बाल – युवा हो रहे हैं यौन दुराचार एवं शोषण के शिकार: एक गंभीर मुद्दा

बाल - युवा हो रहे हैं यौन दुराचार एवं शोषण के शिकार एक गंभीर मुद्दा

बाल यौन शोषण: बच्चों (लड़के/लड़कियां) के ऊपर हो रहे यौन गतिविधियों से संबंधित अपराधों का मुद्दा गंभीर होता जा रहा है।वर्तमान समय में बहुत सुनने को मिल रहा है कि बच्चे यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं। कहा जाता है कि बचपन बहुत ही नाजुक और मासूम होता है।बच्चे भोले – भाले भी कहे जाते हैं। लेकिन बहुत बार मानवीय विकार इसी मासूमियत और भोलपन को दबाने और कुचलने का कार्य करते हैं ।  इसी मौके का फायदा उठा कर अपराधी बच्चों का यौन शिकार करते हैं। 

क्या कहते हैं आंकड़े 

बाल यौन शोषण: दुनिया भर में लगभग 18% बच्चियां और 8% बालक यौन शोषण के शिकार बन जाते हैं। NCRB के अनुसार भारत में सन् 2020 में 28.9 % बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए थे। मतलब यह हुआ कि हर 4 में से 1 लड़की और हर 13 में से 1 लड़का इस शोषण के चंगुल में आया है। आपको बता दें कि 93% इस प्रकार के केसों में कोई अपना या जाना पहचाना ही अपराधी निकला है।प्रत्येक माता – पिता/ भाई बहन बाल यौन शोषण संबंधी जानकारी होनी चाहिए, ताकि यौन शोषण से पीड़ित बच्चों की मदद कर सकें और इस प्रकार की समस्या से पीड़ित बच्चे को पहचान सकें।

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ताकि समय पर बच्चा/ बच्ची का जीवन विनाश से बच जाए। यह भी देखने को मिलता है कि यौन शोषण संबंधी अपराधी कोई दूसरा नहीं बल्कि ज्यादातर हमारा करीबी ही निकलता है।उदाहरण के तौर पर हमारा करीबी रिश्तेदार, मित्र, पड़ोसी या बच्चे (लड़का/लड़की) के स्कूल का कोई भी हो सकता है।

बाल यौन शोषण का अर्थ 

बाल यौन शोषण का अर्थ समझना अतिआवश्यक है। क्योंकि बच्चों को इस शोषण से तभी बचाया जा सकता है,जब हमें इस प्रकार की गतिविधियों की जानकारी होती है।

कोई भी यौन गतिविधि जो 18 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के साथ की जाए उसे बाल यौन शोषण कहा जाता है।इस प्रकार की गतिविधियों में बच्चे के साथ शारीरिक संपर्क भी जोड़े जा सकते हैं, जिनमें प्रवेश अथवा गैर – प्रवेश कृत्यों के माध्यम से दुर्व्यवहार आते हैं।जैसे कि ऊपर से कपड़ों को छूना /रगड़ना, हस्तमैथुन,सिर या पीठ पर हाथ से सहलाना, चुंबन और हाथों को हाथ में लेकर बातें करना आदि गतिविधियों द्वारा अपराधी बच्चों के साथ अपराध की शुरुआत करते हैं ।

कुछ अन्य गतिविधियां जिन्हें बिना संपर्क के ही अपराधी बच्चों पर अपनाते हैं।जैसे कि बच्चों के साथ अश्लील वीडियो एवं छवियां दिखाना या बनाना, इस कृत्य के लिए बच्चों को लुभाना, इंटरनेट द्वारा बच्चों को यौन शोषण के लिए तैयार करना , बच्चों की तरफ आंख /हाथ/मुंह द्वारा यौन गतिविधियों के संकेत करना आदि ।

बाल यौन शोषण: दुर्व्यवहार करने वाले वयस्कों के व्यवहार संबंधी संकेत 

  •  ऐसे व्यक्ति अपना समय बच्चों/किशोरों के साथ बिताना पसंद करते हैं।
  • बच्चों के साथ अकेले रहने के तरीके अपनाना जैसे कि बच्चों को घुमाना, समय – समय पर बच्चे की देखभाल करना और यात्रा के लिए दिखावे के तौर पर व्यवस्था करना ।
  •  बच्चे के न चाहते हुए भी गले लगाना, उसको चूमना/गुदगुदी करना ।
  •  बच्चों को बिना किसी अवसर के उपहार, पैसे एवं चॉकलेट आदि भेंट करना।उन्हें दूसरी ओर दुकान पर सामान दिलाने ले जाना या उसका लोभ देना ।
  • बच्चों/ किशोरों के साथ यौन संबंधी बातें करना या उनसे यौन संबंधी जानकारी लेना भी यौन शोषण करने वालों के संकेत दर्शाता है ।
  •  बच्चों / किशोरों को इंटरनेट /फोटोग्राफी आदि के माध्यम से चाइल्ड पोर्नोग्राफी दिखाना या उनके साथ इनसे संबंधित जानकारी साझा करना ।
  •  यौन गतिविधियों से संबंधित संकेत करने के लिए अपराधी  हाथ, आंख, होंठों का सहारा लेकर बच्चों को इन कृत्यों की ओर प्रेरित करता है । 
  • बच्चों / किशोरों के चहरे, हाथ, पैर और कपड़ों के उदाहरण लेकर तारीफ़ कर उनको अपनी ओर आकर्षित करना । 

प्रत्येक माता – पिता एवं भाई – बहन को इन संकेतों की जानकारी होनी चाहिए।क्योंकि ज्यादातर अपराधी अपना रिश्तेदार ,मित्र, स्कूल वाला और पड़ोसी ही निकलता है।बच्चे/किशोर किसी अनजान से बहुत कम प्रेरित होते हैं।ऐसा तो कभी – कभी होता है कि बच्चे किसी अनजान की बातों में आकर यौन शोषण के शिकार हो जाएं।

यौन गतिविधियों से पीड़ित बच्चों की पहचान

बाल यौन शोषण: यौन गतिविधियों से प्रत्येक माता – पिता अपने बच्चों को बचा सकते हैं,अगर स्वयं को इन कृत्यों के संकेतों से रूबरू रखें।आपको बच्चे के पीड़ित होने का संकेत को समझना अनिवार्य है।इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि सभी व्यक्ति एक प्रकार के संकेत नहीं दर्शाते,बल्कि सबका व्यवहार अलग – अलग हो सकता है।अपराधी के द्वारा दुर्व्यवहार के मुख्य संकेतों को समझना और उनको पहचानना महत्वपूर्ण है । यदि हम इन संकेतों से रूबरू है तो पीड़ित बच्चों की सहायता करने और इन अपराधों को रोकने में मदद की जा सकती है।

यौन शोषण द्वारा हुए शिकार बच्चे घर – परिवार वालों के सामने उनके साथ हुए अपराध के संबंध में भ्रम, क्रोध, शर्म, निराशा, दूसरों पर भरोसा न करना, आत्मसम्मान में कमी, चिंतत होना, अभिघातजन्य तनाव, अपराधबोध और आत्मबल खोना आदि भावनाओं का अनुभव करते हैं।कभी- कभी बच्चे अपनी पीड़ा को बताने में झिझकते हैं और ऐसा भी हो जाता है कि वह अपनी इस पीड़ा को छुपा भी लेते हैं।

बाल यौन शोषण: लेकिन ऐसा तब होता है,जब उनकी बात को हम समझ न पाएं।इस प्रकार यदि उन्हें उचित मदद न मिले तो वे भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक समस्याओं हेतु साधारण आबादी की तुलना में बहुत ज्यादा जोखिम में देखने को मिलते हैं।ऐसा भी कहा जाता है कि बच्चों की दर्दनीय पीड़ा का निवारण न होने पर अनेक बच्चे नशे के अधीन हो जाते हैं या फिर यौन गतिविधियों की ओर रुख करते हैं ।

बाल यौन शोषण: क्या है सीमा – उल्लंघन व्यवहार?

बच्चे/ किशोर केवल मित्रों, रिश्तेदारों या पड़ोसियों द्वारा ही यौन शोषण के शिकार नहीं होते हैं, बल्कि  स्कूल या किसी युवा संगठन के लोगों द्वारा भी यौन गतिविधियों की चपेट में आ जाते हैं। इसी लिए किसी भी स्कूल / युवा संगठन जिनसे हमारे बच्चे (लड़का/लड़की) जुड़े हैं, उन सबके संदर्भ में भी जानकारी रखनी चाहिए।क्योंकि जानकारी होने पर पीड़ित बच्चों की मदद समय पर हो सकती है और अपराधी को पकड़ने में देरी नहीं लगती है।

स्कूल / युवा संगठन के अंदर कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं, जो सीमा – उल्लंघन व्यवहार दर्शाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।हमने हमारे बच्चे/ किशोरों को उनके हाथ में इसी लिए सौंपा होता है कि वह हमारे बच्चों को अच्छे संस्कार प्रदान करें, उनका ख्याल रखें और अच्छी से अच्छी शिक्षा दें।परंतु इसको दुर्भाग्य ही कह सकते हैं जब कोई बच्चा यौन गतिविधियों में शामिल होकर उसका शिकार हो जाता है।आपको अपने बच्चे के हित में हर जगह सतर्क /रूबरू होना अतिआवश्यक है।

बाल यौन शोषण: सीमा – उल्लंघन व्यवहार के संकेत 

बाल यौन शोषण: अक्सर सीमा – उल्लंघन व्यवहार के संकेत देखने को मिलते हैं। जिनमें:

▪️छात्र/छात्राओं के शारीरिक बनावट का उदाहरण लेकर उनपर यौन गतिविधियों के संबंध में टिप्पणी करना।

▪️कभी – कभी  गंदे चुटकुले सुनाना, अश्लील इशारे करना/ छूना या बार – बार एक ही छात्र/छात्रा को उदाहरण के तौर पर उसकी तारीफ़ करना।

▪️चयनित छात्रों को स्कूल नीतियों के विपरीत होकर उपहार देना या उपहार का लोभ देना भी उल्लंघन का संकेत करता है।

▪️बच्चों के साथ स्कूल आधारित फोन/ईमेल जैसी प्रणालियों के विपरीत कार्य करना जैसे कि अपना खुदका फोन /ईमेल साझा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है।

▪️स्कूल/ माता – पिता की अनुमति के बिना बच्चों को मोबाइल फोन के माध्यम से संदेश भेजना या उनसे अन्य गतिविधियां पर बाते करना  भी सीमा का उल्लंघन ही है।

▪️मुख्य बात तो यह है कि फेसबुक, ट्विटर, स्नेफचैट, इंस्ट्राग्राम या वॉट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर बच्चों से बाते करना या उनके साथ फोटो लेकर उनको स्कूल/माता – पिता की अनुमति लिए बिना ही साझा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है।

▪️बच्चों के साथ प्रेम -प्रेमिका की बाते साझा करना या इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल होना तो दूसरी ओर उनको इस तरह की जानकारी देना भी गलत व्यव्हार है।

▪️बच्चों को डार्लिंग – बेवी आदि नामों से संबोधित करना या उनके शारीरिक अंगों का उदाहरण लेकर उनको अश्लीलता से जोड़ना यौन गतिविधियों में शामिल करने की ही कोशिश कही जाती है।

▪️छात्र / छात्राओं के साथ नशीली वस्तुओं को साझा करना , अश्लील वीडियो/फोटो भेजना या फिर यौन संबंधित जानकारी देना या पूछना भी सीमा का उल्लंघन ही है।

उपरोक्त सभी संकेत दर्शाते हैं कि यह व्यक्ति पुरुष/महिला कोई भी हो,स्कूल या किसी भी युवा संगठन का हो सकता है। अगर बच्चे यह बोलें कि हम इनको अच्छे से जानते हैं,तब भी ऐसे व्यक्ति के तुरंत रिपोर्ट करना हमारे बच्चे के हित में है।

बाल यौन शोषण: बच्चे/ किशोरों को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा संबंधी उपाय

बाल यौन शोषण: बाल यौन उत्पीड़न एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। प्रतिदिन कोई न कोई मामला सुनने को मिल ही जाता है। बहुत बार तो देखा गया है कि यौन पीड़ित बच्चों की जान तक चली जाती है। जानिए कुछ उपाय:

  • माता -पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को सर्व प्रथम शरीर के सभी अंगों के नामों से रूबरू करवाएं।
  •  बच्चों को यह तो मालूम होना चाहिए कि आपको अपने शरीर संबंधी निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है।
  • बच्चों को बताएं कि बिना अनुमति के कोई स्पर्श करता है तो वह उसके साथ गलत व्यव्हार है जिसके लिए वह बिल्कुल सतर्क रहें ।
  • बच्चे / किशोरों को यह जानकारी होना चाहिए कि अपने निजी अंगों के लिए किसी वयस्कों या बड़े बच्चों की मदद कभी नहीं लेनी चाहिए।यदि इस प्रकार की कोई मदद करने को कहता है,तो तुरंत मना कर दें।
  • बच्चों को अच्छे /बुरे संकेतों की जानकारी प्रदान करना हमारा मुख्य कर्तव्य बना लेना चाहिए । यदि बच्चे को अच्छे/बुरे संकेतों की जानकारी ही नहीं,तो वह अपने को यौन संबंध अपराधियों से कैसे दूर रख सकता है।
  •  अगर बच्चा किसी के साथ जाने में असहजता महसूस करता है या आपको न जाने का बार – बार संकेत देता है तो ऐसा बिल्कुल न करें।आपको यदि यौन शोषण की आशंका लगती है,तो बच्चे से प्रश्न करें और वह किस तरह उत्तर देता है उन संकेतों को जाने ।

बाल यौन शोषण: मुख्य बात तो यह है कि बच्चे को यह जानकारी देना न भूलें। क्योंकि अपराधी बच्चों को कई प्रकार की गतिविधियों को अपना कर बहका सकता है जैसे कि उपहार देना , नशीली वस्तु देना, तारीफ या चापलूसी का प्रयोग करना, घुमाने का लोभ देना ,अच्छी वस्तुओं को साझा कर अपनापन दर्शाना आदि। इसी लिए जरूरी है सतर्क रहें।

तत्वज्ञान है सभी समस्याओं का हल 

बाल यौन शोषण: वर्तमान समय कलयुग का समय है। इस समय में संसार में हाहाकार मची हुई है। ऐसे में चोरी, ठग्गी, बलात्कार, यौन उत्पीड़न जैसे अपराध चरम सीमा पर हैं। इन समस्याओं का हल तत्वज्ञान से ही हो सकता है और तत्वज्ञान केवल संत रामपाल जी महाराज ही प्रदान कर रहे हैं।

संत रामपाल जी महाराज हमारे सभी पवित्र शास्त्रों के आधार पर ज्ञान बता रहे हैं और हमें प्रत्येक अपराध का दंड भी प्रमाण साहित बता रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए आप विजिट करें जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज ऐप पर।

FAQs: बाल यौन शोषण

NCRB के अनुसार भारत में सन् 2020 में कितने बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए थे?

NCRB के अनुसार भारत में सन् 2020 में 28.9 % बच्चे यौन शोषण के शिकार हुए थे। 

बाल यौन शोषण क्या है?

जो यौन गतिविधि 18 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के साथ की जाए,उसे यौन शोषण कहा जाता है।

यौन शोषण पीड़ित बच्चों के क्या लक्षण होते हैं?

यौन शोषण पीड़ित बच्चे घर – परिवार वालों के सामने उनके साथ हुए अपराध के संबंध में भ्रम, क्रोध, शर्म, निराशा, दूसरों पर भरोसा न करना, आत्मसम्मान में कमी, चिंतत होना, अभिघातजन्य तनाव, अपराधबोध और आत्मबल खोना आदि भावनाओं का अनुभव करते हैं।

मनुष्य की सभी समस्याओं का हल क्या है?

मनुष्य की सभी समस्याओं का हल तत्वज्ञान से ही हो सकता है।

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