NASA DART Mission [Hindi] | नासा के DART Mission से हमारा क्या वास्ता, क्यों हो रही है इसकी इतनी चर्चा और क्या है एस्टेरॉयड डाइमॉरफस ? अगर आपके मन में भी हैं, ये सारे सवाल तो यहां जानिए आसान शब्दों में इनके जवाब.
क्यों हो रही है मिशन की चर्चा और हमसे क्या लेना-देना
दरअसल पृथ्वी को भविष्य में अगर किसी चीज से सबसे ज्यादा खतरा है, तो वो है एस्टेरॉयड. एस्टेरॉयड के खतरे से धरती को बचाने के लिए नासा की ओर से ये परीक्षण किया गया था, जिसे नाम दिया गया DART Mission यानी (Double Asteroid Redirection Test). नासा का ये परीक्षण सफल रहा है. इस परीक्षण के लिए काइनेटिक इम्पैक्ट टेक्निक का इस्तेमाल किया गया.
ऐसे में ये स्पष्ट हो गया कि अगर भविष्य में कभी पृथ्वी पर एस्टेरॉयड का कोई खतरा मंडराता है तो उसे इस तकनीक से बचाया जा सकता है. पृथ्वी सुरिक्षत होगी तो जाहिर है कि हम सब भी सुरक्षित रहेंगे. इसके अलावा ऐसा पहली हुआ है कि जब कोई इंसानी यान किसी एस्टेरॉयड से टकराया है. ऐसा करके नासा ने इतिहास रचा है इसलिए हर तरफ इस मिशन की चर्चा हो रही है.
NASA DART Mission [Hindi]: क्या चीज है एस्टेरॉयड डाइमॉरफस
नासा का यान डिडिमॉस एस्टेरॉयड के चंद्रमा डाइमॉरफस से टकराया. डाइमॉरफस एक बाइनरी स्टेरॉयड सिस्टम का हिस्सा है. इसमें सिस्टम में दो एस्टेरॉयड होते हैं, जिनमें छोटा एस्टेरॉयड एक बड़े एस्टेरॉयड का चक्कर लगाता है. बड़ा एस्टेरॉयड डिडिमॉस है, जो करीब 780 मीटर यानी करीब 2560 फीट लंबा है, वहीं डाइमॉरफस छोटा एस्टेरॉयड है, जो आकार में 163 मीटर चौड़ा यानी करीब 535 फीट का है. डाइमॉरफस को मून लेट या चंद्रमा डाइमॉरफस भी कहा जाता है. डाइमॉरफस, डिडिमॉस के चक्कर लगाता है. इनके बीच की दूरी महज 1.2 किलोमीटर है. नासा के इस मिशन में यान की टक्कर छोटे एस्टेरॉयड यानी डाइमॉरफस से हुई है.
डार्ट मिशन कब शुरू होगा?
नासा का डार्ट मिशन 24 नवंबर 2021 से 15 फरवरी 2022 के बीच पूरा किया जायेगा। इससे पहले इस मिशन को 21 जुलाई से 24 अगस्त के बीच लॉन्च किया जाना था। इसे स्पेस एक्स फाल्कन 9 (SpaceX Falcon 9) रॉकेट से स्थानीय समय के अनुसार 23 नवंबर को रात 10.20 बजे कैलिफोर्निया के वंदेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से लॉन्च किया जाएगा।
क्या नष्ट किया गया है डाइमॉरफस
NASA DART Mission [Hindi]: नासा के इस मिशन का उद्देश्य डाइमॉरफस को नष्ट करना नहीं था, बल्कि उसकी दिशा को मोड़ना था, ताकि डाइमॉरफस की स्पीड और रास्ते को प्रभावित किया जा सके. हालांकि डाइमॉरफस किस दिशा में मुड़ा है, उसकी ऑर्बिट में कितना बदलाव हुआ, ये सब जानने में अभी थोड़ा समय लगेगा. इसी से ये पता चलेगा कि भविष्य में धरती को किसी एस्टेरॉयड से खतरा होने पर उसका रास्ता बदलने का ये मिशन कितना कामयाब हुआ है. बता दें कि डाइमॉरफस को अभी डिडिमॉस का एक चक्कर लगाने में करीब 11 घंटे 55 मिनट का समय लगता है. NASA को उम्मीद है कि DART से टक्कर के बाद डाइमॉरफस के एक चक्कर में लगने वाले समय में 10 मिनट की कमी आ जाएगी.
डार्ट मिशन का उद्देश्य (Aim of DART Mission)
डार्ट मिशन का उद्देश्य धरती की ओर आ रहे एस्टेरॉयड्स से अंतरिक्षयान को टकरा कर उनकी दिशा में बदलाव करना है ताकि वह धरती के बगल से निकल जाए। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार 24 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उनका अंतरिक्षयान डिडिमोस एस्टेरॉयड से टकराएगा, लेकिन वह सितंबर में ही उस एस्टेरॉयड के आसपास पहुंच जाएगा। इससे उस एस्टेरॉयड की गति और टकराव के बाद के खतरे का आकलन किया जाएगा। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि इस टक्कर से मूनलेट की गति में परिवर्तन होगा और इसी के साथ बड़े एस्टेरॉयड के चारों ओर ऑर्बिट पीरियड में कई मिनट तक का बदलाव भी दिखेगा
NASA DART Mission [Hindi]: दो महीने में मिलेगी पूरी जानकारी
डार्ट मिशन की टीम के सदस्यों का कहना है कि वैज्ञानिकों को ये पता लगाने में करीब दो महीने लग जाएंगे कि क्या इस टक्कर से उल्कापिंड की दिशा में बदलाव हुआ है या फिर नहीं। डाइमॉरफोस एक छोटा चंद्रमा है, जो धरती के पास मौजूद उल्कापिंड डिडिमोस का चक्कर लगा रहा है। नासा के अधिकारियों का कहना है कि इस उल्कापिंड से धरती को कोई खतरा नहीं है लेकिन इसका चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि यह टेस्टिंग के लिहाज से धरती से उचित दूरी पर था।
■ Also Read | धरती से 16 मिनट की दूरी पर हुई थी मृत्यु, मौत से पहले कही थी ये बात
ऐसे में अगर इसकी दिशा बदलती है, तो भविष्य में इसी तरीके से धरती के लिए संभावित तौर पर खतरा माने जाने वाले उल्कापिंडों की दिशा को भी बदला जा सकेगा। यह नासा का पहला ऐसा मिशन है, जिससे ये पता लगाने की कोशिश की गई है कि तकनीक का इस्तेमाल कर हम अपने ग्रह को बचा सकते हैं। मैरीलैंड के लॉरेल में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी के स्पेस एक्सप्लोरेशन सेक्टर के प्रमुख रॉबर्ट ब्राउन ने कहा, ‘हम पहली बार ब्रह्मांड में मौजूद किसी चीज की दिशा बदलेंगे।’
अब बात गूगल की. नासा का डार्ट गूगल की स्क्रीन पर भी लगा. और इतने जोर से लगा कि स्क्रीन पर धमाका हो गया. नासा ने खुद ट्वीट करके बताता कि गूगल सर्च आपके लिए कुछ शानदार सा दिखा सकती है. बस आपको गूगल सर्च बार पर ‘Nasa Dart’ सर्च कारण होगा.
अभी तक नासा ने नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स यानी धरती के पास की 8000 से अधिक चीजों का पता लगाया है। वर्तमान में कोई भी उल्कापिंड पृथ्वी के लिए सीधे तौर पर खतरा नहीं है, लेकिन नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स में 27,000 से अधिक उल्कापिंड सभी आकारों में मौजूद हैं। इस मिशन का फायदा ये होगा कि अगर भविष्य में किसी उल्कापिंड के धरती से टकराने की आशंका होती है, तो वक्त रहते उसकी दिशा को बदला जा सकेगा। नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट्स वो उल्कापिंड और धूमकेतु होते हैं, जो पृथ्वी के 30 मिलियन मील (48.3 मिलियन किलोमीटर) के दायरे में होते हैं।
NASA DART Mission [Hindi]: LICIACube से की गई है रिकॉर्डिंग
एस्ट्रोनॉमर्स ने दो दशक पहले डिडिमोस की खोज की थी। डार्ट अंतरिक्षयान की टक्कर की रिकॉर्डिंग लाइट इटैलियन क्यूबसैट फॉर इमेजिंग एस्टेरॉइड्स यानी LICIACube से की गई। यह इटली की अंतरिक्ष एजेंसी की सैटेलाइट है। इसे अंतरिक्षयान से तैनात किया गया। जो यात्रा कर अंतरिक्षयान के पीछे तक गई, ताकि वहां क्या हो रहा है, इसकी रिकॉर्डिंग कर सके। ऑप्टिकल नेविगेशन के लिए डीमोस रिकॉनिसेंस एंड एस्टेरॉयड कैमरा की मदद ली गई, जिसने अंतरिक्षयान को गाइड किया कि किस तरह छोटे से चंद्रमा से टकराना है।
■ Also Read | James Webb Space Telescope: How the Deepest Photos of the Universe Appear?
घटना के दौरान की तस्वीरें प्रति एक सेकंड की दर से धरती पर भेजी गईं। डाइमॉरफोस से टकराने के दौरान अंतरिक्षयान की गति लगभग 13,421 मील प्रति घंटा (21,600 किलोमीटर प्रति घंटा) थी। डार्ट अंतरिक्षयान से ये भी पहली बार पता चला कि डाइमॉरफोस कैसा दिखता है। टीम पीछे छोड़े गए इमपैक्ट क्रेटर के बारे में और जानने के लिए उत्सुक है, जिसका आकार लगभग 33 से 65 फीट (10 से 20 मीटर) होने का अनुमान है। यहां तक कि क्रेटर में अंतरिक्षयान के टुकड़े भी हो सकते हैं। यहां इमपैक्ट क्रेटर का मतलब उल्कापिंड की किसी चीज टक्कर होने के बाद वहां बनने वाले गड्ढे से है।
खुद को खत्म करके धरती को बचाने का रास्ता बताएगा डार्ट
NASA DART Mission [Hindi]: वैज्ञानिकों के मुताबिक अंतिम चरण में डार्ट खुद ही अपने लक्ष्य यानि डिमोरफोस की पहचान करेगा। इस टक्कर में आधा टन वजनी डार्ट स्पेसक्राफ्ट पूरी तरह से तबाह हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में चक्कर काट रही यह चट्टान डिमोरफोस 160 मीटर चौड़ी है। यह चट्टान अभी मानवता के लिए कोई खतरा नहीं है लेकिन इस टक्कर के जरिए नासा पहली बार यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि क्या धरती के लिए खतरा बनने वाली किसी आसमानी चट्टान के रास्ते को इस तरह की टक्कर के जरिए बदला जा सकता है या नहीं।
माना जाता है कि करोड़ों साल पहले धरती से विशाल ऐस्टरॉइड के टकराने के बाद महाकाय डायनासोर खत्म हो गए थे। नासा इसी तरह के महाविनाश से इंसानों को बचाने के लिए यह प्रयोग करने जा रही है। पूरे अंतरिक्ष में 26,000 ऐस्टरॉइड फिलहाल धरती के परिक्रमापथ के नजदीक आते रहते हैं। इसी वजह से नासा को यह डर है कि कहीं वे धरती से टकरा न जाएं।
डिडिमोस को लेकर मुख्य बातें
डिडिमोस (Didymos) का Diameter कुल 2600 फीट है. डाइमॉरफोस इसके चारों तरफ चक्कर लगाता है. उसका Diameter 525 फीट है. स्पेसक्राफ्ट ने करीब 22,530 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से डाइमॉरफोस से टक्कर की. नासा ने पृथ्वी के चारों तरफ 8000 से ज्यादा नीयर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स (NEO) रिकॉर्ड किए हैं. इनमें से कुछ 460 फीट व्यास से ज्यादा बड़े हैं, अगर ये धरती से टकराते हैं कई शहरों को नष्ट कर सकते हैं.
NASA DART Mission [Hindi]: 2500 करोड़ रुपये होंगे खर्च
NASA DART Mission [Hindi]: नासा ने DART मिशन के बारे में विस्तृत जानकारी दी है. इस पूरे मिशन पर 33 करोड़ डॉलर यानी करीब 2500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. नासा के प्लानेट्री डिफेंस ऑफिसर लिंडले जॉनसन (Lindley Johnson) का कहना है कि हालांकि अभी तक ऐसे किसी एस्टेरॉयड के बारे में जानकारी नहीं मिली है जिससे आने वाले समय में धरती को नुकसान पहुंचाने वाला हो, लेकिन धरती के करीब अंतरिक्ष में बड़ी संख्या में एस्टेरॉयड हैं.
मानव जाति के नए युग की शुरुआत
बीबीसी की खबर के अनुसार जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी अप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी (JHU-APL) में बैठे कंट्रोलर्स टक्कर से पहले डार्ट के कैमरे में डिमोर्फोस को देखकर खुशी से उछल पड़े। वैज्ञानिकों को मिशन की सफलता सुनिश्चित करने में कुछ हफ्ते लगेंगे क्योंकि अभी सिर्फ स्पेसक्राफ्ट सफलतापूर्वक टकराया है। लेकिन स्पेस एजेंसी में प्लैनेटरी साइंस की डायरेक्टर डॉ लोरी ग्लेज को लगता है कि एक बड़ी उपलब्धि हासिल की जा चुकी है।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, हम मानव जाति के एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं, एक ऐसा युग जिसमें हम संभावित रूप से खतरनाक ऐस्टरॉइड टक्कर से खुद को बचाने की क्षमता रखते हैं, हमारे पास पहले कभी यह क्षमता नहीं थी। एक अन्य इससे जुड़े वैज्ञानिक का कहना है कि, पृथ्वी के लोग अब आराम से सो सकते हैं क्योंकि, अब उनके पास एक बेहतर प्लेनेटरी डिफेंस सॉल्यूशन है।