नमस्कार दोस्तों! खबरों की खबर का सच कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज हम बात करेंगे प्राकृतिक आपदा के विषय पर, जिसके सामने मनुष्य एक कठपुतली के समान है। और चर्चा करेंगे उससे बचाने वाले आध्यात्मिक मार्ग की क्योंकि आपदा , दुख , तकलीफ़ , रोग और खौफ चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो, वे ईश्वर के सामने बोना हो ही जाता है क्योंकि ईश्वर के वजूद के सामने कुछ नहीं ठहर सकता।
प्राकृतिक आपदा यूं तो एक प्राकृतिक घटना है जो कि मानवीय गतिविधियों को बेहद प्रभावित करती है और मानव जीवन और संपत्ति को बहुत अधिक मात्रा में नुकसान पहुंचाती है। ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, सुनामी, भूकंप, तूफान, हिमस्खलन, ,सूखा, चक्रवात इत्यादि प्राकृतिक आपदा के उदाहरण हैं। अलग-अलग देशों में भिन्न-भिन्न समय पर भिन्न-भिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदायें आती हैं।
प्राकृतिक आपदाएं, मनुष्य के नियंत्रण से बाहर होती हैं। मौजूदा समय को देखते हुए यह कहना बिल्कुल भी ग़लत नहीं होगा कि प्रकृति से खिलवाड़ ही प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ा रहा है। प्रकृति से छेड़छाड़ आपदाओं का विकराल रूप विकसित कर चुका है। प्राकृतिक आपदाएं मानव निर्मित गतिविधियों का ही परिणाम होतीं हैं लेकिन बहुत सी प्राकृतिक आपदायें प्रकृति के बदलाव का हिस्सा भी होतीं हैं। भारत के इतिहास में कई ऐसी प्राकृतिक आपदाएं दर्ज हैं जिनमें अब तक भारी जानमाल का नुक़सान भी हो चुका है।
जैसे 26 जनवरी 2001 गुजरात के भुज शहर में रिक्टर स्केल पर 6.9 की तीव्रता वाला भीषण भूकंप, 26 जनवरी 2004 में सुनामी जिसकी रिक्टर तीव्रता 9.0 मापी गई वहीं जून 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में हुई त्रासदी को भी भुलाया नहीं जा सकता जिसमें हजारों लोग मारे गए। दोस्तों ऐसी कई आपदाएं हमारे सामने उदाहरण है जिनको देखने पर एक तरह से यह प्रतीत होता है कि मौत का तांडव हमारे सिर पर चौबीसों घंटे मंडराता रहता है और अभी हाल ही की बात करें तो उत्तराखंड में ही जोशीमठ से 25 किलोमीटर दूर पैंग गांव के ऊपर ग्लेशियर फटने से लगभग 36 लोगों की मौत हो गई है और लगभग 168 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। दोस्तों ऐसा नहीं है कि यह त्रासदी सिर्फ भारत में ही आती है बल्कि दुनियाभर के देश इससे परेशान है और इसका हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं जापान जैसे देश में हर रोज पता नही कितने भूकंप आते हैं।
दोस्तों बेशक इस दुनिया में इंसान सबसे अधिक बुद्धिजीवी प्राणी है। कोई भी जीव कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो वह हम इंसानों की बराबरी नहीं कर सकता क्योंकि शारीरिक शक्ति के परे मनुष्य के दिमाग को वह किसी भी स्थिति में मात नही दे सकता है। लेकिन हम यह भी जानते है कि
प्रकृति से मनुष्य ना कभी जीत सका है ना कभी जीत पाएगा। प्रकृति का गुस्सा, उसका कहर जब निकलता है तो वह तबाही का ही संकेत होता है। विश्वभर के मानव पिछले एक दशक से लगातार प्राकृतिक आपदाओं का कहर झेल रहे हैं।
जब-जब प्रकृति में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हुई है, तब-तब प्राकृतिक आपदायें आई हैं जिसके कारण विकास एवं प्रगति बाधक होती है। प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त कुछ विपत्तियाँ मानव द्वारा उत्पन्न की गई भी होती हैं। दुनिया के हर हिस्से में, प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं जो संपत्ति, भूमि, वन्य जीवन और यहां तक कि जनजीवन को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। प्रकृति की भौगोलिक स्थिति पृथ्वी के जीवन और भूगोल पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकते हैं।
प्राकृतिक आपदा जब भी आती है , बिना दरवाज़ा खटखटाए ही आती है और देखते ही देखते हर तरफ मौत का मंजर बिखेर जाती है। उस समय के मंज़र को जब आंखों देखे गवाहों से सुनते है तो रूह कांप उठती है। टेलीविजन पर आपदा की तस्वीरे देखकर हम केवल कल्पना ही कर सकते हैं। परन्तु अपने ऊपर आने वाली भविष्य की आपदाओं से बिल्कुल अभिज्ञ ही रहते हैं ।
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2012 में, दुनिया भर में 905 प्राकृतिक आपदाएँ आई थीं, जिनमें से 93% मौसम से संबंधित आपदाएँ थीं। कुल नुकसान 170 बिलियन यूएस $ का था और बीमे का नुकसान $ 70 बिलियन था। 2012 एक मध्यम वर्ष था। 45% मौसमी (तूफान) थे, 36% हाइड्रोलॉजिकल (बाढ़) थे, 12% जलवायु (गर्मी की लहरें, ठंड की लहरें, सूखा, जंगल की आग) थे और 7% भू भौतिकीय घटनाएं (भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट) थीं। 1980 से 2011 के बीच भूभौतिकीय घटनाओं में सभी प्राकृतिक आपदाओं का 14% हिस्सा था।
एक सर्वेक्षण के दोरान आई रिपोर्ट के मुताबित, 2040 तक जबरिया विस्थापन और प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होने की संभावनाए है
वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि हिंसक घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोग अपने घर छोड़कर दूसरे स्थानों पर जा रहे हैं, और दूसरे देशों में जाने वालों में भारतीय सबसे आगे हैं। प्राकृतिक आपदाएं शाश्वत सत्य हैं। इंसानी सभ्यता की शुरुआत के साथ ही इनका भी लंबा इतिहास रहा है। ये तब भी कहर ढाती थीं और आज भी कहर बरसा रही हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले इनके कोप का शिकार इतनी जल्दी-जल्दी नहीं होना पड़ता था। उनमें एक लंबा अंतराल होता था। अब आए दिन प्राकृतिक आपदाओं की विभीषिका से इंसान को दो-चार होना पड़ रहा है।
क्या आप जानते हैं कि वर्तमान मे वह समय चल रहा है जब बहुत सारी सामाजिक कुरीतियां समाज में घर कर चुकी हैं। धर्म की हानि और हमारी असंवेदनशीलता हमारे विनाश का कारण बन रहा है। दोस्तों वर्तमान समय के लिए प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं ने काफी भविष्यवाणियां भी की हैं जिनके अनुसार,” यह वो समय है जिस में आए दिन प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना होगा। प्राकृतिक कहर को झेलना होगा।”
महान फ्रैंच भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस के मुताबिक अकाल, भूकंप और तरह-तरह की बीमारियां व महामारी दुनिया के अंत के पहले संकेत होंगे। दोस्तों, वह समय अब आ चुका है। उन्होंने अपनी भविष्यवाणियों में यह भी कहा था कि एक महापुरुष इस महाप्रलय को रोक सकता है। वर्तमान समय में वह महापुरुष कोई और नहीं बल्कि जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैं जिनका प्रमाण उनके ज्ञान से हो चुका है। संत रामपाल जी महाराज व उनके अनुयायी यह दावा करते हैं कि संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी गई सतभक्ति किसी भी प्राकृतिक आपदा में आप को सुरक्षित रख सकती है। उनके अनुसार केवल सतभक्ति ही हमें उस कहर से बचा सकती है और दोस्तों ये सत्य भी है, जिसका विज्ञान के पास कोई तोड़ नहीं है। उसका समाधान सिर्फ अध्यात्म मे ही है
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं, कि काल किसी ने एक बार परमात्मा से पूछा
धर अंबर सब जावेंगे विनशेगें कैलाश ।
एकम एका होवेगा, तब कहां रहे तेरे दास।।
तब परमेश्वर ने कहा:
धर अंबर सब जान दे विनसन दे कैलाश।
एकम एका होन दे, मेरे आश्रय रहे मेरे दास।।
अर्थात ईश्वर अपने भक्तों को अपने सहारे, अपने हाथों पर रखता है। कोई भी आपदा उनका बाल भी बांका नहीं कर सकती। इसलिए आप सभी से अनुरोध है कृपया पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति प्रारंभ करें। जो कि आपको किसी भी प्रकार की आपदा से बचा सकती है। पूर्ण संत, संत रामपाल जी महाराज शास्त्र अनुसार भक्ति विधि बता रहे हैं। जो हर प्रकार के कष्ट से निजात दिलाने में कारगर है।
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जिस तरह भक्त प्रह्लाद को अग्नि से बचा लिया था उसी तरह सत्य भक्ति करने वाले भक्त की परमेश्वर हर समय मदद करता है। चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या मानव जनित आपदा हो परमेश्वर अपने दृढ़ साधक के साथ सदा रहता है। सन्त रामपाल जी महाराज जी ने सत्संग के माध्यम से बताया है कि कबीर साहेब वह परमेश्वर हैं जिनकी भक्ति करने से प्राणी सदा सुखी रह सकता है तथा सभी प्रकार की आपदाओं में उसका बाल भी बांका नहीं होता।