एक तरफ जहां पूरा विश्व रूढ़िवादी परंपराओं को खत्म कर रहा है, वहीं इराक बिल्कुल इसके विपरीत राह पर चल रहा है। इराक में एक ऐसा कानून लाया जा रहा है, जिसके बारे में सुनकर हर कोई हैरान है। दरअसल, इराक ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 9 वर्ष करने के लिए संसद में प्रस्ताव पेश किया है।
अगर संसद से बिल पारित हो जाता है तो वहां 9 साल की बच्चियों की शादी को वैध माना जाएगा। इस बिल के खिलाफ इराक में महिलाएं और कई मानवाधिकार संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- इराक में बाल विवाह को भी दी जाती है मान्यता।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पारित इस बिल की, की जा रही आलोचना ।
- बच्चियों के इस शोषण को इस्लाम में नैतिक और सांस्कृतिक ढांचे का माना गया महत्वपूर्ण हिस्सा।
- शिक्षा की कमी से भी लड़कियों का शोषण होने की संभावना।
- नाबालिग लड़कियों के शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ सकते हैं गंभीर प्रभाव।
- बाल विवाह से मिलेगा अनेक कुरीतियों को बढ़ावा।
- कई मानवाधिकार संगठनों और महिला अधिकार संगठनों ने इस कानून के खिलाफ आवाज उठाई
इराक में बाल विवाह की पृष्ठभूमि
इराक में बाल विवाह का इतिहास बहुत पुराना है और यह सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक कारणों से जुड़ा हुआ है। पारंपरिक समाजों में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, बाल विवाह को सामान्य रूप से स्वीकार किया गया है। इस प्रथा को वैध बनाने के लिए विभिन्न कानूनी ढांचे बनाए गए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके परिवारों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए विवाह करना है।
ड्रॉफ्ट बिल में दर्ज किये गए नए प्रावधान
यह ड्राफ्ट बिल कानून में बदलाव को रूढ़िवादी शिया इस्लामिक पार्टियों के द्वारा पेश किया गया है। इराक की संसद में इन पार्टियों का गठबंधन सबसे बड़ा गुट है। ड्राफ्ट बिल के अनुसार, जोड़ों को व्यक्तिगत स्थिति के सभी मामलों में सुन्नी या शिया संप्रदाय के बीच चयन करना होगा। इसमें कहा गया है कि यदि पति-पत्नी के बीच विवाह के अनुबंध के प्रावधानों को लेकर विवाद होता है, तो इसे पति के रीतियों के अनुसार माना जाएगा, जब तक इसके विपरीत कोई सबूत न हो। इस बदलाव के तहत अदालतों के बजाय शिया और सुन्नी बंदोबस्ती के कार्यालयों को विवाह कराने की अनुमति दी जाएगी।
नया कानून: बाल विवाह की कानूनी स्थिति
इराक में प्रस्तावित इस नए कानून के अनुसार, अब 9 साल की उम्र की लड़कियों की शादी को कानूनी मान्यता दी गई है। इस कानून ने देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक आलोचना और चिंता को जन्म दिया है। इस नए कानून के तहत, बच्चों को उनकी मर्जी के खिलाफ भी विवाह में धकेला जा सकता है, यदि उनके अभिभावक या माता-पिता इसके पक्ष में हों। इस कानून की नींव धार्मिक ग्रंथों और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है, जो कि सामाजिक न्याय और बच्चों के अधिकारों के खिलाफ माना जा रहा है।
सामाजिक और धार्मिक पहलू
इस कानून के समर्थकों का दावा है कि यह इस्लामिक धार्मिक शिक्षाओं और शरिया कानून के अनुरूप है, जहां बाल विवाह को धार्मिक रूप से मान्यता दी गई है। वे इसे समाज के नैतिक और सांस्कृतिक ढांचे का हिस्सा मानते हैं। लेकिन इसके आलोचक इसे बच्चों के शोषण और उनके बुनियादी मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखते हैं।
बाल विवाह के दुष्प्रभाव :
1. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
9 साल की उम्र की लड़की का शरीर और मस्तिष्क विवाह और उसके परिणामस्वरूप आने वाले शारीरिक और मानसिक चुनौतियों के लिए तैयार नहीं होता है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान, नाबालिग लड़कियों के शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जिसमें मृत्यु का जोखिम भी शामिल है।
2. शिक्षा का हनन:
बाल विवाह के कारण लड़कियों की शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वे अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पातीं और इस कारण उनके जीवन में अवसरों की कमी हो जाती है। इसके अलावा, बाल विवाह के कारण लड़कियों के आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता में भी कमी आती है।
3. सामाजिक समस्याएँ:
बाल विवाह का प्रभाव समाज में विभिन्न समस्याओं को जन्म देता है, जैसे कि गरीबी, अशिक्षा, और सामाजिक असमानता। इस प्रथा के कारण लड़कियां अपने जीवन में कई तरह के शोषण का सामना करती हैं, जिससे उनका सामाजिक विकास बाधित होता है।
पर्सनल स्टेटस लॉ 1959 में बदलाव की कोशिश
समाचार पत्र मिडिल ईस्ट आई के अनुसार, पर्सनल स्टेटस लॉ 1959 के 188 नियम में बदलाव की बात हो रही है। दरअसल, अब्दुल करीम कासिम सरकार के दौरान पर्सनल स्टेटस लॉ 1959 बनाया गया था। इस कानून की तारीफ की गई थी, जिसमें लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल कर दी गई थी।
कानून का विरोध और समर्थन
इराकी समाज में इस कानून को लेकर ध्रुवीकृत प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कई मानवाधिकार संगठनों और महिला अधिकार संगठनों ने इस कानून के खिलाफ आवाज उठाई है। उनका तर्क है कि यह कानून बच्चों के अधिकारों के खिलाफ है और उनके शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक विकास के लिए हानिकारक है। वहीं, कुछ धार्मिक और पारंपरिक संगठनों ने इस कानून का समर्थन किया है, यह कहते हुए कि यह धार्मिक मान्यताओं के अनुसार है और समाज के नैतिक ढांचे को बनाए रखने में मदद करेगा।
प्रस्तावित विधेयक पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस कानून की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक निंदा हुई है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस कानून को तत्काल रद्द करने की मांग की है। वे इसे बच्चों के अधिकारों के खिलाफ एक गंभीर कदम मानते हैं और इराकी सरकार पर दबाव डाल रहे हैं कि वह इस कानून को निरस्त करे।
इराक के युवाओं में रूढ़िवादी विचारों के प्रति जागरूकता की आवश्यकता
इराक में इस कानून के पारित होने के बाद, समाज के विभिन्न वर्गों में जागरूकता बढ़ाने और इस तरह की प्रथाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ने की आवश्यकता बढ़ गई है। सरकार और नागरिक समाज के संगठनों को एक साथ आकर बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
कानून पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता
इराक में 9 साल की उम्र में लड़की की शादी के लिए कानून बनाना एक गंभीर मुद्दा है, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह कानून बच्चों के शोषण को वैध बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसे रोकने के लिए तत्काल उपायों की जरूरत है। समाज, सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर इस प्रथा के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा ताकि बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जा सके और उनके भविष्य को सुरक्षित किया जा सके।
विश्व स्तर पर रूढ़ीवादी परंपराओं में सुधार से बदलेगी दुनिया
एक ओर जहां इराक में बाल विवाह जैसे गलत कानून को पारित करने की कोशिश की जा रही है वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज द्वारा विश्व स्तर पर एक सभ्य और आदर्श समाज का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें बाल विवाह, लड़कियों के साथ भेदभाव, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, पाखंडवाद, नशावृत्ति आदि बुराइयों को जड़ से खत्म किया जा रहा है। संत रामपाल जी के द्वारा किए गए विश्व कल्याण के कार्यों एवं उनके आध्यात्मिक ज्ञान को विस्तार से जानने के लिए अवश्य देखिए Sant Rampalji Mahraj यूट्यूब चैनल या विज़िट करें www.jagatgururampalji.org ।