Prithviraj Chauhan Jayanti 2024 [Hindi]: पृथ्वीराज चौहान की मौत का रहस्य?

Prithviraj Chauhan Jayanti in Hindi with History, Story, Death, Facts

आज महान शासक व योद्धा पृथ्वीराज चौहान Prithviraj Chauhan Jayanti 2024 जयंती है. आज हम आप को Prithviraj Chauhan story in hindi, Prithviraj Chauhan facts in hindi, Prithviraj Chauhan death, Prithviraj Chauhan Quotes in hindi, के बारे में जानकरी देंगे.

Prithviraj Chauhan History in Hindi

पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1149 मे राजस्थान के अजमेर में हुआ था. पृथ्वीराज जी अजमेर के महाराज सोमेश्र्वर और कपूरी देवी की संतान थे. मात्र 11 वर्ष की आयु मे पृथ्वीराज के सिर से पिता का साया उठ गया था, उसके बाद भी उन्होने अपने दायित्व अच्छी तरह से निभाए और लगातार अन्य राजाओ को पराजित कर अपने राज्य का विस्तार करते गए.

पृथ्वीराज को राय पिथोरा भी कहा जाता था. पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक कुशल योध्दा थे, उन्होने युध्द के अनेक गुण सीखे थे. उन्होने अपने बाल्य काल से ही शब्ध्भेदी बाण विद्या का अभ्यास किया था.

Prithviraj Chauhan Story in Hindi

पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू राजपूत राजाओं में एक थे. उनका राज्य वे बहुत ही साहसी, युद्ध कला में निपुण और अच्छे दिल के राजा थे, उन्हें बचपन ही से ही तीर कमान और तलवारबाजी का शौक था.

Prithviraj Chauhan Jayanti in Hindi: पृथ्वीराज चौहान को कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता पसंद आ गई थी, जिसके बाद उन्हें राज कुमारी संयोगिता से प्रेम हो गया. चन्द्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान दोनों बचपन के मित्र थे और बाद में आगे चलकर चन्द्रवरदाई एक कवि और लेखक बने जिन्होंने हिंदी /अपभ्रंश में एक महाकाव्य पृथ्वीराज रासो लिखा.

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आपको बता दें,  प्रथम युद्ध में सन 1191 में मुस्लिम शासक सुल्तान मुहम्मद शहाबुद्दीन गौरी ने बार बार युद्ध करके पृथ्वीराज चौहान को हराना चाहा पर ऐसा ना हो पाया. पृथ्वीराज चौहान ने 17 बार मुहम्मद गौरी को युद्ध में परास्त किया और दरियादिली दिखाते हुए कई बार माफ भी किया और छोड़ दिया पर अठारहवीं बार मुहम्मद गौरी ने जयचंद की मदद से पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में मात दी और बंदी बना कर अपने साथ ले गया. पृथ्वीराज चौहान और चन्द्रवरदाई दोनों ही बन्दी बना लिए गए और सजा के तौर पर पृथ्वीराज की आखें गर्म सलाखों से फोड दी गई.

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कैसे हुई?

गौरी के आदेश पर पृथ्वीराज चौहान के मन्त्री प्रतापसिंह ने पृथ्वीराज को ‘इस्लाम्’ धर्म को स्वीकार करने के लिये समझाया| पृथ्वी ने  कहा कि मैं गोरी का का वध करना चाहता हूँ” ऐसा पृथ्वीराजः ने प्रतापसिंह को कहा|पृथ्वीराज ने आगे कहा कि, मैं शब्दवेध बाण चलाने को सक्षम हूँ| मेरी उस विद्या का मैं प्रदर्शन करने के लिये सज्ज हूँ|

Prithviraj Chauhan Jayanti in Hindi: तुम किसी भी प्रकार गोरी को मेरी विद्या का प्रदर्शन देखने के लिये तत्पर करो| तत्पश्चात् राजसभा में शब्दवेध बाण के प्रदर्शन के समय गोरी कहाँ स्थित है ये मुझे कहना| मैं शब्दवेधी बाण से घोरी का वध कर अपना प्रतिशोध लूँगा| गौरी से युध्द के पश्चात पृथ्वीराज को बंदी बनाकर उनके राज्य ले जाया गया . वहा उन्हे यतनाए दी गयी तथा पृथ्वीराज की आखो को लोहे के गर्म सरियो द्वारा जलाया गया, इससे वे अपनी आखो की रोशनी खो बैठे.

Credit: Origin Education

जब पृथ्वीराज से उनकी मृत्यु के पहले आखरी इच्छा पूछी गयी, तो उन्होने भरी सभा मे अपने मित्र चंदबरदाई के शब्दो पर शब्दभेदी बाण का उपयोग करने की इच्छा प्रकट की. और इसी प्रकार चंदबरदई द्वारा बोले गए दोहे का प्रयोग करते हुये उन्होने गौरी की हत्या भरी सभा मे कर दी. इसके पश्चात अपनी दुर्गति से बचने के लिए दोनों ने एक दूसरे की जीवन लीला भी समाप्त कर दी . और जब संयोगिता ने यह खबर सुनी, तो उसने भी अपना जीवन समाप्त कर लिया.

Prithviraj Chauhan facts in Hindi

  • पृथ्वीराज चौहान का जन्म चौहान वंश के क्षत्रिय राजा सोमेश्वर चौहान और कर्पूरदेवी के घर हुआ था।
  • वह उत्तर भारत में 12 वीं सदी के उत्तरार्ध में अजमेर (अजयमेरु ) और दिल्ली के शासक थे।
  • विभिन्न मतों के अनुसार, पृथ्वीराज के जन्म के बाद पिता राजा सोमेश्वर ने अपने पुत्र के भविष्यफल को जानने के लिए विद्वान् पंडितों को बुलाया। जहां पृथ्वीराज का भविष्यफल देखते हुए पंडितों ने उनका नाम “पृथ्वीराज” रखा।
  • बाल्यावस्था से ही उनका बड़ा वैभवपूर्ण वातावरण में पालन-पोषण हुआ।
  • पांच वर्ष की आयु में, पृथ्वीराज ने अजयमेरु (वर्तमान में अजमेर) में विग्रहराज द्वारा स्थापित “सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ” से (वर्तमान में वो विद्यापीठ ‘अढ़ाई दिन का झोंपड़ा’ नामक एक ‘मस्जिद’ है) से शिक्षा प्राप्त की।

Prithviraj Chauhan Quotes in Hindi

चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण
ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान
हिंदुत्व की ध्वजा उज्जवल पृथ्वीराज सम्मान
चोर लूटेरा मुहम्मद गोरी वीर राजपूत महान

Prithviraj Chauhan Quotes in Hindi

चार बांस चौबीस गज,
अंगुल अष्ट प्रमाण
ता उपर सुल्तान है,
मत चूको चौहान।।

Prithviraj Chauhan Quotes

उठाया धनुष जब चौहान ने,बीते लम्हों को याद किया
चीख़ भी न पाया गौरी,तीर गले के पार किया!!
जय भवानी
जय पृथ्वीराज चौहान

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