What is Advertisement in Hindi: जानिए विज्ञापनों का हमारे जीवन में महत्व

Advertisement in Hindi जानिए विज्ञापनों का हमारे जीवन में महत्व

What is Advertisement in Hindi: नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। इस बार हम टीवी चैनलों पर दिखाए जाने वाले व समाचार पत्रों में छपने वाले “विज्ञापनों पर चर्चा करेंगे। साथ ही देश में विज्ञापनों के संबंध में सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों व गाइडलाइंस के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं हमारा विशेष खबरों की खबर का सच ।

सूचना एवं तकनीक के युग में विज्ञापन हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं, विज्ञापन हमारे जीवन पर गहरी छाप छोड़ते हैं। आज समाज का हर वर्ग चाहे वह बच्चे हों या बुजुर्ग, कामकाजी महिलाएं हों या गृहणी , या फिर युवा वर्ग हम सभी पर विज्ञापनों का प्रभाव देखा जा सकता है। हमारा खान-पान, रहन-सहन, तथा रोज़ मर्रा की बुनयादी वस्तुए सब कुछ विज्ञापनों से प्रभावित हो रहा है, यहां तक कि हमारे सोचने और व्यवहार करने के तरीके में भी विज्ञापनों की झलक साफ नज़र आती है।

विज्ञापन किसे कहते हैं और इसकी आवश्यकता क्यों महसूस की गई?

किसी उत्पाद अथवा सेवा को बेचने के उद्देश्य से किया जाने वाला जनसंचार विज्ञापन या (Advertising) कहलाता है। विज्ञापन विक्रय कला का एक नियंत्रित जनसंचार माध्यम है जिसके द्वारा उपभोक्ता को दृश्य एवं श्रवन सूचना इस उद्देश्य से प्रदान की जाती है कि वह विज्ञापनकर्ता की इच्छा से विचार सहमति, कार्य अथवा व्यवहार करने लगे।

वर्तमान समय में यदि हम अपनी जीवनचर्या पर नज़र डालें तो हम यह देखेंगे की दिन प्रतिदिन हम सैंकड़ों विज्ञापनों को देखते हैं। बस, ट्रेन,मेट्रो, बाइक, कार आदि में सफर के दौरान बड़े बड़े होर्डिंग्स सड़कों के किनारे लगे दिखाई देते हैं। बस, रिक्शा,आटो, टैक्सी के पीछे लगे पोस्टर्स, इसके अलावा समाचार पत्रों, रेडियो और टीवी चैनलों में भी हम विज्ञापनों से घिरे ही रहते हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट में भी डिजिटल ऐड्स का प्रचलन कुछ इस प्रकार से बढ़ा है की लगभग हर एक घंटे में प्रति व्यक्ति लगभग 10 से 30 विज्ञापनों को देखता है।

विज्ञापन के माध्यम से विज्ञापनकर्त्ता क्या कहना चाहते हैं?

विज्ञापन के माध्यम से विज्ञापनकर्त्ता एक कंपनी द्वारा निर्मित वस्तुओं , सेवाओं या विचारों के बारे में एक विशाल जन-समुदाय को जानकारी उपलब्ध करवाता है।

Advertisement in Hindi: क्यों किया जाता है विज्ञापन का प्रयोग?

विज्ञापन किसी संगठन द्वारा प्रचार का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला सशक्त उपकरण है। यह आमतौर पर किसी उत्पाद या सेवा के बारे में संदेश देने के लिए प्रयोग किया जाता है।

विज्ञापनों से होने वाले फायदे और नुकसान

दोस्तों, विज्ञापन कई कंपनियों और व्यवसायों आदि के लिए आय का एकमात्र स्त्रोत होता है। मीडिया माध्यमों जैसे कि समाचार पत्रों, रेडियो, टीवी चैनल्स आदि की कमाई एडवरटाइज़मेंट से ही होती है। इसके अलावा अन्य टीवी चैनल, वेबसाइट्स, यूट्यूब, फेसबुक , इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट, और जनरल कंटेंट प्रोवाइडर की कमाई विज्ञापनों पर ही आधारित होती है। यहां तक कहा जा सकता है की देश के हर 5 में से 2 कारोबार विज्ञापनों पर ही आधारित हैं।

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Advertisement in Hindi: विज्ञापन 2 प्रकार के होते हैं। एक होता है प्रमोशनल और दूसरा होता है पब्लिक सर्विस मेसेज। प्रमोशन में किसी कंपनी की प्रोडक्ट या सर्विस का प्रचार प्रसार किया जाता है। प्रमोशनल विज्ञापनों मे प्रोडक्ट और सर्विस के साथ साथ अश्लीलता, चरित्रहीनता, नशे से सबंधित सामग्री आदि सामान का भी प्रचार होता है। जबकि टीवी पर चलने वाले विज्ञापनों को घर में बच्चों से लेकर बड़े सब देखते हैं। कुछ प्रोडक्ट्स और सर्विस में अश्लीलता का प्रचार खुलेआम किया जाता है जो सही नहीं है, यह विज्ञापन दुष्प्रचार का कारण बन बच्चों के अंदर बालपन से ही कुसंस्कार भरने का काम करते हैं। खास तौर पर तब जब लोगों के लोकप्रिय बॉलीवुड स्टार्स, क्रिकेटर्स या अन्य स्पोर्ट्स पर्सन द्वारा किसी प्रोडक्ट का प्रचार किया जाता है तब लोगों पर इसका बहुत अधिक कुप्रभाव होता है। बॉलीवुड के मशहूर एक्टरों जैसे अजय देवगन और शाहरुख खान ने रजनीगंधा और विमल पान मसाला के प्रोडक्ट के विज्ञापन में भी काम किया है, जिस से लोगों में तंबाखू के सेवन करने में भी इज़ाफा हुआ है।

विशेषज्ञों का मानना है की विज्ञापन कंपनी प्रोडक्ट्स और सर्विस बेचने के साथ साथ किसी देश का कल्चर भी बेचती है। यानी प्रचार पसार करते समय देश की संस्कृति और संस्कारों को ध्यान में रखना भी अति अनिवार्य है। यदि हम विज्ञापन के दूसरे प्रकार “पब्लिक सर्विस मेसेज” की बात करें तो यह ऐसे विज्ञापन होते हैं जिनके चलते जनजागृति फैलाने का काम किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, तंबाखू और शराब का सेवन हानिकारक है, किसान योजनाएं, स्वच्छ भारत योजना, जल बचाओ, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, नेत्रदान, कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना आदि विज्ञापन पब्लिक सर्विस मेसेज के अंतर्गत आते हैं। आमतौर पर जनचेतना और जनविकास के विज्ञापन सरकार द्वारा चलाए जाते हैं।

अब भारत में विज्ञापन के प्रचलन के लिए बनाए किए गए कानूनों व गाइडलाइंस पर एक नजर डालते हैं

आम उपभोक्ताओं के लिए यह जानना जरूरी है कि विज्ञापन हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं और कब ये विज्ञापन भ्रामक हो जाते हैं। साथ ही यह भी जानना चाहिए की इन भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम या नियंत्रण के लिए देश में कौन-कौन से कानून हैं?

Advertisement in Hindi: विज्ञापन वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रचार माध्यम होते हैं, लेकिन जब विज्ञापनकर्ताओं द्वारा जानबूझ कर मिथ्या प्रचार किए जाते हैं और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जाता है, तब यह आपत्तिजनक हो जाता है। जब कोई उत्पादक अथवा विज्ञापनकर्ता किसी उत्पाद के बारे में कोई दावा करता है, तो उसको उसे सिद्ध भी करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं कर पाता है तो इसे भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा तथा देश के विभिन्न कानूनों के तहत उसके खिलाफ कार्रवाई करने का भी प्रावधान है।

भारत सरकार अनेक नियम, कानून, तथा संहिताओं के माध्यम से व्यापारिक गतिविधियों को नियंत्रित करने की कोशिश करती है। सरकार द्वारा बनाए गए कई नियम, कानून एवं संहिताएँ ऐसी हैं, जिनमें भारत में विज्ञापनों को नियंत्रित करने के प्रावधान हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश इनका ठीक से पालन नहीं हो पाने से भ्रामक विज्ञापनों पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पा रही है।

उपभोक्ताओं की जागरूकता के लिए यहां कुछ प्रमुख नियम, कानून एवं संहिताएं इस प्रकार हैं जिनमें, भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872; वस्तु बिक्री अधिनियम, 1930; आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955; केबल, टेलीविजन, नेटवर्क नियंत्रण अधिनियम, 1995 खाद्य अप-मिश्रण

Advertisement in Hindi: उन्मूलन अधिनियम, 1955


ट्रेड तथा मार्केन्डाइज अधिनियम, 1958, और अन्य कई कानून शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय चिकित्सा परिषद, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, भारतीय दूर संचार नियामक प्राधिकरण, और बीमा नियामन विकास प्राधिकरण जैसे नियामक प्राधिकरण विज्ञापनों पर नियंत्रण रख सकते हैं। इतने सारे नियमों के होने के बावजूद भी देश में भ्रामक, अश्लील और चरित्रहीनता बढ़ाने वाले विज्ञापनों का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है जिसे रोकने में नियम भी सक्षम नहीं हो पा रहे हैं।

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यदि हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इस पहलू पर विचार करें तो यह ज्ञात होता है की प्रचार प्रसार केवल ईश्वर के संविधान और सत भक्ति मार्ग का होना चाहिए क्योंकि इस मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की भक्ति कर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करना ही है।
सतभक्ति के अभाव में ही मानव अश्लीलता और चरित्रहीनता जैसे गलत काम करता है। वर्तमान समय में केवल जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे संत हैं जो सभी धर्मों के पवित्र शास्त्रों के आधार पर सत्य भक्ति साधना बता रहे हैं। ऐसे में देश के टीवी चैनल्स , सोशल मीडिया टीमों और फेमस लोगों को चाहिए की केवल परमात्मा के तत्वज्ञान का प्रचार करें । तथा दिन रात संत रामपाल जी महाराज जी का सत्संग सभी टीवी चैनलों पर चलाएं ताकि समाज में सात्विक विचारधारा फैल सके।

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