जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे किसी देश अथवा किसी भी क्षेत्र में लोगो के बारें में विधिवत रूप से सुचना जैसे संख्या,सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन से संबंधित आँकड़ों को प्राप्त एवं उसे रिकार्ड करना जनगणना कहलाती हैं। 2011 तक भारत की दशकीय जनगणना 15 बार आयोजित की गई है I यह हर 10 साल में एक बार कि जाती है।2021 में करोना महामारी के दौरान कि जाने वाली जनगणना को स्थगित कर दिया था , आगामी जनगणना 2027 में करवाई जाएगी I
भारत में जनगणना का इतिहास
• भारत में जनगणना का सबसे पहला उल्लेख ऋग्वेद काल (800-600 ई०पू०) में मिलता है।
• चाणक्य के अर्थशास्त्र में कराधान (Taxation) के उद्देश्य से जनगणना को राज्य की नीति में शामिल करने पर जोर दिया गया है।
• मुगल काल के मुख्य दस्तावेज़ “आईन-ए-अकबरी”( अकबर के शासन काल ) में जनसंख्या, उद्योगों और समाज के अन्य पहलुओं से संबंधित विस्तृत आँकड़ों को शामिल किया जाता था I
• भारत में पहली बार व्यापक जनगणना 1872 में कराई गई हालांकि यह एक समान और संगठित प्रकिया नही थी इसे अलग अलग प्रांतों में अलग समय पर किया गया I
• जनरल लॉर्ड रिपन के समय (1881) में पहली बार एकसमान और आधुनिक जनगणना आयोजित की गई I
जनगणना का महत्व ?
भारतीय जनगणना जनसांख्यिकी (जनसंख्या विशेषताओं) पर जानकारी का सबसे विश्वसनीय स्रोत है। आर्थिक गतिविधियाँ, शिक्षा और साक्षरता, प्रजनन और मृत्यु दर, शहरीकरण, भाषा, धर्म, प्रवास, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, विकलांगता, और 1872 से कई अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक आर्थिक और जनसांख्यिकीय डेटा। जनगणना कस्बों, गाँवों और वार्ड स्तरों में प्राथमिक डेटा का एकमात्र स्रोत है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के लिए योजना बनाने और नीतियाँ बनाने पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है और विद्वानों, उद्योगपतियों, व्यापारियों और कई अन्य लोगों द्वारा इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
आने वाली 2027 की जनगणना का विशेष महत्व इसलिए भी है, क्योंकि आजाद भारत में पहली बार जातिगत गणना को शामिल किया गया है, जो सभी हिंदुओं के लिए लागू होगी। यह कदम सामाजिक समानता और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है, बशर्ते इसका कार्यान्वयन पारदर्शी और त्रुटिहीन हो। जातिगत डेटा का उपयोग सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन को मापने और लक्षित कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में किया जा सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में डेटा की सटीकता और गोपनीयता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) में देखी गई कमियों ने इसके परिणामों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे।
~ जनगणना देश के बारे में संपूर्ण डेटा का भंडार है , जिसे सार्वजनिक धन का उपयोग करके एकत्र किया जाता है।
~ भारत की स्थिति के सम्बन्ध में स्वच्छ , अंतर-अस्थायी तुलना करने में सक्षम है।
~ महत्वपूर्ण आँकड़े प्राप्त करने में मदद करता है , जो योजना बनाने और समस्य़ाओं को हल करने और कमियों को ठीक करने के लिए महत्वपूर्ण है।
~ भविष्य के लिए आवास और निर्माण योजना तैयार करने में सहायता के उद्देश्य से मकानों की स्थिति और विशेषताओं का सटीक चित्र उपलब्ध कराना।
भारत में जनगणना कि प्रक्रिया ?
भारत में जनगणना की प्रक्रिया एक विस्तृत और संगठित सरकारी कार्य है, जो हर 10 साल में एक बार की जाती है। इसे भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के अधीन किया जाता है। जनगणना कि प्रक्रिया संक्षेप में:
- तैयारी और योजना (Pre-census planning) :
~ राज्य, ज़िले और वार्ड स्तर पर नक्शे और जनसंख्या क्षेत्रों का निर्धारण।
~ कर्मचारियों की नियुक्ति और प्रशिक्षण।
- गृह सूचीकरण (House listing):
~ सभी मकानों और भवनों की गिनती।
~ मकान का प्रकार, सुविधाएँ, पानी, बिजली आदि की जानकारी इकट्ठा करना।
- जनसंख्या गणना (Population Enumeration):
~ हर व्यक्ति की जानकारी ली जाती है: नाम, लिंग, आयु, जन्म स्थान, धर्म, भाषा, शिक्षा, व्यवसाय आदि।
- पुनरीक्षण और सत्यापन (Revision and verification):
~ डेटा की जांच और त्रुटियों को सुधारा जाता है।
- आंकड़ों का संकलन और प्रकाशन (Compilation & Publication):
~ कंप्यूटर के माध्यम से डेटा का विश्लेषण कर रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है।
2027 कि जनगणना के चरण !
पहला चरण (माकन सूचीकरण):
यह चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा और इसमें उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, और जम्मू-कश्मीर) को शामिल किया जाएगा। इस चरण में आवासीय परिस्थितियों और सुविधाओं से संबंधित जानकारी एकत्र की जाएगी।
दूसरा चरण (जनसंख्या गणना):
यह चरण 1 मार्च 2027 से शुरू होगा और इसमें मैदानी क्षेत्रों में जनसंख्या के व्यक्तिगत विवरण दर्ज किए जाएंगे। इस चरण में जातिगत आंकड़े भी शामिल होंगे। इस जनगणना की पूरी प्रक्रिया मार्च 2027 तक समाप्त होने की उम्मीद है, और प्राथमिक आंकड़े मार्च 2027 में ही जारी किए जा सकते हैं, जबकि विस्तृत डेटा दिसंबर 2027 तक उपलब्ध होगा।
2011 कि जनगणना के दोरान क्या थे भारत के आबादी आंकड़ें ।
2011 के मुताबिक भारत की कुल आबादी 121 करोड़ थी, लेकिन अनुमानित आंकड़े के अनुसार अब यह बढ़कर लगभग 146 करोड़ हो चुकी है। 2011 की जनगणना के बाद भारत में 62.37 करोड़ पुरुष और 58.65 करोड़ महिलाएं थीं। 2001-2011 के बीच जनसंख्या में 18.1 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई थी।
> लिंग अनुपात :
943 महिलाएं प्रति, 1000 पुरुष
> जनसंख्या वृद्धि दर (2001-2011):
17.64%
> साक्षरता दर :
74.04%
पुरुष : 82.14%
महिला: 65.46%
> सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य:
उत्तर प्रदेश (19.98 करोड़)
> सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य:
सिक्किम (6.07 लाख)
सतज्ञान:संत रामपाल जी महाराज एक समाज सुधारक ।
जनगणना सिर्फ राज्य या क्षेत्र के बारे में सुचना प्राप्त करना है , जैसे समाज कि आर्थिक व् समाजिक स्थिती कैसी है लेकिन राज्य सरकार सामाजिक (जैसे नशा,दहेज,असमानता ) और आर्थिक ( जैसे गरीबी , भुखमरी) कमजोरियों को दुर करने में सक्षम नही है वहीं दूसरी ओर संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान मात्र से लाखों शिष्यों ने सभी बुराईय़ों को त्याग दिया है।
ना केवल सामाजिक कुरीतियां बल्कि संत रामपाल जी महाराज ने गरीबी व भुखमरी को जड़ से खत्म करने का निर्णय लिया है I संत जी की अनपूर्णा मुहीम द्वारा हजारों घरों को आर्थिक सहायता मिल रही है अधिक जाने के लिये देखिये यह विडियो
संत रामपाल जी महाराज का नारा है “ रोटी कपड़ा और मकान सबको देगा कबीर भगवान”
निष्कर्ष
2027 की जनगणना भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर होगी, क्योंकि यह पहली डिजिटल जनगणना होगी (इससे डेटा संग्रहण में पारदर्शिता और गति आएगी) और इसमें जातिगत आंकड़े शामिल किए जाएंगे। यह जनगणना न केवल जनसंख्या और सामाजिक- आर्थिक स्थिति को समझने में मदद करेगी, बल्कि महिला आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों के लिए आधार भी प्रदान करेगी ।अनुमान है कि भारत की जनसंख्या 1.43 अरब तक पहुँच सकती है, जिससे यह दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना रहेगा।
समावेशिता को प्राथमिकता देते हुए LGBTQ+ समुदाय, दिव्यांगजन और प्रवासी मजदूरों को भी सही रूप में गिना जाएगा। इससे सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा जैसी योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी। कुल मिलाकर, 2027 की जनगणना एक डिजिटल, समावेशी और नीति-निर्धारण को सशक्त करने वाली प्रक्रिया साबित होगी।
FAQs : आगामी जनगणना भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर।
प्र.1: भारत में अगली जनगणना कब होगी?
उ: भारत की अगली जनगणना 2027 में प्रस्तावित है। इसे 2021 में होना था, लेकिन कोविड-19 के कारण स्थगित कर दिया गया।
प्र.2: जनगणना का उद्देश्य क्या होता है?
उ: जनगणना का उद्देश्य देश की कुल जनसंख्या, सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षणिक स्थिति का विस्तृत आंकड़ा एकत्र करना होता है, जिससे नीति निर्धारण और विकास योजनाओं में सहायता मिलती है।
प्र.3: 2027 की जनगणना में क्या नया होगा?
उ: यह जनगणना डिजिटल होगी, यानी मोबाइल ऐप के ज़रिए डेटा इकट्ठा किया जाएगा। साथ ही LGBTQ+, दिव्यांगजन और प्रवासी मजदूरों को बेहतर ढंग से शामिल किया जाएगा।
प्र.4:क्या जनगणना में भाग लेना अनिवार्य है?
उ: हां, यह कानूनी रूप से अनिवार्य है और हर नागरिक को सही जानकारी देना आवश्यक है।
प्र.5: जनगणना का देश के विकास में क्या योगदान है?
उ: जनगणना से प्राप्त आंकड़े स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, आवास आदि क्षेत्रों में नीतियाँ बनाने में मदद करते हैं, जिससे समावेशी विकास संभव होता है।