Ajit Doval Birthday Today : अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उनके पिता जीएन डोभाल भी भारतीय सेना में एक अधिकारी थे। डोभाल की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर, राजस्थान में किंग जॉर्ज्स रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (अब अजमेर मिलिट्री स्कूल) में हुई।
अजीत डोभाल का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी. स्कूल के दिनों से ही उनमें सेना के अनुशासन की समझ है. स्कूल पूरा करने के बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए.
कौन हैं अजीत डोभाल (Who is Ajit Doval)
20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे डोभाल के पिता का नाम गुणानंद डोभाल है, जो खुद भी सेना में बड़े अधिकारी थे. उनकी शुरुआती शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल में हुई. साल 1967 में उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में फर्स्ट पॉजिशन के साथ डिग्री ली. इसके बाद वो आईपीएस बनने की तैयारी में लग गए और साल 1968 में केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी बने. पुलिस सेवा में चार साल बिताने के बाद 1972 में भारत की खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी में शामिल हो गए
Ajit Doval Birthday: आईपीएस अधिकारी रहे डोभाल 1972 में
कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए. आईपीएस अधिकारी रहे डोभाल 1972 में खुफिया एजेंसी RAW से जुड़ गए. उन्होंने पाकिस्तान में 7 साल तक अंडर कवर एजेंट के रूप में भी काम किया. 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण हुआ था. इसे बाद में कंधार ले जाया गया था. उस समय अजित डोभाल ने तालिबान के साथ बातचीत में काफी अहम भूमिका अदा की थी.
Ajit Doval Birthday: 1972 में रॉ (Raw) से जुड़े डोभाल
अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उनके पिता जीएन डोभाल भी भारतीय सेना में एक अधिकारी थे। डोभाल की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर, राजस्थान में किंग जॉर्ज्स रॉयल इंडियन मिलिट्री स्कूल (अब अजमेर मिलिट्री स्कूल) में हुई। 1967 में उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स किया। 1968 बैच के केरल कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे डोभाल 1972 में खुफिया एजेंसी रॉ से जुड़ गए। उन्होंने पाकिस्तान में 7 साल तक अंडर कवर एजेंट के रूप में भी काम किया।
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स्वर्ण मंदिर के ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अहम भूमिका
साल 1988 में अमृतर की गलियों में एक युवक रिक्शा चलाता दिख रहा था। इस इलाके में तब जरनैल सिंह भिंडरावाले का अच्छा खासा प्रभाव हुआ करता था। खालिस्तानियों को उस पर शक हुआ। हालांकि, उस रिक्शेवाले ने अपनी सूझबूझ से 10 दिन की मशक्कत के बाद यह विश्वास दिला दिया कि उसे आईएसआई ने खालिस्तानियों की मदद के लिए भेजा है। बताया जाता है कि वह रिक्शावाला कोई और नहीं बल्कि अजित डोभाल ही थे। डोभाल ने ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अलगाववादियों की पोजिशन और संख्या की जानकारी देकर काफी अहम भूमिका निभाई थी।
मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में चुना
30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया. इससे पहले शिवशंकर मेनन भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे. पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान अजीत डोभाल सबसे ज्यादा चर्चा में आए.
ऑपरेशन ब्लैक थंडर में डोभाल की भूमिका
जून 1984 में पंजाब के स्वर्ण मंदिर को खालिस्तानी समर्थकों से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार के कुछ समय ऑपरेशन ब्लैक थंडर को अंजाम दिया गया. दरअसल ऑपरेशन ब्लू स्टार के करीब चार साल बाद खालिस्तानी समर्थक एक बार फिर स्वर्ण मंदिर के अकाल तख्त के पास पहुंच गए. यही वो समय था जब भारत के मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस ऑपरेशन के दौरान डोभाल रिक्शेवाले के भेष में मंदिर में दाखिल हुए और अहम जानकारी भारतीय सेना को दी. अजीत डोभाल ने आईएसआईएस आंतकियों के कब्जे से 46 भारतीय नर्सों को छुड़ाने में भी अहम भूमिका निभाई.
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Ajit Doval Birthday: 7 सालों तक पाकिस्तान में मुसलमान बनकर रहे डोभाल
लंबे समय तक पुलिस सेवा में रहने के साथ ही डोभाल ने कई देशों में भारत के जासूस के रूप में एक लंबा समय बिताया है. डोभाल 7 सालों तक पाकिस्तान में भारत के अंडरकवर जासूस रहे. पाकिस्तान में रहते हुए उन्होंने एक मुसलमान व्यक्ति के रूप में खुद को ढाला और कभी भी किसी को ये भनक नहीं लगने दी कि वे एक हिंदू हैं. लेकिन एक बार उनका ये भेद खुल गया. डोभाल पाकिस्तान के लाहौर में रहा करते थे. लाहौर में ही औलिया की एक बहुत बड़ी मजार है.
कंधार विमान अपहरण के दौरान तालीबान से बातचीत
1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण हुआ था। इसे बाद में कंधार ले जाया गया था। उस समय अजित डोभाल ने तालिबान के साथ बातचीत में काफी अहम भूमिका अदा की थी। रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत के अनुसार उस दौरान कंधार से डोभाल लगातार उनके संपर्क में थे। डोभाल ने ही हाइजैकर्स को यात्रियों को छोड़ने के लिए राजी किया था।
पाकिस्तान को दिया मुंहतोड़ जवाब
सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयर स्ट्राइक डोभाल ने दोनों मिशनों में अहम भूमिका निभाई और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। ऐसा पहली बार है जब भारतीय सेना ने दुश्मनों की जमीन पर जाकर ही दुश्मनों को ढेर किया।