नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। दर्शकों पिछले वीडियो में हमने रूस और यूक्रेन के बीच सालों से चले आ रहे तनाव और ग्यारह दिन से छिड़े भीषण युद्ध के बारे में चर्चा की थी और आज हम दोंनो देशों के बीच चल रहे युद्ध पर पूर्ण रूप से पूर्ण विराम कैसे लगाया जा सकता है इसके बारे में जानेंगे।
रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध का आज ग्यारहवां दिन है
रूस और यूक्रेन की लड़ाई दो देशों के बीच की जंग है। रूस और अमेरिका, रूस और नेटो देशों की की वजह से बड़े देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग लगातार खतरनाक रूप ले रही है। रूस पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है तो यूक्रेन भी हार मानने के लिए तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि अगर यह जंग कुछ दिन और जारी रहती है तो तीसरे विश्व युद्ध का रूप ले सकती है, जिससे पूरी दुनिया पर संकट गहरा गया है। शीत युद्ध समाप्त होने के 40 साल बाद एक बार फिर पूरा विश्व दो धड़ों में बंट गया है। रूस पर लगातार प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं।
दोस्तों! रूस के यूक्रेन पर हमले के 11 दिन बाद रूस और यूक्रेन के बीच जंग अब खतरनाक मोड़ पर आ पहुंची है। रूसी सेना ने यूक्रेन की राजधानी कीव को घेर कर हर ओर से निशाना बनाया है। एक तरफ जहां रूस, यूक्रेन पर मिसाइलों से हमले कर रहा है तो वहीं यूक्रेन भी जवाबी कार्रवाई कर रहा है।
यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि उन्होंने रूस के सुखोई 30 विमान को कीव से 40 किलोमीटर दूर Irpin में मार गिराया है और 30 रूसी फाइटर जेट, 20 हेलिकॉप्टर को यूक्रेन के एयर डिफेंस सिस्टम ने तबाह कर दिया है। हमले के बीच जर्मनी ने यूक्रेन की मदद तेज करने की बात कही है। कहा गया है कि 2700 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल यूक्रेन भेजी जाएंगी।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के अनुसार
11 दिन पहले शुरू हुए रूस के हमले में अब तक यूक्रेन में कम से कम 227 नागरिक मारे गए हैं और 525 अन्य घायल हो गए हैं। जबकि ग्राउंड लेवल पर रूस औऱ यूक्रेन के बीच चल रहे इस युद्ध में अब तक 2 हजार से अधिक लोगों की मौत की खबर है, जबकि इससे दोगुने लोग घायल हैं। मरने वालों में कई बच्चे भी शामिल हैं। यूक्रेन के युद्ध में एक भारतीय छात्र की मौत और खारकीव में एक भारतीय छात्र घायल हुआ है। यूक्रेन का कहना है कि रूसी अटैक की वजह से खारकीव में 3 स्कूल और 1 चर्च पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं। यहां भी कई आम लोग रूसी हमलों में मारे गए हैं। खारकीव, कीव के बाद यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा शहर है।
वहीं ओखतिर्का शहर को भी रूसी सैनिक काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यूक्रेन सरकार का दावा है कि रूस की ओर से हो रहे हमलों में 12 से ज्यादा इमारतें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। उसने यूक्रेन द्वारा बनाए गए दुनिया के सबसे बड़े विमान को कुछ दिन पहले नष्ट किया था। इसके अलावा रूस उसके कई एय़रपोर्ट तबाह कर चुका है। रूस खारकिव स्थित यूक्रेनी सेना के हेडक्वॉर्टर को भी डैमेज कर चुका है। इसके अलावा कीव में भी कई इमारतों को रॉकेट हमलों से नुकसान पहुंचाया है।
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भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि पहली एडवाइजरी जारी होने के बाद से युद्धग्रस्त यूक्रेन की सीमा से 18 हजार भारतीय निकल गए हैं तथा बुधवार को जारी एडवाइजरी के अनुसार बड़ी संख्या में भारतीय छात्र खारकीव छोड़कर पास के पेसोचिन पहुंच गए हैं जिनकी अनुमानित संख्या 1 हजार है। ऑपरेशन गंगा के तहत 30 विमानों से भारत सरकार अपने 6,400 नागरिकों को यूक्रेन से स्वदेश ला चुकी है। साथ ही भारतीयों को वापस लाने के लिए 18 उड़ानें निर्धारित की गई हैं। युद्ध के चलते भारत समेत दुनिया के कई देशों में गैस सिलेंडर, पेट्रोल डीजल, सनफ्लावर ऑयल आदि के दाम बढ़ रहे हैं।
पुतिन ने देश की न्यूक्लियर फ़ोर्सज़ को ‘स्पेशल अलर्ट’ पर रखने को कहा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश की न्यूक्लियर फ़ोर्सज़ को ‘स्पेशल अलर्ट’ पर रखा है। उनके इस क़दम से दुनिया भर में चिंता जताई जा रही है।
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि पुतिन का ये क़दम शायद यूक्रेन के साथ उनकी जंग में अन्य किसी देश को शामिल होने से रोकने के लिए है।
रूस के पास कितने परमाणु हथियार?
परमाणु हथियार की संख्या के आंकड़े अनुमान ही होते हैं लेकिन फ़ेडरेशन ऑफ़ अमेरिकन साइंटिस्ट्स नामक संस्था के मुताबिक रूस के पास दुनिया भर में 5,977 परमाणु हथियार हैं। इनमें से 1,500 एक्सपायर होने वाले हैं या पुराने हो जाने के कारण जल्द ही उन्हें तबाह कर दिया जाएगा।
बाक़ी के 4,500 हथियारों को स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर वेपन (रणनीतिक परमाणु हथियार) माना जाता है। इनमें बैलिस्टिक मिसाइलें और रॉकेट्स शामिल हैं जो लंबी दूरी तक मार कर सकते हैं।
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यूक्रेन पर हमले के बाद रूस की हर देश निंदा कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने ग़ैर हाज़िर रहना ही वाजिब समझा। साथ ही हर बार अपने बयान में शब्दों के चयन पर ज़ोर देते हुए बातचीत से हल निकालने का रास्ता सुझाया। पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से दो बार बात की है तो दूसरी तरफ़ क्वॉड की बैठक में गुरुवार को हिस्सा भी लिया।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद भारत के रुख़ को लेकर कई पूर्व राजनयिक और कूटनीति के विश्लेषकों की राय बंटी हुई है।
कुछ जानकार भारत की ग़ैरहाजिरी को रूस की तरफ़ मूक समर्थन मान रहे हैं, कुछ इसे भारत की विदेश नीति का हिस्सा बता रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि सही समय है जब भारत को किसी एक पक्ष को चुनने की ज़रूरत है।
भारत रूस पर लाए निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग ना करके भी एक तरह से रूस का ही साथ दे रहा है। भारत गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन नहीं कर रहा, बल्कि हर पक्ष के साथ रहने की नीति का पालन कर रहा है। ऐसा करके मोदी सरकार ने भारत की सुरक्षा को दूसरे देशों के कंधे पर डाल दिया है।”
रूस से भारत के रिश्ते कैसे हैं?
रूस से भारत के रिश्ते बहुत अच्छे हैं। जब भी चीन के ख़िलाफ़ मदद चाहिए होती है तो भारत रणनीति के तहत रूस के पास ही जाता है। लद्दाख ही नहीं उससे पहले भी जब-जब चीन, भारतीय सीमा विवाद में उलझा है, मोदी सरकार ने रूस का दरवाज़ा खटखटाया है। भारत का मानना है कि चीन पर अगर किसी देश का प्रभाव है तो वो रूस का है।”
“हथियारों की ख़रीद में रूस पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए भारत अब फ़्रांस, अमेरिका, इज़रायल, ब्रिटेन से भी हथियार ख़रीद रहा है। अगर भारत में डीआरडीओ मिसाइल बनाता है तो उसमें रूस से भारत को मदद मिलती है, दूसरे देशों से नहीं। न्यूक्लियर सबमरीन में भी रूस जो मदद कर सकता है, वो अमेरिका नहीं कर सकता।रूस भारत को जिस तरह की तकनीक देता है, दूसरे देश नहीं देते।
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भारत, ईरान, रूस, मध्य एशियाई देशों के बीच माल ढुलाई के लिए जहाज़, रेल और सड़क मार्ग का 7200 किलोमीटर लंबा एक नेटवर्क है जिसे उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा कहा जाता है।
भारत के लिए ये ट्रेड ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर बहुत अहम है।इस इलाके में भारत चाबहार के अलावा बस इसी एक ट्रेड नेटवर्क का हिस्सा है। ये ऐसा कॉरिडोर भी है जिसका हिस्सा पाकिस्तान और चीन नहीं है। इस नेटवर्क में बने रहने के लिए रूस के साथ अच्छे रिश्ते रखना भारत के लिए ज़रूरी है।
भारत मध्य एशिया में अपना दख़ल बढ़ाना चाहता है
इस साल 26 जनवरी को भारत ने मध्य एशियाई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रण भी दिया था। इन देशों में बिज़नेस और कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए भारत इच्छुक है और इन देशों पर रूस का अपना अलग प्रभाव है। इस लिहाज से भी भारत रूस को नाराज़ नहीं कर सकता।
कौन-कौन से देश कर सकते हैं यूक्रेन का समर्थन?
नाटो में शामिल यूरोपियन देश बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, ब्रिटेन और अमेरिका पूरी तरह यूक्रेन का समर्थन करेंगे। इनमें अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन के सबसे बड़े समर्थक साबित हो सकते हैं। जर्मनी और फ्रांस ने हाल ही में मॉस्को का दौरा करके विवाद शांत करने की कोशिश की थी, लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब यूक्रेन के दो राज्यों को स्वतंत्र घोषित किया और वहां सेना भेजने का एलान किया, तब जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन की इजाजत को रोक दिया। वहीं, अन्य पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिए। इसके अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भी यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं। साथ ही, इन देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने का एलान भी किया।
प्रत्येक युद्ध का समाधान केवल आध्यात्मिक रीति और परमसंत से ही संभव है
युद्ध जैसी स्थिति धरती पर अधर्म और पाप की वृद्धि होने के कारण पैदा होती है। जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है तब तब ऊपर के लोकों से अवतारगण पृथ्वी पर अवतरित होकर धर्म की स्थापना करते हैं। काल ब्रह्म के अवतार युद्ध और विध्वंस आदि का सहारा लेकर धर्म की स्थापना करते हैं जैसे भगवान परशुराम, श्री राम और श्री कृष्ण आदि ने भारी नरसंहार कर धर्म की स्थापना की थी। किंतु पूर्ण परमात्मा के अवतार ऐसा नहीं करते, वे अपनी अद्वितीय शक्ति व तत्वज्ञान से सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए बड़े से बड़े विनाश को भी टाल देते हैं और संसार में धर्म की स्थापना करते हैं।
जैसा कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने आज से लगभग 650 वर्ष पूर्व एक बड़ी अनहोनी और नरसंहार को होने से रोका था। जब कबीर साहेब जी ने पंडितों द्वारा फैलाए गए झूठ और भ्रम को तोड़ने के लिए कहा था की “वे अपना शरीर मगहर में छोड़ेंगे” तब उनके लाखों हिंदू व मुसलमान अनुयायी उनके शव को लेने और अपने धर्म अनुसार अंतिम क्रिया करने के लिए शस्त्र लेकर मगहर में हाजिर हो गए थे। उस समय के भविष्यवक्ताओं व ज्योतिषियों के मुतबिक वहां पर महाभारत से भी भयंकर युद्ध होना था। लेकिन समरथ कबीर साहेब जी की असीम रज़ा से वह युद्ध भी टल गया था, जिसमें न जाने कितने बच्चे अनाथ हो जाते और स्त्रियां विधवा हो जातीं। मगहर में परमात्मा कबीर जी के शव की जगह चादर के नीचे सुगंधित फूल मिले थे जिसे हिंदू व मुसलमानों ने आधा आधा बांट लिया था और उस जगह 2 अलग अलग यादगारें बना दी थी। हिंदू राजा वीरदेव सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजलिखां पठान द्वारा बनाई गई वह यादगरें आज भी मगहर में मौजूद हैं जो इस बात का प्रमाण हैं कि युद्ध शक्ति की अंतिम उपलब्धि नहीं है और प्रेम से भी सदा रहा जा सकता है।
मगहर में आज भी हिंदू और मुसलमान आपस में मिलजुलकर प्रेम से रहते हैं। ठीक इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा के वर्तमान अवतार विश्वविजेता संत जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही विश्व से अशांति व तनावों को दूर कर सकते हैं और धर्म की स्थापना कर शांति व अमन को स्थापित कर सकते है। ऐसा संभव है और कैसे यह जानने के लिए विश्वभर के लोगों और सरकारों को चाहिए की संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताए जा रहे अद्वितीय तत्वज्ञान को पहले समझें और इसी आधार से निर्णय लें जिससे स्वतः ही युद्ध की स्थिति टल जायेगी और विश्वभर में शांति कायम होगी।
अमेरिका की प्रसिद्ध भविष्यकरता फ्लोरेंस ने अपनी भविष्यवाणी में लिखा है कि मैं जिस संत(शायरन) के बारे में बता रही हूं ,उनमें इतनी शक्ति है कि वह प्राकृतिक परिवर्तन भी कर सकते हैं और बीसवीं सदी के अंत में होने वाले तृतीय विश्व युद्ध को भी वही रोकेंगे। आप सभी से निवेदन है कि समय रहते संत रामपाल जी महाराज जी को तत्वज्ञान से पहचान लो। विश्व के लोगों से गुहार है कि #StopWar or #NoToWar मुहिम का हिस्सा बनें और विश्व को युद्ध से बचाने के लिए संतरामपालजी महाराज जी की शरण ग्रहन करें।