रेबीज़ दुनिया की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है, और भारत में हर साल अनुमानित 20,000 लोगों की जान ले लेती है। इसी आंकड़े को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज एक बार फिर सुनवाई हुई। कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई में केंद्र और कई एनजीओ की दलीलें सुनी और उसके बाद अपना फैसला सुनाया।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 8 हफ्तों में दिल्ली की सड़कों से आवारा कुत्ते हटाने का निर्देश दिल्ली सरकार को दिया था। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हम इस मुद्दे का समाधान चाहते हैं, न कि इस पर विवाद होना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता और हम भी इसका हल चाहते हैं।
आवारा कुत्तों को दिल्ली से हटाने के आदेश से जुड़े मुख्य बिंदु
- सुप्रीम कोर्ट का आवारा कुत्तों को जल्द हटाने के निर्देश।
- शिशुओं और बच्चों पर हमलों की बढ़ती घटनाएँ। 2024 में दिल्ली में 25,201 डॉग-बाइट केस दर्ज।
- पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का आठ लाख आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त आश्रय न होने पर चिंता
- बड़े पैमाने पर कुत्तों को पकड़ने से पशु-क्रूरता और अव्यवस्था बढ़ने की संभावना।
- कपिल सिब्बल और ए.एम. सिंघवी ने आदेश को एबीसी नियम और पूर्व फैसलों के विपरीत बताया।
- 9 मई, 2024 को कोर्ट ने दया और मानवीय व्यवहार का निर्देश दिया था।
“स्थानीय अधिकारियों को ज़िम्मेदारी लेनी होगी: सुप्रीम कोर्ट”
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान जस्टिस नाथ ने कहा कि स्थानीय अधिकारी वह कार्य नहीं कर रहे हैं, जो उन्हें करना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यहां अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले में हस्तक्षेप दर्ज कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भी अपनी ज़िम्मेदारी समझनी और निभानी चाहिए।
नगर निगम की निष्क्रियता पर सुप्रीम कोर्ट कड़ी
एमसीडी की तरफ से पाठक दवे ने कहा कि “हम आपके हर आदेश को मानते हैं और उसका पालन करने के लिए यहां हैं।”
इस पर जज ने कहा कि, “यहां आपको कहने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि यह समस्या नगर निगम की निष्क्रियता के कारण ही हो रही है।”
सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों पर सुनवाई, कपिल सिब्बल ने 11 अगस्त के आदेश पर रोक की माँग की
कुत्तों की देखभाल करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि स्थिति “बहुत गंभीर” है और इस मामले पर गहराई से बहस करने की ज़रूरत है। उन्होंने 11 अगस्त के आदेश में दिए गए कुछ निर्देशों पर रोक लगाने की माँग करते हुए कहा कि ये पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 का उल्लंघन करते हैं, जो आवारा कुत्तों को उनके मूल निवास स्थान से स्थानांतरित करने पर रोक लगाता है।
ए.एम. सिंघवी ने आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के आदेश को चुनौती दी
एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने तर्क दिया कि 11 अगस्त, 2025 का आदेश “गाड़ी से पहले घोड़ा” रखने जैसा है, क्योंकि आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त आश्रय स्थल नहीं थे। उन्होंने आगे कहा कि यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट के उन पूर्व फैसलों का उल्लंघन करता है जिनमें आवारा कुत्तों के पुनर्वास में एबीसी नियम, 2023 का सख्ती से पालन करने का आदेश दिया गया था।
स्वतः संज्ञान से लिया गया यह मामला, जिसकी शुरुआत न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने की थी, बाद में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ को सौंप दिया। 13 अगस्त, 2025 को एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश को 9 मई, 2024 के उस आदेश से अवगत कराया जिसमें आवारा कुत्तों के साथ दया का व्यवहार करने का निर्देश दिया गया था। इस मौखिक उल्लेख के बाद, मुख्य न्यायाधीश ने मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी।
आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने जताई चिंता
शिशुओं सहित बच्चों पर आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं का संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला ने कहा था कि अधिकारियों को “शीघ्र ही सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को उठाना शुरू कर देना चाहिए, विशेष रूप से शहर के संवेदनशील इलाकों के साथ-साथ बाहरी क्षेत्रों से भी।”
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पीठ ने आगे बताया कि दिल्ली में वर्ष 2024 में कुत्तों के काटने के कुल 25,201 मामले दर्ज किए गए। न्यायालय ने कहा कि उसके निर्देश व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए जारी किए जा रहे हैं।
हालाँकि, इन निर्देशों ने पशु अधिकार कार्यकर्ताओं, जनप्रतिनिधियों और कल्याणकारी संगठनों में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया। उनका तर्क था कि दिल्ली में अनुमानित आठ लाख आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त आश्रय सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इतने बड़े पैमाने पर पशुओं को पकड़ने की कार्रवाई से न केवल रसद संबंधी अव्यवस्था होगी, बल्कि पशु-क्रूरता की घटनाओं में भी वृद्धि हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ विरोध की आवाज़ भी उठने लगी है। जनपथ और कनॉट प्लेस जैसे इलाकों में पशु अधिकार कार्यकर्ता और स्थानीय लोग जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोर्ट का यह आदेश जल्दबाज़ी में लिया गया है और इससे लाखों कुत्तों के जीवन को खतरा है। उनका कहना है कि इतने कम समय में आठ लाख से अधिक आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त आश्रय स्थलों और देखभाल की व्यवस्था करना असंभव है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सरकार और नगर निगम जल्दबाज़ी में कदम न उठाकर एबीसी नियम, 2023 के अनुरूप मानवीय समाधान तलाशे।
मेनेका गांधी का बयान:
भारतीय जनता पार्टी की सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनेका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि “यह फैसला एबीसी नियम, 2023 के विपरीत है। लाखों कुत्तों को इस तरह सड़कों से हटाना न केवल क्रूरता है बल्कि यह व्यावहारिक रूप से असंभव भी है। सरकार को आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए नसबंदी और टीकाकरण पर ध्यान देना चाहिए, न कि उन्हें पकड़कर कैद करने पर।”
राहुल गांधी का बयान:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि “आवारा कुत्तों से लोगों की सुरक्षा ज़रूरी है, लेकिन इसका समाधान मानवीय तरीके से होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश बिना पर्याप्त आश्रय स्थलों की तैयारी के लागू करना अव्यवस्था और पशु-क्रूरता को जन्म देगा। सरकार को नागरिकों की सुरक्षा और पशुओं के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को दिल्ली से हटाने के लिए दिए निर्देश से संबंधित मुख्य FAQs
1. सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में क्या आदेश दिया है?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द सभी इलाकों, खासकर संवेदनशील और बाहरी क्षेत्रों से, आवारा कुत्तों को उठाना शुरू करें।
2. यह आदेश क्यों जारी किया गया?
उत्तर: शिशुओं सहित बच्चों पर आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं और 2024 में दिल्ली में दर्ज 25,201 डॉग-बाइट मामलों को देखते हुए यह आदेश व्यापक जनहित में जारी किया गया।
3. पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 क्या कहते हैं?
उत्तर: एबीसी नियम, 2023 के अनुसार, आवारा कुत्तों को उनके मूल निवास स्थान से स्थानांतरित करना प्रतिबंधित है और उनके पुनर्वास के लिए मानक प्रक्रिया का पालन ज़रूरी है।
4. दिल्ली में आवारा कुत्तों की अनुमानित संख्या कितनी है?
उत्तर: पशु अधिकार संगठनों के अनुसार, दिल्ली में करीब आठ लाख आवारा कुत्ते हैं।
5 .आदेश का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, विशेषकर बच्चों को डॉग-बाइट और हमलों से बचाना, तथा रेबीज़ जैसी गंभीर बीमारियों की रोकथाम करना।