Parliament Attack 2001: 13 दिसंबर 2001 कैसे हुआ था लोकतंत्र के मंदिर पर आतंकी हमला?

Parliament Attack 2001 13 दिसंबर 2001 कैसे हुआ था लोकतंत्र के मंदिर पर आतंकी हमला

Parliament Attack 2001 [Hindi]: जब आतंकवादी संसद परिसर में गोलियां बरसा रहे थे, तब उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत 200 से ज्यादा सांसद लोकसभा में ही थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस आतंकी हमले की तुलना अमेरिका पर हुए 9/11 हमले से की थी. संसद हमले से सिर्फ 3 महीने पहले ही अमेरिका में 9 सितंबर को सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था. 13 दिसंबर को सामान्‍य दिनों की तरह ही संसद की कार्यवाही चल रही थी.

उस दिन विपक्ष के हंगामे की वजह से संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी. करीब 40 मिनट बाद 11 बजकर 20 मिनट पर आतंकवादी संसद परिसर में दाखिल हुए थे. दोनों सदन के स्थगित होने की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी समेत कई नेता बाहर निकल चुके थे. लेकिन तत्‍कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत 100 सांसद संसद भवन में मौजूद थे.

जब संसद परिसर में घुसे थे आतंकी

पहले आतंकियों की मुठभेड़ दिल्‍ली पुलिस के असिस्‍टेंट सब इंस्‍पेक्‍टर जीतनराम से हुई थी. वह उप राष्‍ट्रपति के काफिले में तैनात थे. इसके बाद आतंकी जीतराम से मुठभेड़ के बाद आंतकियों ने कार संसद भवन के गेट नंबर 9 की तरफ मोड़ दी थी.

इस गेट का इस्तेमाल प्रधानमंत्री राज्यसभा में जाने के लिए करते हैं. कार थोड़ी दूर आगे बढ़ी लेकिन ड्राइवर सीट पर बैठे आतंकी उस पर कंट्रोल नहीं रख पाया और वो सड़क किनारे लगे पत्थरों से टकराकर रुक गई. पांचों आतंकी कार से निकलकर कार के बाहर तार बिछाना और उससे विस्फोटकों को जोड़ना शुरू कर दिया. तब तक जीतराम उनतक पहुंच चुके थे. उन्होंने अपनी रिवॉल्वर अपने हाथ में ले रखी थी.

Parliament Attack 2001 के दौरान संसद की चल रही थी कार्यवाही

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस आतंकी हमले की तुलना अमेरिका पर हुए 9/11 हमले से की थी. संसद हमले से सिर्फ 3 महीने पहले ही अमेरिका में 9 सितंबर को सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था. 13 दिसंबर को सामान्‍य दिनों की तरह ही संसद की कार्यवाही चल रही थी. उस दिन विपक्ष के हंगामे की वजह से संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी. करीब 40 मिनट बाद 11 बजकर 20 मिनट पर आतंकवादी संसद परिसर में दाखिल हुए थे. दोनों सदन के स्थगित होने की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी समेत कई नेता बाहर निकल चुके थे. लेकिन तत्‍कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत 100 सांसद संसद भवन में मौजूद थे.

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Parliament Attack 2001 के पहले संसद हमले की पूरी कहानी

संसद में शीतकालीन सत्र जारी था. विभिन्न दलों के सांसद मौजूद थे. ताबूत घोटाले के मसले पर विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही करीब 40 मिनट तक स्थगित कर दी गई थी. इसके बाद नेता विपक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी अपने आवास की तरफ जा चुके थे.

तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित करीब 200 सांसद पार्लियामेंट के अंदर ही मौजूद थे. इसी बीच संसद के बाहर गोलीबारी की आवाज ने सिर्फ संसद भवन को नहीं बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. करीब 45 मिनट तक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजती रही. देश में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर पर आतंकवादियों ने हमला बोल दिया था. 

उपराष्ट्रपति के काफिले को एंबेसडर ने मारी टक्कर

घटना के बारे में अधिकृत जानकारी के मुताबिक गृह मंत्रालय के स्टीकर लगी लाल बत्ती वाली सफेद एंबेसडर कार करीब 11 बजकर 27 मिनट पर संसद के गेट नंबर 12 से तेज रफ्तार से निकली. उसे देखकर मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों को शक हुआ. गार्ड जीतराम ने इस कार का पीछा किया तो उसकी रफ्तार और तेज हो गई.

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इसी दौरान गेट नंबर 11 पर तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत बाहर निकलने वाले थे. काफिले में तैनात गार्ड उनका ही इंतजार कर रहे थे. गार्ड जगदीश यादव सुरक्षाकर्मियों को वह कार रोकने का इशारा किया गया. वे सभी अलर्ट हो गए. तब तक आतंकियों की कार ने उपराष्ट्रपति के काफिले को टक्कर मार दी थी. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने अपने हथियार निकाल लिए. दोनों ओर से गोलियों की बौछार शुरू हो गई. जगदीश यादव सहित चार सुरक्षाकर्मी मौके पर ही शहीद हो गए.

जांबाज सुरक्षाकर्मियों ने नाकाम किए आतंकियों के मंसूबे

किसी सुरक्षाकर्मी ने संसद का आपातकालीन (Emergency) अलार्म बजा दिया और सभी गेट बंद कर दिए. सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाला और एक-एक करके सभी आतंकियों को मार गिराया गया. आतंकी किसी भी कीमत पर संसद में घुसकर नेताओं को मार गिराना चाहते थे लेकिन करीब 45 मिनट तक चली गोलीबारी में सभी आतंकवादी ढेर हो गए. ढेर होने से पहले अत्याधुनिक एके-47 से लैस आतंकियों ने संसद में घुसने की हरसंभव कोशिश की और अंदर हथगोले फेंके. आतंकियों मे आत्मघाती विस्फोट भी किया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों के आगे उनकी एक ना चली. आतंकी हमले में देश के सात सुरक्षाकर्मियों समेत 8 लोग बलिदान हो गए. 16 सुरक्षाकर्मी इस हमले में घायल भी हुए, मगर उन सबने आतंकवादियों के नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया. 

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Parliament Attack 2001: 45 मिनट चला पूरा ऑप्रेशन

सुरक्षाबलों ने 45 मिनट में आतंकियों को ढेर कर दिया लेकिन उसके बाद भी संसद भवन से रुक-रुक कर गोलियां चलने की आवाज आ रही थी। दरअसल आतंकियों के चारों तरफ फैलने की वजह से जगह-जगह ग्रेनेड गिरे हुए थे और वह थोड़ी-थोडी देर में ब्‍लॉस्‍ट कर रहे थे। थोड़े ही समय में बम निरोधक दस्‍ते ने बम को निष्‍क्रिय किया और संसद अब पूरी तरह सुरक्षित था।

जिसका डर था वही हुआ 

जसवंत सिंह की डायरी ‘इंडिया एट रिस्क’ में वे लिखते हैं कमरा नंबर 27, संसद के गेट नंबर 12 से मुश्मिल से 20 फीट की दूरी पर ही मैं अपने दफ्तर में बैठा फाइलों को देख रहा था। गोलियों की आवाज सुनी तो लगा कि किसी सुरक्षकर्मी की आंख लग गई होगी और ट्रिगर दब गया होगा। तभी धमाके की भी आवाज सुनाई दी। राघवन दौड़ता हुआ आया और बोला, सर ये क्या है? मैनें कहा-जिसका मुझे इतने दिन से डर था, वो शायद हो गया है। अफरातफरी मची थी, दरवाजे बंद कर दिए गए थे और लोग इधर-उधर भाग रहे थे। बाहर से गोलीबारी की आवाज अंदर तक साफ सुनाई दे रही थी।

 

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