China Coronavirus News [Hindi] | नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज के कार्यक्रम में हम चीन में मौजूदा कोरोना क्राइसिस पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि चीन की ज़ीरो कोविड पौलिसी और वैक्सीन क्यों हो रहे हैं बेअसर?
किसी ने सही ही कहा है कि “कोरोना अभी भी हमारे बीच में है वह कहीं नहीं गया है। कुछ समय के लिए उसके फैलने और संक्रमित करने की रफ्तार ज़रूर धीमी हो गई थी।”
पूरी दुनिया जब कोरोना वायरस को हराकर सामान्य स्थिति की ओर लौट रही है, तब चीन संक्रमण के नए दौर से जूझ रहा है, बता दे की यह वहीं चीन है जहां से कोरॉना महामारी की शुरुआत हुई थी। चीन कोरोना की अब तक की सबसे बुरी मार झेल रहा है। लोग अपने घरों में कैद कर दिए गए हैं, वे न ही खाने पीने की सामग्री लेने के लिए बाहर जा पा रहे है और न ही दवाई लेने के लिए। इस परिस्थिति में सबसे ज्यादा मार फाइनेंशियल हब कहे जाने वाले शंघाई में देखी जा रही है। गौरतलब है की शंघाई में 2.5 करोड़ लोग घरों में कैद है। उनके पास खाने-पीने के सामान की भी कमी होने लगी है। चीन की ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ के तहत यहां सख्त लॉकडाउन लगाया गया है जिसके चलते निवासियों के लिए भोजन और दवा तक पहुंचना दुर्लभ हो गया है।
China Coronavirus News [Hindi]
सख्त लॉकडाउन के बावजूद भी यहां कोरोना के मामले थम नहीं रहे हैं। बता दे की शंघाई में कोरोना के मामलों में जबरदस्त तेजी की वजह ओमिक्रॉन को माना जा रहा है। पिछले वीकेंड दर्जनों मामले सामने आने के बाद शंघाई के शाओयांग जिले को इस हफ्ते तीन बार टेस्ट करने के आदेश जारी किए गए हैं। चेतावनी दी गई है कि आने वाले दिनों में बीजिंग में और अधिक मामले सामने आ सकते हैं।
China Coronavirus News [Hindi] | चीन की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या के 18.47% के बराबर है । जनसंख्या के आधार पर देशों (और निर्भरता) की सूची में चीन नंबर 1 पर है ।आधुनिकता और निर्भरता होने के बावजूद भी कोरोना महामारी को हैंडल करने की बदइंतज़ामी के चलते यहां के लोगों को भूखमरी, अराजकता और पलायनता का सामना करना पड़ रहा। कोरोना के मौजूदा संक्रमण के कारण देश के कई बड़े शहरों की हालत खसताहाल है।
China Coronavirus News [Hindi] | चीन में कोरोना और लॉकडाउन
2020 में वुहान से शुरू हुआ था कोरोना और फिर धीरे धीरे पूरे विश्व में फैेल गया था। अधिकारियों ने प्रांतीय राजधानी चांगचुन में 11 मार्च को सख्त लॉकडाउन लगा दिया था। 90 लाख की आबादी वाले चांगचुन शहर में शुरुआत में कोरोना के 2 मामले मिले। लॉकडाउन के दौरान चांगचुन शहर के निवासियों को घर पर ही रहने और तीन दौर की सामूहिक जांच से गुजरना पड़ा। और सभी गैर-आवश्यक व्यवसायों को बंद कर दिया गया। पास के जिलिन शहर में 21 मार्च को लॉकडाउन लगाया गया। मार्च में ही शेन्ज़ेन के प्रमुख आर्थिक केंद्र सहित कई अन्य शहरों में भी लॉकाडाउन का ऐलान किया।
प्रशासन ने लोगों से कहा है कि वे केवल अति आवश्यक होने पर ही घरों से बाहर निकलें। इस बीच सरकारी टीमों ने पूरे शहर में बड़े पैमाने पर कोरोना टेस्टिंग भी शुरू की। संक्रमित पाए जाने वाले लोगों को क्वारंटीन किया गया। चीन ने राजधानी बीजिंग समेत कई दूसरे बड़े शहरों में भी निगरानी के स्तर को बढ़ा दिया।
China Coronavirus News [Hindi] | शंघाई में लॉकडाउन
चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई में 1 मार्च से लेकर अब तक कम से कम 5 लाख कोरोना के मामले दर्ज किए गए हैं। जिसके बाद इस शहर में भी लॉकडाउन लगा दिया गया। हालांकि, पिछसे दो हफ्ते में शंघाई में कोरोना के नए मामलों में कमी आई है। ऐसे में अधिकारियों ने कहा है कि वे प्रतिबंधों में छूट देने की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच बीजिंग में, एक बड़े पैमाने पर कोरोना टेस्ट अभियान शुरू किया गया ।चीन को डर है कि इस शहर में लॉकडाउन नहीं लगाया जाता है तो देश के बाकी हिस्सों में भी कोरोना फैलने का खतरा बना रहेगा।
बीजिंग को लॉकडाउन से बचाने के लिए किया जा रहा है सामूहिक कोरोना टेस्ट
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग के 22 मिलियन नागरिकों का सामूहिक कोरोना टेस्ट कराया जा रहा है ताकि शंघाई जैसे लॉकडाउन से बचा जा सके। बीजिंग के कई रिहायशी इलाकों, ऑफिसों और यूनिवर्सिटी में लॉकडाउन लगाया गया है। संक्रमण मिलने के कारण कुछ स्कूलों, मनोरंजन और पर्यटन की जगहों को भी बंद किया गया है।
China Coronavirus News [Hindi] | 22 अप्रेल से बीजिंग में कोरोना के 160 से अधिक केस मिले हैं, इनमें आधे से अधिक चाओयांग में हैं, जो शहर का सबसे घना इलाका है और अपनी नाइट लाइफ, मॉल्स और दूतावासों के लिए जाना जाता है।
कम केस होने के बावजूद बीजिंग पूरी क्षमता से काम कर रहा है। शंघाई में जब संक्रमण शुरु हुआ तो 1-10 मार्च में कोरोना के मामले एक दिन में 100 से नीचे थे। फिर यह तेजी से बढ़ कर 20 मार्च तक एक दिन में 700 नए मामलों तक पहुंच गया। मार्च के अंत तक शंघाई में एक दिन में हजारों नए मामले आने लगे जिसके कारण यहां पूरे शहर के 25 मिलियन निवासियों को लॉकडाउन में डालना पड़ा।
क्या है चीन की जीरो कोविड पॉलिसी ?
चीन ने जीरो कोविड पॉलिसी से वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन, मास टेस्टिंग, क्वारंटीन और सीमाएं बंद करने जैसे कठोर कदम उठाए । ओमीक्रोन वेरिएंट के कारण तेजी से बढ़ते मामलों से चीन के 27 शहरों में लॉकडाउन लगा और 16.5 करोड़ लोग घरों में कैद रहने को मजबूर हुए।
चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के कारण चंद केस सामने आने पर भी करोड़ों की आबादी वाले शहर में तुरंत लॉकडाउन लगा दिया गया। सख्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में चीन के 27 शहरों में लॉकडाउन लगा हुआ है। इन शहरों में रहने वाली 16.5 करोड़ की आबादी अपने-अपने घरों में कैद है। इनमें सबसे बुरी स्थिति चीन की आर्थिक राजधानी शंघाई की थी। संक्रमण के चरम पर पहुंचने के दौरान इस शहर में एक दिन में लगभग 10000 कोरोना केस दर्ज किए गए थे। इस बीच राजधानी बीजिंग में भी बड़े पैमाने पर लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है।
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कोरोना वायरस तेजी से चीन के अलग-अलग प्रांत और शहरों में फैलता जा रहा है। ऐसे में चीन की जीरो कोविड पॉलिसी के कड़े प्रतिबंधों का असर दिखाई नहीं दे रहा। वहीं, इन प्रतिबंधों के कारण लोग भूखों मरने को मजबूर हैं। लॉकडाउन लगाने से पहले नए इलाकों में कोई भी चेतावनी जारी नहीं की गई। ऐसे में लोगों के ज़रूरी सामान खरीदने के लिए बाहर निकलने और उन्हें रोकने पर अराजकता पैदा हो रही है।
चीन पर वैक्सीन को लेकर भी उठ रहे हैं सवाल
चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों से उसकी वैक्सीन पर सवाल उठ रहे हैं। जिस-जिस देश में चीन की कोरोना वैक्सीन लगाई गई है, वहां कोरोना के मामले पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं। डेटा से पता चला है कि चीनी वैक्सीन कोरोना के नए वेरिएंट्स को रोकने में प्रभावी साबित नहीं हो रही है। विशेषज्ञों ने कहा है कि किसी भी देश में कोरोना के मामले इस बात पर निर्भर करते हैं कि वह देश अपने नागरिकों को कौन सी वैक्सीन लगवा रहा है?
मेनलैंड चीन में कुल केस (कोरोना वायरस से जुड़े आंकड़े)
कुल मामले 8.96 लाख / मौतें 4,876
China Coronavirus News [Hindi] | रुइली छोड़कर जा रहे हैं लोग
चीन का एक ऐसा ही छोटा सा शहर भी जीरो-कोविड पॉलिसी से जूझ रहा है। यहां 9वीं बार लॉकडाउन लगा दिया गया है। इस शहर का नाम रुइली (Ruili) है, जो चीन की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर पड़ता है। ये शहर चीन और म्यांमार के बीच कारोबार का बड़ा केंद्र है। यहां कई हफ्तों से लॉकडाउन लगा है। इस कारण यहां से 2 लाख लोग अब शहर छोड़कर जाने को मजबूर हो गए हैं।
खचाखच भरे हैं चीन के क्वारनटीन सेंटर
कोरोना से शंघाई की हालत इतनी खराब हो गई है कि यहां अब संक्रमितों को रखने के लिए जगह नहीं बची है। स्कूलों और दफ्तरों की इमारतों को क्वारनटीन सेंटर में बदला जा रहा है। बताया जा रहा है की यहां पर क्वारनटीन सेंटर इतने खचाखच भरे हुए हैं की यहां दो बिस्तरों के बीच एक हाथ का अंतर भी नहीं है। चीन के शंघाई में कोरोना से अबतक कुल 87 लोगों की मौत हुई हैं, जिनकी औसत आयु लगभग 81 वर्ष थी। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने नगरपालिका स्वास्थ्य आयोग के हवाले से बताया कि मृतकों में सबसे बुजुर्ग 101 साल के थे। शहर में गंभीर हालत में 157 कोविड मरीज हैं और 18 गंभीर हालत में नामित अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।
उभरते फ़ूड क्राइसिस के बीच शंघाई कि अरबपति कैथी ज़ू शिन को भी दूध और रोटी खरीदने के लिए संघर्ष करना पड़ा ।
ट्विटर पर हैशटैग “Shanghai Epidemic” चलाकर लोग मांग रहे हैं मदद
China Coronavirus News [Hindi] | वीबो और वीचैट सहित विभिन्न चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुपरमार्केट से खाने पीने की चोरी करने और लोगों के विरोध प्रदर्शन के वीडियो सामने आए हैं। वीडियो को ट्विटर पर भी व्यापक रूप से प्रसारित किया जा रहा है। पिछले 30 दिनों में हैशटैग “Shanghai Epidemic” को तीन अरब बार देखा जा चुका है। शंघाई में सामने आ रहे खाद्य संकट के बारे में “नकारात्मक” टिप्पणी को हटाने के लिए चीनी सरकार ने अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया है। हफ्तों से घर में बंद और दवाई व खाने पीने की कमी से परेशान लोगों ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा व्यक्त करना शुरू कर दिया । अपनी समस्याओं को लोग सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर लिख रहे हैं और आशा कर रहे हैं कि उनको कोई मदद मिले।
चीनी सरकार की गलत नीतियों से हर वर्ग के लोग हो रहे हैं प्रभावित
शंघाई में लाखों लोग, युवा और बूढ़े, चीन की ‘जीरो कोविड पॉलिसी’ के लिए चीनी अधिकारियों के खिलाफ गुस्सा दिखा रहे हैं। सरकार की नीतियों के कारण ही भोजन की कमी से चीनी नागरिकों को आज उलझना पड़ रहा है। सख्त नियमों का मतलब है कि ज्यादातर लोगों को भोजन और पानी का ऑर्डर देना पड़ता है जिसके बाद सरकारी ड्रॉप-ऑफ का इंतजार करना पड़ता है। लेकिन लॉकडाउन के विस्तार ने डिलीवरी सेवाओं, किराने की दुकान की वेबसाइटों और यहां तक कि सरकारी आपूर्ति के वितरण को भी प्रभावित किया है। कई डिलीवरी कर्मी भी लॉक-डाउन क्षेत्रों में हैं, जिससे डिलीवरी क्षमता में कमी आ रही है।
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जिसके चलते लॉकडाउन का फायदा उठाकर ऑनलाइन रिटेलर भी बाजार में मिलने वाली सामान्य रकम से करीब चार गुना ज्यादा चार्ज कर रहे हैं। शहर के कुछ इलाकों के स्थानीय लोगों का कहना है कि वे पूरी तरह से सभी प्रकार के संपर्क से कट गए हैं। निवासियों ने मूल्य निर्धारण के बारे में अन्य चिंताओं को भी उठाया है। उनका कहना है की ऐसे में बुजुर्ग या ऐसे लोग जो स्मार्टफोन या इंटरनेट का प्रयोग करना नहीं जानते वे कैसे जीवित रहेंगे? वहीं कुछ स्थानीय लोगों का कहना है की चावल, नूडल्स, अनाज, तेल आदि की पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद उन्हें वितरित करने में देरी हो रही है।
China Coronavirus News [Hindi] | कोरोना से चीन की अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ा है
कोरोना महामारी के चलते अप्रैल में चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से धीमी हो गई है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट ने चीन की अर्थव्यस्था का जो आकलन किया है, उससे लग रहा है कि वुहान से कोविड-19 वायरस के निकलने के बाद वह अबतक के सबसे गंभीर संकट में फंस चुका है। उसकी अर्थव्यवस्था बड़ी तेजी से नीचे गई है। अप्रैल महीने में अर्थव्यस्था की स्थिति बिगड़ने के पीछे कोरोना फैलने के साथ-साथ वायरस को रोकने के लिए मजबूरी में उठाए जा रहे सख्त कदमों को माना जा रहा है। रिपोर्ट में इस महीने के लिए कहा गया है कि चीन की अर्थव्यस्था अप्रैल, 2020 के बाद सबसे खराब दौर से गुजर रही है। इसमें कहा गया है कि कोविड की नई लहर ने यहां की अर्थव्यस्था की कमर तोड़ रही है।
ऐसा क्या हुआ जिसके बाद से चीन साइंस को ही भगवान मानता है?
दोस्तों! पूर्व में चीन में महात्मा गौतम बुद्ध ने परमात्मा प्राप्ति की एक तड़फ जगाई थी, जिसके बाद पूरा चीन बौद्ध धर्म को मानने लगा था। गौतम बुद्ध द्वारा बताए गए भक्ति मार्ग पर चलने से जब किसी को किसी भी प्रकार का आध्यात्मिक लाभ नहीं मिला और न ही किसी को परमात्मा प्राप्ति हुई तब धीरे धीरे पूरा चीन नास्तिक हो गया। इसका असर जापान, रूस और अन्य पड़ोसी देशों पर भी देखने को मिला। भगवान से कोसों दूर हो जाने के बाद आज चीन के लोग इस प्रकार से जीव हिंसा, नशाखोरी, आदि करते हैं की वे लगभग हरेक जानवर और यहां तक कि कीड़े, मकौड़े, छोटे बड़े पक्षियों, पानी में रहने वाले जीवों, जंगली जानवरों, बंदरों, कुत्तों और सांपों इत्यादि का भी कच्चा मांस खाते हैं। आप ही विचार करें कि क्या ये मानव के खाने का आहार है। यह तो इंसानियत का पतन और राक्षसी आहार है। मनुष्य का काम जीवों पर दया करना होता है न कि उन्हें यात्नाएं देते हुए अपने पेट में स्थान देना।
China Coronavirus News [Hindi] | चीन का बनाया सामान आज पूरे विश्व में इस्तेमाल किया जाता है। कृत्रिम सूरज बनाने से लेकर, अत्याधुनिक उपकरण, न्यूक्लियर हथियार बनाने और समुद्र व अंतरिक्ष तक अपनी पहुंच कायम करने के बाद चीन साइंस को ही भगवान मानती हैं।परंतु है असली परमात्मा से कोसों दूर।
लेकिन ताज्जुब की बात है की जिस साइंस को चीन के लोग भगवान मानते हैं आज वही साइंस उनकी मदद करने में असमर्थ है। दोस्तों! साइंस कभी भगवान से बड़ा नहीं हो सकता। मानव समाज साइंस और टेक्नोलॉजी के मार्ग में चाहे कितनी ही तरक्की कर ले वे कभी भगवान नहीं बन सकते। भगवान उसे कहते हैं जो मनुष्य को निरोगी काया और स्वस्थ शरीर दे। जो मनुष्य के इच्छा करने से पहले उसकी सब ज़रूरतों को पूरा कर दे। उसे अपने होने का एहसास कराए और पलपल उसके साथ रहे। उसका अहित न होने दे।
इसी विषय में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी अपनी अमृतमयी वाणी में कहते है,
कबीर, साहेब से सब होत है, बंदे से कछु नांहि।
राई से पर्वत करे, पर्वत से फिर राई।।
परमात्मा पल में किसी भी परिस्थिति को बदल सकते हैं। परमेश्वर कबीर जी ने अपने बच्चों के उद्धार के लिए वर्तमान का समय चुना है। वे शीघ्र ही समाज को तत्वज्ञान द्वारा वास्तविकता से परिचित करवाएंगे, फिर पूरा विश्व नास्तिकता को छोड़कर एक भगवान की भक्ति करेगा। इसी विषय में विश्वप्रसिद्ध भविष्यव्यक्ता मिशेल डी नास्त्रेदमस ने भी अपनी भविष्यवाणी में कहा है की एक संत के नेतृत्व में पूरा विश्व एक होगा। वर्तमान समय में वह संत और कोई नहीं बल्कि जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं जिनके ज्ञान का लोहा आज पूरा मानव समाज मान रहा है।
साहेब कबीर तख्त खवासा, दिल्ली मण्डल लीजै वासा
भावार्थ है कि परमेश्वर कबीर बन्दी छोड़ के तख्त दरबार का ख्वास यानी नौकर यानी परमेश्वर का नुमायंदा प्रतिनिधि) दिल्ली मण्डल में वास करेगा यानी वहां उत्पन्न होगा। वह प्रथम अपने हिन्दू बंधुओं को तत्वज्ञान से परिचित करवाएगा। बुद्धिमान हिन्दू ऐसे जागेंगे जैसे कोई हड़बड़ा कर जागता है यानी की उस संत के द्वारा बताए तत्व ज्ञान को समझ कर अविलम्ब उसकी शरण ग्रहण करेंगे। फिर पूरा विश्व उस तत्वदर्शी हिन्दू संत के ज्ञान को स्वीकार करेगा। नास्त्रोदमस ने यह भी लिखा है कि मुझे दुःख इस बात का है कि उससे परिचित न होने के कारण मेरा शायरन (Chyren) तत्वदृष्टा संत उपेक्षा का पात्र बना है। हे बुद्धिमान मानव ! उसकी उपेक्षा ना करो। वह तो आसन पर बैठा कर अपने अराध्य देव इष्टदेव रूप में मान करने योग्य है। वह हिन्दू धार्मिक संत शायरन आदि पुरुष पूर्ण परमात्मा का अनुयायी जगत् का तारणहार है। वह कोई और नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज हैं।
इस विडियो को देखने वाले सभी दर्शकों से प्रार्थना है कृपया संत रामपाल जी महाराज जी की शरण ग्रहण करें और वर्तमान समय में फैल रही महामारी और नास्तिकता से स्वयं का बचाव करें तथा परमात्मा को अवश्य पहचानें।