kasturba Gandhi Death: कस्तूरबा गाँधी की पुण्यतिथि आज, जानिए उनसे जुड़ी ख़ास बातें

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kasturba Gandhi Death: एक ऐसी महिला, जो बिलकुल अनपढ़ थी। पढ़ी-लिखी। जीवन जीने का सलीका सीखी। और अपने पति के साथ घूम-घूम कर लोगों के सेवा में तल्लीन हो गई। वाकई में जीवन जीना इसे ही कहते है। अपने जीवन की कमियों को पूरा करते हुए दूसरों के जीवन को पूर्ण करने में सहयोग देना। ऐसी ही थी Mohandas Karmachand Gandhi ‘s Wife Kasturba Gandhi

कस्तूरबा गाँधी की जीवनी (Life History of kasturba Gandhi)

स्वतंत्रता सेनानियों में बा के नाम से विख्यात कस्तूरबा गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धर्मपत्नी थीं और भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया. निरक्षर होने के बावजूद कस्तूरबा के अन्दर अच्छे-बुरे को पहचानने का विवेक था. उन्होंने ताउम्र बुराई का डटकर सामना किया और कई मौकों पर तो गांधीजी को चेतावनी देने से भी नहीं चूकीं.

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बकौल महात्मा गाँधी, जो लोग मेरे और बा के निकट संपर्क में आए हैं, उनमें अधिक संख्या तो ऐसे लोगों की है, जो मेरी अपेक्षा बा पर कई गुना अधिक श्रद्धा रखते हैं. उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन अपने पति और देश के लिए व्यतीत कर दिया. इस प्रकार देश की आजादी और सामाजिक उत्थान में कस्तूरबा गाँधी ने बहुमूल्य योगदान दिया.

कैसा था महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी का वैवाहिक जीवन

महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि शुरुआत में वो कस्तूरबा के लिए काफी आकर्षण महसूस करते थे. गांधीजी उस वक्त स्कूल में थे. एक जगह उन्होंने लिखा है कि स्कूल में भी वो कस्तूरबा के बारे में ही सोचा करते थे. बाद में वो अपने इस अहसास के लिए शर्मिंदा भी होते हैं. कस्तूरबा गांधी अशिक्षित थीं. बापू ने उन्हें पढ़ाना शुरू किया. लेकिन पढ़ाई को लेकर उनमें उतना उत्साह नहीं था, क्योंकि उन्हें घर के काम-काज भी निपटाने होते थे.

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1897 में कस्तूरबा गांधी महात्मा गांधी के साथ साउथ अफ्रीका चली गईं. वहां गांधीजी कानून की पढ़ाई के लिए गए थे. वो गांधीजी के काम में सहयोग करतीं और हर काम में उनका अनुसरण करतीं. साउथ अफ्रीका में अश्वेतों के खिलाफ बरते जाने वाले भेदभाव के खिलाफ बापू के आंदोलन में भी कस्तूरबा गांधी ने उनका सहयोग किया और उन आंदोलन में सक्रीय भागीदारी निभाई.

सबसे पहले भारतीयों के लिए कस्तूरबा ने उठाई थी आवाज, 3 महीने की जेल हुई

गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए महात्मा गांधी कितने सक्रिय थे, ये तो हम सभी जानते हैं पर क्या आप ये जानते हैं कि दक्षििण अफ्रीका में अमानवीय हालात में भारतीयों को काम कराने के विरुद्ध आवाज उठाने वाली कस्तूरबा ही थीं। सर्वप्रथम कस्तूरबा ने ही इस बात को प्रकाश में रखा और उनके लिए लड़ते हुए कस्तूरबा को तीन महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा।

Mahatma Gandhi and Kasturba Gandhi (महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी)

अकसर लोग जब गांधी जी की महानता का बखान करते हैं तो वह उस नारी को पूरी तरह भुला देते हैं जिनके बिना शायद महात्मा गांधी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) जी आज उस मुकाम पर ना होते जहां वह हैं. यह नारी है उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी का. महात्मा गांधी की धर्मपत्नी कस्तूरबा गांधी के बारे में यह सर्वविदित है कि वह धर्मपरायण महिला थीं और जीवनसाथी की परिभाषा को पूर्णता प्रदान करते हुए जिंदगी के हर मोड़ पर उन्होंने बापू का साथ निभाया था.

Credit: Amar Ujala

मात्र 13 साल की उम्र में उनका मोहन दास कर्मचंद गांधी से विवाह हो गया. एक अच्छी पत्नी की तरह कस्तूरबा हमेशा अपने पति के साथ खड़ी नजर आईं, भले ही मोहनदास के कुछ विचारों से वह सहमति नहीं रखती थीं. कौन भूल सकता है कि जब गांधी ने 1906 में ब्रह्मचर्य का व्रत रखा था तो कस्तूरबा ने इसका कतई विरोध नहीं किया था. कस्तूरबा गांधी ने ही गांधी के आश्रम के अधिकतर कार्यों को संभाला हुआ था. 22 फरवरी, 1944 को उन्हें भयंकर दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा (kasturba Gandhi Death).

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