Social Research: बीमारियाँ, लोकडाउन, बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से लोग हुए परेशान

नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर के स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज हम भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते लगे लॉकडाउन के कारण देश की गिरी हुई अर्थव्यवस्था तथा आमजनता पर पड़ रही मंहगाई की मार के बारे में चर्चा करेंगे। तो आइए जानते हैं की देश के लोगों को इस साल अप्रैल 2021 में लगे लॉकडाउन के कारण कैसी कैसी परेशानियों का सामना करना पड़ा तथा क्या है इनसे बचने का उपाय।

भारत में अप्रैल महीने में कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम सीमा तक पहुंच गई थी। चारों और मौत का तांडव चल रहा था । एक तरफ अस्पताल में मरीजों को दाखिल करने की जगह नहीं थी तो दूसरी तरफ दाखिल किए गए मरीजों के लिए अपेक्षित मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं था। इसके अलावा रेमडेसिविर जैसी दवाई की किल्लत व वैक्सीन के डोज़ की भारी कमी से देश की जनता जूझ रही थी। कोरोना से सीधेतौर पर पीड़ित और कोरोना के एसिमपटोमैटिक लक्षणों से पीड़ित लाखों लोगों ने अपने घरों पर रहकर खुद को सबसे आइसोलेट किया, देसी -घरेलू नुस्खों से कोरोना का इलाज करने का भी यथासंभव प्रयास किया। शरीर का पल्स रेट और ऑक्सीजन लेवल नापने वाले ऑक्सीमीटर जैसे यंत्रों के दाम में भी रातों रात बढ़ोतरी हो गई थी। दूसरी ओर दवाओं ,इंजेक्शनों की कालाबाज़ारी, मिलावटखोरी, और फर्जी मेडिकल प्रोडक्ट्स बनाकर बेचने वालों की रातों रात करोड़पति बनने और लालची लोगों की तादाद भी दिन पर दिन बढ़ रही थी।

श्मशानों और कबरिस्तानों में लाशों के ढेर लगे थे। चिताओं को जलाने के लिए नंबर बांटे जा रहे थे। इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर की कालाबाजारी भी खूब देखने को मिली। निजी अस्पतालों में लोगों से इलाज करने और भर्ती करने के लिए मनमाने पैसे वसूल कर उन्हें लूटने का काम बदसतूर जारी था, तो कहीं अस्पताल में बेड पाने के लिए रिश्वत देकर लोगों को अपनों की जान को बचाना पड़ा।

केंद्र सरकार ने इसबार संपूर्ण लॉकडाउन तो नहीं लगाया था लेकिन पूरे देश में जगह जगह लगे आंशिक लॉकडाउन ने कुछ लोगों के लिए स्थिति पिछले साल लगे लॉकडाउन से भी बदतर बना दी।

दोस्तों पिछले साल लगे लॉकडाउन में ज़रूरी सेवाओं की उपलब्धता के अतिरिक्त सब कुछ बंद था। देश के 45% लोग जो प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं वह सभी घर से ही काम कर रहे हैं। लेकिन इस साल लगे आंशिक लॉकडाउन में सभी राज्यों ने अपने राज्यों में कोरोना के मरीजों की संख्या के मद्देनजर स्वेछिक मर्यादाएं लगाई गई थीं। केवल खाने पीने, फल सब्जी और मैडिकल स्टोर आदि की दुकानें ही खुलीं थीं और कुछ सरकारी दफ्तर । बाकि मॉल,शापस,बाजार, प्रतिदिन लगने वाले बाज़ार ,निर्माण कार्य, कुशल कारीगर सेवाएँ इत्यादि सभी ठप्प थे। सभी कामकाज बंद होने के कारण प्रति व्यक्ति आय पर गहरी चोट लगी। आमदनी न होने के कारण आम जन मानस गरीबी की मार झेल रहा है। आर्थिक रूप से देश की जनता को बहुत नुकसान पहुंचा है।

दूसरी ओर कई कारीगरों और मज़दूरों ने अपना काम बंद होने के कारण फल सब्जी आदि बेचकर अपना और अपने परिवार के लोगों का पेट भरा। सब्जी और फल मंडिंयों के दिन में कुछ घंटो तक ही खुले रहने की वजह से करोड़ों रुपयों की फल सब्जी बर्बाद हुई। शरीर में ऑक्सीजन लेवल और इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर साबित होने वाले फल जैसे संतरे,माल्टा,मौसमी, अनार, सेब, नींबू, नारियल पानी आदि तथा फल व अन्य सब्जियों के दाम आसमान छू रहे थे। इसके अलावा लगभग सभी वस्तुओं के दाम बढ़ने लगे। लोगों की आय कम,न्यूनतम और बिलकुल ही न होने से और लगातार खर्चे ज़्यादा होने की वजह से लोगों की जमा पूंजी भी समाप्त हो गई।

कोरोनाकाल में देश की इकोनोमी का हाल

लाकडाउन लगाने के कारण जहां एक ओर कोरोना को कंट्रोल किया गया तो वहीं दूसरी ओर देश की इकोनोमी का बुरा हाल हो गया। देश की GDP ग्रोथ रेट को पिछले 40 सालों में सबसे बड़ा झटका लगा। साल 2020-21 में देश की GDP -7.3% तक गिर गई और साथ ही भारतीय रूपयों की वैल्यू भी कम हो गई। अब 1 डॉलर की वैल्यू 75 रुपयों से भी अधिक है। जो की कोरोना महामारी के आगमन से पहले 65 रूपए के आसपास हुआ करती थी।

एजुकेशन सिस्टम हुआ सुस्त

अर्थव्यवस्था और आर्थिक संकट के बाद लॉकडाउन का सबसे अधिक असर देश के एजुकेशन सिस्टम पर पड़ा है। लगातार दूसरे वर्ष छात्रों को मास प्रमोशन दिया गया। 10वींऔर 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी गईं। कॉलेज के छात्रों को एक बार फिर से मास प्रमोशन दिया गया। बड़े बड़े यूनिवर्सिटीज में प्रोफेशनल कोर्सेज करने वाले छात्र आज भी ऑनलाइन शिक्षण पर निर्भर होने के लिए मजबूर हो गए हैं। सोशल मीडिया पर “कोरोना बैच” के मींम्स पर चर्चा हो रही है। पिछले 2 सालों में कॉलेजों से पास आउट होकर निकलने वाले विद्यार्थियों के लिए नौकरियां ढूंढना अब मुश्किल हो गया है। देश में पहले से ही बेरोजगारी दर अपनी चरम सीमा पर है, ऊपर से पढ़े लिखे विद्यार्थी जब नौकरी ढ़ूढते हैं तो उन्हें ऑनलाइन शिक्षण प्राप्त करने की वजह से बिना किसी स्किल वाला समझा जाता है और उन्हें नौकरी नहीं मिल पाती। कई सुडेंट्स का मानना है की उनके साथ ऐसा कर भेदभाव किया जा रहा है। कई स्टूडेंट्स इस साल हुई पढ़ाई को दोबारा फिर से ऑफलाइन mode में करने की मांग रख रहे हैं। तो कई छात्र नौकरी न मिल पाने की एवज में सुसाइड कर अपनी जान दे रहे हैं। पढ़े लिखे विद्यार्थी फल सब्जी आदि बेचकर रोज़ी रोटी कमाने पर मजबूर हो रहे हैं।

सीएमआईई के एक ताजा अध्ययन के मुताबिक अप्रैल 2021 में 75 लाख लोगों की नौकरी चली गई है। संख्या के लिहाज से देखें तो इस साल जनवरी में रोजगार से जुड़े लोगों की संख्या थी 40 करोड़। मार्च में यह 39.81 (उन्नतालीस दशमलव इकयासी ) करोड़ पर पहुंच गई और अप्रैल में और गिरकर 39 (उन्नतालीस) करोड़ ही रह गई। ऐसी स्थिति तब है जब पिछले लॉकडाउन के असर से अर्थव्यवस्था अभी तक नहीं उबर पाई है। पिछले साल लगे लॉकडाउन ने भी बड़ा कहर बरपाया था। सीएमआइई के डेटा के मुताबिक लॉकडाउन के पहले महीने यानी अप्रैल में करीब 12.2 करोड़ भारतीयों की नौकरी छिन्न गई थी। साथ ही कई आंकड़े यह भी कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान असंगठित क्षेत्र के 80 प्रतिशत कामगार अपने रोज़गार से हाथ धो बैठे थे। इतना ही नहीं कई लोगों को दो बार के भोजन के भी लाले पड़ गए थे।

ऐसे में मयूकोर्माइकोसिस, व्हाइट फंगस और येलो फंगस जैसी नई जानलेवा बीमारियां देश में अपने पैर पसार रही हैं। कई एक्सपर्ट्स का मानना है की दिवाली के आस पास देश में कोरोना की तीसरी लहर देखी जा सकती है।

ऐसा प्रतीत होता है कि कोरोना के कारण उपजी लाकडाउन की स्थिति जिससे अर्थव्यवस्था के डूबने की समस्या गहरा गई तथा इससे पूरी तरह से उबरने का सरकार के पास कोई कारगर उपाय मौजूद नहीं है।

दोस्तों, आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो हमे यह मालूम होता है की यह संसार ज्योति निरंजन काल का है। काल 21 ब्रह्मांड का स्वामी है तथा ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पिता है। 21 ब्रह्मांड रूपी इस बड़ी जेल में रहने वाले प्राणी स्वप्न में भी सुखी नहीं रह सकते। इस दुखालय में प्राणी कष्ट पर कष्ट सहते ही रहते हैं। कभी नर्क में तो कभी 84 लाख प्राणियों के शरीर में तो कभी माता के गर्भ में।

इसी विषय में परमात्मा कबीर साहेब जी अपनी प्यारी आत्मा गरीबदास जी को बताते हैं

ब्रह्मांड इक्कीसों आग लगी है, यहां कृत्रिम बाजी सभी ठगी है

इस हाहाकार से हमे बचाने के लिए हमारे परम पिता परमेश्वर कबीर साहेब जी आज से 624 वर्ष पहले काशी की पवित्र धरा पर अवतरित हुए थे। उन्होंने बताया था की कलयुग जब 5505 वर्ष बीत जायेगा तब मैं एक बार पुनः आऊंगा और अपनी प्यारी आत्माओं को काल की इस बड़ी जेल से छुटवा लेजाऊंगा। जी हां दोस्तों ! कबीर परमेश्वर स्वयं ही जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में अवतरित हुए हैं वे हमें काल की इस कैद से मुक्त करवाने आए हैं।

इसी विषय में संत गरीबदास जी कहते हैं,

अनंत कोट ब्रह्मांड में ये बंदी छोड़ कहलाए, सो तो एक कबीर हैं जननी जन्या न माए। अतः इस गंदे लोक के कष्टों से छुटकारा पाने की इच्छा रखने वाले सभी भाइयों, बहनों से प्रार्थना है कि कृपया बंदीछोड़ कबीर साहेब जी के वर्तमान अवतार बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की शरण में आकर अपना कल्याण करवाएं।

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