गलत भी है और सही भी है। सोशल मीडिया पर उनके जीवन से जुड़े सभी निर्णयों का समाधान भी किया जाता है, वहीं आपत्तिजनक पोस्ट उनको बिगाड़ भी सकती है। परंतु यदि वे सत्संग सुनेंगे तो वे गलत चीजों से अपने आप दूर होते चले जाएंगे।
युवा पीढ़ी मनोरंजन के लिए बुरी चीजों पर आश्रित होती जा रही है, जोकि बिल्कुल अनुचित है। मनुष्य जन्म सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि एक उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए प्राप्त हुआ है।
भक्ति या मनोरंजन
सोशल मीडिया का इस्तेमाल युवा पीढ़ी सिर्फ मनोरंजन के लिए ही करती है। आजकल मनोरंजन मनुष्य का एक अहम हिस्सा बन गया है। परंतु यह मनोरंजन भी कुछ समय तक ही आपको मिल सकता है। कहीं न कहीं नाचना, गाना, नशा और फैशन मानव समाज को बिगाड़ रहे हैं। युवा पीढ़ी भक्ति के नाम पर सिर्फ बुढ़ापे का इंतजार करती है। उनका कहना है कि भक्ति सिर्फ बुढ़ापे में ही करनी चाहिए। इसके ऊपर नानक साहिब जी बताते हैं कि
ना जाने काल की कर डारे,
किस विधि ढ़ल जा पासा वे।
जिन्हाते सिर ते मौत खुड़कदी,
उन्हानूं केहड़ा हांसा वे।।
अर्थात यहाँ किस चीज़ की खुशी मनाएं, जहाँ एक पल का भी ठिकाना न हो। नानक जी ने उपरोक्त वाणी में यही बताया है कि इस मनुष्य जन्म का मुख्य उद्देश्य भक्ति करना है क्योंकि यह मौत कभी भी आ सकती है। वर्तमान में प्राणी सर्व प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध पाकर भी भक्ति नहीं करता और अपने जीवन में मनोरंजन की एक भी कमी नहीं रहने देता। फिर मृत्यु के उपरांत भगवान के दरबार में खाली हाथ जाता है क्योंकि जीवन में मिलने वाली सुख-सुविधाओं के कारण एक भी पुण्य कर्म किए बिना पाप कर्मों की बोरी इकट्ठी कर लेता है।
मनुष्य जन्म का सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि वह सद्भक्ति के मार्ग पर चले और अपने जीवन का कल्याण करवाए।
FAQ
प्रश्न 1: सोशल मीडिया के कारण युवा पीढ़ी पर क्या असर हो रहा है?
उत्तर 1: सोशल मीडिया पर ज्यादा समय व्यतीत करने से उनकी मानसिक स्थिति खराब हो रही है।
प्रश्न 2: सोशल मीडिया के प्रभाव से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर 2: आपत्तिजनक पोस्ट को नजरअंदाज करने, अपनों के साथ समय व्यतीत करने और समय सीमा निर्धारित करके सोशल मीडिया के प्रभाव से बचा जा सकता है।
प्रश्न 3: युवाओं में बढ़ते मानसिक तनाव के क्या लक्षण हो सकते हैं?
उत्तर 3: नींद न आना, चिड़चिड़ापन और अकेलापन मानसिक तनाव के लक्षण हो सकते हैं।
प्रश्न 4: युवा पीढ़ी को बुरी आदतों से कैसे बचाया जा सकता है?
उत्तर 4: संतों के सत्संगों को सुनने और आध्यात्मिक पुस्तकों को पढ़ने से युवा पीढ़ी को बुरी आदतों से बचाया जा सकता है।