Global Peace Index 2021: नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज के कार्यक्रम में हम देश दुनिया में निरंतर बढ़ रही “अशांति” के बारे में चर्चा करेंगे और साथ ही विश्वभर में चारों ओर मचे हाहाकार को खत्म करने के बारे में भी जागेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं आज की हमारी विशेष पड़ताल।
सुख के पीछे दुख, स्वास्थ्य के पीछे रोग और शांति के पीछे अंशाति सदा लगा रहता है। पूरा विश्व पिछले दो साल से भंयकर रूप से फैली कोरोना महामारी की उथल-पुथल से जूझ रहा है। इन दो सालों में सब कुछ बदल गया है किसी की भी जिंदगी पहले जैसी नहीं रही है। कोरोना की ‘दहशत’ अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि दबे पांव कोरोना के ही नए वैरिएंट ओमीक्रान ने दस्तक दे दी। कोरोना महामारी ने अरबों लोगों की जिंदगी से ‘शांति, सुख–चैन, सुकून ,स्वास्थ्य और उनकी सांसों तक को छीन लिया।
Global Peace Index 2021: विश्व के अधिकतर देश एक दूसरे पर कर रहे हैं हमला
विश्व में लोग महामारी से उबरना सीख ही रहे थे कि अचानक अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच युद्ध छिड़ गया, इस युद्ध पर विराम लगते ही कुछ दिनों बाद इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच घमासान युद्ध होने लगा। एक तरफ फिलिस्तीन में स्थिति शांत हुई ही थी की दूसरी तरफ तालिबान ने डंके की चोट पर हिंसा का सहारा लेकर अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया। तालिबान ने दुनिया के ‘शांति मिशन एजेंडे’ पर करारा तमाचा मारकर पूरे विश्व को हिला दिया।
अफगानिस्तान की सड़कों पर तालिबानी लड़ाकों के कत्लेआम से दुनियाभर के तमाम देश ‘सहम’ गए। ऐसा ही हाल भारत में जम्मू कश्मीर का है जहाँ धारा 370 खत्म होने के बाद से भारतीय शासन लागू है और आए दिन पुलिस द्वारा सिविलियन पर हमले की खबरें आती रहती हैं। युद्ध, मृत्यु, बीमारी, बेरोज़गारी, गरीबी और कर्ज़ के तले दबती और हिंसक होती ज़िंदगी के बीच करोड़ों लोग शांति की तलाश कर रहे हैं। परंतु दुनिया के लोगों के लिए शांति ,चैन, सुख, अमन और अपनों के बीच में और अपनों के साथ रहना एक खुबसूरत ख्वाहिश बन कर रह गया है।
Global Peace Index 2021: दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं मौत की खबरें
घरेलू हिंसा, आतंकवादी हमले, धार्मिक हिंसा, आत्महत्या, मर्डर, चोरी, ठगी, नशा, बलात्कार , भूखमरी और बीमारियों से हो रही मौत की खबरें दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन में विश्वभर में आर्थिक संकट ने लोगों की कमर तोड़ दी। आर्थिक मंदी के बाद दिन प्रतिदिन बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की आमदनी पर भी कड़ा प्रहार किया।
कई देशों में हुए हिंसक प्रदर्शन
Global Peace Index 2021: गौरतलब रहा है कि जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 के दौरान पूरी दुनिया में 5,000 से अधिक हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं। कोरोना महामारी के दौरान 25 देशों में हिंसक प्रदर्शन हुए । सबसे खराब हालात बेलारूस, म्यांमार और रूस जैसे देशों में देखने को मिले, जहां सरकार ने प्रदर्शनकारियों का हिंसक रूप से दमन किया। बता दें कि म्यांमार में सेना ने तख्तापलट कर दिया और बीते कई महीनों से सेना देश की सत्ता चला रही है। वहीं बड़ी संख्या में लोग इसके विरोध में प्रदर्शन भी कर रहे हैं, जिन पर सुरक्षाबलों द्वारा मारपीट और गोलीबारी की जा रही है। गौरतलब है कि सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरी और फ्रांस, अमरीका, कनाडा आदि देशों में अश्वेत की मौत पर कई समय तक लंबे विरोध प्रदर्शन हुए।
Global Peace Index 2021 की रिपोर्ट
Global Peace Index ने अपनी रिपोर्ट में सबसे शांतिपूर्ण देश और सबसे अशांतिपूर्ण देश के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा है की अफगानिस्तान दुनिया का सबसे कम शांतिपूर्ण देश पाया गया है। इसके बाद यमन, सीरिया, दक्षिण सूडान और इराक को सबसे कम शांतिपूर्ण देशों की सूची में जोड़ा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और मेक्सिको में आधी से भी ज्यादा आबादी ने उनकी रोज़ की जिंदगी में हिंसा का अनुभव किया है।
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ग्लोबल पीस इंडेक्स में भारत का रैंक 163 देशों में से 135 नंबर पाया गया है जो की बेहद शर्मनाक हैं। भारत में करीब बीते एक साल से किसान आंदोलन चल रहा है। जगह- जगह धरना प्रदर्शन किए जा रहे हैं। 2019 में दिल्ली में धार्मिक दंगे देखे गए तो 2021 में बंगाल के चुनावों में। हाल ही में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हिंसा और तनाव , तो असम- मिज़ोरम बॉर्डर पर भी तनाव देखा गया। और तो और पूरे देश में कहीं हिंदू- मुसलमान में तो कहीं आपस में मुसलमानों में ही बहुत अधिक तनाव दिखाई दे रहा है जोकि राष्ट्रीय एकता, अखंडता और देशप्रेम की भावना को आहत कर रहा है।
Global Peace Index 2021: NCRB के आंकड़े़
NCRB के आंकड़ों के मुताबिक घरेलू हिंसा, आत्महत्या, बलात्कार और मर्डर के हिंसक मामलों में पिछले 2 सालों में 29 प्रतिशत तक का इज़ाफा देखने को मिला है।
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आखिर किस प्रकार देश और दुनिया की जनता को तनाव, द्वेष, हिंसा , धर्म के नाम पर लड़ाई और अशांति की स्थिति से निजात दिलाई जा सकती है? आखिर कैसे पूरे विश्व में शांति, भाईचारे व अमन को स्थापित किया जा सकता है? आइए जानते हैं-
गीता अध्याय 4 श्लोक 7
यदा, यदा, हि, धर्मस्य, ग्लानिः, भवति, भारत,
अभ्युत्थानम्, अधर्मस्य, तदा, आत्मानम्, सृजामि, अहम्।
अर्थात हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब ही मैं अपना अंश अवतार रचता हूँ अर्थात् उत्पन्न करता हूँ।
दोस्तों! इतिहास गवाह है की जब जब धरती पर अधर्म और अधर्मियों का पराक्रम बढ़ता है तब तब किसी महापुरुष ने पृथ्वी पर अवतार लेकर बुरी ताकतों का सफाया किया है और शांति स्थापित की है। जब धरती पर अधर्म बढ़ जाता है तब चारों ओर अंधकार फैल जाता है व हाहाकार मच जाती है। जब भी देश दुनिया में चोरी, ठगी, मिलावट, रिश्वतखोरी, बलात्कार, नशा, हत्या,आतंकवाद आदि बुराई करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हो जाती है तब उग्र गतियाँ सृष्टि के रचयिता पूर्ण परमात्मा को धरती पर प्रकट होने के लिए प्रेरित करती हैं। पवित्र वेद इस बात की गवाही देते हुए बताते हैं की पूर्ण परमात्मा कविर्देव ऐसी परिस्थिति में अच्छी आत्माओं को आकर मिलते हैं और उनका कल्याण करते हैं। पूर्ण परमात्मा अपने विधान अनुसार समय- समय पर धरती पर प्रकट होकर अधर्म का नाश करते हैं और पूरे विश्वभर में शांति स्थापित करते हैं। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी अपना “तत्वज्ञान” देकर , मनुष्यों को मनुष्य से देवता और धरती को स्वर्ग समान बना देते हैं।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में वर्णन है कि भगवान संपूर्ण शांतिदायक है। वह जो हमारे सारे पाप नष्ट करके हमें सुख प्रदान करता है। उसे ही सच्चा एवं सर्वोच्च भगवान कहा गया है। वर्तमान समय में पूरे विश्वभर में शांति स्थापित करने और विश्व के सभी प्राणियों को अपने निजधाम सतलोक ले जाने के लिए परमेश्वर कबीर साहेब जी स्वयं जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में धरती पर अवतरित हुए हैं। संत रामपाल जी महाराज जी अपने अद्वितीय ज्ञान से समाज में फैली अशांति और सभी बुराइयों को जड़ से समाप्त करने का कार्य कर रहे हैं। इस पृथ्वी लोक में यदि कोई भक्त सुख चाहता है तो उसे परमपिता परमात्मा, पूर्ण ब्रह्म, सनातन प्रभु, कबीर परमात्मा की दृढता से भक्ति करनी होगी और पूरा जीवन उनकी शरण में रहकर जीना होगा।