Mother’s Day 2024: क्या आप एक मां हैं पर क्या आप अपनी Supreme Maa को पहचानती हैं? नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है।
मांगने पर जहां पूरी हर मन्नत होती है
मेरी मां ही तो है वो जिसके चरणों में मेरी जन्नत होती है।
दोस्तों, इस बार हम पूरे विश्व में मनाए जाने वाले डे “मदर्स डे” के बारे में चर्चा करेंगे और हम (‘उस सुप्रीम मां’) के बारे में जानेंगे जो हमें हमारे शरीर की मां से भी 100 गुना अधिक प्रेम करती है। यह वो मां है जिसने हमारी आत्मा की रचना की है। यह वो मां है जिसने मां के गर्भ में नौ महीने हमारी रक्षा की। यह वो मां है जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है। हमारे मुंह की थूक सूख सकती है पर इस मां की तारीफ कभी कम नहीं हो सकती।
दोस्तों, इस बार हम पूरे विश्व में मनाए जाने वाले डे “मदर्स डे” के बारे में चर्चा करेंगे और हम (‘उस सुप्रीम मां’) के बारे में जानेंगे जो हमें हमारे शरीर की मां से भी 100 गुना अधिक प्रेम करती है। यह वो मां है जिसने हमारी आत्मा की रचना की है। यह वो मां है जिसने मां के गर्भ में नौ महीने हमारी रक्षा की। यह वो मां है जिसकी जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है। हमारे मुंह की थूक सूख सकती है पर इस मां की तारीफ कभी कम नहीं हो सकती।
क्यों मनाया जाता है Mother’s Day?
कहते हैं हमें जीवन देने वाले परमात्मा ने अपनी छवि प्रत्येक संतान के लिए बनाई जिसे मां कहते हैं। एक मां जिसके गर्भ से हमें जन्म मिला है, जिसने हमें अपने खून से सींचा, पल पल अपने हृदय से लगाया, खुद गीली जगह पर सोई और हमें, अपनी बाहों के झूले में लोरी गाकर सुलाया। मां जिसका निश्छल प्रेम, दुलार, फटकार और मार सब सिर आंखों पर। मां जिस घर में होती है वहां साक्षात् परमात्मा वास करते हैं। ऐसी प्रेम की मूरत माताओं को सम्मान देने के लिए आज विश्वभर में “मातृ दिवस यानी मदर्स डे” मनाया जा रहा है।
पूरी दुनिया मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे सेलीब्रेट करती है। प्रत्येक संतान अपनी मां की कर्ज़दार होती है । माताओं को जितना प्यार और सम्मान दिया जाए वह कम ही होता है । मई महीने के इस एक दिन को मदर्स को डेडीकेट करना पाश्चात्य सभ्यता का रिवाज़ बन गया है।
मां तुम खास हो।
तुम्हीं तो मेरी पहचान हो।
माताओं को खास महसूस कराये जाने का चलन पूरे विश्व में जोरों पर है। इस दिन मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर उनके अथाह प्यार और स्नेह के लिए धन्यवाद दिया जाता है। जितना खास यह दिन है, उतनी ही रोचक है इस दिन को मनाने की शुरुआत भी।
Mother’s Day कब, क्यों और कैसे हुई थी मदर्स डे मनाने की शुरुआत
दोस्तों! मदर्स डे अमरीका के एक राज्य वेस्ट वर्जिनिया के ग्राफ्टन शहर में एना जॉर्विस नामक एक महिला द्वारा सभी माताओं और उनके मातृत्व को सम्मान देने के लिए आरंभ किया गया था। इसे दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाने लगा। इस दिन कई देशों में विशेष अवकाश घोषित किया जाता है। कुछ विद्वानों का दावा है कि मां के प्रति सम्मान यानी मां के आदर सत्कार का चलन पुराने ग्रीस से आरंभ हुआ है। कहा जाता है कि स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में यह दिन मनाया जाता था। इसके अलावा यूरोप और ब्रिटेन में मां के प्रति सम्मान दर्शाने की कई परंपराएं प्रचलित हैं। उसी के अंतर्गत एक खास रविवार को मातृत्व और माताओं को सम्मानित किया जाता था। जिसे मदरिंग संडे कहा जाता था।
Mother’s Day 2024: जब हमने भारत में मदर्स डे के बारे में गूगल किया
यदि गूगल से जानकारी ढूंढने जाएं तो भारत में मदर्स डे के दो प्राथमिक परिणाम सामने आते हैं। भारत में भी अन्य देशों की तरह मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है जिसे हिंदी में “मातृ दिवस” भी कहा जाता है। समय के साथ इसका प्रचलन अन्य देशों की भांति भारत में भी शुरू हो गया। भारत में इस दिन को मनाने का कोई खास कारण सामने नहीं आता, क्योंकि भारतीय संस्कृति और सभ्यता के मुताबिक भारतीय अपनी मां से पूरे 365 दिन लाड लड़ाते हैं।
मां तुम्हारा संघर्ष मेरी ताकत और हिम्मत है
भारत एक ऐसा देश है जहां की संस्कृति, सभ्यता, और संस्कार प्राचीन काल से ही उसकी पहचान रही है। भारत में प्राचीन समय से ही माता को संतान की जिंदगी में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अपनी अपनी माताओं,दादियों,नानियों वह अन्य माताओं के प्रेम, ममता, त्याग और संघर्षों की कहानियां हम अक्सर बचपन से सुनते आए हैं । फिर चाहे वह कहानी द्रौपदी, मंदोदरी, सीता, अहिल्या, अनुसूया, सावित्री, सुलक्षणा , झांसी की रानी जैसी सती माताओं की हो या माता कुंती, गांधारी, या देवकी, के त्याग की हो। भारत में नारी को देवी का रूप माना जाता है। लेकिन क्या आज भी देश में माताओं का पूर्णतः सम्मान किया जाता है? आइए इसकी पुष्टि करने के लिए भारत की वर्तमान स्थिति पर एक नज़र डालते हैं।
Mother’s Day 2024: कहीं आप भी पाश्चात्य सभ्यता की आड़ में दिखावा तो नहीं कर रहे
देश में लोग मदर्स डे के दिन सोशल मीडिया पर अपनी अपनी मां के साथ फोटो शेयर करते हैं और साथ में अपनी मां को डेडीकेट करते हुए वेरी इमोशनल पोस्ट भी डालते हैं लेकिन इस दिन के बीतने के बाद यह केवल एक दिखावा बनकर रह जाता है। यह दिन बीतने के बाद जब मां या अन्य महिला के सम्मान की बात आती है तब प्रतीत होता है की पश्चिमी संस्कृति की आड़ में आज देश की युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति और सभ्यता को कतई भूल चुकी है। यह बहुत ही शर्म की बात है की कई लोग उम्र के हिसाब से नारी का लिहाज़ करना भूल चुके हैं। बस, रेल, मैट्रो आदि यातायात में तो किसी और की मां और अन्य महिला को खड़ा देखकर कोई महानुभाव उन्हें बैठने के लिए अपनी जगह तक नहीं देता।
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Mother’s Day 2024: अपनी उम्र से बड़ी हो या छोटी गरीब और मज़दूर महिलाएं जो किसी ठेले पर फल- सब्जी आदि बेचती हैं या किसी के घर कामवाली बाई या खाना बनाने का कार्य करती हैं, उन्हें कोई सम्मान नहीं देता। वैसे तो लोग देश की गरिमा को बनाए रखने के लिए “भारत मां की जय का नारा तो लगाते हैं” लेकिन उसी भारत मां की कोख में पलने वाली सैंकडों बहनों को सम्मान देना भूल जाते हैं, वह यह भूल जाते हैं की इस देश में मीराबाई, रानी लक्ष्मीबाई, और रानी पद्मावती, जैसी पराक्रमी माताओं का भी जन्म हुआ है। शायद लोग भूल जाते हैं की जिस मां की ममता हमें प्यारी लगती है वही माता को एक दिन दुष्ट राक्षसों का अंत करने के लिए काली का रूप भी बनाना पड़ गया था। लोग फिर भी नारी का अपमान कर घोर पाप के भागी बनते हैं। हम अखबारों में अक्सर पढ़ते हैं की माता बहनों के साथ कैसे अपमान, मारपीट, बलात्कार और शोषण के मामले देश भर में प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैैं।
NCRB के मुताबिक साल 2019 में महिलाओं के खिलाफ अमानवीयता के कुल 4.5 लाख मामले देखे गए थे। जिसमें बलात्कार, डोमेस्टिक वायलेंस, और किडनैपिंग आदि जैसे मामले शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान और उत्तरप्रदेश जैसे राज्य इनमें चरम पर रहे।
यहां तक कि विश्व की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित न्यूज़ एजेंसियों में से एक थॉमसन रॉयटर्स द्वारा 2018 में किए गए सर्वे में यह सिद्ध हुआ की भारत महिलाओं के लिए पूरे विश्व में सबसे खतरनाक और सबसे कम सुरक्षित स्थान है। इस सर्वे में भारत को ह्यूमन ट्रैफिकिंग, सेक्स स्लेवरी और घरेलू कामकाज के आधार पर सबसे खराब आंका गया है।
मां के सम्मान से लेकर बेटी की पूजा पर एक नज़र
भारत में लोग लड़कियों की पूजा भी करते हैं। आइए यह जानने की कोशिश करते हैं की किसी नर और नारी की पूजा करना धार्मिक ग्रंथों अनुसार कहां तक सही है?
Mother’s Day 2024: दरअसल दोस्तों! हिंदू धर्म के पवित्र शास्त्र हमें सतगुरू और पूर्ण परमात्मा के अतिरिक्त किसी भी अन्य की पूजा करने की अनुमति नहीं देते हैं। पवित्र श्रीमद भागवत गीता के अध्याय 7 के श्लोक 15 में सभी देवी- देवताओं और मनुष्यों की पूजा को व्यर्थ बताया है। इससे परमात्मा का संविधान टूटता है और हम अपराधी हो जाते हैं।
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इसी विषय में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों में बताते हैं की अपने माता- पिता की सेवा करना प्रत्येक जीव का कर्तव्य है। उनकी सेवा सच्चे मन और आत्मा से करनी चाहिए। लेकिन पूजा तो केवल अपने सतगुरु और इष्ट यानी की पूर्ण परमात्मा की ही करनी होती है। पूजा करना यानी, किसी के चरण छूना, उन्हें तिलक लगाना, गले में माला डालना, आदि क्रियाएं पूजा के अंतर्गत आती हैं और किसी को आसन देना, उन्हें प्रणाम करना, आवभगत आदि सम्मान कहलाता है। यदि हम एक परमात्मा को छोड़कर अन्य की पूजा करते हैं तो श्रीमद भागवत गीता और भगवान के संविधान के अनुसार हम व्यभिचारी की श्रेणी में आ जाएंगे जो की गलत है। इसीलिए मदर्स डे या किसी भी दिन माता की पूजा करना गलत है; इसकी बजाय साल के 365 दिन अपने माता पिता का आदर सम्मान और उनकी सेवा करना उचित है।
कहा जाता है जितना प्रेम एक पिता अपनी संतान से करता है उस से 100 गुना अधिक प्रेम उसकी माता करती है और एक माता से भी 100 गुना अधिक प्रेम एक गुरु अपने शिष्य से करता है।
बहोते प्यारा बालक मां का, उससे बढ़कर शिष्य गुरुवों का।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव।
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव।
त्वमेव सर्व मम देवदेव।।
अर्थात सर्व रचयिता पूर्ण परमात्मा ही सर्व जीव की माता है और पिता भी वही है। वही एक परमात्मा हमें ज़रूरत पड़ने पर हमारे भाई तथा बंधु होने की भूमिका करता है। सभी को शिक्षा देने वाले जगतगुरु भी वही होते हैं, तथा विद्या यानी अक्षर ज्ञान और द्रविणं यानी सुख संपत्ति आदि प्रदान करने वाले भी वही हैं। वही सर्वव्यापक वासुदेव हैं और उन्हीं की शक्ति कण कण में विद्यमान है। वह सर्व सुखदायक प्रभु और सर्व द्वारा पूजा करने योग्य पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हैं। वही सभी आत्माओं को पैदा करने वाले हमारी वास्तविक माता है और पिता भी वही हैं।
पूर्ण परमात्मा ही हमारे सच्चे माता पिता हैं। शरीर के माता पिता के विषय में संत गरीबदास जी कहते हैं,
एक लेवा एक देवा दूतं, कोई किसी का पिता न पूतं|
ऋण सम्बंध जुड़ा एक ठाठा, अंत समय सब बारह बाटा||
मात पिता मिल जायेंगे लख चौरासी मां, सतगुरु सेवा और बंदगी ये फिर मिलन की ना।
वर्तमान समय में सर्व सृष्टि के रचनहार पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब जी संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में स्वयं आकर एक तत्वदर्शी संत की भूमिका कर रहे हैं। मदर्स डे के इस अवसर पर अपनी सच्ची माता यानि Supreme Maa को पहचान कर उनकी शरण में आइए, ताकि आप उसकी ममता व प्यार को पाने के हकदार बन सकें क्योंकि यह सुअवसर युगों-युगों में एक बार ही मिलता है।