Global Handwashing Day 2024: विश्व हस्त धावन दिवस पर जानिए हस्त धावन का महत्त्व 

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विश्व हस्त धावन दिवस(Global Handwashing Day) हर साल 15 अक्टुबर को मनाया जाता है एवं इसकी शुरुआत 2008 में हुई थी। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा उस समय घोषित किया गया,जब “संयुक्त राष्ट्र के जल और स्वच्छता दशक” के अंतर्गत इस दिशा में व्यापक कदम उठाए जा रहे थे। इस दिन का उद्देश्य लोगों में साफ सफाई और स्वच्छता को लेकर जागरूक करना था। इसके अलावा उन्हें हाथ धोने के सही तरीके और सही समय की जानकारी देना था।

पहला हस्त धावन दिवस

पहला हस्त धावन दिवस 2008 में दुनिया भर के विभिन्न स्कूलों, संस्थाओं और स्वास्थ्य संगठनों द्वारा मनाया गया था। खास बात यह रही कि इस दिवस पर लगभग 120 मिलियन बच्चों ने दुनिया के 70 से अधिक देशों में हाथ धोने की इस अभियान में भाग लिया था। तब से लेकर आज तक यह दिवस विश्व भर में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रसिद्ध हैं।

हाथ धोना क्यों हैं जरुरी 

वैसे तो हाथ धोने की आदत साधारण सी लगती है, परंतु इसका प्रभाव बहुत ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि हर साल लाखों बच्चे और वयस्क केवल इस कारण से बीमार पड़ते हैं, क्योंकि वे सही समय पर और सही तरीके से हाथ नहीं धोते। इसी कारण उन्हें कई तरह की बीमारियों और मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता हैं।

विश्व हस्त धावन दिवस 2024 की थीम (Theme)

2024 के वैश्विक हाथ धुलाई दिवस की थीम है “साफ हाथ अभी भी महत्वपूर्ण क्यों हैं?” इस थीम पर इस बार विश्व हस्त धावन दिवस मनाया जा रहा है।

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हाथ धोने से बचाव

हाथ धोने से ऐसी बहुत सी बिमारियों से बचाव किया जा सकता है, जो मुख्य रूप से गंदगी के कारण फैलती हैं। वैसे भी कहा जाता है कि हमें अपना वातावरण साफ रखना चाहिए। लेकिन इसकी शुरुआत हमें स्वयं से करनी चाहिए।

  • हमारे हाथ दिनभर में बहुत प्रकार की चीजों और वस्तुओं से संपर्क में आते हैं, जिन पर बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीव हो सकते हैं। यदि हम इन्हीं हाथों से अपने मुंह, आंखों, या नाक को छूते हैं, तो ये जीवाणु आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।विज्ञान ने साबित किया है कि नियमित रूप से हाथ धोने से 20-30% तक डायरिया और स्वांस संक्रमण जैसी बीमारियों को रोका जा सकता है।
  • हम 2019-20 में कोरोना वायरस जैसी महामारी के दौरान भी हाथ धोने की आदत ने हमारी सुरक्षा में एक बड़ी भूमिका निभाई। यह साधारण सी प्रक्रिया कोविड जैसी बीमारी के प्रभाव को रोकने में अत्यधिक कारगर साबित हुई। महामारी के समय लोगों को यह एहसास हुआ कि हाथ धोना केवल एक आदत नहीं है, बल्कि एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है। जो हमारे जीवन को कई तरह की बीमारियों से बचाने का कार्य करती हैं।

Global Handwashing Day 2024: हाथ धोने के सही तरीके 

हाथ धोने के लिए केवल पानी का उपयोग पर्याप्त नहीं है। यह महत्वपूर्ण है कि हम हाथ धोने के लिए साबुन और साफ पानी का उपयोग करें और हाथों को सही तरीके से धोएं।

  • हाथ धोने की प्रक्रिया को कम से कम 20 सेकंड तक करना चाहिए। यह ज्ञात होना चाहिए कि हाथों की हर सतह पर साबुन पहुंचे और उसे साफ तरीके से धोया जाए।
  • हाथ धोने की प्रक्रिया में हथेलियां, हाथों की ऊपरी सतह, उंगलियों के बीच का हिस्सा और नाखूनों के नीचे की जगह अच्छे से साफ किया जाना चाहिए। ये वह स्थान होते हैं, जहां सूक्ष्मजीव सबसे अधिक जमा होते हैं।
  • हाथ धोने के सही समय को जानना भी आवश्यक है।भोजन से पहले और बाद में,शौचालय का उपयोग करने के बाद किसी संक्रमित या बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद,खांसने, छींकने, या नाक साफ करने के बाद,किसी पशु या उसके मल के संपर्क में आने के बाद आदि।

बच्चों में हाथ धोने की आदत डालने का महत्व

बच्चों में हाथ धोने की आदत डालना जरूरी है, क्योंकि उनका प्रतिरक्षा तंत्र विकसित अवस्था में होता है और वे आसानी से बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। बच्चों को छोटी उम्र से ही स्वच्छता के महत्व के बारे में बताना और उन्हें हाथ धोने की आदत डालना भविष्य में उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा तरीका है।

विश्व हस्त धावन दिवस का संदेश

विश्व हस्त धावन दिवस हमें यह संदेश देता है कि स्वच्छता केवल व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि यह सामुदायिक और वैश्विक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। इसे सब मिलकर अपनाना चाहिए ओर लोगों के प्रति स्वच्छता को लेकर जागरुकता फैलाना चाहिए। क्योंकि स्वच्छ वातावरण और शरीर में स्वच्छता से ही बीमारियों से बचा जा सकता है।

जानिए जन्म मृत्यु रूपी महामारी से बचने के उपाय

जब कोई व्यक्ति स्वस्थ नहीं होता है,तब अपने स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए न जाने कहां-कहां तक भटकता है। यहां तक कि जब तक उसका रोग पूरी तरीके से ठीक नहीं हो जाता ,तब तक उसका ध्यान रोग में ही लगा रहता है। लेकिन जब तक उसे पीड़ा होती है तब तक ही वह उस रोग की ओर ध्यान देता है , परंतु जैसे ही पीड़ा खत्म हो जाती है तब वह उस और बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता। लेकिन जन्म और मृत्यु का चक्र एक ऐसा रोग है, जिसकी केवल सत्संग रूपी ज्ञान से ही इस रोग की पीड़ा की अनुभूति होती है।

जब इस रोग का मनुष्य को ज्ञान हो जाता है,तब वह इस रोग से पीछा छुड़ाने के लिए लग जाता है। इस संसार में जन्म मृत्यु के रोग से छूटने के लिए मनुष्य को सतगुरु रूपी डॉक्टर की आवश्यकता होती है,जो जन्म मृत्यु के रोग से छूटने के लिए तत्वज्ञान की औषधि हमें प्रदान करता है। अधिक जानकारी के लिए विजिट कीजिए हमारा यूट्यूब चैनल संत रामपाल जी महाराज

FAQs about Global Handwashing Day in Hindi

पहला विश्व हस्त धावन दिवस कब मनाया गया था?

पहला विश्व हस्त धावन दिवस वर्ष 2008 में मनाया गया था।

विश्व हस्त धावन दिवस की शुरुआत किसने की थी?

विश्व हस्त धावन दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी।

वह कौनसी महामारी थी, जिसने जनता को हाथ धोने पर विवश कर दिया था?

कोविड 19 महामारी ने जनता को हाथ धोने पर विवश कर दिया था।

इस विश्व में पूर्ण संत कौन हैं?

इस विश्व में पूर्ण संत केवल “संत रामपाल जी महाराज” ही हैं।

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