New Indian Navy Flag 2023 [Hindi]: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 02 सितम्बर 2023 को कोच्चि में देश के पहले स्वदेशनिर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की कमीशनिंग के दौरान भारतीय नौसेना के एक नए निशान (Indian Navy New Ensign) का अनावरण किया| इसके साथ भारतीय नौसेना ने औपनिवेशिक काल के आखिरी अवशेष के रूप में अपने ध्वज पर सेंट जॉर्ज के क्रॉस को त्याग दिया और एक नया नौसेना प्रतीक (निशान) अपनाया| आइये जानते हैं इससे पहले कैसा था भारतीय नौसेना का ध्वज और क्या दर्शाता है भारतीय नौसेना का नया निशान:
कैसा था इससे पहले भारतीय नौसेना का ध्वज (Indian Navy Old Flag)
02 सितम्बर 2023 से पहले नौसेना के प्रतीक चिन्ह में एक सफेद पृष्ठभूमि पर एक लाल क्रॉस सेट था, जिसमें मध्य में भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक चिन्ह) और शीर्ष बाएं चतुर्थांश में भारतीय ध्वज शामिल था|
यह नौसेना ध्वज 2014 से चला आ रहा था| 2014 में ही, उससे पहले उपयोग में आ रहे प्रतीक चिन्ह में सेंट जॉर्ज क्रॉस के चौराहे पर भारत के राजकीय प्रतीक के नीचे देवनागरी लिपि में “सत्यमेव जयते” जोड़ा गया था|
नए कलेवर में नौसेना ध्वज
औपनिवेशिक अतीत से दूर जाने के लिए चल रहे राष्ट्रीय प्रयास के अनुरूप, एक नए डिजाइन की आवश्यकता महसूस की गई जिसने हमारे इतिहास से प्रेरणा ली। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, संपूर्ण नौसेना से डिजाइन इनपुट आमंत्रित किए गए थे। सभी संरचनाओं और विभिन्न पदानुक्रमों के नौसेना कर्मियों से प्रतिक्रियाएँ मिली, जो इस बदलाव के लिए उत्साह को दर्शाती हैं, और इन सुझावों ने नौसेना के ध्वज के नए डिजाइन को विकसित करने में मदद की है।
New Indian Navy Flag 2023 | चौथी बार बदलेगा निशान
इस मामले में हिंदुस्तान टाइम्स ने नौसेना के इतिहासकार कमोडोर श्रीकांत केसनूर (सेवानिवृत्त) से बात की. उन्होंने कहा,”मुझे नहीं पता कि नया नौसैनिक ध्वज कैसा होगा. लेकिन जो कुछ भी हमारे गौरवशाली समुद्री अतीत का जश्न मनाता है वह एक स्वागत योग्य कदम है. ”इस मामले से परिचित अधिकारियों ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब सेंट जॉर्ज क्रॉस को नौसेना के ध्वज से हटाया गया है.
New Indian Navy Flag 2023 | व्हाइट एनसाइन में अब दो मुख्य घटक
व्हाइट एनसाइन में अब दो मुख्य घटक शामिल हैं – ऊपरी बाएं कैंटन में राष्ट्रीय ध्वज, और फ्लाई साइड के केंद्र में एक नेवी ब्लू – गोल्ड अष्टकोण। अष्टकोण स्वर्ण राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक की लाट के साथ नीली देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ के साथ अंकित) स्वर्ण अष्टकोणीय सीमाओं के साथ है, जो एक एंकर के ऊपर टिकी हुई है; और एक ढाल पर लगी है। ढाल के नीचे, अष्टकोण के भीतर, एक सुनहरे बॉर्डर वाले रिबन में, गहरे नीले रंग की पृष्ठभूमि पर, स्वर्ण देवनागरी लिपि में भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य ‘सम नो वरुणः’ अंकित है।
कब-कब बदली नेवी की पहचान?
वर्ष | कौन-से बदलाव हुए? |
1950 | नेवी के निशान में यूनियन जैक को हटाकर तिरंगा जोड़ा गया. |
2001 | नेवी के फ्लैग से सेंट जॉर्ज के रेड क्रॉस को हटाया गया. |
2004 | नेवी के निशान में सेंट जॉर्ज के रेड क्रॉस की वापसी हुई. |
2014 | अशोक चिह्न के नीचे सत्यमेव जयते भी लिखा गया. |
2022 | क्रॉस को हटाया गया और क्रेस्ट को शामिल किया गया. |
छत्रपति शिवाजी से प्रेरणा
नेवी के नए झंडे में ऊपर एक कोने पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है. वहीं आधे भाग में नेवी का क्रिस्ट है. नीले रंग का यह प्रतीक अष्टकोण की आकृति में है, जो चारों दिशाओं और चारों कोणों यानी आठों डायरेक्शन में इंडियन नेवी की रीच को दिखाता है. इस अष्टकोणीय प्रतीक के नीचे देवनागरी में नौसेना के सूत्रवाक्य ‘शंं नो वरुण:’ अंकित किया गया है. इस सूत्रवाक्य का मतलब है- जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें. भारतीय सनातन परंपरा में वरुण को जल का देवता माना गया है.
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किनारे पर दो गोल्डन बॉर्डर वाला अष्टकोणीय प्रतीक देश के महान मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की शील्ड से प्रेरित होकर लिया गया है. वही शिवाजी, जिनके दूरदर्शी समुद्री दृष्टिकोण ने विश्वसनीय नौसैनिक बेड़े की स्थापना की. 60 फाइटिंग शिप और 5000 सेना के साथ उन्होंने समुद्री मार्ग से घुसपैठ करनेवाली बाहरी ताकतों को चुनौती दी थी.
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26 जनवरी 1950 को रॉयल इंडियन नेवी में से रॉयल शब्द को हटाया गया। इसे केवल इंडियन नेवी के नाम से जाना जाने लगा। आजादी के पहले तक नौसेना के ध्वज में ऊपरी कोने में ब्रिटिश झंडा बना रहता था। जिसकी जगह तिरंगे को जगह दी गई। इसके अलावा क्रॉस का चिन्ह भी था। ध्वज में बना क्रॉस सेंट जार्ज का प्रतीक था।
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1950 के बाद भारतीय नौसेना
दूसरी बार भारतीय नौसेना के ध्वज को साल 2001 में बदला गया था। उस वक्त सफेद झंडे के बीच में जॉर्ज क्रॉस को हटाकर नौसेना के एंकर को जगह दी गई थी। ऊपरी बाएं कोने पर तिरंगे को बरकार रखा गया था। नौसेना के ध्वज में बदलाव की मांग लंबे समय से लंबित थी, जिसमें बदलाव के लिए मूल सुझाव वाइस एडमिरल वीईसी बारबोजा की ओर से आया था।
2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी नौसेना के ध्वज में बदलाव हुआ था। – फोटो : अमर उजाला हालांकि 2004 में ध्वज और निशान में फिर से बदलाव किया गया। ध्वज में फिर से रेड जॉर्ज क्रॉस को शामिल कर लिया गया। तब कहा गया कि नीले रंग के कारण निशान स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रहा था। नए बदलाव में लाल जॉर्ज क्रॉस के बीच में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को शामिल किया गया था।
New Indian Navy Flag 2023| भारतीय नौसना का इतिहास
- यूं तो भारतीय नौसेना का इतिहास आठ हजार साल से भी पुराना है। इसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है। दुनिया की पहली ज्वार गोदी का निर्माण हड़प्पा सभ्यता के दौरान 2300 ई. पू. के आसपास लोथल में माना जाता है, जो इस समय गुजरात के तट पर मौजूद मंगरोल बंदरगाह के निकट है।
- साल 1612 में कैप्टन बेस्ट ने पुर्तगालियों का सामना किया और उन्हें हराया भी। ये समुद्री लुटेरों द्वारा की गई पहली घटना थी, जिसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सूरत के पास एक बेड़ा बनाने के लिए मजबूर कर दिया।
- 5 सितंबर 1612 को लड़ाकू जहाजों का पहला दस्ता आया, इसे उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन (East India Company Marine) कहा जाता था। ये कैम्बे की खाड़ी और ताप्ती और नर्मदा के मुहाने पर ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था।
- बॉम्बे अंग्रेजों को साल 1662 में सौंप दिया गया था। पर उन्होंने साल 1665 में आधिकारिक तौर से इस पर अधिकार स्थापित किया। इसके बाद 20 सितंबर 1668 को ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन को बॉम्बे के व्यापार की देखभाल की जिम्मेदारी भी दे दी गई।
- साल 1686 तक ब्रिटिश व्यापार पूरी तरह से बॉम्बे में स्थानांतरित हो गया। इसके बाद इस दस्ते का नाम ईस्ट इंडिया मरीन से बदलकर बॉम्बे मरीन (Bombay Marine) कर दिया गया।
New Indian Navy Flag 2023 | 935 में रॉयल इंडियन नेवी हुआ
- साल 1934 में, रॉयल इंडियन मरीन को रॉयल इंडियन नेवी (Royal Indian Navy) के रूप में संगठित किया गया। दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत में रॉयल इंडियन नेवी में आठ युद्धपोत थे। युद्ध के अंत तक इसकी क्षमता कई गुना बढ़ गई। अब तक रॉयल इंडियन नेवी में 117 लड़ाकू जहाज और 30,000 कर्मचारी शामिल को चुके थे।
- आजादी के समय भारत के पास रॉयल इंडियन नेवी के नाम पर केवल तटीय गश्त के लिए उपयोगी 32 बूढ़े जहाज और 11,000 अधिकारी और कर्मी बचे थे।
- 26 जनवरी 1950 को भारत गंणतंत्र बना, जिसके बाद उपसर्ग ‘रॉयल’ को हटा दिया गया। भारतीय नौसेना के पहले कमांडर-इन-चीफ एड्म सर एडवर्ड पैरी, केसीबी थे, जिन्होंने साल 1951 में अपना कार्यभार एडम सर मार्क पिज़े, केबीई, सीबी, डीएसओ को सौंप दिया था।
Navy का फुल फॉर्म क्या है?
N- नॉटिकल
A- आर्मी ऑफ
V- वॉलेंटीयर
Y- योमेन
Nautical Army of Volunteer Yeoman