देश में साल 2024-25 के पहले 8 महीनों में शिक्षा से संबंधित चिंताजनक स्थिति सामने आई है, जिसमें सरकार ने 11.70 लाख से ज़्यादा ऐसे बच्चों की पहचान की है जो स्कूलों में पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। इस आंकड़े से यह साफ हो गया है कि शिक्षा को लेकर अब भी देश में ढेर सारी चुनौतियां हैं। संसद में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने विशाखापट्टनम से टीडीपी के सांसद मथुकुमिली श्रीभारत के सवाल के जवाब में इस बात की जानकारी दी।
School Education in India पर मुख्य बिंदु
- देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 होने के बावजूद स्कूली शिक्षा की स्थिति है दयनीय
- शिक्षा से बच्चों में चहुंमुखी विकास के साथ साथ लाई जा सकती है संस्कारिक जागृति।
- आंकड़े बता रहे इन राज्यों से इतने बच्चे नहीं जा रहे स्कूल
शिक्षा से वंचित बच्चों के आंकड़े
बीते सोमवार, लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जंयत चौधरी ने कहा, देश में 11 लाख 70 हजार बच्चे अभी भी शिक्षा से वंचित हैं। इन चौंकाने वाले आंकड़ों के मुताबिक़, सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति जनसंख्या के हिसाब से उत्तरप्रदेश की है। जानकारी के मुताबिक, उत्तरप्रदेश में लगभग 7 लाख 85 हजार स्कूली छात्र शिक्षा से वंचित हैं।
- झारखंड में 65,000 से ज़्यादा छात्र स्कूल में नामांकित नहीं हैं।
- असम में करीब 64,000 छात्र शिक्षा से वंचित हैं।
- वहीं गुजरात समृद्ध राज्य होने के बावजूद भी वहां 54,500 से ज्यादा बच्चे स्कूली शिक्षा से बाहर हैं।
- मध्य प्रदेश और हरियाणा की स्थिति भी चिंताजनक है, जहां करीब 30 से 40 हजार बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।
- बिहार, जो कि देश में शिक्षा के मामले में पहले से ही पिछड़ा राज्य है, वहां भी लगभग 25,000 बच्चे स्कूल से बाहर हैं।
- इनके अलावा, देश की राजधानी दिल्ली में भी करीब 18,300 बच्चे स्कूली शिक्षा से बाहर हैं।
इन प्रदेशों में हुआ स्कूली शिक्षा में सुधार
- लद्दाख और लक्षद्वीप जैसे केंद्र शासित प्रदेश बच्चों की स्कूली शिक्षा को लेकर गंभीर दिखाई दिए। यहां एक भी छात्र स्कूली शिक्षा से वंचित नहीं।
- वहीं, पुडुचेरी में महज़ 4 छात्र स्कूली शिक्षा से बाहर हैं।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में महज़ 2 छात्र स्कूली शिक्षा से नामांकित नहीं हुए।
कानूनी अधिनियम होने के बावजूद शिक्षा की स्थिति गंभीर
देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009 होने के बावजूद स्कूली शिक्षा की स्थिति चिंताजनक दिखाई दे रही है। बता दें, इस अधिनियम के तहत 6 से 14 साल की उम्र के सभी बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है।
सरकार ने अपनी सफाई में कही ये बात
हालांकि, केंद्र सरकार ने अपनी सफाई में इस बात को भी कहा कि चूंकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में आती है इसलिए अधिकतर राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में ही स्कूली शिक्षा आती है और सरकार जो आंकड़े उपलब्ध करवा रही है, ये वही आंकड़े हैं जो उन्हें राज्यों या फिर केंद्रशासित प्रदेशों से मिले हैं। इन्हें शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने अपने ऑनलाइन डैश बोर्ड के ज़रिए इकट्ठा किया है।
शिक्षा से ही ज्ञान की प्राप्ति संभव है
बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने में माता पिता की भूमिका भी अनिवार्य है। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा से ही बच्चों का चहुंमुखी विकास संभव हो पाता है। सरकार को चाहिए कि बच्चों को शिक्षा के साथ साथ पाठ्यक्रम में परिवर्तन लाकर सद्ग्रंथों जैसे भागवत गीता को भी सम्मिलित करें। जिससे बच्चों में नैतिक मूल्यों और अध्यात्मिक ज्ञान के प्रति जागृति आएगी एवं पूर्ण परमात्मा की पहचान कर सकेंगे परमात्मा की वाणी है –
कबीर, मात पिता सो शत्रु हैं, बाल पढ़ावै नाहिं।
हंसन में बगुला यथा, तया अनपढ़ सो पंडित माहीं ॥
FAQs about School Education in India A Growing Concern
1. भारत में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) क्या है?
RTE अधिनियम 2009 के तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का अधिकार है। इसका उद्देश्य बच्चों को समान शैक्षिक अवसर प्रदान करना है।
2. भारत में स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या क्यों बढ़ रही है?
स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या बढ़ने के पीछे गरीबी, सामाजिक असमानता, शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी और बाल श्रम जैसे कारण प्रमुख हैं। इसके अलावा, कई क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्कूलों और शिक्षकों की कमी भी एक बड़ा कारण है।
3. सरकार स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए क्या कदम उठा रही है?
सरकार ने शिक्षा के लिए विभिन्न योजनाएं जैसे समग्र शिक्षा अभियान, मिड-डे मील योजना, और डिजिटल शिक्षा पोर्टल्स शुरू किए हैं। साथ ही, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों के स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
4. कौन से राज्य या केंद्र शासित प्रदेश स्कूली शिक्षा में सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं?
लद्दाख, लक्षद्वीप, और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इन क्षेत्रों में लगभग सभी बच्चों का स्कूल में नामांकन हो चुका है।
5. बच्चों के नैतिक और आध्यात्मिक विकास में शिक्षा कैसे मदद कर सकती है?
शिक्षा केवल ज्ञान देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह नैतिक और आध्यात्मिक विकास का आधार भी बन सकती है। पाठ्यक्रम में सद्ग्रंथों जैसे भगवद गीता को शामिल कर बच्चों में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाई जा सकती है, जिससे वे पूर्ण परमात्मा को पहचान सकें और जीवन का उद्देश्य समझ सकें।