International Tiger Day Hindi (बाघ दिवस 2020): पर जानिए बाघों से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में.
हर वर्ष पूरे विश्व में 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु होने के साथ-साथ इसे राष्ट्र की शान, शक्ति, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक भी माना जाता है इस दिन को मनाने का खास उद्देश्य बाघों के सरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करना है। भारत में भी इसे लेकर एक दशक से खूब चर्चाएं हो रही हैं और इसका फायदा भी हमें देखने को मिला है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने जारी किये आंकड़े
International Tiger Day Hindi: मंगलवार को केंद्रीय पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पूरी दुनिया की कुल बाघों की आबादी का लगभग 70 प्रतिशत भारत में है। जावड़ेकर ने ये भी बताया कि अभी भारत के पास 30,000 हाथी, 3000 एक सींग वाले गैंडे और 500 से ज्यादा शेर भी मौजूद हैं।
प्रकाश जावड़ेकर के द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक साल 1973 में देश में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे। जिनकी संख्या अब बढ़कर 50 हो गई है।
वर्तमान में विलुप्त हो रही बाघों की प्रजातियां
वर्ल्ड वाइड लाइफ फंड पिछले साल के आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया में अभी 3900 बाघ ही शेष बचे हैं, जबकि सन 1915 में यह संख्या एक लाख से ज्यादा थी। 20 वीं सदी की शुरुआत के बाद बाघों की संख्या में तेजी से कमी आ रही है
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International Tiger Day [Hindi]-अभी बाघों की जिंदा प्रजातियों में
- साइबेरियन टाइगर
- इंडो-चाइनीज टाइगर
- मलायन टाइगर
- सुमात्रन टाइगर बंगाल टाइगर, आदि हैं।
- वहीं बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर विलुप्त हो चुके हैं।
- हालांकि, इन सबके बीच भारत में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिला है।
International Tiger Day [Hindi]-बाघों से जुड़े कुछ आंकड़े
- दुनिया के करीब 70% बाघ भारत में हैं।
- देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में हैं।
- दुनिया में करीब 4200 बाघ हैं और 2018 के टाइगर सेंसस के मुताबिक भारत में 2967 बाघ हैं
- देश में 12 साल में दो गुना बढी है बाघों की संख्या
- भारत में छह साल में 560 बाघों की मौत हुई है। विश्व में भारत के अलावा बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन,मलयेशिया, म्यांमार, नेपाल, इंडोनेशिया, भूटान, लाओ पीडीआर, रूस, थाईलैंड और वियतनाम में भी बाघ पाए जाते हैं।
- नरेंद्र मोदी जी ने पिछले साल बाघ अनुमान रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार भारत में 2006 की तुलना में 2018 में बाघों की संख्या दोगुनी हुई है।
कैसे हुई इस दिन को मनाने की खास शुरुआत
बाघों के संरक्षण उनको प्रोत्साहित करने, तथा लगातार घट रही बाघों की संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग मे एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा की गई। इस सम्मेलन में कई देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया। वैसे तो बाघ दिवस मनाने की शुरुआत इंदिरा गांधी ने सन 1973 में ही कर दी थी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 में लिखा था, कि इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में बाघों की संख्या साल 2014 में 1,400 से बढ़कर साल 2019 में 2,977 हो गई।
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