Farm Laws Repealed News: क्या थे तीन कृषि कानून? और क्यों सरकार ने वापस लिए कानून?

Farm Laws Repealed News hindi

Farm Laws Repealed News: नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज के कार्यक्रम में हम चर्चा करेंगे कि क्यों केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला लिया? और कब समाप्त होगा कृषि आंदोलन? साथ ही दिन प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई पर भी एक नज़र डालेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं आज की हमारी विशेष पड़ताल।

Farm Laws Repealed News hindi

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प्रश्न है कि देश के लोगों के लिए अन्न कौन उगाता है?

उत्तर है किसान! परंतु देश के बड़े बड़े नेताओं , बुद्धजीवियों ने पिछले एक साल से काले कृषि कानूनों के विरोध म़े आंदोलन करने वाले किसानों को क्या कुछ नहीं कहा। यहां तक कि सदन को संबोधित करते हुए स्वयं प्रधानमंत्री मोदी जी ने उन्हें आंदोलनजीवी और परजीवी तक कहा था। अन्यों ने खालिस्तानी ,दंगाई और कभी कहा ये तो किसान ही नहीं हैं। आम जनता जो कृषि बिल की अहमियत और मतलब को नहीं समझती, उनके और अपने ह़क के लिए किसान 365 दिन से आवाज़ उठा रहे हैं। दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों जैसे सिंघु बार्डर, गाज़ीपुर बार्डर और टिकरी बार्डर पर पंजाब, हरियाणा ,महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों के किसान धरना दिए बैठे हैं। बीते एक साल में 700-750 किसान अभी तक शहादत को भी प्राप्त हो चुकें हैं।

देश का बच्चा बच्चा जानता है कि पिछले 365 दिनों से हज़ारों किसान धरने पर बैठे हैं। जिस प्रकार देश के सैनिक दिन के 24 घंटे और साल के 365 दिन सरहद पर अपने देश की रक्षा के लिए तैनात रहते हैं ठीक उसी प्रकार देश के अन्नदाता किसान साल के 365 दिन खेत में काम करते हैं बिना सर्दी, गरमी और मौसम की परवाह किए। लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले एक वर्ष में हज़ारों किसानों और उनके परिवार वालों को अपना अधिकतर समय कृषि कानूनों के विरोध में लगाना पड़ा।

क्यों किसान धरने पर और नेतागण इनके विरोध में उतर आए , क्या है यह पूरा मामला?

19 नवंबर, 2021 की सुबह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीविजन के माध्यम से यह ऐलान किया था कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस लेने जा रही है।” किसानों के लिए दिए अपने संदेश में पीएम ने “किसानों से आंदोलन खत्म करने और अपने-अपने घर लौट जाने की अपील की थी।” लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन को पूरी तरह से खत्म करने से इनकार किया था और संसद में कानून रद्द होने पर ही अगले कदम उठाने की बात कही थी।

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Farm Laws Repealed News: साल 2020 में केंद्र सरकार द्वारा तीन ऐसे कृषि कानूनों को मंजूरी दी गई जिससे देश के किसान एकमत व सहमत नहीं थे। किसानों का मानना था की इन कानूनों के चलते किसानों का अधिक से अधिक शोषण होगा और परिणामस्वरूप एक दिन किसान सड़क पर आ जाएंगे और कर्ज़ के बोझ तले आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाएंगे। आपको बता दें कि किसान इन कानूनों के विरोध में बीते एक साल महीने से आंदोलन कर रहे थे लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो तीनों कृषि कानून क्या थे और क्यों किसान उनका विरोध कर रहे थे?

Farm Laws Repealed News: आइए उन तीन कानूनों के बारे में आपको संक्षेप में बताते हैं।

पहला कानून

कृषि उत्पादन संवर्धन और सुविधा विधेयक 2020- इस कानून के चलते देश के किसी भी कोने में रहने वाले किसान अपनी फसल देश में कहीं भी बेच सकते थे। मतलब किसान अपने गांव से सैंकड़ों किलोमीटर दूर दूसरे राज्यों में भी जाकर अपनी फसल बिना किसी अवरोध के बेच सकते थे। इसके साथ ही कोई भी लाइसेंसधारी व्यापारी या कंपनी का मालिक छोटे किसानों से उनकी उपज डायरेक्ट खरीद सकता था और उसे जहां चाहे भेज सकता था। इस कानून के चलते अंतरराज्यीय लेने देन पर मंडी कर भी नहीं लगता था। एक तरफ सरकार का कहना था की किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच सकते थे और किसान निजी खरीददारों से भी बेहतर दाम पा सकते थे। वहीं किसानों का आरोप था कि इस कानून में बड़े कॉरपोरेट खरीददारों और कंपनियों को खुली छूट दी गई थी और वह बिना पंजीकरण के बिना किसी कानूनी दायरे में आए किसानों की उपज को खरीद बेच सकते थे। ये भी आरोप था कि सरकार ने इस कानून के जरिए एपीएमसी मंडियों को एक सीमा में बांध दिया था।

दूसरा कानून

किसान सशक्तिकरण और संरक्षण मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020- इस कानून के तहत कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी की अनुबंध खेती के प्रावधान बताया गया था। इस कानून के चलते अब किसान अपनी उपज का स्वतंत्र रूप से विपणन कर सकता था। इस कानून में प्रावधान था कि फसल खराब होने या नुकसान की भरपाई अनुंबध करने वाला पक्ष करेगा जिसके चलते किसान को अपनी उपज का तय मूल्य मिलेगा। इस कानून को लेकर सरकार पर आरोप लगे कि इससे किसान अपनी ही जमीन पर बंधुआ मजदूर बन सकता था। साथ ही किसानों और ठेकेदारों के बीच विवाद की स्थिति में यह कानून उतना प्रभावी साबित नहीं हो सकता था क्योंकि ठेकेदार महंगे वकील कर सकते थे जो एक गरीब किसान कभी नहीं कर सकता।

तीसरा कानून

आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020- इस तीसरे कृषि कानून के तहत व्यापार के लिए खाद्यान्न, दाल, खाद्य तेल और प्याज़ जैसी वस्तुओं से स्टॉक लिमिट हटा दी गई थी। जिसके चलते कोई भी इन चीजों का जितना चाहे, जितने समय के लिए चाहे भंडारण कर सकता था। किसानों का कहना था की सरकार को पता कैसे चलेगा कि किसके पास कितना स्टॉक है और कहां है? हमारे देश में अधिकतर किसान छोटे और मझोले हैं जिसके चलते वे इस कानून का बिल्कुल फायदा नहीं उठा सकते। जबकि दूसरी और बड़े व्यापारियों को जमाखोरी करने और कालाबाज़ारी को बढ़ावा मिल सकता था।

Farm Laws Repealed News: बिना विपक्ष की सहमति के संसद में तीनों कृषि बिल हुए थे पास

संसद ने बीते साल 17 सितंबर 2020 को तीन कृषि कानूनों को अपनी मंजूरी दी थी। हालांकि तभी से ही देशभर के विभिन्न हिस्सों में किसानों द्वारा इन कानूनों का विरोध हो रहा है। विरोध के चलते किसान संगठनों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन इन बैठकों में अब तक सहमति नहीं बन पाई थी। लेकिन अचानक ही 19 नवंबर के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया। जिसके बाद हाल ही में 29 नवंबर को लोकसभा में शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सोमवार को कृषि कानून वापसी बिल को पास किया गया। इसके साथ ही उसी दिन दोपहर दो बजे के बाद इस विधेयक को राज्यसभा में भी पेश किया गया और वहां पर भी इस बिल को पास कर दिया गया। जिसके बाद इसी कृषि कानून वापसी बिल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपनी अंतिम मुहर को भी लगा दिया है। इसी के साथ ही तीनों कृषि कानून अब औपचारिक रूप से निरस्त हो गए हैं।

नवंबर 2020 में क्या कहा था प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि विधेयक के विषय में?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “आज़ादी के बाद किसानों को किसानी में एक नई आज़ादी” देने वाला क़ानून बताया था।उन्होंने कहा था बिचौलिए जो किसानों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा खा जाते थे, उनसे बचने के लिए ये विधेयक लाना ज़रूरी था।

Farm Laws Repealed News: आखिर क्यों सरकार ने इन तीनों कानूनों को रद्द करने का फैसला लिया?

कुछ विशेषज्ञों का मानना है की आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार का यह कदम बीजेपी के लिए अहम और बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है, जिसके चलते जनता का मत पाने के लिए और लोगों के दिलों में जगह बनाने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया। वहीं कई एक्सपर्टस का मानना है की किसान आंदोलन द्वारा सरकार पर सतत दबाव बनाने के कारण सरकार को अंत में झुकना ही पड़ा। कई एक्सपर्ट्स का दावा है की देश विरोधी और अलगाववादी ताकतें कृषि कानूनों से फैले असंतोष का फायदा उठाने की फिराक में थीं। देश की सुरक्षा एजेंसियों को लगातार इस बात की चिंता सता रही थी कि पंजाब जैसे बॉर्डर राज्य में अलगाववादी ताकतें इस आंदोलन को हाईजैक कर सकती थीं। इस बाबत पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और गृह मंत्री अमित शाह को एक प्रजेंटेशन देकर भी आए थे।

Farm Laws Repealed News: तीनों कानूनों के रद्द हो जाने के बाद भी आखिर क्यों अभी भी जारी है किसान आंदोलन?

कृषि कानून वापसी बिल लोकसभा से पास होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि ये एक बड़ी बीमारी थी उसका रोग कट गया। उन्होंने कहा कि सरकार दूसरे समाधान पर भी हमसे बातचीत करे। टिकैत ने कहा सरकार चाहती है कि देश में कोई विरोध प्रदर्शन न हो, लेकिन हम एमएसपी सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा से पहले धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे।

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किसानों का कहना है की हम धरना प्रदर्शन तब ही बंद करेंगे जब सरकार हमें MSP की गारंटी देगी। एमएसपी के बगैर किसान के पास कोई गारंटीड उत्पाद शुल्क मिलने का आश्वासन नहीं होता। जिसके बाद बेमौसम बारिश, बाढ़, सुखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के चलते किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। नुकसान होने पर उत्पादों की कीमत में भी इजाफा आने लगता है।

मंहगाई छू रही है आसमान

वर्तमान समय में महंगाई के निशाने पर आम आदमी की रसोई है। पहले कुछ दिनों पेट्रोल, डीज़ल की महंगाई के कारण सब्जियों के दाम बढ़ते रहे। अब कई राज्यों में हुई बेमौसम बारिश ने सब्जियों के दामों में रॉकेट की उछाल दे रखी है। जितने में पहले किलो भर टमाटर मिलता था, अब पाव भर मिलने लगा है। दिल्ली में टमाटर 60 से 90 रुपए किलो मिल रहा है तो भोपाल में 60 से 80 रुपए किलो। जयपुर में 65 से 95 रुपए किलो तो लखनऊ में 65 से 85 रुपए किलो। पोर्ट ब्लेयर में 113 रुपए किलो तक तो तमिलनाडु में 140 रुपए किलो तक टमाटर बिक रहा है। एक तरफ भारत हर साल करीब 2 लाख मीट्रिक टन टमाटर का निर्यात करता है और दूसरी तरफ इस साल टमाटर की कमी के कारण इसके दाम आसमान को छू रहे हैं। इसका मतलब यही बनता है की इस साल टमाटर खपत से ज्यादा नहीं उग पाए हैं। दूसरी ओर गैस सिलेंडर, खाने का तेल, और अन्य हरी सब्जियों के दाम में भी इज़ाफा देखा गया है।

आखिरकार महंगाई की इस मार से समाज को किस प्रकार बचाया जा सकता है?

हमारे पवित्र सद्ग्रंथ हमें प्रमाण देते हैं की पूर्ण परमात्मा ने अपनी शब्द शक्ति से सर्व सृष्टि की रचना की। परमात्मा ने सभी जीवों के भरण पोषण के लिए पर्याप्त मात्रा में सभी चीजें प्रदान की। इसके अलावा परमात्मा अपने विधान अनुसार समय-समय पर धरती पर अवतरित होकर विश्व में सुख व शांति स्थापित किया करते हैं। वर्तमान समय में विश्व में फैली अशांति और इससे उत्पन्न हुई बिमारियों को केवल परमात्मा ही दूर कर सकते हैं। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी के अवतार हैं जिनके सानिध्य में पूरे विश्व में शांति स्थापित होगी। संत रामपाल जी महाराज जी के पद चिन्हों पर चलकर ही विश्वभर से महंगाई, नशा, भ्रष्टाचार, दहेजप्रथा आदि बुराइयों और सभी प्रकार के भेदभावों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। संत रामपाल जी महाराज ही वह महापुरुष हैं जिनके बारे में विश्व के नामचीन व प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं ने अपनी भविष्यवाणियों में प्रमाण दिए हैं कि भारत में उत्पन्न हुआ एक महापुरुष कलयुग में फिर से सतयुग जैसा माहौल स्थापित करेगा। इस कलयुग में भी धरती फिर से उपजाऊ हो जायेगी, पूरी पृथ्वी पर फलदार वृक्ष होंगे। विश्वभर में पशुधन की वृद्धि होगी और चारों और हरियाली होगी। किसी भी खाद्य सामग्री का कभी अभाव नहीं होगा और ना ही ऐसी महंगाई होगी जिससे मानव समाज का शोषण हो।विश्वभर में अब जल्द ही सतयुग जैसा माहौल स्थापित होगा। इस विडियो को देखने वाले सभी भाईयों और बहनों से प्रार्थना है की आप भी संत रामपाल जी महाराज जी से नामदीक्षा लें और अपना कल्याण करवाएं।

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