Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2024 [Hindi]: देशभर में आज छत्रपति शिवाजी की जयंती के मौके पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है. पीएम मोदी सहित आदित्य ठाकरे, अजित पवार ने भी उन्हें याद किया.
कौन हैं शिवाजी महाराज
शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था. हालांकि उनके जन्म को लेकर इतिहासकारों में हमेशा से ही मतभेद रहा है. कुछ इतिहासकार उनका जन्म 1630 में मानते हैं तो कुछ का मानना है कि उनका जन्म 1627 में हुआ था. शिवाजी के पिता शाहजी भोसले अहमदनगर सलतनत में सेना में सेनापति थे. उनकी माता जीजाबाई यूं तो स्वयं भी एक योद्धा थी लेकिन उनकी धार्मिक ग्रंथों में भी खासा रूचि थी.
Shivaji Maharaj Jayanti 2024 [Hindi]: छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती का इतिहास
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती (Shivaji Maharaj Jayanti) मनाने की शुरुआत वर्ष 1870 में पुणे में महात्मा ज्योतिराव फुले द्वारा की गई थी। उन्होंने ही पुणे से लगभग 100 किलोमीटर दूर रायगढ़ में शिवाजी महाराज की समाधि की खोज की थी। बाद में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने जयंती मनाने की परंपरा को आगे बढ़ाया और उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए शिवाजी महाराज की छवि को और भी लोकप्रिय बनाया। उन्होंने ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े होकर शिवाजी महाराज जयंती के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लोगों को एक साथ लाने में अहम भूमिका निभाई थी। उनका वीरता और योगदान हमेशा लोगों को हिम्मत देता रहे, इसीलिए हर साल यह जयंती मनाई जाती है।
तत्कालीन समय में भारतवर्ष पर मुगलों का शासन था। मराठा मुगलों के अधीनता स्वीकार नहीं करना चाहते थे। इसके लिए मराठा और मुगलों के बीच कई बार भयंकर युद्ध हुआ। बालकाल्य से शिवजी के हृदय में आजादी की लौ प्रज्ज्वलित हो रही थी। महज 10 वर्ष की आयु में 14 मई, 1640 ईं को शिवाजी का विवाह सइबाई निम्बालकर से पूणे के लाल महल में हुआ था। शिवाजी ने अपने शासनकाल में उन सभी प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। इन सभी प्रदेशों को पुरुंदर की संधि के अतंर्गत उन्हें मुगलों को देने पड़े थे।
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2024 [Hindi]: Quotes, Images
- एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य के लिए, बाद में विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है.
- एक वीर योद्धा हमेशा विद्वानों के सामने ही झुकता है.
- स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई है.
- स्त्री के सभी अधिकारों में सबसे महान अधिकार मां बनने का है.
शिवाजी ने शुरु की थी गोरिल्ला वॉर की नीति
शिवाजी को भारत के एक महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार के रूप में जाना जाता है. शिवाजी ने गोरिल्ला वॉर की एक नई शैली विकसित की थी. शिवाजी ने अपने राज काज में फारसी की जगह मराठी और संस्कृत को अधिक प्राथमिकता दी थी. उन्होंने कई सालों तक मुगल शासक औरंगजेब से लोहा लिया था.
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छत्रपति शिवाजी की मुगलों से पहली मुठभेड़ 1656-57 में हुई थी. उन्होंने मुगलों की ढेर सारी संपत्ति और सैकड़ों घोड़ों पर अपना कब्जा जमा लिया था. कहा जाता है 1680 में कुछ बीमारी की वजह से अपनी राजधानी पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई थी. इसके बाद उनके बेटे संभाजी ने राज्य की कमान संभाली थी.
शिवाजी को तत्वदर्शी संत मिलता तो पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती
छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2024) बचपन से ही बहुत विधाओं के धनी थे। यदि उन्हें बचपन में ही तत्वदर्शी संत रामपाल जी जैसे सतगुरु मिल गए होते यह तो निश्चित था कि उनके जैसे व्यक्तित्व का व्यक्ति युद्ध कि अपेक्षा सतभक्ति को पूरे तन और मन से चुनता और निश्चित ही पूर्ण मोक्ष को प्राप्त होता। लेकिन उस काल में कोई सतनाम और सारनाम देने के अधिकारी संत नहीं थे और बचपन से ही उनकी माता ने उन्हें युद्ध की ओर प्रेरित किया था।
इससे यह सबक लेने कि जरूरत है कि माता पिता की यह जिम्मेदारी है कि बच्चों को सतज्ञान का पाठ सिखाने के लिए सतगुरु रामपाल जी की शरण में तीन वर्ष की अवस्था से ही ले जाना चाहिए। परिणामस्वरूप बालक सतज्ञान में निपुण होकर सदाचार का व्यवहार करेगा और दुराचार से कभी भी नेह नहीं करेगा। एक आदर्श सेवाभावी इंसान बन कर प्रसन्नता पूर्वक जीवन जीकर अंत समय में पूर्ण मोक्ष को प्राप्त करेगा।