भारत वन स्तिथि रिपोर्ट 2023 : एक प्राकृतिक विश्लेषण 

भारत वन स्तिथि रिपोर्ट 2023 : एक प्राकृतिक विश्लेषण 

भारतीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव जी द्वारा  वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में 18 वी ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023’ का विमोचन किया गया। रिपोर्ट में, वनावरण, कच्छ वनस्पति आवरण, वनाग्नि की घटनाएं, भारत के वनों में कार्बन स्टॉक, वृक्ष आवरण, कृषि वानिकी आदि के सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी दी गयी है। 

पहलीभारत के वनावरण का प्रथम आंकलन 1987 में किया गया था । जिसके पश्चात भारतीय वन सर्वेक्षण द्वि-वार्षिक चक्र पर वनावरण का आकलन करता है। चौथे आंकलन तक सम्पूर्ण राष्ट्र के आंकड़ों का निर्वाचन दृश्य रूप से किया जाता था। आंठवे आंकलन तक पूरे देश का निर्वाचन डिजिटल आंकलन द्वारा किया जाने लगा ।

भारतीय वन सर्वेक्षण (एफ.एस.आई)

भारतीय वन सर्वेक्षण, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रिय संगठन है,  जिसका उद्देश्य देश के वन संसाधनों का मूल्यांकन तथा निगरानी करना है। साथ ही, राज्य व जिला स्तरीय वन संसाधनों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करना है। 

भारतीय वन सर्वेक्षण के उद्देश्य :

  •  हवाई छवियों  का उपयोग करते हुए 1:50,000 पैमाने पर विषयगत मानचित्र तैयार करना।
  • स्थानिक वन संसाधन डेटाबेस के संग्रह, संकलन, भंडारण और प्रसार हेतु नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करना।
  •  वन और गैर-वन क्षेत्रों में इन्वेंट्री का संचालन करना और वन वृक्ष संसाधनों पर डेटाबेस विकसित करना।
  • वानिकी कर्मियों को  रिमोट सेंसिंग, जी.आई.एस आदि से संबंधित प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग हेतु प्रशिक्षण आयोजित करना।
  • परियोजना आधारित एस.एफ.डी और अन्य संगठनों के लिए वानिकी संबंधी विशेष अध्ययन/परामर्श और कस्टम मेड प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू करना।

वृक्ष एवं वन आवरण

वृक्ष  आवरण  : भूमि  का  कुल  क्षेत्र  जो  वृक्षों  द्वारा  आच्छादित  है , चाहे  वृक्ष  वन  पारिस्थितिक  तंत्र का  हिस्सा  हो  या    हो , वृक्ष  आवरण  कहलाता  है। 

वन आवरण : भूमि का वह क्षेत्र जो वन परिस्तिथिक तंत्र के रूप में शामिल किया जाता है, वन पारिस्थितिकी तंत्र को 10-30% के न्यूनतम वितान घनत्व (Canopy Density) और 0.5 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया गया है।

वन आवरण का वर्गीकरण

वन आवरण को मुख्यतः चार वर्गों में विभाजित किया गया है :

  • अत्यंत सघन वन: 70% और उससे अधिक के कैनोपी घनत्व वाले वृक्षों के आवरण (मैंग्रोव कवर सहित) वाली समस्त भूमि
  •  सामान्य सघन वन: 40% और 70% के बीच छत्र घनत्व के वृक्ष आवरण (मैंग्रोव कवर सहित) वाली समस्त भूमि
  • खुले वन: 10% और 40% के बीच छत्र घनत्व के वृक्ष आवरण (मैंग्रोव कवर सहित) वाली समस्त भूमि
  • झाड़ी दार वन: 10 प्रतिशत से कम छत्र घनत्व वाले मुख्य रूप से छोटे या छोटे वृक्षों की वृद्धि वाली समस्त वन भूमि

वन आवरण का आंकलन 

कृत्रिम उपग्रहों तथा IRS-RESOURCESAT-2 LISS-III सेंसर की मदद से प्राप्त आंकड़ों को डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके , एनआरएसए से प्राप्त सीडी से डिजिटल रूप में वर्क स्टेशन पर डाउनलोड कर लिया जाता है।  रेडियोमीट्रिक विकृतियोंको दूर करने और कृत्रिम कंपोजिट्स (एफसीसी) के दृश्य प्रभाव में सुधार के लिए टॉप ऑफ द एटमॉस्फेरिक करेक्शन लागु कर दिया जाता है  UTM प्रक्षेपणों में ऑर्थो-रेक्टिफाइड सैटेलाइट डेटा, डेटम स्फेरॉइड WGS84 के साथ FCM अभ्यास के लिए 16वें आंकलन के बाद उपयोग में लाया जा रहा है। वन आवरण की ऑन-स्क्रीन दृश्य विवेचना (ISODATA एल्गोरिथम) का प्रयोग कर पर्यवेक्षित वर्गीकरण किया जाता है । 

गैर-वनस्पति क्षेत्रों को हटाने के लिए सामान्यीकृत अंतर वनस्पति सूचकांक (Normalized Difference Vegetation Index) परिवर्तन का उपयोग किया जाता है । दृष्टिकोण विश्लेषकों के कौशल पर बहुत निर्भर करता है। मैंग्रोव वनों की उपग्रह छवि पर विशिष्ट टोनव टेक्सचर होता है। तटीय क्षेत्रों पर उनकी उपस्थिति उन्हें और भी विशिष्ट बनाती है। अतः इनका पृथक-पृथक वर्गीकरण किया गया है।

रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत में वन आवरण

वर्ष 2021 की तुलना में, देश के वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है, जिसमें वनावरण में 156 वर्ग कि.मी. और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग कि.मी. की वृद्धि शामिल है। कुल कच्छ वनस्पति आवरण 4,992 वर्ग कि.मी. है।

भारत वन स्तिथि रिपोर्ट 2023 के अनुसार विभिन्न वन आवरणों का क्षेत्रफल तथा भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत :

वर्गीकरणक्षेत्रफल (वर्ग किमी) भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत 
वन आवरण 7,15,342.61 21.76% 
वृक्ष आवरण 1,12,014.34 3.41% 
कुल वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,356.95 25.17% 
झाड़ी 43,622.64 1.33% 
गैर वन 24,16,489.29 73.50% 
देश का भौगोलिक क्षेत्र 32,87,468.88 100.00% 

 

अधिकतम वृक्ष एवं वनावरण 

  • छत्तीसगढ़ (684) वर्ग कि.मी.)
  • उत्तर प्रदेश (559 वर्ग कि.मी.)
  • ओडिशा (559 वर्ग कि.मी.)
  •    राजस्थान (394 वर्ग कि.मी.)

क्षेत्रफल की दृष्टि से

  • मध्य प्रदेश (85,724 वर्ग कि.मी.)
  • अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग कि.मी.)
  • महाराष्ट्र (65,383 वर्ग कि.मी.)

अधिकतम वनावरण वृद्धि प्राप्त राज्य

  • मिजोरम (242 वर्ग कि.मी.)
  • गुजरात (180 वर्ग कि.मी.)
  • ओडिशा (152 वर्ग कि.मी.)

क्षेत्रफल की दृष्टि से

  • मध्य प्रदेश (77,073 वर्ग कि.मी.)
  • अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग कि.मी.)
  • छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग कि.मी.)

कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की तुलना में

  • लक्ष‌द्वीप (91.33 प्रतिशत)
  • मिजोरम (85.34 प्रतिशत)
  • अंडमान एवं निकोबार द्वीप (81.62 प्रतिशत)
  • मिजोरम, लक्ष‌द्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर ( 75 प्रतिशत से अधिक )
  • 19 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्र (33 प्रतिशत से अधिक) 

वन वृक्षों की कुल निधि 

भारत के वन और वाह्य वन वृक्षों की कुल निधि 6430 मिलियन घन मीटर अनुमानित की गई है, जिसमें से 4479 मिलियन घन मीटर वनों के भीतर और 1951 मिलियन घन मीटर वन क्षेत्र के बाहर है। 2021 की तुलना में कुल निधि में 262 मिलियन घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें 91 मिलियन घन मीटर वनों के भीतर और 171 मिलियन घन मीटर वन क्षेत्र के बाहर की वृद्धि शामिल है।

भारत में बांस धारित क्षेत्र

भारत में बांस धारित क्षेत्र का विस्तार 1,54,670 वर्ग किलोमीटर अनुमानित किया गया है। वर्ष 2021 की तुलना में बांस क्षेत्र में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।वाह्य वन वृक्षों से औ‌द्योगिक काष्ठ का कुल वार्षिक संभावित उत्पादन 91.51 मिलियन घन मीटर अनुमानित किया गया है।

अधिकतम बांस धारित क्षेत्र

  •  मध्य प्रदेश 20,421 वर्ग किमी
  • अरुणाचल प्रदेश 18,424 वर्ग किमी
  • महाराष्ट्र 13,572 वर्ग किमी
  • ओडिशा 12,328 वर्ग किमी

कार्बन स्टॉक

वनो में कार्बनिक व अकार्बनिक रूप में उपस्तिथ कार्बन को कार्बन स्टॉक कहते है, देश के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7,285.5 मिलियन टन है। वर्ष 2021 तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 81.5 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।

सर्वाधिक कार्बन स्टॉक

  • अरुणाचल प्रदेश (1,021 मीट्रिक टन)
  • मध्य प्रदेश (608 मीट्रिक टन)
  • छत्तीसगढ़ (505 मीट्रिक टन)
  •  महाराष्ट्र (465 मीट्रिक टन)

वनाग्नि

भारत में प्रतिवर्ष शुष्क मौसम (मार्च से जून) के दौरान लगभग 50,000 से 60,000 वन अग्नि घटनाएँ होती हैं।

शीर्ष  राज्य    

  • उत्तराखंड
  • ओडिशा
  • छत्तीसगढ़ 

समाज सेवा से पर्यावरण संरक्षण तक

जलवायु परिवर्तन आज दुनिया की एक सबसे बड़ी समस्या है। जिसे दूर करने के लिए वृक्ष तथा वनावरण बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है, जोकि वृक्षारोपण से ही संभव है। महान समाज सुधारक, संत रामपाल जी महाराज जी सदैव मानव सेवा हेतु तत्पर रहते है, साथ ही अपने अनुयायियों को भी यही शिक्षा देते है। जलवायु परिवर्तन जैसी समस्या से निपटने हेतु  मध्यप्रदेश में संत रामपाल जी के मार्गदर्शन में उनके लाखों अनुयायियों ने पर्यावरण संरक्षण हेतु एक दिन में 11-12 लाख पौधे लगा विश्व रिकॉर्ड बनाया।

 तो वहीं पंजाब, छत्तीसगढ़ में भी उनके हजारों समर्थकों ने एक दिन में 50000 से अधिक वृक्षारोपण और पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभाई।  उनके उपदेशो से प्रेरित होकर अन्य अनुयायी अपने स्तर पर सैकड़ो की संख्या में वृक्षारोपण करते है। 

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