नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज के वीडियो में हम जानेंगे की अध्यात्म की जन्म भूमि भारत देश में मांस भक्षण क्यों होता है और प्रति वर्ष कितने टन मांस का उत्पादन, आयात और निर्यात भारत अकेले करता है। और साथ ही जानेंगे की क्या अंडे शाकाहारी होते हैं या मांसाहारी? तो चलिए शुरू करते हैं आज की हमारी विशेष पड़ताल।
दोस्तों, वर्तमान समय में देश दुनिया में मांसाहार का उपभोग और उत्पादन दोनों बहुत अधिक बढ़ गए हैं। ऐसा लगने लगा है मानो लोग मांस की खेती करने लगे हैं, देश और विदेशों में लोगों ने जानवरों को पालने और उनके मांस को निर्यात करने के लिए मांस की फैक्ट्रियां खोली हुई हैं। इन फैक्ट्रियों में मासूम जीवों द्वारा जबरन संतान उत्पत्ति करवाई जाती है, उनको दिन में तीन समय भर पेट आहार सिर्फ इसलिए करवाया जाता है ताकि उनकी मोटी खाल और अधिक मंहगी हो जाए, कई देशों में उनकी खूब देखभाल की जाती है, समय पर उन्हें नहलाया जाता है। वे भोले जीव ऐसा सोचते हैं की यह कसाई मेरा मालिक है, जब वह कसाई उसे चारा डालने आता है तब वे जीव उस कसाई से लाड भी करते हैं। लेकिन उन अनजान जीवों को यह नहीं पता होता की यह सब खेल कसाई अपने स्वार्थ के लिए कर रहा है। वह प्रतिदिन उस जीव की पीठ थपथपाता है सिर्फ यह देखने के लिए कि यह जानवर कितना मोटा हो गया है। आज यह बकरी, सुअर और मुर्गी कितने किलो की हो गई।
मांस खाने का मुख्य कारण क्या है?
मांस खाने का मुख्य कारण मनुष्य की जीभ का स्वाद है यह मनुष्य के शरीर की ज़रूरत बिल्कुल भी नहीं है। मनुष्य को किसी भी पशु को खाने तथा अपने आहार में पशु पोषण की कोई आवश्यकता नहीं है; हमारे सभी आहार संबंधी जरूरतें, यहां तक कि शिशुओं और बच्चों की भी, पशु-मुक्त आहार द्वारा सर्वोत्तम रूप से आपूर्ति की जा सकती हैं। जबकि चीन साऊथ कोरिया और अन्य मांसाहार खाने वाले देशों में तो कुत्ते, मगरमच्छ, बिच्छू, सांप,बंदर ,चमगादड़, समुद्र में रहने वाली सैंकड़ों तरह की मछलियां, व्हेल ,डालफिन ,आक्टोपस और भी न जाने कितने तरह के जानवर बड़े ही चाव से खाए जाते हैं।
कई अध्ययनों से पता चला है कि मांस मानव शरीर के लिए आदर्श बिल्कुल नहीं है और वास्तव में यह हमें बीमार कर सकता है और इसे खाने के बाद उत्पन्न बिमारियों से हमारी मौत भी हो सकती है। पशु उत्पादों की खपत मनुष्यों में हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बिमारियों को जन्म दे रही हैं। मानव शरीर की मशीनरी पौधे आधारित खाद्य पदार्थों पर कार्य करती है जो फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, unsaturated fat, आवश्यक फैटी एसिड, फाइटोकेमिकल्स और कोलेस्ट्रॉल मुक्त प्रोटीन से भरे हुए हैं।
हालाँकि बहुत से मनुष्य पौधों और मांस दोनों को खाना पसंद करते हैं, ” जबकि मनुष्य शारीरिक रूप से शाकाहारी हैं। मनुष्य के लिए पशु उत्पादों को खाने का कोई भौतिक कारण नहीं है।
आइए अब यह जानने की कोसिस हैं कि क्या अंडे वाकई में शाकाहारी भोजन में आते हैं?
मुर्गियों को जहां पाला जाता है उसे फार्म कहते हैं जहां पर उनसे अप्राकृतिक रूप से भी अंडे उत्पन्न करवाए जाते हैं ।
अब कुछ लोग अपने स्वभाव वश यह सोच रहे होंगे की अंडे तो शाकाहारी होते हैं, उन्हे मांसाहारी नही कहा जा सकता। आज हम ऐसे लोगों के भ्रम को पूरी तरह से दूर कर करने वाले हैं। इस विषय में SA News की टीम ने एक गहन पड़ताल की जिसमें पाया कि कई वैज्ञानिकों के समूह ने यह साबित करके दिखाया है की अंडे के अंदर भी जीव होता है। यदि अंडे को फोड़कर उसका सेवन नहीं किया जाए तो शायद उसमें से भी एक नन्ही मुर्गी का जन्म हो सकता है।
अंडे शाकाहारी नहीं हैं- इसे समझने की कोसिस करते हैं
मुर्गी जब 6 महीने की हो जाती है तो हर 1 या डेढ़ दिन में अंडे देती है, लेकिन उसके अंडे देने के लिए जरूरी नहीं कि वह किसी मुर्गे के संपर्क में आई हो। इन अंडों को ही अनफर्टिलाइज्ड एग कहा जाता है।
- मुर्गियों में भी लड़कियो की तरह अंडोत्सर्जन एक चक्र के रूप में होता है अंतर केवल इतना है की वह तरल रूप में ना हो कर ठोस (अण्डे) के रूप में बाहर आता है ।
- सीधे तौर पर कहा जाए तो अंडा मुर्गी की माहवारी या मासिक धर्म है और मादा हार्मोन (estrogen) से भरपूर होता है।
- आधुनिक तकनीक का प्रयोग कर आजकल मुर्गियों को भारत में निषेधित ड्रग ओक्सिटोसिन(oxytocin) का इंजेक्शन लगाया जाता है जिससे की मुर्गियाँ लगातार अनिषेचित (unfertilized) अण्डे देती हैं।
- पक्षियों की माहवारी (अन्डो) को खाना धर्म और शास्त्रों के भी विरुद्ध , यह अप्राकृतिक और अपवित्र कर्म है।
हाल ही में फोर्ब्स इंडिया द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया है की भारत में प्रति वर्ष प्रत्येक मांसाहारी व्यक्ति कम से कम 3.5 किलो मांस और 30 अंडे खाता है। जबकि प्रतिवर्ष अकेले भारत में ही 114 बिलियन से भी ज्यादा अंडों का उत्पादन किया जाता है। वहीं हर साल 6.3 मिलियन टन के मांस उत्पादन के साथ भारत विश्व का पांचवा सबसे अधिक मांस उत्पादन करने वाला देश है और पूरे विश्व के मांस उत्पादन का 3% हिस्सा भारत में तैयार होता है। वहीं हर वर्ष 9.06 मिलियन मेट्रिक टन मछलियों का उत्पादन भारत से किया जाता हैं। एक सर्वे के मुताबिक भारत में लगभग 70% लोग मांसाहारी है। 2014 में किए गए एक सर्वे के मुताबिक तेलंगाना, असम, ओडिसा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु जैसे राज्य में 97 से 98 प्रतिशत जनसंख्या मांसाहारी है। वहीं सर्वे में राजस्थान में सबसे अधिक 74% जनसंख्या शाकाहारी है। इसके अलावा गुजरात, हरियाणा, पंजाब और मध्यप्रदेश में भी 50 से 70 प्रतिशत जनसंख्या शाकाहारी है।
अब एक नज़र भारत के दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बीफ निर्यातक देश बनने के सफर पर
एफएओ के अनुसार, 2016 में कुल 1.09 करोड़ टन बीफ निर्यात हुआ था और 2026 तक 1.24 करोड़ टन की वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।विश्व में बीफ निर्यातक देशों में ब्राजील पहले स्थान पर, जबकि आस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर है। रिपोर्ट और आकड़ों के मुताबीत
भारत ने पिछले वर्ष 15.6 लाख टन बीफ का निर्यात किया था और उम्मीद की जा रही है कि भारत विश्व में तीसरे सबसे बड़े बीफ निर्यातक की अपनी यह स्थिति बनाए रखेगा। भारत 2026 में 19.3 लाख टन के निर्यात के साथ विश्व के 16 प्रतिशत बीफ का निर्यातक होगा।
इंडिया बीफ, यानी भैंस के मांस को एक्सपोर्ट करने वाले सबसे बड़े देशों में शुमार
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ बीफ एक्सपोर्ट के मामले में इंडिया और ब्राज़ील में फिलहाल अव्वल नंबर पर आने की लड़ाई चल रही है। कुछ साल पहले इंडिया, ब्राज़ील को हराकर अव्वल नंबर पर आ गया था। मगर अमेरिका के जारी किए गए डेटा के मुताबिक पिछले साल इंडिया और ब्राज़ील के बीच टाई हो गया था।
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इंडिया दुनिया का 1/5th बीफ एक्सपोर्ट करता है। मतलब ये, कि अगर इंडिया बीफ एक्सपोर्ट करना बंद कर दे, तो तमाम रेस्टोरेंट बंद हो जाएगें। पिछले कुछ सालों में इंडिया से एक्सपोर्ट होने वाला बीफ और उससे होने वाली कमाई, दोनों ही तिगुने हो गए हैं। इतना ही नहीं, बीफ इंडिया से एक्सपोर्ट होने वाले ‘ऐग्री’ प्रोडक्ट्स में से टॉप पर है। यानी हम खाने की जो चीज सबसे ज्यादा विदेश में बेचते हैं, वो बीफ है और दूसरे नंबर पर है बासमती चावल।
आश्चर्य: भारत में गाय की पूजा और गो हत्या दोनों की जाती हैं
भारत के 29 में से 10 राज्य ऐसे हैं जहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस को काटने और उनका गोश्त खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बाक़ि 18 राज्यों में गो-हत्या पर पूरी या आंशिक रोक है। भारत की 80 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी हिंदू है जिनमें ज़्यादातर लोग गाय को पूजते हैं। लेकिन ये भी सच है कि दुनियाभर में ‘बीफ़’ का सबसे ज़्यादा निर्यात करने वाले देशों में से एक भारत है। ‘बीफ़’, बकरे, मुर्ग़े और मछली के गोश्त से सस्ता होता है इसी वजह से ये ग़रीब तबक़ों में रोज़ के भोजन का हिस्सा है, ख़ास तौर पर कई मुस्लिम, ईसाई, दलित और आदिवासी जनजातियों के बीच में।
देश के दस राज्यों में गो-हत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है..
इन 10 राज्यों में- केरल, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम और एक केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप शामिल है।
यहां गाय, बछड़ा, बैल, सांड और भैंस का मांस खुले तौर पर बाज़ार में बिकता है और खाया जाता है। आठ राज्यों और लक्षद्वीप में तो गो-हत्या पर किसी तरह को कोई क़ानून ही नहीं है। असम और पश्चिम बंगाल में जो क़ानून है उसके तहत उन्हीं पशुओं को काटा जा सकता है जिन्हें ‘फ़िट फॉर स्लॉटर सर्टिफ़िकेट’ मिला हो।
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यह चौंकाने वाले आंकड़ें उस देश के हैं जिसे देवताओं की भूमि कहा जाता है। सोचने वाली बात तो यह है की भगवान ने मनुष्यों को सबसे अधिक बुद्धि और मानव शरीर इसलिए दिया की वे अन्य मासूम और कमज़ोर जीवों की रक्षा और संभाल करें, उनकी देख रेख कर सकें क्योंकि चींटी से लेकर हाथी तक सब उस एक ही भगवान के बच्चे हैं। विचार कीजिए, जब इंसान अपने ही पिता के दूसरे बच्चे को मौत के हवाले कर अपना आहार बनाता है तब उस भगवान को कितना दुख पहुंचता होगा।
लेकिन राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए नीच मनुष्य इस बात को नहीं समझ पाते उल्टा वाद विवाद कर अपने राक्षस स्वभाव का अंहकार करते हैं। उन्हें चाहिए की विवेक से ईश्वर के संविधान को समझें और घोर पाप करने से बचें । देश और विदेश दोनों में ही हजारों स्वयं सेवी संस्थाएं निजी और सार्वजनिक रूप से जानवरों के हितों की रक्षा के लिए अपने अपने स्तर तक बहुत मेहनत से काम कर रही हैं परंतु यह सभी जानवर हत्याओं, जानवरों के साथ हो रही बदसलूकी को रोक पाने में पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि इन्हें पूर्ण रूप से सरकार और देश का साथ नहीं मिल पा रहा ।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जानते हैं की ईश्वर के संविधान रूपी सद्ग्रंथों में मांस भक्षण के बारे में क्या कहा गया है?
पवित्र कुरान शरीफ की सूरत फुरकानी 25 आयत 52 से 59 में और बाइबल जेनेसिस 1:28 और 1:29 में प्रमाण है की भगवान ने 6 दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन तख्त पर जा विराजे। इस दरमियान धरती और आकाश के बीच जो कुछ भी है उस सबकी रचना भगवान ने की, भगवान ने सभी मनुष्यों तथा जानवरों को बताया की मैंने तुम्हारे लिए धरती पर शाकाहारी भोजन की पूरी व्यवस्था की है। कुछ लोग यह तर्क देते हैं की मांस खाने का आदेश अल्लाह, गॉड या भगवान का है। जबकि जिस भगवान ने हमें बनाया है उसने स्वयं कभी यह आदेश नहीं दिए। यह आदेश किसी अन्य फरिश्ते का है। यहां तक कि कुरान शरीफ और बाइबल से पहले आई हुई तीन आसमानी किताबों जबूर, इंजील, और तौरात में भी कहीं मांस खाने का जिक्र नहीं किया गया। इसके अलावा सिख, जैन, बौद्ध, हिंदू आदि धर्म के सद्ग्रंथों में भी मांसाहार निषेध कहा गया है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी भी मांस भक्षण का निषेध करते हुए अपनी अमृतमयी वाणी में कहते हैं,
कहता हूं कहि जात हूं, कहा जो मान हमार ।
जाका गला तुम काटि हो, सो फिर काटि तुम्हार ।।
कबीर, मांस मांस सब एक है, मुरगी हिरनी गाय।
जो कोई यह खात है, ते नर नरकहिं जाय।।
कबीर, मुसलमान मारै करद सों, हिंदू मारे तरवार।
कह कबीर दोनूं मिलि, जावैं यमके द्वार।।
कबीर, मांस आहारी आत्मा, प्रत्यक्ष राक्षस जान।।
इसमें संसय है नहीं, चाहे हिंदू खाए या मुसलमान।।
कबीर साहेब जी ने बताया है की मांस आहार करना घोर अपराध है। इसे करने वाले प्राणी कभी भगवान को नहीं प्राप्त कर सकते। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी भगवान के संविधान अनुसार बताते हैं की जो जीव जैसा कर्म करेगा उसे वैसा ही भोगना होगा। जो मनुष्य आज जीव हिंसा करते हैं और बकरे, मुर्गी, गाय, सुअर,भैंस आदि का गला काटते हैं उन्हें भी किसी जन्म में बकरी, मुर्गी, गाय, सुअर,भैंस आदि बनकर अपना गला कटवाना होगा। इसलिए इस वीडियो को देखने वाले सभी भाइयों बहनों से करबद्ध प्रार्थना है की जीव हिंसा और मांसाहार को त्यागकर शुद्ध शाकाहारी बनें और संत रामपाल जी महाराज जी की शरण में आकर अपना कल्याण करवाएं। हमारा सरकार और समाज से निवेदन हैं कि देश में जीव हत्या पूर्ण रूप से बंद की जाए।