भारत की मिट्टी की खुशबू देश के लोगों ही नहीं अपितु विदेश के लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करती आ रही है। यहां की भिन्न भिन्न कलाएं एवं हुनर देश के लोगों को तो प्रभावित करता ही है, साथ ही अपने अद्भुत और दुर्लभ कौशल से विदेश के लोगों के दिलों को भी लुभाती है। भारत विस्मयकारी कलाओं से विदेशों में अपना इतिहास रचता आ रहा है। इसी श्रृंखला में भारत के बिहार के हाजीपुर जिला ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। बिहार का हाजीपुर शहर अपने कृषि उत्पादों के लिए जाना जाता है। लेकिन आज इसी शहर ने अपने अनोखे अंदाज से रशियन आर्मी के लिए स्पेशल सेफ्टी जूते निर्मित कर स्वयं के राज्य के लिए एक नई पहचान बनाई है। इस तरह से अपने बेमिसाल कौशल से बिहार का हाजीपुर विश्वभर में प्रसिद्ध हो गया है।
मेड इन बिहार बने जूते अब रशिया जा रहे हैं
रशिया (Russia) का यूक्रेन से युद्ध चल रहा हैं। यूक्रेन में सैन्य अभियानों (military operation) के दौरान रशियन आर्मी हाजीपुर में बने “मेड इन बिहार” जूतों को पहनकर मार्च करती है। इस तरह हाजीपुर शहर में बने यह स्पेशल सेफ्टी जूतों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान दर्ज कराई है।
“मेड इन बिहार “पर मुख्य बिंदु
1) रशियन आर्मी के लिए स्पेशल जूते बनाने वाली कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट कंपनी भारत के बिहार राज्य के हाजीपुर जिला में स्थित है।
2) इस प्राइवेट लिमिटेड कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट कम्पनी फैसिलिटी की शुरुवात 2018 में हाजीपुर में की गई।
3) यह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जो रशिया में स्थित कंपनियों के लिए स्पेशल सेफ्टी शूज बनाती है।
4) इसके अतिरिक्त इस कंपनी में यूरोपीय बाजारों के लिए भी डिज़ाइनर शूज़ बनते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन डिज़ाइनर शूज़ की वहां बहुत ज्यादा डिमांड है।
5) यह जूते रशियन आर्मी की सुविधाओ को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। यह जूते हल्के और फिसलनरोधी हैं, इन जूतों को फिसलनरोधी बनाने के लिए इसके तलों में स्पेशल डिज़ाइन किया गया है।
6) इन जूतों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन्हें 40 डिग्री सेल्सियस की ज़बरदस्त ठंड के मौसम से बचने के लिए बनाया गया है।
7) जब रशियन आर्मी के सैनिक इन जूतों को ठंड के मौसम में पहनते हैं तो उनको पैरों के तलो में ठंड महसूस नहीं होती। जिसके कारण उनको प्रोटेक्शन मिलता है, इसलिए यह जूते रशियन आर्मी के लिए स्पेशल हैं।
“मेड इन बिहार” के जूतों के मालिक बनाना चाहते हैं वर्ल्ड क्लास फैक्ट्री
बिहार के हाजीपुर शहर में स्थित प्राइवेट लिमिटेड कॉम्पिटेंस एक्सपोर्ट कंपनी के जनरल मैनेजर शिव कुमार रॉय ने बताया कि उनकी कंपनी रशिया की सबसे बड़ी निर्यात कंपनियों में से एक है। इसके अतिरिक्त हाजीपुर उद्योग यूरोपीय बाज़ारों जैसे इटली, फ्रांस और यूके को लक्ज़री डिज़ाइनर और फैशनेबल शूज़ एक्सपोर्ट करती है और कंपनी के एमडी दानेश प्रसाद की महत्वाकांक्षा है कि बिहार में एक वर्ल्ड क्लास फैक्ट्री बनाना और राज्य की उन्नति में भी योगदान देना है।
महाप्रबंधक रॉय ने सरकार से जताई नाराज़गी
महाप्रबंधक (जनरल मैनेजर) रॉय ने बताया कि बिहार सरकार ने उद्योग को बढ़ावा और उनका समर्थन भी किया है लेकिन अभी भी सड़क और संचार जैसी बेहतर बुनायादी सुविधाओं में सुधार की आवश्कता है जिससे रशियन ट्रांसपोर्टर से आसानी से संवाद हो सके और दूसरी बात यह कि “हमें तैयार कुशल जनशक्ति भी चाहिए” और इसके लिए एक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाना चाहिए अन्यथा हमें श्रमिकों को कार्य में शामिल करने से पहले प्रशिक्षित करना होगा और ऐसा करने में काफी समय लगता है।
“मेड इन बिहार” शूज़ फैक्ट्री बनाने का उद्देश्य
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजर शिव कुमार रॉय ने रोज़गार के पहलू पर बात करते हुए कहा कि हम अधिक से अधिक लोगों को रोज़गार देकर उनकी गरीबी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। अभी तक फैक्ट्री में 300 कर्मचारियों को काम दिया गया है, जिसमें 70 फ़ीसदी महिलाए हैं। पिछले साल 1.5 मिलियन जूते एक्सपोर्ट किए गए जिनकी कीमत लगभग 100 करोड़ है। हमारा टारगेट अगले साल इसे 50% तक बढ़ाना है।
हाजीपुर शहर की कंपनी के फैशन और डेवलपमेंट हैड मज़हर पल्लुमैया ने बताया कि हमारा उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों के लिए उच्च श्रेणी के जूते निर्मित करना है। हमने हाल ही में बेल्जियम कंपनी के साथ बातचीत शुरू की। आगे कहते हैं कि शुरुआती दौर में विदेशी कंपनियों को कुछ संदेह था, लेकिन जब उनको सैंपल मिला तो वे आश्वस्त हो गए। अगले महीने कुछ कंपनियां फैक्ट्री का दौरा करेंगी। उन्होनें यह भी कहा कि बिहार के हाजीपुर में फैशन उद्योग चलाना एक चुनौती है लेकिन सहयोगियों की दूरदर्शिता एवम सरकारी समर्थन के साथ हम इस दिशा में बढ़ने में आश्वस्त हैं।