Assam BTC Election Result 2020: असम की बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (BTC) के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) को 17 सीटें मिली हैं। यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) 12 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नौ सीटों पर और कांग्रेस ने एक पर जीत हासिल की है। 40 सीटों के लिए हुए चुनावों में बीपीएफ लीडिंग पार्टी बनी है।
लेकिन किसी भी पार्टी ने बहुमत का आंकड़ा पार नहीं किया है, यानी 20 सीटें नहीं जीती हैं तो इस चुनाव परिणाम के बाद पहली बार गठबंधन शासन दिख सकता है। बीजेपी महासचिव दिलीप सैकिया ने कहा कि बीजेपी अगली बीटीसी परिषद बनाने के लिए यूपीपीएल के संपर्क में है। बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी ही सहयोगी पार्टी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) के खिलाफ चुनाव लड़ा था। बीजेपी महासचिव दिलीप सैकिया ने कहा कि बीजेपी अगली बीटीसी परिषद बनाने के लिए यूपीपीएल के संपर्क में है।
Assam BTC Election Result 2020: BJP ने BPF के खिलाफ़ लड़ा था चुनाव
बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी ही सहयोगी पार्टी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) के खिलाफ चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार के दौरान रैलियों में बीजेपी नेताओं ने अपने सहयोगी दल बीपीएफ पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) ने 2016 के बाद से बीजेपी के नेतृत्व वाली असम सरकार की एक सहयोगी पार्टी है। BPF ने पिछले डेढ़ दशकों में बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स (BTAD) पर शासन किया है, जिसमें चार जिले – कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुरी शामिल हैं।
7 और 10 दिसंबर को दो चरणों में बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) के लिए चुनाव हुआ था। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक 2021 में असम में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) चुनाव को ‘सेमीफाइनल’ की तरह देखा गया है।
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1993 के समझौते के बाद एक बोडो स्वायत्त परिषद का गठन हुआ और 2003 के समझौते के परिणामस्वरूप बीटीसी का गठन हुआ। बीटीसी के अधिकार क्षेत्र के तहत पश्चिमी असम के बोडो बहुल चार ज़िले हैं-उदालगुड़ी, बाक्सा, चिरांग और कोकराझार। इनको बोडो प्रादेशिक स्वायत्त ज़िला (बीटीएडी) के रूप में जाना जाता रहा है, जिसे अब बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) का नाम दिया गया है।
2003 के समझौते के बाद, 2005, 2010 और 2015 में तीन बीटीसी चुनाव हुए
2003 के समझौते के बाद, 2005, 2010 और 2015 में तीन बीटीसी चुनाव हुए, सभी में, हाग्रामा मोहिलारी के नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ़) – जिसे पहले बोडो पीपुल्स प्रोग्रेसिव फ्रंट कहा जाता था- ने जीत हासिल की थी। यह समूह – राज्य और केंद्र में बीजेपी का सहयोगी भी है – इसकी उत्पति बोडो लिबरेशन टाइगर्स से हुई है, जो एक उग्रवादी समूह था, जो हथियार छोड़ने और 2003 के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो गया। मोहिलारी 2005 से सीईएम के पद पर बने रहे हैं और उनकी पार्टी केंद्र और राज्य दोनों सरकार में बीजेपी के साथ साझेदारी कर रही है, जबकि दोनों ने बीटीसी चुनाव एक-दूसरे के ख़िलाफ़ लड़ा है।
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बीजेपी ने न केवल बीटीसी की सभी 40 निर्वाचित सीटों पर चुनाव लड़ा है (इसमें 46 सीटें हैं, अन्य छह नामांकित हैं), बल्कि अपनी सहयोगी बीपीएफ़ के ख़िलाफ़ भी आक्रामक रुख अपनाया है। चुनाव प्रचार में बीजेपी के मंत्री हिमंत विश्व शर्मा और बीपीएफ़ के मोहिलारी एक-दूसरे पर आक्रमण करते रहे।
यूपीपीएल के साथ प्रभावशाली ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (आब्सू) के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद बोडो हैं, जो कि 2020 के समझौते के प्रमुख हस्ताक्षरकर्ता थे। पांडे ने कहा, ‘कई लोगों का मानना है कि यूपीपीएल इस चुनाव में सीटों की संख्या बढ़ा सकती है – क्योंकि इसे आब्सू का समर्थन है, जिसने बोडो समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस समझौते का श्रेय प्रमोद बोडो को देते हुए मतदाता उनका समर्थन कर सकते हैं।’