नई दिल्ली/लंदन। भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement – FTA) पर आखिरकार आधिकारिक मुहर लग गई है। तीन वर्षों से अधिक समय तक चली रुक-रुक कर वार्ताओं के बाद गुरुवार को इस ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान इस डील को अंतिम रूप दिया गया। यह प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की चौथी ब्रिटेन यात्रा है।
इस व्यापार समझौते को ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन की सबसे बड़ी द्विपक्षीय व्यापारिक पहल माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समझौते से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा और व्यापार संबंधों को नई ऊंचाई मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते को “साझा समृद्धि की योजना” करार देते हुए कहा कि, “यह सिर्फ आर्थिक साझेदारी नहीं, बल्कि कृषि, एमएसएमई, टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों के लिए नए अवसरों का द्वार खोलेगा।”
भारत-ब्रिटेन FTA 2025: मुख्य बिंदु
- भारत-ब्रिटेन FTA: 6.5 अरब डॉलर की डील से व्यापार में आएगा बड़ा उछाल
- भारत-ब्रिटेन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: ये प्रोडक्ट्स होंगे अब सस्ते, दोनों देशों को होगा लाभ
- भारत-UK FTA: भारतीय प्रोफेशनल्स को राहत, सामाजिक सुरक्षा कर में मिलेगी बड़ी छूट
- भारत-ब्रिटेन FTA 2025: कर्मचारियों को टैक्स में छूट, लेकिन कुछ मसले अभी भी बाकी
- भारत-ब्रिटेन सहयोग को नई दिशा: सुरक्षा, खुफिया साझेदारी और शिक्षा में होगा विस्तार
- भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: लागू होने में लग सकता है एक साल का समय
- भारत-ब्रिटेन FTA 2025: ग्लोबल मार्केट में भारत की पकड़ और मेक इन इंडिया को नई उड़ान
कितना बड़ा है यह व्यापार समझौता?
ब्रिटिश सरकार का अनुमान है कि यह समझौता ब्रिटिश अर्थव्यवस्था में सालाना 4.8 अरब पाउंड (करीब 6.5 अरब डॉलर) का अतिरिक्त योगदान देगा।
वर्तमान में ब्रिटेन का केवल 1.9% निर्यात और 1.8% आयात भारत के साथ होता है, लेकिन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) लागू होने के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
भारत ने वर्ष 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया है, और इस दिशा में ब्रिटेन एक अहम व्यापारिक सहयोगी की भूमिका निभा सकता है।
यह वार्ता सबसे पहले 2022 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में शुरू हुई थी, जो अब ऐतिहासिक डील में तब्दील हो चुकी है।
कौन-कौन से उत्पाद होंगे सस्ते?
FTA के बाद दोनों देशों ने कई उत्पादों पर टैरिफ (आयात शुल्क) में उल्लेखनीय कटौती की है:
ब्रिटेन से भारत आने वाले उत्पादों पर औसतन टैरिफ 15% से घटकर 3% रह जाएगा।
भारत ने ब्रिटेन से आयात होने वाली व्हिस्की पर टैरिफ 150% से घटाकर 75% कर दिया है, जो 2035 तक और घटाकर 40% कर दिया जाएगा।
इससे भारतीय बाजार में ब्रिटिश ब्रांडों की पैठ और प्रतिस्पर्धा में मजबूती आएगी।
सस्ते होने वाले प्रमुख ब्रिटिश उत्पाद:
- व्हिस्की और अन्य शराब
- चॉकलेट, बिस्किट, रेडीमेड फूड्स
- चिकित्सा उपकरण
- एयरोस्पेस और ऑटोमोबाइल पार्ट्स
ब्रिटेन में सस्ते होंगे भारतीय उत्पाद:
- वस्त्र और परिधान
- जेम्स एंड ज्वेलरी (हीरे, आभूषण)
- सी-फूड और प्रोसेस्ड फूड
- इंजीनियरिंग और कृषि उत्पाद
भारतीय प्रोफेशनल्स और कामगारों को क्या मिलेगा?
FTA में कामगारों और पेशेवरों को लेकर अहम सहमति बनी है।
अब सामाजिक सुरक्षा कर (नेशनल इंश्योरेंस कंट्रीब्यूशन) में छूट की अवधि एक साल से बढ़ाकर तीन साल कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि जो कर्मचारी अस्थायी रूप से भारत या ब्रिटेन में कार्यरत हैं, उन्हें केवल अपने मूल देश में ही सामाजिक सुरक्षा कर का भुगतान करना होगा।
इससे भारतीय IT प्रोफेशनल्स, इंजीनियर और डॉक्टरों को ब्रिटेन में काम करने में सहूलियत मिलेगी।
हालांकि, ब्रिटेन में विपक्षी दलों ने आशंका जताई है कि इससे ब्रिटिश कर्मचारियों को नुकसान होगा, लेकिन ब्रिटिश व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इसे खारिज करते हुए कहा कि भारतीय कर्मचारी पर वीज़ा और स्वास्थ्य सरचार्ज जैसे अतिरिक्त खर्च लागू रहेंगे, जिससे कोई असंतुलन नहीं होगा।
अब भी लंबित हैं ये मुद्दे
हालांकि व्यापार समझौता ऐतिहासिक है, लेकिन कुछ प्रमुख मुद्दों पर बातचीत अभी जारी है:
वित्तीय और कानूनी सेवाओं में ब्रिटेन को भारत से अपेक्षित पहुंच नहीं मिल सकी है।
द्विपक्षीय निवेश समझौते (BIPA) पर चर्चा जारी है, ताकि दोनों देशों में निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
ब्रिटेन की प्रस्तावित कार्बन टैक्स नीति (Carbon Border Adjustment Mechanism) को लेकर भारत को चिंता है कि इससे भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकता है। यह टैक्स जनवरी 2026 से लागू हो सकता है।
सुरक्षा और खुफिया सहयोग का भी विस्तार
दोनों देशों ने रक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है।
प्रमुख सहमतियां
इंटेलिजेंस शेयरिंग प्रोटोकॉल के तहत अपराधियों की जानकारी, न्यायिक सहयोग और यात्रा प्रतिबंधों को लागू करने में देशों के बीच बेहतर समन्वय होगा।
साइबर फ्रॉड और आर्थिक अपराधों की रोकथाम के लिए संयुक्त टास्क फोर्स पर विचार।
शिक्षा और स्किल डेवेलपमेंट के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान और छात्र एक्सचेंज प्रोग्राम।
FTA को लागू होने में कितना समय लगेगा?
इस समझौते को भारत की केंद्रीय कैबिनेट से मंज़ूरी मिल चुकी है, लेकिन अभी इसे संसद की स्वीकृति मिलना बाकी है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस समझौते को पूरी तरह लागू होने में लगभग एक वर्ष का समय लगने की संभावना है।
निष्कर्ष: भारत के लिए क्यों है यह डील अहम?
इस समझौते के माध्यम से भारत को यूरोपीय बाजारों में अप्रत्यक्ष पहुंच मिलेगी।
एमएसएमई, किसानों, मछुआरों और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स के लिए यह डील नए अवसर लेकर आएगी।
ब्रिटेन जैसे विकसित राष्ट्र के साथ गहरा व्यापारिक संबंध भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ विज़न को मजबूती देगा।
यह डील केवल दो देशों के बीच व्यापार बढ़ाने का जरिया नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति और रणनीतिक स्थिति का भी संकेत देती है।