अब दिल्ली में सीवर की सफाई का तरीका पूरी तरह बदलने जा रहा है। राजधानी में पहली बार मुंबई और गुजरात की तर्ज़ पर अत्याधुनिक रि-साइक्लर मशीन से सीवर की सफाई की जाएगी। इस मशीन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे सफाईकर्मियों को जान जोखिम में डालकर सीवर में नहीं उतरना पड़ेगा। साथ ही यह मशीन गंदे पानी को शुद्ध कर दोबारा सफाई में उपयोग करती है, जिससे जल संरक्षण भी होगा।
30 मार्च को ग्रेटर कैलाश में इसका सफल परीक्षण किया गया। इस मौके पर दिल्ली सरकार के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने मौके पर पहुंचकर मशीन की कार्यप्रणाली का जायज़ा लिया और कहा कि “यह नई पहल मानसून से पहले जलभराव से निपटने में बेहद उपयोगी साबित होगी।” जल मंत्री ने कहा, “अब हर विधानसभा क्षेत्र को मिलेगी एक मशीन और मानसून से पहले जलभराव से निपटने की पूरी तैयारी हो रही है।”
अत्याधुनिक रि-साइक्लर मशीन से होगी सीवर की सफाई से जुड़े मुख्य बिंदु:
- पहली बार दिल्ली में अत्याधुनिक रि-साइक्लर मशीन से होगी सीवर सफाई।
- प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में मशीन उपलब्ध कराई जाएगी।
- सफाई के बाद CCTV से होगी निगरानी और रिकॉर्डिंग।
- पानी शुद्ध कर दोबारा उपयोग करने की तकनीक।
- प्रक्रिया तेज, सटीक और पर्यावरण के अनुकूल।
सफाईकर्मियों की सुरक्षा को प्राथमिकता
दिल्ली सरकार की इस पहल का सबसे बड़ा फायदा उन सफाईकर्मियों को मिलेगा, जिन्हें अब सीवर में नहीं उतरना पड़ेगा। इस जोखिमभरे काम को अब तकनीक से बदला जा रहा है, जिससे मानवीय हस्तक्षेप शून्य हो जाएगा। जल मंत्री ने कहा, “हमारी सरकार का मकसद है कि किसी भी कर्मचारी को अब जान जोखिम में डालने की नौबत न आए।”
मानसून से पहले युद्धस्तर पर तैयारी
दिल्ली में बरसात के दौरान जलभराव एक गंभीर समस्या रही है। कई इलाकों में पानी घरों तक घुस जाता है। ऐसे में सीवर की मशीन से सफाई कर समय रहते नालों को खोलना सरकार की प्राथमिकता है।
तिमारपुर क्षेत्र में बड़ी कार्रवाई
तिमारपुर क्षेत्र में सीवर लाइन की लापरवाही पर जल बोर्ड के मुख्य अभियंता पवन कुमार शर्मा, सहायक अभियंता सैयद एजाज हैदर और अधीक्षण अभियंता रमेश कुमार गुप्ता को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। सरकार यमुना की सफाई और सीवर व्यवस्था को लेकर अब किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी। यह नई मशीनें यमुना सफाई मिशन में बड़ा सहयोग देंगी।
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तकनीक और पर्यावरण का संगम
रि-साइक्लर मशीन सीवर से कीचड़ और गंदा पानी खींचकर उसे मशीन में ही शुद्ध करती है। फिर उसी पानी का इस्तेमाल जेटिंग के लिए किया जाता है। इससे न केवल पानी की बचत होती है बल्कि अतिरिक्त टैंकरों की ज़रूरत भी नहीं पड़ती। मशीन एक ही यूनिट में होती है और बेहद कम जगह घेरती है।
दिल्ली बन सकती है मॉडल सिटी
मुंबई में 100 और गुजरात में 30 ऐसी मशीनें पहले से कार्यरत हैं, लेकिन दिल्ली में यह प्रयोग पहली बार हो रहा है। अगर यह योजना सफल रही, तो दिल्ली अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बन सकती है।
CCTV से निगरानी और जवाबदेही
जल मंत्री ने जानकारी दी कि सफाई पूरी होने के बाद CCTV कैमरे से जांच की जाएगी, ताकि कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। साथ ही, हाल ही में 32 नई सुपर सकर मशीनों के ऑर्डर भी दिए गए हैं।
दिल्ली में सीवर की सफाई योजना से जुड़े FAQs
1. दिल्ली सरकार सीवर की सफाई के लिए कौन-सी तकनीक अपना रही है?
मुंबई से मंगाई गई रि-साइक्लर मशीन का उपयोग किया जा रहा है, जिससे सीवर सफाई पूरी तरह मशीनी और सुरक्षित हो गई है।
2. क्या इससे सफाईकर्मियों को सीवर में नहीं उतरना पड़ेगा?
बिलकुल, यह तकनीक मैनुअल स्कैवेंजिंग को समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम है।
3. यह तकनीक कितनी पर्यावरण के अनुकूल है?
मशीन गंदे पानी को शुद्ध कर दोबारा उपयोग में लाती है जिससे जल संरक्षण होता है और गंदगी नियंत्रित रहती है।
4. इस समय मुंबई और गुजरात में ऐसी कितनी मशीनें काम कर रही हैं?
मुंबई में 100 और गुजरात में लगभग 30 मशीनें पहले से कार्यरत हैं।
5. दिल्ली में पहली बार इसका परीक्षण कब और कहाँ हुआ?
30 मार्च को ग्रेटर कैलाश में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।